गंभीर साइड इफेक्ट्स के आरोप के बाद बड़ा फैसला, 'कोविशील्ड' बनाने वाली कंपनी अब दुनियाभर से अपनी वैक्सीन वापस लेगी, बेचना और निर्माण करना हुआ बंद

कोरोना वैक्सीन लगाने के बाद गंभीर साइड इफेक्ट्स के आरोप झेल रही दिग्गज फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने सभी कोरोना वैक्सीन को मार्केट से वापस ले लिया है। इसमें भारत में बनाई गई कोविशील्ड वैक्सीन भी शामिल है। कंपनी ने मंगलवार को कहा कि वह वैक्सीन को वैश्विक स्तर पर वापस ले रही है। पहले कंपनी ने वैक्सीन के दुष्प्रभावों को भी स्वीकारा था, हालांकि फार्मा दिग्गज का कहना है कि वैक्सीन को बाजार से किसी और कारण से हटाया जा रहा है।

एस्ट्राजेनेका द्वारा बनाई कोरोना वैक्सीन भारत में कोविशील्ड के नाम से लगाई गई थी। अब कंपनी ने खुद से बनाई कोविड-19 वैक्सीन को वैश्विक स्तर पर वापस ले लिया है। इससे पहले कंपनी ने अदालती दस्तावेजों में स्वीकार किया था कि उसके द्वारा बनाई कोरोना वैक्सीन लगने से खून के थक्के जमना जैसे गंभीर साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। हालांकि, फार्मा दिग्गज ने कहा कि वैक्सीन को व्यावसायिक कारणों से बाजारों से हटाया जा रहा है। टेलीग्राफ ने मंगलवार को कंपनी के हवाले से कहा कि अब वैक्सीन का निर्माण या आपूर्ति नहीं की जा रही है।

कंपनी की तरफ से तर्क दिया गया है कि हमने यह निर्णय ऐसे वक्त में लिया है, जब वैक्सीन लगाने से साइड इफेक्ट्स सामने आए हैं। यह पूरी तरह से संयोग है। वैक्सीन को बाजार से हटाने का कारण कुछ और है। हालांकि कंपनी ने इस पर ज्यादा कुछ कहने से इनकार कर दिया। जानकारी के अनुसार, वैक्सीन को बाजार से वापसी के लिए आवेदन बीते 5 मार्च को किया था जो 7 मई को प्रभावी हुआ।

गौरतलब है कि एस्ट्राजेनेका द्वारा बनाई गई कोरोना वैक्सीन से टीटीएस – थ्रोम्बोसिस थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम के कारण सामने आए थे। एस्ट्राजेनेका द्वारा बनाई गई वैक्सजेवरिया नामक वैक्सीन यूके समेत कई देशों में सप्लाई की गई थी और इस वैक्सीन के भी दुर्लभ दुष्प्रभाव जांच के दायरे में हैं। इससे बीमार व्यक्ति को खून में थक्के जमना और कम प्लेट लेट्स की शिकायत हुई है। फरवरी में कोर्ट की कार्यवाही के दौरान कंपनी ने यह स्वीकार किया था कि वैक्सीन लगाने के बाद इसकी संभावना है कि टीटीएस हो। टीटीएस के कारण यूके में कम से कम 81 लोगों की मौत हो चुकी है। कंपनी मरने वालों के 50 से अधिक रिश्तेदारों द्वारा दायर मुकदमे का सामना कर रही है। भारत में कुछ परिवारों ने कंपनी के खिलाफ मुकदमे किए हैं।

मीडिया से एस्ट्राजेनेका ने कहा, “वैश्विक महामारी को समाप्त करने में हमें अपनी कोरोना वैक्सीन पर गर्व है। एक अनुमान के अनुसार, इसके अकेले उपयोग करने के पहले वर्ष में 6.5 मिलियन से अधिक लोगों की जान बचाई जा सकी और विश्व स्तर पर इसकी तीन बिलियन से अधिक खुराक की आपूर्ति की गई। हमारे प्रयासों को दुनिया भर की सरकारों ने मान्यता दी है और व्यापक रूप से वैश्विक महामारी को समाप्त करने में हमने एक अभूतपूर्व योगदान दिया है।”

OMG! खाना सो रही पत्नी से मांगा खाना तो भड़की, गुस्से में दांतों से काटा पत‍ि का प्राइवेट पार्ट, यहां जानिए यह हैरतअंगेज मामला

पति-पत्नी में नोक-झोंक के मामले अक्सर सुनने में आते रहते हैं। खाने में ज्यादा नमक, परिवारवालों को लेकर विवाद, दहेज, एक-दूसरे की बात न मानना और ऐसे कई कारणों से वैवाहिक जीवन में खटास आ जाती है। कभी बात मारपीट तक आती है तो कभी तलाक तक। इस बीच एक ऐसा मामला सामने आया जहां एक पत्नी ने गुस्से में आकर पति का प्राइवेट पार्ट ही काट लिया।

आपको बता दें कि यह शर्मसार करने वाला मामला छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के चौकी संजारी थाना डौंडीलोहारा से सामने आया है। विवाद तब शुरू हुआ जब खाना देने की बात होने लगी। महिला ने पति से विवाद करते हुए गुस्से में अपने पति के प्राइवेट पार्ट को दांतों से ही काट दिया। इससे पति बुरी तरह से जख्मी हो गया है।

‘प्राइवेट पार्ट’ काटकर फरार पत्नी

पुलिस की मिली जानकारी के मुताबिक ग्राम खेरथा बाजार चौकी संजारी का रहने वाला पति पुनीत राम सिन्हा जो 34 साल का है। वह मजदूरी करता है और 6 मई की दोपहर को घर में ही था। उसने अपनी सोती हुई पत्नी सरिता बाई से खाना मंगा तो पत्नी ने गुस्से में आ गई। इस बात पर विवाद बढ़ा और पत्नी ने पति को खूब गालियां देनी शुरू कर दी। मना करने पर पत्नी ने पति के गुप्तांग को दांतों से काट दिया जिससे उसके गुप्तांग से खून आने लगा। घटना को अंजाम देने के बाद पत्नी वहां से भाग निकली। इसके बाद घटना की सूचना पुलिस को दी गई। बहरहाल, पुलिस आरोपी पत्नी के खिलाफ डौंडीलोहारा थाने में धारा 294,506,323 के तहत मामला दर्ज करके जांच में जुट गई है।

अमेरिका ने इजराइल को दिया बड़ा झटका, राफा अभियान के बाद सैन्य सहायता रोकी

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अमेरिका की चेतावनी के बाद भी इजराइल ने मंगलवार को राफा पर आक्रमण कर दिया है। इजराइल ने इस एक्शन के बाद अपने खास दोस्त अमेरिका से दुश्मनी मोल ली है। अमेरिका ने इजराइल को दी जाने वाली सैन्य मदद रोक दी है।बताया जा रहा है कि गाजा के दक्षिणी इलाके में स्थित शहर राफा पर इजरायल के हमले को देखते हुए बाइडन प्रशासन ने यह फैसला लिया है। बाइडन प्रशासन चाहता है कि इजरायल राफा में पूर्ण अभियान चलाने से बचे जहां लाखों की तादाद में फलस्‍तीनी लोग शरण लिए हुए हैं। इससे पहले जब इजरायल ने अभियान शुरू किया तब गाजा के लोग मिस्र से लगे राफा बॉर्डर पर पहुंच गए थे। इस बॉर्डर पर इजरायल ने कब्‍जा कर लिया है और लगातार हमले कर रहा है।

अल अरेबिया मीडिया आउटलेट से बात करते हुए एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि राफा में अमेरिकी चिंताओं पर ध्यान न देने के बाद इज़राइल को किया जाने वाला हथियारों का निर्यात रोक दिया गया है। बाइडन प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा कि हम इजरायल को दिए जाने वाले हथियारों की सतर्कतापूर्वक समीक्षा कर रहे हैं, इसमें भी खासकर जिनका राफा में इस्‍तेमाल किया जा सकता है। उन्‍होंने कहा कि इस समीक्षा की वजह से ही हमने पिछले सप्‍ताह इजरायल को दिए जाने वाले 1000 किलो के बम की आपूर्ति को रोक दिया है। हम इन बेहद शक्तिशाली बमों के इस्‍तेमाल पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं। इसके इस्‍तेमाल का शहरी इलाकों में भयानक असर पड़ता है। हमने अभी इस बारे में कोई फैसला नहीं किया है कि आने वाले समय में कैसे हथियारों की श‍िपमेंट को लेकर आगे बढ़ना है।'

अमेरिकी सूत्रों का कहना है कि इन बमों के शिपमेंट को कम से कम दो सप्‍ताह के लिए टाल दिया गया है। इसमें बोइंग कंपनी का बनाया हुआ जॉइंट डायरेक्‍ट अटैक बम और स्‍माल डायामीटर बम भी शामिल है। अमेरिका ने इन बमों की आपूर्ति को ऐसे समय पर टाली है जब बाइडन सार्वजनिक रूप से इजरायल पर दबाव डाल रहे हैं कि वह राफा पर अभियान को बंद करे।व्हाइट हाउस की ओर से आपत्ति दर्ज कराए जाने के बावजूद इजराइली सरकार रफह पर आक्रमण की तैयारी करती रही है। इसी के बाद अप्रैल में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन ने इजराइल को भविष्य में सैन्य सहायता भेजने की समीक्षा शुरू कर दी थी।

हाल के हफ्तों में इजराइल की राफा पर आक्रमण की धमकी के बाद से ही अमेरिका ने सार्वजनिक और निजी तौर पर इस तरह के ऑपरेशन का विरोध किया है। अमेरिका शुरुआत से कहता आया है कि राफा में किसी भी ऑपरेशन से पहले आम नागरिकों की सुरक्षा के लिए एक खास प्लान की जरूरत है। बताया जा रहा है कि करीब 17 लाख से ज्यादा फिलिस्तीनी राफा में हैं, इनमें से करीब 14 लाख वो लोग हैं जो उत्तरी गाजा से जान बचाने के लिए राफा आए हैं।

बता दें कि आतंकी संगठन हमास की ओर से पिछले साल सात अक्टूबर को इजराइल पर हमला किया गया था। इसके जवाब में इजराइल ने गाजा पट्टी पर आक्रमण शुरू कर दिया था।हमास से जंग के बीच अमेरिका ने इजराइल को भारी मात्रा में सैन्य सहायता मुहैया कराई है। लेकिन अब गोला बारूद की खेप को रोकने से इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन प्रशासन के बीच बढ़ता गतिरोध और खुलकर सामने आया गया है।

लोकसभा चुनाव के बीच उत्तरप्रदेश की इस सीट से एक और प्रत्याशी ने चुनाव लड़ने से किया इंकार, कब तक सस्पेंस बरकरार

देशभर में लोकसभा चुनाव की हलचल तेज है। इसी बीच उत्तर प्रदेश की कैसरगंज सीट की तरह पूर्वांचल के रॉबर्ट्सगंज लोकसभा सीट पर सस्पेंस अभी भी बरकरार है। अपना दल एस ने ससुर की जगह बहू को टिकट दे दिया। वहीं, सूत्र बता रहे है कि बहू ने चुनाव लड़ने से इंकार कर दिहा है। मतलब कहानी अभी भी खत्म नहीं हुई है। कैसरगंज सीट पर बीजेपी ने विवादों में आने के बाद बृजभूषण सिंह का टिकट काट दिया था। 

टिकट काटकर उनके छोटे बेटे को दे दिया। रॉबर्ट्सगंज लोकसभा सीट पर भी हाल कमोवेश वैसा ही रहा। इस सीट से पकौड़ी लाल कोल का टिकट काटकर उनकी बहू रिंकी कोल को दे दिया। परिवार में असमंजस की स्थिति को देखते हुए रिंकी कोल ने चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है। अपना दल (एस) की टिकट से लोकसभा प्रत्याशी रिंकी कोल ने चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है। 

रॉबर्ट्सगंज लोकसभा सीट से अपना दल (एस) ने मंगलवार शाम ही रिंकी कोल को प्रत्याशी बनाया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार रिंकी कोल छानबे विधानसभा सीट से विधायक हैं। उन्होंने लोकसभा क्षेत्र बड़ा होने और बच्चों की देखभाल के कारण चुनाव लड़ने से इंकार किया है। 

रिंकी कोल रॉबर्ट्सगंज लोकसभा से मौजूदा सांसद पकौड़ी लाल कोल की बहू हैं। रिंकी के पति भी छानबे से दो बार विधायक रह चुके थे। बता दें कि रिंकी कोल के पति राहुल कोल के निधन के बाद साल 2023 में छानबे विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में उन्हें अपना दल ने प्रत्याशी बनाया था। उपचुनाव में उन्होंने समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी कीर्ति कोल को 9,587 वोटों से चुनाव हराया था।

MP के लाल का कमाल, राई के दाने पर बना डाली अद्वितीय सम्राट विक्रमादित्य की पेंटिंग, नाम किया 5वां वर्ल्ड रिकॉर्ड

 मध्य प्रदेश के आर्टिस्ट व 4 वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने वाले पुनीत कदवाने ने एक बार फिर नया वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज कराया. आर्टिस्ट पुनीत ने दुनिया की सबसे छोटी पेंटिंग बनाने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है. एमपी के इस युवा के पास अब 5 वर्ल्ड रिकॉर्ड का खिताब है.  

मध्य प्रदेश के पेंटर ने वह कर दिखाया जिसे देख के सब हैरान रह गए. उज्जैन शहर के युवा चित्रकार व 4 वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर आर्टिस्ट पुनीत कदवाने (21) ने फिर एक बार कमाल कर दिखाया है. पुनीत ने दुनिया की सबसे छोटी पेंटिंग बना कर पांचवी बार वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है. 

पुनीत ने अपनी पढ़ाई के साथ पेंटिग को भी जारी रखी है. पुनीत उज्जैन से पहले ऐसे चित्रकार है जिन्होंने पेंटिंग में पांच वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम किया हैं और आने वाले समय में पुनीत दावा करते हैं कि वह पांच और वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करेंगे. वह विश्वास दिलाते हैं कि वह जल्द ही भारत के पहले ऐसे आर्टिस्ट बनेंगे जिसने इतने कम समय में 10 वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम कराया होगा. 

आर्टिस्ट पुनीत ने अपना पांचवा वर्ल्ड रिकॉर्ड राई के दाने पर सम्राट विक्रमादित्य की तस्वीर को उकेर कर पाया है. पेंटर पुनीत इससे पहले चने के दाने, बॉल पेन की नोक, शक्कर के दाने व अन्य पर भी भगवान राम और शिव नंदी की पेंटिंग बना चुके हैं. 

पुनीत कदवाने की पेंटिंग दिल्ली मुंबई जैसे शहरों के साथ-साथ इंटरनेशनल स्तरों पर जैसे लंदन, न्यूयॉर्क, ऑस्ट्रेलिया में भी सेल हुई हैं. हाल ही में पुनीत ने एक मोलिक कलाकृति बनाई जो देश की सर्वश्रेष्ठ आर्ट गैलरी-ललित कला अकादमी नई दिल्ली में प्रदर्शित की गई थी. प्रदर्शित होने के पहले ही उनकी पेंटिंग को अंतर्राष्ट्रीय बायर्स ने नीलामी कर खरीद लिया था. 

पुनित कृष्णा परिसर महावीर बाग कॉलोनी में रहते हैं. वह शिप्रा फाईन आर्ट कॉलेज से BFA डिग्री कोर्स पेंटिंग में ग्रेजुएशन कर रहे हैं. उनके पिता राजेश कदवाने जनपद पंचायत तराना में पदस्थ हैं और माता डिंपल कदवाने ग्रहणी हैं. आर्टिस्ट पुनीत बताते हैं कि कला यात्रा की शुरुआत उनकी बचपन से ही हो गई थी. 15 वर्ष की उम्र से उन्होंने पेंटिंग शुरू किया था.

मध्य प्रदेश के पुनीत कदवाने ने अपने हुनर का ऐसा जलवा पेश किया जिसे देखते ही सब हैरान रह गए. इतनी कम उम्र में पांच वर्ल्ड रिकॉर्ड का खिताब हासिल करना किसी के लिए भी मुश्किल होता है. आर्टिस्ट ने अब तक कई कमाल पेंटिग बनाई हैं.

जानिए, पुनीत के पांच वर्ल्ड रिकॉर्ड के बारे में

दुनिया की सबसे छोटी भगवान शिव की पेंटिंग जो कि नंदी पर विराजमान है चने के दाने पर बनाई जिसे गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने नाम दिया है. राई के दाने पर दुनिया का सबसे सर्वश्रेष्ठ राजा विक्रमादित्य का पोट्रेट पेंटिंग जिसे फोर्ब्स वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने नाम दिया है. 

बॉल पेन की नोक पर भगवान शिव की दुनिया की सबसे छोटी पेंटिंग जिसे वर्ल्डवाइड बुक ऑफ़ रिकॉर्ड ने नाम दिया है. शक्कर के दाने पर भगवान राम का बाल रूप का पोर्ट्रेट जिसे वर्ल्डवाइड बुक ऑफ रिकॉर्ड ने नाम दिया है. राई के दाने पर दुनिया का सबसे सर्वश्रेष्ठ राजा विक्रमादित्य का पोट्रेट पेंटिंग जिसे इंटरनेशनल बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने नाम दिया है.

सैम पित्रोदा के बयान पर भड़के पीएम मोदी, कहा- मैं गुस्से में हूं, शहजादे के सलाहकार ने मेरे लोगों के रंग का अपमान किया

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देश में जारी चुनावी माहौल के बीच राजनीतिक दलों को क्या चाहिए, सिर्फ एक मुद्दा। कांग्रेस खुद अपने हाथों से अपने विरोधी दल यानी बीजेपी को मुद्दे पकड़ा रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पार्टी की इंडियन ओवरसीज ईकाई के अध्यक्ष सैम पित्रोदा के ‘विरासत टैक्स’ वाले बयान पर विवाद थमा भी नहीं था कि अब उन्होंने भारतीयों के रंग-रूप को लेकर टिप्पणी करके बीजेपी को एक और सियासी हथियार दे दिया है।देश में लोकसभा चुनाव को लेकर जारी धुआंधार प्रचार के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज तेलंगाना पहुंचे। जहां सैम पित्रोदा के बयान पर पीएम मोदी ने राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा।

पीएम मोदी ने तेलंगाना के वारंगल में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि आज मैं बहुत गुस्से में हूं। मुझे गाली दी, मैंने सहन कर लिया, लेकिन आज शहजादे (राहुल गांधी) के सलाहकार ने जो कहा उससे मुझे गुस्सा आया। ये मेरे देश के लोगों की चमड़ी के रंग का अपमान कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘शहजादे के गाइड अंकल ने कहा है कि जिनका चेहरा काला है वो अफ्रीका का होता है। रंग के आधार पर इतनी बड़ी गाली दी। चमड़ी के रंग देखकर ही मान लिया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अफ्रीकन हैं। इनकी सोच आज पता चली। अरे चमड़ी का रंग कुछ भी हो, हम श्री कृष्ण की पूजा करने वाले लोग हैं।‘

पित्रोदा ने क्या कहा?

इससे पहले अंग्रेजी अखबार द स्टेट्समैन को दिए एक इंटरव्यू में सैम पित्रोदा ने कहा कि 'हम भारत जैसे विविधता से भरे देश को एकजुट रख सकते हैं, जहां पूर्व के लोग चीनी जैसे लगते हैं, पश्चिम के लोग अरब जैसे दिखते हैं, उत्तर के लोग गोरों जैसे और दक्षिण भारतीय अफ्रीकी जैसे लगते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, हम सभी बहन-भाई हैं।' पित्रोदा ने कहा कि भारत में अलग-अलग क्षेत्र के लोगों के रीति-रिवाज, खान-पान, धर्म, भाषा अलग-अलग हैं, लेकिन भारत के लोग एक-दूसरे का सम्मान करते हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि देश के लोग 75 वर्षों तक एक सुखद वातावरण में रहे हैं, कुछ लड़ाइयों को छोड़ दें तो लोग साथ रह सकते हैं।

फिर फिसली सैम पित्रोदा की जुबान, अब बोले- 'पूर्वी भारतीय चीनी लगते हैं तो दक्षिण वाले अफ्रीकी'

#sampitrodacontroversial_statement 

कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा ने एक बार फिर कुछ ऐसा कहा है, जिस पर बवाल मच गया है। अपने बयानों की वजह से हमेशा सुर्खियां बटोरने वाले सैम पित्रोदा ने इस बार भारत की विविधतापूर्ण संस्कृति पर चौंकाने वाला बयान दिया है। सैम ने अपने बयान में भारत के अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों के रंग-रूप की तुलना अलग-अलग देशों के लोगों से की है।उन्होंने कहा कि भारत ऐसा विविधतापूर्ण देश है जहां पूरब के लोग चीनी जैसे दिखते हैं, पश्चिम के लोग अरब जैसे दिखते हैं, उत्तर के लोग शायद गोरे जैसे दिखते हैं और दक्षिण के लोग अफ्रीका जैसे दिखते हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान सैम पित्रोदा के नए बयान से कांग्रेस एक बार फिर से घिरती नजर आ रही है। अभा हाल ही में सैम पित्रोदा ने विरासत टैक्स को लेकर टिप्पणी की थी, पित्रोदा के उस बयान पर भी खूब विवाद हुआ था। 

अंग्रेजी अखबार द स्टेट्समैन को दिए एक इंटरव्यू में सैम पित्रोदा ने कहा कि 'हम भारत जैसे विविधता से भरे देश को एकजुट रख सकते हैं, जहां पूर्व के लोग चीनी जैसे लगते हैं, पश्चिम के लोग अरब जैसे दिखते हैं, उत्तर के लोग गोरों जैसे और दक्षिण भारतीय अफ्रीकी जैसे लगते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, हम सभी बहन-भाई हैं।' पित्रोदा ने कहा कि भारत में अलग-अलग क्षेत्र के लोगों के रीति-रिवाज, खान-पान, धर्म, भाषा अलग-अलग हैं, लेकिन भारत के लोग एक-दूसरे का सम्मान करते हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि देश के लोग 75 वर्षों तक एक सुखद वातावरण में रहे हैं, कुछ लड़ाइयों को छोड़ दें तो लोग साथ रह सकते हैं। 

कांग्रेस ने किया किनारा

इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा की इस टिप्पणी से कांग्रेस ने दूरी बना ली है। एक्स पर एक पोस्ट में, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि भारत की विविधता को चित्रित करने के लिए सैम पित्रोदा द्वारा पॉडकास्ट में कही गई उपमाएं सबसे दुर्भाग्यपूर्ण और अस्वीकार्य हैं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इन उपमाओं से खुद को पूरी तरह से अलग करती है।

विरासत कर वाले बयान पर हुआ था विवाद

सैम पित्रोदा कुछ पहले भी विरासत कर वाले बयान पर विवादों में आ गए थे. उन्होंने कहा था कि अमेरिका में विरासत टैक्स लगता है. इसके बाद भारत में राजनीतिक दलों में खासतौर पर बीजेपी नेताओं ने इसका कड़ा विरोध किया था. बीजेपी ने सैम के बयान के आधार पर कांग्रेस पार्टी पर भी हमला बोला था और उसे घोषणा पत्र में संपत्ति सर्वे से जोड़कर राहुल गांधी पर हमला बोला था. हालांकि बाद में सैम पित्रोदा ने दोबारा कहा कि उनके बयान का गलत मतलब निकाला गया. उन्होंने वो नहीं कहा जो लोगों ने मतलब निकाला

बयानों से कब-कब सुर्खियों में रहे सैम पित्रोदा 

• सैम पित्रोदा ने जून, 2023 में कहा था कि मंदिरों से देश की बेरोजगारी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी दिक्कतों का समाधान नहीं होगा, इन मुद्दों पर कोई बात नहीं करता। हर कोई राम और हनुमान मंदिर की बातें करता है। उन्होंने ये कहकर राजनीतिक भूचाल ला दिया था कि मंदिर निर्माण से आपको रोजगार नहीं मिलेगा।

• कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सैम पित्रोदा ने पिछले दिनों कहा था कि अमेरिका में विरासत टैक्स लगता है। यानी किसी शख्स के मरने के बाद उसकी संपत्ति का कुछ हिस्सा उसके रिश्तेदारों को दिया जाता है, जबकि एक बड़ा हिस्सा सरकार अपने पास रख लेती है। सैम ने इस कानून को एक रोचक कानून बताया था।

• सैम को साल 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान हुआ-तो-हुआ वाली टिप्पणी पर भी आलोचना झलेनी पड़ी थी। दरअसल 1984 सिख दंगों को लेकर बीजेपी ने आरोप लगाया था कि तत्तालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के इशारे पर सिख दंगे हुए थे, जिस पर सैम ने कहा था कि 1994 में हुआ तो हुआ। हालांकि बाद में उन्होंने सफाई देते हुए कहा था कि उनकी हिंदी अच्छी नहीं है। वह कहना चाहते थे कि जो हुआ वह बुरा हुआ।

• साल 2019 में सैम पित्रोदा ने कहा थआ कि मडिकल क्लास को स्वार्थी नहीं बनना चाहिए। उनको कांग्रेस की प्रस्तावित न्याय योजना की फंडिंग के लिए ज्यादा से ज्यादा टैक्स देने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा था कि टैक्स का बोझ बढ़ने से मिडिल क्लास को स्वार्थी बनीं बनना चाहिए। उनके इस बयान पर काफी बवाल हुआ था।

• साल 2018 में पुलवामा में हुए अटैक के बाद पाकिस्तान के बालाकोट में एयरस्ट्राइक को लेकर भारत सरकार के एक्शन पर सवाल उठाते हुए कहा था कि पुलवामा जैसे हमले होते रहते हैं। इसके बारे में मैं ज्यादा नहीं जानता. उन्होंने कहा था कि मुंबई में भी हमला हुआ था।

नेपाल के 100 रुपए के नोट पर भारत में क्यों मचा है “बवाल”?

#controversyovermapofnepalnewrs100note 

नेपाल ने 100 रुपए का नया नोट जारी करने की घोषणा की। पड़ोसी देश की इस घोषणा से भारत “भड़क” गया है। दरअसल, नेपाल ने जिस नए नोट को जारी करने की घोषणा का है, उसमें एक नक्शा शामिल है। जिसमें भारत के तीन इलाकों को अपना बताया गया है। उस नक्शे में लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी के विवादास्पद क्षेत्र शामिल हैं। वैसे बता दें कि नेपाल ने पहली बार ऐसी हिमाकत नहीं की है। चीन की छत्रछाया में नेपाल ने भारत पर अपनी “नापाक नजर” पहले भी डाली है। हालांकि, भारत पहले ही इन क्षेत्रों को कृत्रिम रूप से विस्तारित करार दे चुका है। 

बता दें कि प्रधानमंत्री प्रचंड की अगुआई वाली नेपाल की सरकार ने 100 रुपए के नोट को फिर डिजाइन करने और उसके बैकग्राउंड में छपे पुराने मैप को बदलने की मंजूरी दी गई है। नेपाल की ओर से नोट में भारत के इलाके दिखाए जाने वाले अवैध फैसले का औपचारिक ऐलान भी कर दिया गया है। इन नोट में नेपाल का वो नया नक्शा दिखाया जाएगा, जो उसने 18 जून, 2020 को जारी किया था। जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा के नाम शामिल थे। नेपाल सरकार की प्रवक्ता और सूचना एवं संचार मंत्री रेखा शर्मा ने कैबिनेट फैसले के बारे में जानकारी देते हुए मीडियाकर्मियों को बताया, "प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल 'प्रचंड' की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद की बैठक में 100 रुपये के नोट में नेपाल का नया नक्शा छापने का निर्णय लिया गया, जिसमें लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी को दर्शाया जाएगा।" उन्होंने कहा, "हमारे पास 100 के पुराने नोट खत्म होने वाले हैं. चूंकि पिछले डिज़ाइन में पुराना नक़्शा था, इसलिए जब हमने उसे छापा तो ऐसा लगा जैसे हमें नए नक़्शे के बारे में मालूम नहीं है।"

भारत की प्रतिक्रिया

इस कदम की प्रतिक्रिया में, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विवादित भारतीय क्षेत्रों को अपने नए 100 रुपये के नोट पर डालने के नेपाल के फैसले से असहमति जताई। उन्होंने कहा कि इस पर भारत की स्थिति स्पष्ट है और नेपाल ने अपनी मर्जी से कार्रवाई की। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भले ही दोनों देश सीमा मुद्दों पर बात कर रहे हैं, लेकिन नेपाल की कार्रवाई से जमीनी स्तर पर चीजें नहीं बदलेंगी। उन्होंने कहा, मैंने वह रिपोर्ट देखी। मैंने इसे विस्तार से नहीं देखा है, लेकिन मुझे लगता है कि हमारी स्थिति बहुत स्पष्ट है। नेपाल के साथ, हम एक स्थापित मंच के माध्यम से अपनी सीमा मामलों पर चर्चा कर रहे थे और फिर उसके बीच में, उन्होंने एकतरफा फैसला किया। लेकिन अपनी तरफ से कुछ करने से वे हमारे बीच की स्थिति या जमीनी हकीकत को बदलने वाले नहीं हैं।

2020 में नेपाल ने अपडेट किया था नक्शा

18 जून 2020 को नेपाल ने अपने संविधान में संशोधन करके रणनीतिक रूप से महत्वपूर्व तीन क्षेत्रों लिपुलेख, कालापनी और लिंपियाधुरा को शामिल करके देश के राजनीतिक मानचित्र को अपडेट करने की प्रक्रिया पूरी की थी। इस पर भारत तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। भारत ने इसे "एकतरफा कृत्य" बताते हुए कहा था कि "नेपाल द्वारा क्षेत्रीय दावों का 'कृत्रिम विस्तार' अस्थिर है।"

आखिर कहां है विवाद?

वैसे तो भारत के साथ नेपाल की सीमा 1850 किलोमीटर की है, लेकिन जिस जमीन को लेकर विवाद है वो करीब 300 वर्ग किलोमीटर का टुकड़ा है। यहीं पर लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और काला पानी का वो इलाका मौजूद है जो है तो भारत का लेकिन इस पर नेपाल की गिद्ध दृष्टि है. इसके पीछे भी दिमाग चीन का बताया जा रहा है। दरअसल भारत नेपाल और चीन सीमा से लगे इलाके में नदियों से मिलकर बनी एक घाटी है, जो नेपाल और भारत में बहने वाली महाकाली नदी का उद्गम स्थल है। इस इलाके को काला पानी भी कहते हैं। यहीं पर लिपुलेख दर्रा भी है और यहां से उत्तर-पश्चिम की तरफ कुछ दूरी पर एक और दर्रा है, जिसे लिम्पियाधुरा कहते हैं।

18 महीने बाद चीन ने भारत में नियुक्ति किया राजदूत, अब तक औपचारिक एलान नहीं

#xi_appoints_senior_diplomat_xu_feihong_as_china_s_new_envoy_to_india 

भारत में क़रीब डेढ़ साल बाद चीन ने अपना नया राजदूत भेजने की तैयारी की है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 18 महीने की देरी के बाद शुई फ़ीहॉन्ग को भारत में नया राजदूत नियुक्त किया है। चीन की ओर से फेइहोंग को भारत में चीन का राजदूत नियुक्त करने की अबतक आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। हालांकि, चीन के विदेश मंत्रालय ने ‘पीटीआई-भाषा’ को पुष्टि की है कि अफगानिस्तान और रोमानिया में चीन के राजदूत रहे फेइहोंग अब भारत में देश के नए राजदूत होंगे।

अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू ने लिखा है कि 60 वर्षीय शुई जल्दी ही नई दिल्ली में अपना पद संभाल लेंगे। वह यहां सन विडॉन्ग की जगह लेंगे, जो भारत में अपना कार्यकाल अक्टूबर 2022 में ही पूरा करके जा चुके हैं। सन विडॉन्ग, भारत के कार्यकाल से पहले पाकिस्तान में भी चीन के राजदूत रह चुके थे और फ़िलहाल उप विदेश मंत्री हैं और चीन की दक्षिण एशिया पॉलिसी को संभालना उनके ज़िम्मे है।

फेइहोंग की नियुक्ति ऐसे समय हुई है जब भारत में आम चुनाव हो रहे हैं और लंबे समय से चल रहे सैन्य गतिरोध को दूर करने के लिए दोनों देशों के बीच सैन्य और राजनयिक स्तर पर दीर्घकालिक वार्ता चल रही है।

बता दें कि पूर्वी लद्दाख के पेगोंग त्सो झील इलाके में पांच मई 2020 को हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनाव आ गया है। पूर्वी लद्दाख की घटना के बाद दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्ते लगभग ठहर गए हैं। सैन्य गतिरोध को दूर करने के लिए अब तक कोर कमांडर स्तर की 21 दौर की वार्ता हो चुकी है। चीन की सेना के मुताबिक दोनों पक्ष चार बिंदुओं गलवान घाटी, पेंगोंग झील, हॉट स्प्रिंग और जियानान दबान (गोगरा) इलाके से सैनिकों को पीछे हटाने पर सहमत हो चुके हैं। भारत, चीन की जनवादी मुक्ति सेना पर देपसांग और डेमचोक इलाके से पीछे हटने का दबाव बना रहा है। भारत का कहना है कि सीमा पर असमान्य स्थिति के रहते चीन के साथ रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते हैं।

क्या है 'क्लोरोपिक्रिन', रूस पर लगा यूक्रेन के खिलाफ इस्तेमाल का आरोप*
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अमेरिका ने रूस पर “रासायनिक हथियार संधि” का उल्लंघन करते हुए यूक्रेन की फौज के खिलाफ रासायनिक हथियार “क्लोरोपिक्रिन” का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है।अमेरिकी विदेश विभाग ने 1 मई को रूस पर “रासायनिक हथियार संधि” का उल्लंघन करते हुए यूक्रेनी बलों के खिलाफ रासायनिक हथियार का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। अमेरिकी बयान में कहा गया है कि रूस, यूक्रेन के खिलाफ खतरनाक आंसू गैस का भी उपयोग कर रहा है, जिससे किसी शख्स के देखने की क्षमता खत्म हो सकती है, यानी वो अंधा हो सकता है। ऐसे मामले भी रासायनिक हथियार संधि का उल्लंघन है। इसके साथ ही मास्को के खिलाफ नए प्रतिबंधों की भी घोषणा की। *'क्लोरोपिक्रिन' क्या है* यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार, रासायनिक यौगिक क्लोरोपिक्रिन का उपयोग युद्ध एजेंट और कीटनाशक दोनों के रूप में किया जाता है। अगर यह सांस के साथ अंदर चला जाए तो यह स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करता है। सीडब्ल्यूसी के तहत निगरानी रखने वाली संस्था, रासायनिक हथियार निषेध संगठन (ओपीसीडब्ल्यू) का कहना है कि रासायनिक हथियार ऐसे पदार्थ हैं, जिसके विषैले और रासायनिक तत्वों का इस्तेमाल किसी की मौत के लिए या नुक़सान पहुंचाने के लिए किया जाता है। सीडब्ल्यूसी के तहत युद्ध में इस रसायन का इस्तेमाल साफ़ तौर से प्रतिबंधित है और ओपीसीडब्ल्यू ने इसे चोकिंग एजेंट बताया है। *गैस और तरल, दोनों ही रूपों में हो सकता है इसका इस्तेमाल* क्लोरोपिक्रिन को नाइट्रोक्लोरोफॉर्म और पीएस के रूप में भी जाना जाता है। यह एक केमिकल कंपाउंड है, जिसका इस्तेमाल जानलेवा कीटनाशक और नेमाटाइडाइड के रूप में किया जाता है। इसकी खासियत है कि यह गैस और लिक्विड दोनों ही रूपों में इस्तेमाल हो सकता है। इसकी एक छोटी सी बूंद भी इंसान के लिए जानलेवा हो सकती है। गैस के रूप में इसकी जरा सी मात्रा भी शरीर के अंदर जाने पर किसी को भी मौत की नींद सुलाने के लिए काफी होती है। *यदि आप क्लोरोपिक्रिन के संपर्क में आते हैं तो क्या होता है?* क्लोरोपिक्रिन के संपर्क में आने पर आंखों, त्वचा, श्वसन पथ और जठरांत्र संबंधी मार्ग में गंभीर जलन होती है। कुछ प्रभावों में आंखों की क्षति, मुंह, ग्रासनली और पेट में जलन, सांस लेने में तकलीफ, मतली, चक्कर आना और त्वचा का नीला पड़ना शामिल हैं। सीडीसी के अनुसार, गंभीर संपर्क में आने पर, इससे फुफ्फुसीय एडिमा हो सकती है, एक ऐसी स्थिति जिसमें फेफड़ों में तरल पदार्थ जमा हो जाता है, जिससे संभवतः मृत्यु हो सकती है। एक बार रसायन के संपर्क में आने वाले व्यक्ति बाद के जोखिम के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। हालांकि, एनआईएच के अनुसार, इसे कार्सिनोजेन के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है और इसलिए, क्लोरोपिक्रिन के दीर्घकालिक या बार-बार संपर्क के माध्यम से विकासात्मक या प्रजनन विषाक्तता पैदा करने की संभावना अनिश्चित बनी हुई है।