टैगोर ने अपनी शिक्षा-व्यवस्था में उपयोगिता, तार्किकता तथा व्यावहारिकता का समावेश किया : प्रो संजय पाण्डेय
अशोक कुमार जायसवाल , चंदौली। लाल बहादुर शास्त्री स्नातकोत्तर महाविद्यालय दीनदयाल उपाध्याय नगर के पं पारसनाथ तिवारी नवीन परिसर में आज दिनांक 7 मई को महाविद्यालय द्वारा रवींद्र नाथ टैगोर जयंती का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर बोलते हुए प्रो संजय पाण्डेय ने कहा कि टैगोर ने शिक्षा के द्वारा जीवन को पूर्णता प्रदान करने का प्रयास किया। उन्होंने व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, भावात्मक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक विकास पर बल दिया, जिससे व्यक्ति का सम्पूर्ण रूप से विकास हो सके।टैगोर ने अपनी शिक्षा-व्यवस्था में उपयोगिता, तार्किकता तथा व्यावहारिकता का समावेश किया जिससे कि शिक्षा को ज़्यादा से ज़्यादा लोकप्रिय व व्यवहारिक बनाया जा सके।
प्रो अरुण पाण्डेय ने कहा कि टैगोर ने अपनी शिक्षा-व्यवस्था में राष्ट्रीय शिक्षा को भी स्वीकार किया है। उनका मत था कि अन्तर्राष्ट्रीयता की भावना रखते हुए हम राष्ट्रीयता की भावना का विकास करें तभी सार्थक परिणाम प्राप्त हो पायेगा।टैगोर ने विश्वभारती के द्वारा भारतीय तथा पाश्चात्य शिक्षा-प्रणालियों का अपूर्व समन्वय प्रस्तुत किया है। डा विवेक सिंह ने कहा कि टैगोर ने बच्चे की शिक्षा को मातृभाषा पर दिये जाने पर जोर दिया था । डा अमितेश ने कहा कि रविन्द्र नाथ जी ने बाल्यावस्था में ही वेद व उपनिषदों का अध्ययन कर लिया था। उपनिषदों के तत्व ज्ञान का उन पर गहरा प्रभाव पड़ा।टैगोर जी प्रकृति प्रेमी थे, प्रकृति को वे सरल शुद्ध व आनंदमयी मानते थे। कार्यक्रम का संचालन डा भावना ने किया, इस अवसर पर बी एड विभाग के द्वारा भी टैगोर जयंती का कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में डा कामेश, प्रो धनंजय राय, डा धर्मेन्द्र के साथ महाविद्यालय की छात्र छात्राएँ उपस्थित रहें।
May 08 2024, 18:03