हेल्थ टिप्स: गर्मियों के मौसम में डिहाइड्रेशन से बचने के लिए अपने डाइट में शामिल कर ये चीजे,पूरी गर्मी रहेंगे सेहतमंद


दिल्ली:गर्मियों की मौसम की शुरुआत हो चुकी है। गर्मी शुरू होते ही लोगो को दिक्कत अपने खाने पीने को लेकर आती हैं, ज्यादा तला भुना मसालेदार चीज खाने से लोगो में डिहाड्रेशन की समस्या होने लगती है पेट दर्द,उल्टी,चक्कर आने लगते है।

गर्मियों में शरीर से पसीना निकलता है जिससे शरीर में पानी की कमी होने लगती हैं अगर आप भरपूर पानी नही पीते तो आपको डिहाइड्रेशन हो सकता है। इससे बचने के लिए आपको अपने खान-पान में ऐसी चीजें शामिल करनी चाहिए जिनसे आपको पर्याप्त पानी मिल सके और आप तरोताजा रह सकें। 

आइए जानते है ऐसे चीजों के बारे में जिसका सेवन कर हम अपने शरीर में पानी की स्तर को बढ़ा सकते है।

तरबूज

तरबूज में 90 प्रतिशत पानी होता है। यह आपकी आपके शरीर के साथ त्वचा को भी हाइड्रेट रखता है।

नारियल पानी

नारियल पानी पोषण से भरपूर होता है। यह आपको पेट की हर बीमारी से बचाने के साथ शरीर को ठंडा भी रखता है। ऐसे मौसम में नारियल पानी जरूर पीना चाहिए।

नींबू का रस

गर्मी के मौसम में खूब नींबू पानी पीना चाहिए। एक ग्लास नींबू का पानी आपको गर्मी और थकावट से बचाता है।

खीरा

खीरा आपकी त्वचा के साथ बालों को खूबसूरत बनाता है और साथ ही शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है।

भुट्टे के दाने

भुट्टे में ल्यूटिन और जेक्सैंथिन होता है। जो गर्मी के मौसम में शरीर को कई तरह के फायदे पहुंचाता है। 

दही

दही भी एक ऐसी चीज है जो गर्म मौसम में शरीर को ठंडक पहुंचाता है। इसे आप रोजाना अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। इसका रायता बनाएं या फिर लस्सी, ये किसी भी फॉर्म में शरीर को फायदा ही पहुंचाएगा। 

हरी सब्जियां

गर्मी के मौसम में लौकी, टिंडे, कद्दू, बीन्स जैसी सब्जियों का सेवन करना चाहिए। इससे आपका शरीर भी ठंडा रहेगा और पानी की कमी भी नहीं होगी।

खिचड़ी

गर्मी के मौसम में हल्का और कम मसाले वाला खाना खाने की इच्छा ज्यादा होती है। आप हफ्ते में दो-तीन बार खिचड़ी खा सकते हैं, जिससे आपका पेट हल्का रहेगा और उसे आराम भी मिलेगा। 

सलाद

खाने के साथ सलाद जरूर खाएं। इसमें खीरा, गाजर जरूर शामिल करें।

.छाछ और लस्सी

गर्मी के मौसम में छाछ और लस्सी जरूर पिएं। इसे खाने के साथ या फिर खाने से पहले पिया जा सकता है।

चुनाव के मद्देनजर अरविंद केजरीवाल को मिलेगी राहत...? सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अंतरिम जमानत पर कर सकते हैं विचार

सुप्रीम कोर्ट ने आज कथित दिल्ली एक्साइज पॉलिसी स्कैम से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी के सीएम को गिरफ्तारी करने के मामले चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था.


नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) से कहा कि वह लोकसभा चुनाव के मद्देनजर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत के सवाल पर विचार कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने आज कथित दिल्ली एक्साइज पॉलिसी स्कैम से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी के सीएम को गिरफ्तारी करने के मामले चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था.


जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू को मंगलवार को इस सवाल पर बहस करने के लिए तैयार रहने को कहा था और यह भी पूछा कि क्या केजरीवाल को आधिकारिक फाइलों पर हस्ताक्षर करना चाहिए. संजय सिंह के बयान का दिया हवाला इस पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने जवाब दिया कि सुप्रीम कोर्ट के इस बयान को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा सकता है. इस दौरान उन्होंने जेल से रिहा होने के बाद आम आदमनी पार्टी (AAP) नेता संजय सिंह के बयानों का हवाला दिया. केजरीवाल को किसी भी तरह की राहत देने का विरोध करते हुए एसवी राजू ने कहा कि चुनाव से ठीक पहले केजरीवाल की गिरफ्तारी का समय उनकी याचिका का आधार है.


याचिका में केजरीवाल ने चुनाव से ठीक पहले अपनी गिरफ्तारी पर सवाल उठाए हैं. केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई करेगी सुप्रीम कोर्ट इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा कि चुनाव को देखते हुए अदालत अंतरिम जमानत के लिए केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई करेगी. अंतरिम जमानत के लिए कोर्ट दोनों पक्षों की बात सुन सकता है. हम अब मामले की सुनवाई मंगलवार करेंगे. उन्होंने एसवी राजू से कहा कि अगर चुनाव के कारण अदालत केजरीवाल को अंतरिम जमानत देती है तो वह इसकी शर्तों पर निर्देश दे सकते हैं. कोर्ट ने राजू को आश्वासन दिया कि अदालत अंतरिम जमानत के पहलू पर उनकी बात भी सुनेगी.

राजू ने इस बात पर जोर दिया कि केजरीवाल की गिरफ़्तारी को दी गई चुनौती पर पूरी तरह से बहस हो चुकी है. कोर्ट ने सुनीं सिंघवी की दलीलें वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी केजरीवाल की ओर से अदालत में पेश हुए और उनका पक्ष अदालत के समक्ष रखा. सिंघवी की दलीलों पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कार्यवाही शुरू होने और गिरफ्तारी के बीच समय के अंतर पर सवाल उठाया.


जस्टिस खन्ना ने कहा हमें मामले की कार्यवाही शुरू होने और उसके कुछ समय बाद बार-बार शिकायत दर्ज करने का समय अंतराल परेशान कर रहा है. जस्टिस खन्ना ने कहा, "हम अंतरिम जमानत दे भी सकते हैं और नहीं भी. उन्होंने दोहराया कि अदालत अंतरिम जमानत के पहलू पर ईडी को सुनेगी. इसके बाद कोर्ट ने उनसे पूछा कि क्या केजरीवाल को किसी फाइल पर हस्ताक्षर करना है.
दिल्ली: तिहाड़ जेल में बंद दो कैदियों के बीच हिंसक झड़प, एक की हत्या

नई दिल्ली: भारत की सबसे बड़ी जेल तिहाड़ में शुक्रवार को एक कैदी की हत्या कर दी गई. मृतक कैदी का नाम दीपक था, उसकी उम्र 29 साल थी. वह एक अंडर ट्रायल कैदी था. वेस्ट दिल्ली के डीसीपी विचित्रवीर से मिली जानकारी के अनुसार, पुलिस को दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल से दीपक की मौत की जानकारी मिली.

उन्होंने बताया कि जब कैदी को अस्पताल लाया गया तो डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. उसके चेस्ट पर इंजरी थी. तिहाड़ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जेल नंबर 3 में बंद दीपक तिहाड़ में सेवादार के तौर पर काम करता था. उसका दूसरे कैदी से झगड़ा हो गया. उस झगड़े में दूसरे कैदी ने आज दोपहर जानलेवा हमला कर दिया.


तिहाड़ सूत्रों के अनुसार, हमला करने वाले कैदी का नाम अब्दुल बसीर है, जो एक अफगानी नागरिक है और लाजपत नगर थाने से तिहाड़ जेल में हत्या के प्रयास के एक मामले में बंद है. जबकि, दीपक शकूरपुर का रहने वाला था. उस पर हत्या का एक मामला दर्ज था. उसे पुलिस ने पश्चिम विहार थाना इलाके से गिरफ्तार किया गया था. पुलिस ने इस मामले में किसी भी गैंगवार जैसी कोई बात होने से साफ इनकार किया है.

पुलिस का कहना है कि दोनों के बीच शुक्रवार को खाने को लेकर झगड़ा हुआ था. इसके बाद दोपहर में उस कैदी ने हमला कर दिया. फिलहाल, पुलिस ने आरोपी कैदी पर हत्या का मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है. साथ ही इस मामले में मजिस्ट्रियल इंक्वायरी की जाएगी.
CBI हमारे नियंत्रण में नहीं', ममता बनर्जी की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में बोली केंद्र सरकार





नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से राज्य की पूर्वानुमति के बिना सीबीआई की कार्रवाई को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि सीबीआई केंद्र सरकार के नियंत्रण में नहीं है। वहीं, एजेंसी की जांच आगे बढ़ाने पर पश्चिम बंगाल सरकार ने अपनी आपत्ति जताई है।

पश्चिम बंगाल सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत केंद्र के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक मुकदमा दायर किया है। इसमें आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार की सहमित वापस लिए जाने के बावजूद संघीय एजेंसी कई मामलों में एफआईआर दर्ज कर रही है और अपनी जांच आगे बढ़ा रही है, जबकि उसे अपने दायरे में रहकर जांच करने चाहिए। क्या है अनुच्छेद 131 आपको बता दें कि अनुच्छेद 131 केंद्र और एक या अधिक राज्यों के बीच विवाद में सर्वोच्च न्यायालय के मूल क्षेत्राधिकार से संबंधित है।

केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ को बताया कि संविधान का अनुच्छेद 131 सुप्रीम कोर्ट के सबसे पवित्र क्षेत्राधिकारों में से एक है और इस प्रावधान को लागू करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
आज 3 मई का इतिहास : आज जाने भारत की पहली फिल्म से लेकर दादा साहब फाल्के तक का सफर

नयी दिल्ली : भारत की पहली फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' 3 मई 1913 को रिलीज हुई थी. इस फिल्म को बनाने में दादा साहेब फाल्के को जिन मुश्किलों का सामना करना पड़ा था, उसकी आज कल्पना करना भी मु्श्किल है.

फिल्म के निर्माण में दादा साहेब फाल्के की पत्नी सरस्वती बाई का भी अतुलनीय योगदान रहा. जब पैसे कम पड़े तो उन्होंने अपने जेवरात बेच दिए. फिल्म की शूटिंग के दौरान सरस्वती बाई अकेले 500 लोगों का खाना बनाती थीं. इतना ही नहीं, कास्ट के कपड़े भी वो खुद धोती थीं. 

कई बार तो सीन के वक्त वो सफेद शीट लेकर घंटों खड़े रहती थीं. बहरहाल 15 हजार रुपये की लागत और 6 महीने 27 दिन के अथक प्रयास के बाद 'राजा हरिश्चंद्र' की शूटिंग पूरी हुई और 21 अप्रैल 1913 को बॉम्बे के ओलंपिया थियेटर में कुछ खास लोगों के लिए फिल्म की स्क्रीनिंग रखी गई. ये वो लोग थे जिन्हें फिल्मों की अच्छी समझ थी. इस स्क्रीनिंग में मिली प्रशंसा के बाद दादा साहेब ने फिल्म को आम लोगों के सामने लाने का फैसला किया.

3 मई 1913 वो ऐतिहासिक दिन था, जब बॉम्बे के कॉरोनेशन सिनेमाहॉल में भारत की पहली फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' रिलीज की गई. फिल्म सुपरहिट साबित हुई और इसके साथ ही ये तारीख और दादा साहेब फाल्के का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया.

प्रमोद महाजन ने कहा था अलविदा

अटल आडवाणी के बेहद करीबी और बीजेपी के कद्दावर नेता प्रमोद महाजन ने आज ही के दिन दुनिया को अलविदा कहा था. उनके छोटे भाई प्रवीण महाजन ने ही किसी बात पर बहस के बाद प्रमोद महाजन को 3 गोलियां मारी थी, जिससे उनकी मौत हो गई.बात अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री बनने की हो या लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा की, महाराष्ट्र में शिवसेना से गठबंधन की हो या शाइनिंग इंडिया का मंत्र देने की, प्रमोद महाजन के जिक्र के बिना अधूरी ही रहती है. एक समय अटल-आडवाणी के करीबी रहे प्रमोद महाजन उस समय पार्टी की सेकंड लाइन के प्रमुख नेता थे.

राम आंदोलन में निभाई थी भूमिका

जब देश में राम मंदिर आंदोलन जोर पकड़ने लगा था. तब आडवाणी का भी इरादा पदयात्रा निकालने का था. लेकिन प्रमोद महाजन ने उन्हें राय दी कि पदयात्रा में समय ज्यादा लगेगा, ज्यादा जगह भी कवर नहीं होगी. पदयात्रा के बजाय रथयात्रा निकालिए. आडवाणी को ये आइडिया जम गया. प्रमोद ने मेटाडोर को रथ में बदला, नाम दिया- रामरथ। आडवाणी की रथयात्रा में प्रमोद की भी बड़ी भूमिका थी.1996 में वाजपेयी सत्ता में आए. प्रमोद अपना पहला लोकसभा चुनाव जीते. उन्हें रक्षा मंत्री बनाया गया. सरकार केवल 13 दिन ही टिकी. 1998 में बीजेपी फिर सत्ता में आई, पर महाजन हार गए. उन्हें राज्यसभा भेजा गया. सूचना-प्रसारण मंत्री रहे और टेलीकॉम पॉलिसी में कई सुधार किए. हालांकि उन पर वित्तीय गड़बड़ियों और रिलायंस को फायदा पहुंचाने के आरोप भी लगते रहे.

1971 युद्ध के हीरो का हुआ था निधन

1971 की फाइट के हीरो लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा का जन्म 1916 में पाकिस्तान में हुआ था. सन 1938 में उन्हें सेना में कमीशन मिला. सन 1964 में जनरल ऑफिसर कमांडिंग के रूप में उनको पूर्वी कमान की जिम्मेदारी सौंपी गई. 1973 में जनरल अरोड़ा सेना से रिटायर हो गए. उन्हें 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अपने साहसिक फैसलों के लिए जाना जाता है. इस युद्ध में भारत ने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए और एक नए देश बांग्लादेश का जन्म हुआ. पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी ने अपनी पूरी सेना के सामने समर्पण पत्र पर हस्ताक्षर किए. उनके सामने थे लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा. 1971 युद्ध के हीरो. आज ही के दिन 2005 में उनका निधन हो गया.

देश-दुनिया में 3 मई को इन घटनाओं के लिए भी याद किया जाता है-

2019: ओडिशा में तूफान ‘फानी’ का कहर. 33 लोगों की मौत हुई. चेतावनी के बाद सरकार ने हजारों लोगों को सुरक्षित निकाला.

2008: पाकिस्तानी जेल में सजा काट रहे भारतीय कैदी सरबजीत सिंह की फांसी टली.

1993: संयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की घोषणा की.

1913: पहली भारतीय फीचर फिल्म राजा हरिश्चन्द्र प्रदर्शित हुई.

1845: चीन के कैंटन में थियेटर में आग लगने से 1600 लोगों की मौत हुई.

कोविशील्ड वैक्सीन लगने के बाद दो लड़कियों की हुई थी मौत, अब 3 साल बाद सीरम इंस्टीट्यूट पर केस करेंगे माता-पिता

नयी दिल्ली : जुलाई 2021 में कोविशील्ड वैक्सीन लेने के बाद जिन दो लड़कियों की मौत हो गई थी, उनके माता-पिता ने अब सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का मूड बना लिया है. 

ऋतिका श्री ओमत्री और करुण्या के परिवारों ने कहा कि वो अपनी बेटियों की मौत पर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के खिलाफ अदालत जाएंगे और केस दर्ज करवाएंगे.

ऋतिका श्री ओमत्री और करुण्या के परिवार अपनी बेटियों की मौत पर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के खिलाफ कोर्ट केस करेंगे.

ऋतिका श्री ओमत्री और करुण्या के परिवार अपनी बेटियों की मौत पर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के खिलाफ कोर्ट केस करेंगे.

अगले शैक्षणिक सत्र 2025-26 से साल में दो बार बोर्ड परीक्षाएं हो सकती हैं,शिक्षा मंत्रालय ने सीबीएसई को दिये निर्देश

 नई दिल्ली। अगले शैक्षणिक सत्र 2025-26 से साल में दो बार बोर्ड परीक्षाएं हो सकती हैं। शिक्षा मंत्रालय ने सीबीएसई से इसके लिए तैयारी करने को कहा है। हालांकि सेमेस्टर सिस्टम शुरू करने की योजना नहीं है। सूत्रों के अनुसार मंत्रालय और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के अधिकारी साल में दो बार बोर्ड परीक्षा आयोजित करने को लेकर अगले महीने स्कूलों के प्राचार्यों के साथ परामर्श करेंगे।

सीबीएसई फिलहाल तौर तरीके पर काम कर रहा है कि स्नातक पाठ्यक्रमों में एडमिशन के शेड्यूल को प्रभावित किए बिना एक और परीक्षा को समायोजित करने के लिए अकादमिक कैलेंडर में किस तरह बदलाव किया जाए। सूत्र ने कहा, 2025-26 शैक्षणिक सत्र से बोर्ड परीक्षाओं के दो संस्करण आयोजित करने का विचार किया जा रहा है, लेकिन तौर-तरीकों पर अभी भी काम करने की जरूरत है।

हालांकि, सेमेस्टर सिस्टम को लागू करने की कोई योजना नहीं है।पिछले साल शिक्षा मंत्रालय द्वारा घोषित न्यू करिकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) के अनुसार बोर्ड परीक्षाएं साल में दो बार आयोजित की जाएंगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि छात्रों के पास प्रदर्शन सुधारने के लिए पर्याप्त समय और अवसर हो।

फिल्म अभिनेता सलमान के घर के बाहर हुई फायरिंग में पुलिस की बड़ी कार्रवाई, लॉरेंस बिश्नोई के छोटे भाई अनमोल बिश्नोई के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी


बॉलीवुड एक्टर सलमान खान के घर के बाहर फायरिंग मामले की जांच तेजी से चल रही है। इस मामले में शुक्रवार को गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के छोटे भाई अनमोल बिश्नोई के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर दिया गया। 14 अप्रैल की सुबह विक्की गुप्ता और सागर पाल ने बांद्रा स्थित गैलेक्सी अपार्टमेंट के बाहर फायरिंग की थी।

लॉरेंस के छोटे भाई ने ही फायरिंग की जिम्मेदारी

अनमोल बिश्नोई ने फायरिंग की जिम्मेदारी ली थी। पुलिस अधिकारी ने बताया कि जांच में उसके शामिल होने की पुष्टि हुई है। वह कनाडा में रहता है। अनमोल ने हमले की खुद के शामिल होने की जानकारी फेसबुक पर दी थी। हालांकि पोस्ट पर आइपी एड्रेस पुर्तगाल था। इस मामले में अनमोल और लॉरेंस को आरोपी के रूप में नामजद किया गया।

बता दें लॉरेंस बिश्नोई गुजरात के साबरमती जेल में बंद है। पुलिस गैंगस्टर को कस्टडी में ले सकती है। उस पर महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) लगा सकती है। फायरिंग मामले में आरोपी विक्की व सागर को हथियार मुहैया कराने में शामिल सोनू कुमार, सुभाष चंदर बिश्नोई और अनुज थापन को पंजाब से गिरफ्तार किया जा चुका है। सोनू और अनुज को पुलिस ने शुक्रवार को अदालत में पेश किया है। उन्हें 30 अप्रैल तक पुलिस कस्टडी में भेज दिया गया है।

अलवर आश्रम में शिष्या से दुष्कर्म के अपराध में आजीवन सजा काट रहे फलाहारी बाबा को 15 दिन के लिये मिला नियमित पैरोल


जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने अलवर स्थित आश्रम में शिष्या के साथ दुष्कर्म करने के अपराध में आजीवन कारावास की सजा काट रहे फलाहारी बाबा को बीस दिन के नियमित पैरोल पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह और जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश कौशलेंद्र प्रपन्नाचार्य उर्फ फलाहारी की पैरोल याचिका को स्वीकार करते हुए दिए.

अदालत ने गत 29 जनवरी की पैरोल कमेटी के आदेश को भी रद्द कर दिया है, जिसमें कमेटी ने अभियुक्त बाबा को पैरोल नहीं देने की सिफारिश की थी. 

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अभियुक्त सात साल से जेल में बंद है. ऐसे में वह पैरोल नियमों के तहत पैरोल लेने का अधिकारी है. इसके अलावा जेल में उसका आचरण भी संतोषजनक मिला है. इसलिए उसे पैरोल पर रिहा किया जाना उचित है.

याचिका में अधिवक्ता विश्राम प्रजापति ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता सात साल से अधिक की अवधि से जेल में बंद है. ऐसे में वह 20 दिन के प्रथम नियमित पैरोल का अधिकारी है, लेकिन पुलिस अधीक्षक की विपरीत रिपोर्ट के चलते पैरोल कमेटी ने उसके पैरोल आवेदन को निरस्त कर दिया, जबकि याचिकाकर्ता को लेकर केन्द्रीय कारागार के जेल अधीक्षक और सामाजिक न्याय विभाग की रिपोर्ट संतोषजनक है. इसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि पुलिस अधीक्षक ने याचिकाकर्ता के खिलाफ रिपोर्ट दी है. 

इसके अलावा वह गंभीर अपराध में सजा काट रहा है. यदि उसे पैरोल पर रिहा किया गया तो समाज और पीड़िता पर इसका प्रभाव पड़ेगा.

2018 में हुई थी सजा : 

दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने अभियुक्त याचिकाकर्ता को बीस दिन के नियमित पैरोल पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. गौरतलब है कि 21 वर्षीय लॉ स्टूडेंट ने सितंबर 2017 को एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें कहा गया कि अभियुक्त ने सात अगस्त, 2017 को अलवर स्थित आश्रम में उसके साथ दुष्कर्म किया था. मामले में 26 सितंबर, 2018 को एडीजे कोर्ट ने अभियुक्त को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

सुप्रीम कोर्ट ने दिया फैसला, महिला की सम्पति पर पति का कोई हक नहीं', सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 25 लाख रुपये लौटाने का दिया निर्देश

नई दिल्ली। विवाहित जोड़े की संपत्ति से जुड़े एक मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक पति का पत्नी के 'स्त्रीधन' (महिला की संपत्ति) पर कोई नियंत्रण नहीं होता। 

10 साल से अधिक पुराने इस मुकदमे में अपने हक की लड़ाई के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची महिला के मामले की सुनवाई जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ में हुई। कोर्ट ने पत्नी के 'स्त्रीधन' पर पति का नियंत्रण होने के मामले में अहम टिप्पणी की।

अदालत ने क्या कहा?

अदालत ने कहा कि संकट के समय पति पत्नी के स्त्रीधन का इस्तेमाल कर सकता है, लेकिन संपत्ति लौटाना उसका नैतिक दायित्व है। अदालत ने एक महिला के खोए हुए सोने के बदले 25 लाख रुपये लौटाने का निर्देश देते हुए अपने फैसले में यह अहम बात कही। इस मामले में महिला ने दावा किया कि शादी के समय उसके परिवार ने उसे 89 सोने के सिक्के उपहार में दिए थे। साथ ही शादी के बाद उनके पिता ने उनके पति को दो लाख रुपये का चेक दिया था।

महिला ने क्या कहा?

महिला के अनुसार, शादी की पहली रात उसके पति ने सभी गहने अपने कब्जे में ले लिए। गहनों को सुरक्षित रूप से सहेजने के नाम पर उसने गहने अपनी मां को दे दिए। महिला के आरोप के अनुसार, पति और उसकी सास ने अपनी पुराने कर्जों का निपटारा करने के लिए उसके गहनों का दुरुपयोग किया। मामला अदालत में पहुंचने के बाद फैमिली कोर्ट ने 2011 में पारित फैसले में महिला के आरोपों को सही पाया।

स्त्रीधन पत्नी और पति की संयुक्त संपत्ति नहींः SC

कोर्ट ने पति और उसकी मां से उक्त दुरुपयोग से हुए नुकसान की भरपाई करने का निर्देश दिया। बाद में मामला केरल हाई कोर्ट पहुंचा। यहां कोर्ट ने पारिवारिक अदालत से मिली राहत को आंशिक रूप से खारिज कर कहा कि महिला पति और उसकी मां द्वारा सोने के आभूषणों की हेराफेरी को साबित करने में असफल रही। हालांकि, मामला जब सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा तो शीर्ष अदालत ने कहा कि स्त्रीधन पत्नी और पति की संयुक्त संपत्ति नहीं है।

पति का नहीं है इस पर कोई नियंत्रण

पति के पास मालिक के रूप में ऐसी संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होता। कोर्ट ने साफ किया कि किसी महिला को शादी से पहले, शादी के समय या विदाई के समय या उसके बाद उपहार में दी गई संपत्तियां स्त्रीधन संपत्तियां हैं। यह महिला की पूर्ण संपत्ति है। उसे अपनी खुशी के अनुसार इनका निपटान करने का पूरा अधिकार है। पति का इस पर कोई नियंत्रण नहीं है।