ताकतवर बनने की रेसःसेना और हथियार पर खर्च करने वाले देशों में चौथे स्थान पर भारत
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एक तरह रूस-युक्रेन युद्ध तो दूसरी तरफ इजराइल और गाजा के बीच जंग। इस बीच अब एक और युद्ध की आटह सुनी जा रही है। ईरान और इजराइल के बीच भी एक चिनगारी सुलग रही है, जो कभी भी भीषण आग का गोला बन सकती है। ऐसे में दुनियाभर के देश खुद को ताकतवर दिखाने की होड़ में लगे हुए हैं। दुनिया में हथियारों, गोला-बारूद और दूसरे सैन्य साजो-सामान पर विभिन्न देश इस समय जितना खर्च कर रहे हैं, उतना इससे पहले कभी नहीं हुआ। स्वीडन के स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) की सोमवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में वैश्विक सैन्य खर्च रेकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।
स्वीडन के स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट यानी सिपरी का कहना है कि दुनिया में इस वक्त घातक हथियारों, गोला-बारूद और सैन्य साज-ओ-सामान पर तमाम देश जितना धन खर्च कर रहे हैं, उतना इससे पहले कभी नहीं किया गया। सिपरी ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 2023 में वैश्विक सैन्य खर्च एक नए रिकॉर्ड पर पहुंच गया। इस रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में सैन्य खर्च 2022 के मुकाबले 6.8 फीसदी बढ़कर 24.4 खरब डॉलर पर पहुंच गया। वहीं 2022 में यह खर्च 22.4 खरब डॉलर था। दुनिया का बढ़ता सैन्य खर्च यह भी साबित करता है कि दुनिया अब कम सुरक्षित महसूस कर रही है और कूटनीति के बजाय दूसरे तरीकों की ओर बढ़ती जा रही है।
अमेरिका शीर्ष पर तो चीन दूसरे स्थान पर
सबसे ज्यादा सैन्य खर्च करने वाले देशों में अमेरिका अब भी शीर्ष पर है। 2023 में अमेरिका ने 916 अरब डॉलर रक्षा पर खर्च किए जो दुनियाभर के कुल खर्च का 37% से भी ज्यादा है। दूसरे नंबर पर चीन है, जिसका खर्च अमेरिका से लगभग एक तिहाई है। उसने 296 अरब डॉलर खर्च किए, जो कुल खर्च का 12% है। यह 2022 से 6% ज्यादा है। इन दोनों देशों ने ही कुल खर्च में आधे का योगदान दिया।
रूस अपनी जीडीपी का 5.9 फीसदी सेना पर खर्च कर रहा
इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर रूस है। 2023 में रूस का खर्च 2022 के मुकाबले 24 फीसदी बढ़कर 109 अरब डॉलर पर पहुंच गया। 2014 में जब रूस ने क्रीमिया को यूक्रेन से अलग किया था, उसके बाद से यह 57 फीसदी की वृद्धि है। रूस अपनी जीडीपी का 5.9 फीसदी सेना पर खर्च कर रहा है।
2023 में भारत ने 83.6 अरब डॉलर खर्च किए
भारत वर्ष 2023 में अपनी सेना पर सबसे ज्यादा खर्च वालों की लिस्ट में दुनिया का चौथा बड़ा देश है। जिसने 83.6 अरब डॉलर खर्च किए। 2022 के मुकाबले यह 4.2 फीसदी और 2014 के मकाबले 44 फीसदी बढ़ाया है। पिछले साल भारत ने 83.6 बिलियन का रक्षा बजट रखा था। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भारत ने अपने रक्षा बजट का ज्यादा हिस्सा मेक इन इंडिया आर्म्स पर खर्च किया है। इस तरह भारत की सैन्य हथियारों के लिए दूसरे देशों पर निर्भरता पर कम हुई है। रिपोर्ट में कहा गया कि रक्षा बजट बढ़ाने का शुरुआती मकसद जवानों की संख्या और ऑपरेशन पर खर्च बढ़ाना था, जो कि कुल बजट का 80 फीसदी था। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के बढ़ते सैन्य खर्च और क्षेत्र में बढ़ते तनाव ने पड़ोसी मुल्कों के भी खर्च को बढ़ा दिया है।
वैश्विक सैन्य खर्च में बढ़ोतरी का लगातार नौवां साल
रिपोर्ट के मुताबिक 2009 के बाद एक साल में वैश्विक सैन्य खर्च में यह सबसे बड़ी वृद्धि है और लगातार नौवां साल है, जब खर्च बढ़ा है। रूस-यूक्रेन युद्ध की भी इस वृद्धि में बड़ी भूमिका है। सिपरी के शोधकर्ता लॉरेंजो स्काराजातो का कहना है कि बढ़ते सैन्य खर्च से संकेत मिलता है कि दुनिया सुरक्षा के लिए कूटनीति के बजाय दूसरे तरीकों की ओर जा रही है।
Apr 23 2024, 13:54