300 यूनिट है क्षमता,खून न मिलने पर बाहर जाते हैं लोग,निजी अस्पतालों से लेते हैं खून
नितेश श्रीवास्तव ,भदोही। जिला चिकित्सालय के ब्लड बैंक में इन दिनों मात्र आठ यूनिट खून शेष बचा है। इसी खून के सहारे जनपद 18 लाख की आबादी निर्भर है। जरुरत पड़ने पर मरीज को या तो किसी निजी ब्लड बैंक का सहारा लेना होगा या फिर गैर जनपदों में जाना होगा। महाराजा चेतसिंह जिला अस्पताल का ब्लड बैंक जिले का एकमात्र सरकारी ब्लड बैंक हैं। इसमें 300 यूनिट खून रखने की क्षमता है, लेकिन फिलहाल केवल आठ यूनिट खून ही बचा है। जिसमें सबसे अधिक ए पॉजिटिव ग्रुप का तीन यूनिट ब्लड है। जिला चिकित्सालय में रोजाना 800 से 900 मरीजों की ओपीडी होती है। चिकित्सालय में सबसे अधिक खून की जरूरत प्रसव पीड़ित महिला को पड़ती है।
अस्पताल में एक महीने में करीब 20 से 25 सीजीरियन प्रसव होते हैं। ऐसे में क?ई बार इन महिलाओं को ब्लड की जरूरत पड़ती है। स्वास्थ्य विभाग सभी ग्रुप के एक - एक यूनिट ब्लड इमरजेंसी के लिए अपने पास रखता है। ब्लड को सुरिक्षत रखने के लिए ब्लड बैंक में 150-150 यूनिट के दो फ्रिजर भी है, लेकिन सभी खाली पड़े हुए हैं। खून न होने से मरीजों को जरुरत पड़ने पर महंगे दर में निजी अस्पताल से खून लेना होता है। इसके अलावा तमाम लोग गैर जनपद पहुंचकर खून लेते हैं। दूसरी सरकारी चिकित्सालयों में भर्ती मरीजों को चिकित्सक पर्जी पर नि:शुल्क ब्लड मिलता है। वहीं निजी अस्पताल के मरीजों को अस्पताल का पर्चा और अधिकृत लेटर जमा करने और 1050 रुपए सरकारी शुल्क जमा करने पर खून मिलता है।
स्वस्थ लोग करें रक्तदान
ब्लड बैंक प्रभारी डॉ अनुपम अग्रवाल ने बताया कि रक्तदान कोई भी कर सकता है। इसके लिए बस 18 से 55 साल की उम्र होनी चाहिए। हां स्वस्थ व्यक्ति ही रक्तदान कर सकता है। बाद में जरुरत पड़ने पर यह खून किसी और को दिया जाता है। रक्तदान करने से शरीर में कोई कमजोरी नहीं होती है। तीन माह के अंतराल पर पुन: रक्तदान किया जा सकता है।
किस ग्रुप के कितने ब्लड
एक पॉजिटिव - 3 यूनिट
बी पॉजिटिव - 1 यूनिट
ओ पॉजिटिव -1 यूनिट
एबी पॉजिटिव- 2 यूनिट
ओ निगोटिव - 1 यूनिट
वर्जन
ब्लड बैंक आने वाले मरीजों को आवश्यकतानुसार ब्लड दिया जाता है। अगर लोग रक्तदान करें तो इतनी कमी न हो , फिर भी जरुरतमंदों को आवश्यकतानुसार देने ब्लड का प्रयास होता है।
डॉ राजेंद्र कुमार सीएमएस जिला चिकित्सालय
Apr 15 2024, 13:23