कुसम्ही जंगल में है बुढ़िया माता की प्रसिद्ध सिद्धपीठ, नवरात्रि पर उमड़ पड़ती है भक्तों की भीड़
गोरखपुर। यूपी के गोरखपुर का बुढ़िया माता का मंदिर सदियों से भक्तों की आस्था का केन्द्र बना हुआ है. पर्यटन की दृष्टि से ये मंदिर सैलानियों को लुभाता है, लेकिन नवरात्रि पर श्रद्धालुओं की मनोकामनाओं के लिए इसका खास महत्व होता है. शहर में रहने वाले लोगों के साथ ही देश-दुनिया से लोग कुसम्ही जंगल के बीच में बरसों पहले बने बुढ़िया माता के मंदिर में मत्था टेकना नहीं भूलते हैं. कहते हैं कि मां अकाल मृत्यु से भक्तों की रक्षा करती हैं. इसके साथ ही यहां चुनरी बांधकर मन्नत मांगने से हर मुराद भी पूरी होती है।घने कुसम्ही जंगल के बीच में स्थित इस मंदिर पर नवरात्रि के अलावा पूरे वर्षभर लोग दर्शन करने के लिए आते हैं।
गोरखपुर शहर से पूरब स्थित कुसम्ही जंगल स्थित बुढ़िया माता का मंदिर काफी प्रसिद्ध है. चैत्र और शारदीय नवरात्रि पर उनके दरबार में वर्षभर भक्तों और श्रद्धालुओं के आने का क्रम जारी रहता है. यहां दर्शन के बाद मन को शांति के साथ ही अंदर का भय भी पूरी तरह से खत्म हो जाता है. मान्यता है कि मां के दर्शन करने मात्र से मन की सारी मुरादें पूरी हो जाती हैं. चैत्र नवरात्रि पर भोर से ही लोग लंबी कतार लगाकर माता के दरबार में मत्था टेकने के लिए आते हैं. ये सिलसिला पूरे दिन चलता रहता है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं का भी माता में बड़ा विश्वास है. दूर-दराज से श्रद्धालु यहां पर दर्शन के साथ मुंडन और अन्य शुभ संस्कार करने के लिए आते हैं।
नवरात्रि के अवसर पर आस्था के प्रतीक देवी मां के इस मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. यहां आने वाले श्रद्धालु पूरी श्रद्धा के साथ कढ़ाई चढ़ाते हैं. हलवा-पूड़ी बनाते हैं और माता के चरणों में अर्पित करते हैं. नवरात्रि में 9 दिन का व्रत रखने वाले श्रद्धालु माता के दरबार में मत्था टेकने जरूर आते हैं. गोरखपुर और आसपास के जिलों के अलावा नेपाल से भी यहां पर श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला वर्ष भर जारी रहता है।
Apr 10 2024, 18:17