सीएए लागू करने के खिलाफ भाकपा माले ने किया प्रदर्शन, कहा- सभी धर्म के सताए हुए लोगों को मिले नागरिकता
गया : शहर के समाहरणालय स्थित दिग्घी तालाब पार्क से असंवैधानिक, भेदभावपूर्ण और विभाजनकारी नागरिकता संशोधन कानून लागू करने के खिलाफ भाकपा माले के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर आज विरोध मार्च निकाला गया। यह विरोध मार्च दिग्घी तालाब पार्क से निकली। जो जीबी रोड होते हुए टावर चौक पहुंच कर सभा में तब्दील हो गया।
विरोध मार्च का नेतृत्व भाकपा माले नेता तारिक अनवर, रीता वर्णवाल, सुदामा राम, मो. शेरजहां, शिशुपाल कुमार और पारो देवी ने किया।
भाकपा माले कार्यकर्ता ने विरोध मार्च निकालकर सीएए कानून वापस लो, संविधान विरोधी कानून नहीं चलेगा, देश बांटने की साजिश नहीं चलेगी, सभी धर्म के सताए हुए लोगों को नागरिकता देना होगा, समानता के अधिकार का उल्लंघन नहीं चलेगा के नारे लगा रहे थे।
टावर चौक पर सभा को संबोधित करते हुए भाकपा माले नेता तारिक अनवर ने कहा कि चुनावी फायदा के लिए भाजपा सरकार फूट डालो राज करो की नीति पर चल रही है। धर्म को नागरिकता का आधार बनाना संविधान विरोधी कदम है।
संविधान के नागरिकता वाले भाग में धर्म कहीं शामिल नहीं है। हम सभी धर्म के सताए हुए लोगों को नागरिकता देने की मांग करते हैं।
उन्होंने कहा कि दिसम्बर 2019 में पास किये गये भेदभावकारी और विभाजनकारी नागरिकता संशोधन कानून को 2024 चुनाव से ठीक पहले लागू करना एक राजनीतिक साजिश का संकेत है।
खुद अमित शाह ने सीएए की 'क्रोनोलॉजी' समझाते हुए कहा था कि इस कानून को लागू करने के बाद एनआरसी, एनपीआर को देशव्यापी स्तर पर लाया जायेगा। जिसके माध्यम से दस्तावेज न दिखा पाने वाले नागरिकों को नागरिकता के अधिकार से वंचित कर दिया जायेगा।
वहीं, पार्टी जिला कमेटी सदस्य रीता वर्णवाल ने कहा कि सीएए नागरिकों को धर्म के आधार पर बांटने के मकसद से लाया गया है, जो भ्रामक रूप से गैरमुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने और मुसलमानों की नागरिकता छीनने यहां तक कि देशनिकाला देने तक की बात करता है। लेकिन असम में की गयी एनआरसी की कवायद ने यह साबित किया है की सभी समुदायों के गरीब इससे प्रभावित होंगे।
ऐसे में लोगों को एकजुट रहना होगा ताकि जनता को बांटने व आगामी चुनावों में फासीवादी भाजपा को शिकस्त दिया जा सके व मोदी सरकार और भाजपा की साजिश नाकामयाब हो।
इस कार्यक्रम में शंभू राम, मालो देवी, मो. साकिब, दिनेश मांझी, कामता प्रसाद बिंद, बरती चौधरी, अरशद आलम, रामचंद्र मांझी, सत्येंद्र दास, संजय मांझी, पिंकी देवी, लक्ष्मीनियां देवी, तेतरी देवी, रमजान मंसूरी, बबिता कुमारी, बबली देवी व गुड़िया देवी समेत दर्जनों लोग शामिल थे।
गया से मनीष कुमार
Mar 14 2024, 20:49