धरोहर: अपनी खूबसूरती के लिए पूरी दुनिया भर में जाने वाले ताजमहल क्या किसी हिन्दू राजा का जमीन कब्जा कर बनाया गया.....?

स्थापत्य कला का बेजोड़ इस अदभुत धरोहर का इतिहास जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर को.....!

आगरा :ताजमहल अपनी खूबसूरती के लिए पूरी दुनिया में पहचाना जाता है. सभी जानते हैं कि शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में ताजमहल बनवाया था. लेकिन, क्‍या आप जानते हैं कि ताजमहल की जमीन के मालिक कौन थे?

 शाहजहां ने इस जमीन को कैसे हासिल किया था?

ताजमहल करीब 60 बीघा जमीन पर बना हुआ है. इस जमीन के मालिकाना हक को लेकर कई बार विवाद खड़ा हुआ है. 

ताजमहल करीब 60 बीघा जमीन पर बना हुआ है. इस जमीन के मालिकाना हक को लेकर कई बार विवाद खड़ा हुआ है.

उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में बना ताजमहल एक विश्‍व धरोहर मकबरा है. इसे मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में 17वीं सदी में बनवाया था. ताज महल 1983 में युनेस्को विश्‍व धरोहर स्थल की सूची में शामिल हुआ था.

 ताजमहल को बनाने में करीब 22 साल लग गए थे. दुनियाभर के पर्यटक इसकी खूबसूरती के कारण इसकी तरफ खिंचे चले आते हैं. हालांकि, बीच-बीच में इसकी जमीन के मालिकाना हक को लेकर विवाद खड़े होते रहते हैं. कुछ तथ्‍य कहते हैं कि ये जमीन आमेर के एक समुदाय की थी, जिसे शाहजहां ने खरीदा था. वहीं, जयपुर राजघराना दावा करता है कि ताजमहल की जमीन उनके पुरखों की है, जिसे मुगल बादशाह ने जबरन कब्‍जाया था.

भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण विभाग के मुताबिक, ताजमहल की जमीन राजस्‍थान में आमेर के कछवाहों की जायदाद थी. शाहजहां ने इस पर ताजमहल बनवाने के लिए कछवाहों से खरीदा था. इसके बदलने मुगल बादशाह ने कछवाहों को चार हवेलियां दी थीं. हालांकि, मुआवजे के तौर पर दी गई हवेलियों के बारे में ज्‍यादा जानकारी नहीं मिलती है. 

फिर भी दरबारी इतिहासकार हामिद लाहौरी ने बादशाहनामा और फरमान जैसे अपने कामों में ताजमहल के लिए कछवाहों से जमीन खरीदे जाने का जिक्र किया है. बता दें कि ताजमहल करीब 60 बीघा क्षेत्र में फैला हुआ है. इसका निर्माण कार्य 22 साल के काम के बाद 1648 में पूरा हुआ था.

दरबारी इतिहासकार हामिद लाहौरी के मुताबिक, शाहजहां ने कछवाहों से जमीन खरीदकर मुमताज की याद में ताजमहल बनवाया था.

जमीन विवाद में सुब्रमण्‍यम स्‍वामी की एंट्री

बीजेपी सांसद सुब्रमणयम स्वामी ने 2017 में कहा था कि उनके पास मौजूद दस्तावेजों के मुताबिक, मुगल सम्राट शाहजहां ने जयपुर के राजाओं की जमीन हड़पकर उस पर ताजमहल बनवाया था. उन्‍होंने बताया था कि शाहजहां ने जयपुर के राजा-महाराजाओं को उस जमीन को बेचने पर मजबूर कर दिया था, जिस पर ताजमहल खड़ा है. यही नहीं, मुआवजे के तौर पर उन्हें कुछ गांव दिए गए थे, जिनकी कीमत ताजमहल की जमीन से बहुत कम थी. उन्होंने ये दावा भी किया था कि दस्तावेजों के मुताबिक, प्रॉपर्टी पर एक मंदिर भी था. हालांकि, इसके सबूत नहीं हैं कि ताजमहल मंदिर को तोड़कर बनाया गया था.

जयपुर राजघराने ने किया जमीन पर दावा

राजसमंद से बीजेपी सांसद और जयपुर राजघराने की सदस्‍य दीया कुमारी ने 2022 में दावा किया कि आगरा का ताजमहल जयपुर राजपरिवार की जमीन पर बना हुआ है. उन्होंने आरोप लगाया है कि मुगल बादशाह शाहजहां ने जयपुर राजघराने की जमीन पर जबरन कब्जा किया था. उन्होंने कहा कि अगर कोर्ट आदेश दे तो वह दस्तावेज भी मुहैया करा देंगी. राजघराने के पोथी खाने में जमीन के मालिकाना हक से जुड़ सभी दस्तावेज मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि सच्‍चाई सामने लाने के लिए ताजमहल के बंद कमरों को खोला जाना चाहिए. 

हालांकि, उन्‍होंने ये भी कहा कि ताजमहल को गिरवाने की कोई मंशा नहीं है. बस वह सच को सामने लाना चाहती हैं.

बीजेपी सांसद सुब्रमण्‍यम स्‍वामी और जयपुर राजघराने की सदस्‍य दीया कुमारी का दावा है कि शाहजहां ने ताजमहल की जमीन उनके पुरखों से जबरन कब्‍जाई थी.

ताजमहल नहीं था इमारत का पहला नाम

जब मुमताज को कब्र में दफनाया गया तो मुगल बादशाह शाहजहां ने सफेद संगमरमर से बनी इस खूबसूरत इमारत का नाम ‘रऊजा-ए-मुनव्वरा’ रखा था. हालांकि, कुछ समय बाद इसका नाम बदलकर ताजमहल किया गया. उस दौर में इसे बनाने में 3.2 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे. इसमें 28 अलग-अलग किस्म के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है. ताजमहल को बनाने में 20,000 से ज्यादा मजदूरों ने दिनरात मेहनत की थी. शाहजहां ने इसके शिखर पर 40 हजार तोले सोने से बना 30 फीट से ज्‍यादा लंबा एक कलश रखवाया था. ये कलश 1800 तक सोने का था, लेकिन अब ये कांसे का बना हुआ है.

बीजेपी ने जारी की 72 उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट, हमीरपुर से अनुराग ठाकुर, करनाल से मनोहर लाल खट्टर को मिला टिकट

 नयी दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए बुधवार को 72 उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी कर दी। सूची में केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी, पीयूष गोयल और हरियाणा व कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्रियों क्रमश: मनोहर लाल खट्टर और बसवराज बोम्मई सहित कई प्रमुख नेताओं के नाम शामिल हैं। 

गड़करी एक बार फिर नागपुर से चुनाव लड़ेंगे जबकि गोयल मुंबई (उत्तर) से पहली बार लोकसभा चुनाव मैदान में उतरेंगे।

खट्टर को हरियाणा के करनाल से और बोम्मई को हावेरी से पार्टी का उम्मीदवाऱ घोषित किया गया है। केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर एक बार फिर हमीरपुर से, प्रह्लाद जोशी कर्नाटक के धारवाड़ से, भगवंत खूबा महाराष्ट्र के बीदर और भारती प्रवीण पवार डिंडोरी से मैदान में होंगे। भाजपा ने पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा के दामाद सी एन मंजूनाथ को बेंगलुरु ग्रामीण लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है जहां उनका मुकाबला कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार के भाई डी के सुरेश से होगा।

पार्टी ने पूर्वी दिल्ली से गौतम गंभीर की जगह हर्ष मल्होत्रा और उत्तर पश्चिम दिल्ली से हंसराज हंस की जगह योगेंद्र चंदौलिया को उम्मीदवार बनाया है। पार्टी ने इससे पहले, दिल्ली की पांच में से चार सीट पर मौजूदा सांसदों के टिकट काट दिए थे और सिर्फ मनोज तिवारी को दोबारा उत्तर पूर्वी दिल्ली से उम्मीदवार बनाया था।

हरियाणा में सीएम मनोहर लाल ने अपने पद से दिया इस्तीफा,भाजपा अपने दम पर बनाएगी सरकार


चंडीगढ़ : हरियाणा में सीएम मनोहर लाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. विधायक दल की मीटिंग में यह फैसला हुआ है. हरियाणा में अब भाजपा अपने दम पर सरकार बनाने जा रही है।मनोहर लाल के अलावा, पूरी कैबिनेट ने भी इस्तीफा दे दिया है।

जानकारी के अनुसार, सीएम मनोहर लाल खट्टर ने मंगलवार सुबह 11 बजे भाजपा विधायक दल के साथ मीटिंग की और इसके बाद हरियाणा के राज्यपाल से मुलाकात करने के लिए निकले. 

सीएम की गाड़ी में गृहमंत्री भी मौजूद थे. साथ ही मंत्री भी राज्यपाल से मुलाकात के लिए गए हैं.

दरअसल, हरियाणा सीएम आवास मनोहर लाल पहुंचे थे. 

इस दौरान उन्होंने कुछ निर्दलीय विधायकों के साथ मीटिंग की और फिर वहां से मनोहर लाल राजभवन के लिए रवाना हुए है. यहां पर अहम बात यह है कि अनिल विज भी सीएम की गाड़ी में मौजूद थे।

विज के चेहरे में मुस्कान थी. ऐसे में संभावना है कि विज भी हरियाणा के नए सीएम हो सकते हैं. सीएम के अलावा, अन्य सभी मंत्री भी अपनी-अपनी गाड़ियों में हुए राजभवन पहुंचे थे।

सभी राज्यों के निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश, चुनाव प्रचार के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली सभी चीजों की कीमतों की सूची तैयार हो


नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव की घोषणा को लेकर उल्टी गिनती शुरू हो गई है, जो अगले हफ्ते में कभी भी हो सकती है। फिलहाल चुनाव की घोषणा से पहले चुनाव आयोग ने चुनाव में प्रत्याशियों के खर्च पर पैनी नजर रखने से जुड़ी तैयारियां तेज कर दी हैं।

सभी राज्यों के जिला निर्वाचन अधिकारियों को राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों की ओर से चुनाव प्रचार के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली सभी चीजों की कीमतों की सूची तैयार करने को कहा है। जिसमें समोसे से लेकर भोजन की थाली और हेलीकॉप्टर से लेकर डीजे, टेम्पो जैसे वाहनों की किराया दरें शामिल है।

जिलों ने चुनाव प्रचार में इस्तेमाल होने वाली चीजों की दरें निर्धारित कीं

खास बात यह है कि चुनाव आयोग ने निर्देश के बाद कुछ जिलों ने चुनाव प्रचार में इस्तेमाल होने चीजों की दरें निर्धारित भी कर दी हैं। आयोग के मुताबिक चुनाव प्रचार में इस्तेमाल होने वाली सभी चीजों की दरों का निर्धारण राजनीतिक दलों के साथ परामर्श के बाद ही किया जाए। साथ ही चुनाव मैदान में खड़े प्रत्येक प्रत्याशियों के खर्च की आकलन भी इन्ही दरों से किया जाए।

गाड़ियों का किराया प्रत्याशियों के खर्च में जोड़ा जाए

जैसे प्रचार में इस्तेमाल गाड़ियों का किराया सभी प्रत्याशियों के खर्च में एक सामान दरों से ही जोड़ा जाए। इससे चुनाव खर्च में पारदर्शिता बनी रहेगी। इस दौरान आयोग ने सभी जिलों को स्थानीय स्तर पर चुनावों में इस्तेमाल होने वाली चीजों को भी इस सूची में शामिल करने का सुझाव दिया है। आयोग ने इसके साथ ही जिलों में तैनात होने वाले पर्यवेक्षकों को भी इस सूची को मुहैया कराने के निर्देश दिए है।

हेलीकॉप्टर के इस्तेमाल पर 2.30 लाख रुपए जुड़ेंगे खर्च में

चुनाव आयोग के निर्देश के बाद दिल्ली से सटे गौतम बुद्ध नगर के जिला निर्वाचन अधिकारी ने चुनाव में इस्तेमाल की जाने वाली करीब 280 चीजों की एक सूची जारी की है। जिसमें किसी प्रत्याशियों द्वारा हेलीकाप्टर का इस्तेमाल करने पर उसके खर्च में 2.30 लाख रुपए जोड़ा जाएगा,वहीं एक ड्रोन के इस्तेमाल पर 16 हजार रुपए चुनाव खर्च में जोड़ा जाएगा। खाने की एक थाली की कीमत सौ रुपए और एक समोसे की कीमत दस रुपए रखी गई है।

नामांकन के दौरान लिए जाने वाले जरूरी शपथ पत्र को लेकर किया सतर्क

चुनाव आयोग ने इस बीच सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को नामांकन के दौरान प्रत्याशियों से अनिवार्य रूप से लिए जाने वाले शपथ पत्रों को लेकर सतर्क किया है। साथ ही कहा है कि नामांकन के दौरान किसी भी प्रत्याशी से अनिवार्य रूप से उसके आपराधिक और वित्तीय ब्यौरा अनिवार्य रूप से लिया जाए।

प्रत्याशियों से एक शपथ पत्र लेने का निर्देश

साथ ही नामांकन के दौरान सभी प्रत्याशियों से एक शपथ पत्र भी लेने का निर्देश दिया है, जिसमें उनके ऊपर कोई बिजली, पानी का बिल और किराया बकाया नहीं है। गौरतलब है कि आयोग ने सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को नामांकन के दौरान लिए जाने वाले शपथ पत्र को लेकर तब सतर्क किया है, जब चुनाव के दौरान नामांकन पत्रों के खारिज करने के दौरान अक्सर सवाल खड़े होने लगते है। जिसमें प्रत्याशियों की ओर से जानकारी न होने का मामला भी सामने आता है।

जांच के दौरान करीब 37 नामांकन पत्र खारिज

उदाहरण के तौर पर 2019 के लोकसभा चुनाव में दौरान लखनऊ सीट से कुल 51 प्रत्याशियों ने नामांकन किया था, लेकिन जांच के दौरान इनमें से करीब 37 नामांकन पत्र खारिज कर दिए गए। इसी तरह गाजियाबाद लोकसभा सीट से भी कुल 25 लोगों ने नामांकन किए थे, जिसमें करीब 13 प्रत्याशियों के नामांकन जांच के बाद निरस्त कर दिए गए थे।

दिल्ली यूनिवर्सिटी की पूर्व प्रोफेसर डॉ रितु सिंह फुटपाथ पर तल रहीं थीं पकौड़े, पुलिस ने दर्ज की एफआईआर

नयी दिल्ली : दिल्ली की फुटपाथ पर रेहड़ी लगाकर पकौड़े तल रहीं डीयू की पूर्व प्रोफेसर डॉ रितु सिंह के खिलाफ मौरिस नगर थाने की पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। रितु सिंह ने सोमवार को ‘पीएचडी पकौड़े वाली’ नाम के होर्डिंग से कवर करके रेहड़ी लगाई थी।

 डीयू एरिया में छात्रा मार्ग पर लगी डॉ रितु सिंह की आकर्षक रेहड़ी को देख न सिर्फ उनके समर्थक, बल्कि वहां से निकल रहे राहगीरों की भी खासी भीड़ जमा होने लगी थी। डीयू की पूर्व प्रोफेसर को रेहड़ी लगाकर पकौड़े तलते और बेचते हुए देख लोग भी हैरान थे। 

अनेकों लोग मोबाइल से विडियो, फोटो, सेल्फी भी लेने लगे। रेहड़ी पर लिखा मैन्यू भी लोगों को आकर्षित कर रहा था। जिसमें झुमला पकौड़ा (best seller), स्पेशल रिक्रूटमेंट ड्राइव पकौड़ा, SC/ST/ OBC बैकलॉग पकौड़ा, NFS पकौड़ा, डिस्प्लेसमेंट पकौड़ा और बेरोजगारी स्पेशल चाय थी।

पुलिस ने दर्ज की एफआईआर

इस बीच मौरिस नगर थाने की पुलिस को भनक लगी। मय SHO, SI और थाने का तमाम स्टाफ आर्ट फैकल्टी, गेट नंबर 4 पर पहुंचे। पुलिस का दावा है कि करीब 6.30 बजे शाम डॉ रितु सिंह और आशुतोष अपने कुछ समर्थकों के साथ छात्रा मार्ग फुटपाथ पर रेहड़ी लगाकर पकौड़े बेचने लगे। 

पुलिस ने दर्ज एफआईआर में कहा है कि डॉ रितु सिंह की रेहड़ी की वजह से फुटपाथ पर राहगीरों को आने-जाने में बाधा हो रही थी। पुलिस ने उनको वहां से रेहड़ी हटाने के लिए कहा लेकिन उन्होंने नहीं हटाई। इस बावत पुलिस ने आईपीसी 283/34 के तहत एफआईआर दर्ज कर ली। सोमवार की शाम डॉ रितु सिंह ने अपने X हैंडल पर फोटो और मैसेज भी पोस्ट किए।

 इसमें उन्होंने लिखा कि दिल्ली विश्वविद्यालय में PhD करने के बाद पकौड़े बेचने को मजबूर! मान सम्मान की इस लड़ाई में झुकेंगे नहीं ‘नौकरी नहीं न्याय चाहिए’... आपको कौन सा पकौड़ा खाना है?।

रिश्तेदारों के ताने मुझे और मेरे पापा को सुनने पड़े... 

कौन हैं डॉ रितु सिंह?डॉ रितु सिंह पहले डीयू के दौलत राम कॉलेज में साइकॉलजी विभाग में एडहॉक प्रोफेसर रह चुकी हैं। आरोप है कि उन्हें डीयू ने नौकरी से निकाल दिया था। उनका आरोप है कि डीयू प्रशासन ने उनके साथ दलित होने की वजह से भेदभाव किया है। डॉ सिंह पिछले काफी समय से डीयू में धरना देती रही हैं। उन्होंने पिछले दिनों आरोप लगाया कि उन्हें जातिगत भेदभाव की वजह से नौकरी से निकाल दिया गया। वो करीब एक साल तक असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर रहीं। उनके प्रोटेस्ट को कई राजनीतिक दलों ने भी सपोर्ट किया।

गाजियाबाद पुलिस ने एक फ्लैट, ऑफिस में चोरी हुए मामले का किया खुलासा, ड्राइवर और कुक ने उड़ाए करोड़ों रुपए, 1.97 करोड़ बरामद, तीन गिरफ्तार

नयी दिल्ली : गाजियाबाद पुलिस ने एक फ्लैट, ऑफिस में चोरी हुए मामले का खुलासा करते हुए तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने 1.97 करोड़ रुपए कैश भी बरामद किए हैं। इससे पहले पुलिस इसी फ्लैट से 12.90 लाख रुपए बरामद कर चुकी है।

पकड़े गए आरोपी मुकदमा दर्ज करवाने वाले विकास जैन के ड्राइवर और कुक हैं, जिन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर पूरी घटना को अंजाम दिया था। इस पूरी घटना में ईडी और आईटी की टीम भी शामिल हो रही है, जो विकास जैन के पास इतनी बड़ी रकम होने की जांच करेगी।

पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक 9 फरवरी को सूचना मिली कि अजनारा मार्केट क्रॉसिंग रिपब्लिक के एक फ्लैट का गेट खुला हुआ है। पुलिस ने अंदर जाकर देखा तो वहां पर एक बैग में 12.90 लाख रुपए रखे हुए थे। पुलिस ने उस फ्लैट के मालिक के बारे में पूछताछ शुरू की, लेकिन कोई नहीं मिला। उसके बाद 18 फरवरी को सूचना मिली कि मकान मालिक विकास जैन ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है कि उनके फ्लैट, ऑफिस से 22 लाख रुपए और कुछ जेवरात चोरी हो गए हैं।

पुलिस ने मामला दर्ज कर छानबीन शुरू की। पूछताछ में पता लगा कि मलिक के घर पर रह रहे दो लोगों ने पूरी घटना को अंजाम दिया है। अतुल पांडे और अरुण कुमार मकान मालिक के घर में काम करते थे। इन लोगों को पता था कि मालिक के पास पैसे का मोटा लेन-देन होता है। इन लोगों ने चोरी की योजना बनाई। चोरी में इन लोगों ने अपने कुछ रिश्तेदारों को भी शामिल किया था।

कुक अतुल पांडे ने फ्लैट की चाबियां चुराकर अपने दामाद बंटी को चोरी में शामिल किया। बंटी ने अपने मित्र सुनील को भी प्लान का हिस्सा बनाया। चारों ने चोरी की और फिर रकम को अपने ही एक रिश्तेदार नितिन के घर छुपा दिया। पुलिस ने जब इन दोनों को गिरफ्तार किया तो पता लगा कि रकम 2 करोड़ से ज्यादा थी। इनके पास से 1 करोड़ 97 लाख बरामद हुए हैं।

पुलिस ने इस मामले में अतुल पांडे, अरुण कुमार और नितिन को गिरफ्तार किया है। अभी बंटी और सुनील फरार चल रहे है। अंदाजा लगाया जा रहा है कि चोरी की बड़ी रकम लेकर दोनों फरार हो गए हैं।

इस मामले में एक और पेंच जुड़ गया है। पुलिस के मुताबिक मकान मालिक विकास जैन ने 22 लाख रुपए चोरी होने की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। लेकिन, रकम 2.5 करोड़ से भी ज्यादा है। पुलिस ने इसकी सूचना इनकम टैक्स के साथ विभिन्न डिपार्टमेंट को भी दे दी है।

सौरव गांगुली की राजनीति में एंट्री ममता बनर्जी की TMC के टिकट पर लड़ेंगे लोकसभा चुनाव


 कोलकाता: सौरव गांगुली ने सीएम ममता बनर्जी से कोलकाता में मुलाक़ात की है .

सचिवालय में करीब आधे घंटे तक चली इस मुलाक़ात में क्या चर्चा हुई है इसको लेकर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि टीएमसी की टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं.

राजनाथ सिंह ने कहा,प्रेस की स्वतंत्रता पर कभी कोई प्रतिबंध नहीं',आपात काल था एक काला अध्याय जब प्रेस की स्वतंत्रता का हुआ था हनन


 नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को एनडीटीवी डिफेंस समिट में कई मुद्दों पर बातचीत की। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को मीडिया की स्वतंत्रता को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि कहा कि आपातकाल के "काले अध्याय" को छोड़ दें तो भारत के लोकतंत्र के इतिहास में प्रेस की स्वतंत्रता पर "कभी भी कोई प्रतिबंध नहीं देखा जा सकता"।

कार्यक्रम के दौरान रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि लेखक और विचारक उन मुद्दों पर सरकार के विचारों को भी प्रतिबिंबित कर सकते हैं जहां "सामाजिक सहमति" है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वे "सरकार की कठपुतली" हैं। 

रक्षा मंत्री ने एनडीटीवी डिफेंस समिट में अपने संबोधन में कहा कि मीडिया को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में जाना जाता है, उन्होंने यह कहा कि यह सरकार और लोगों के बीच एक कड़ी के रूप में काम करती है और वे दोनों एक-दूसरे को जोड़ने का काम करती है। 

'भारत में एक जीवंत मीडिया संस्कृति'

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका तीनों ने नियमित रूप से प्रेस की स्वतंत्रता पर जोर दिया है और मीडिया की स्वतंत्रता को बनाए रखा है। इसके अलावा सिंह ने कहा कि इसका परिणाम यह है कि भारत में एक "जीवंत मीडिया संस्कृति" है।

'प्रेस की स्वतंत्रता पर कभी कोई प्रतिबंध नहीं'

अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री ने बिना किसी राजनीतिक दल या नेता का नाम लिए 1970 के दशक में लगाए गए आपातकाल के दौर का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, ''इस देश के लोकतंत्र के इतिहास में अगर हम आपातकाल के काले अध्याय को अलग रख दें तो प्रेस की स्वतंत्रता पर कभी कोई प्रतिबंध देखने को नहीं मिलेगा।

एनडीआरएफ के महानिदेशक अतुल करवाल ने कहा: NDRF कर्मियों को दिया जाएगा मृतकों की गरिमा बनाए रखने का प्रशिक्षण



नई दिल्ली:- एनडीआरएफ बचावकर्मियों और श्वानदल को मृतकों की सही पहचान करने और उनकी गरिमा बनाए रखने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। एनडीआरएफ के महानिदेशक अतुल करवाल ने बताया कि बचावकर्मी मृतकों की पहचान, फारेंसिक और कुत्तों के प्रशिक्षण पर काम कर रहा है।

महानिदेशक ने क्या कहा?

महानिदेशक ने कहा कि मृतक प्रबंधन पर एनडीआरएफ के मौजूदा माड्यूल में एक नया 'मृतक पहचान' अध्याय जोड़ा गया है, जो कर्मियों को बुनियादी पाठ्यक्रम के रूप में प्रदान किया जाता है। इस माड्यूल के हिस्से के रूप में एनडीआरएफ के बचावकर्मियों को यह प्रशिक्षण दिया जाता है कि दुर्घटनाओं और आपदाओं के दौरान शवों को कैसे निकाला जाए और उन्हें सम्मानजनक तरीके से रखा जाए, सड़ गए या टुकड़े हो गए मानव अवशेषों का सम्मान कैसे सुनिश्चित किया जाए, उन्हें एक साथ और बाडी बैग में कैसे रखा जाए।

उन्हें यह भी सिखाया जाता है कि सावधानियां किस तरह बरती जाएं ताकि महामारी न फैले। करवाल ने कहा कि बालासोर रेल दुर्घटना के दौरान हमने जो सीखा उससे हम जल्द ही मृतक पहचान पाठ्यक्रम शुरू करने जा रहे हैं।

टिकट नही मिलने से नाराज भाजपा के जयंत सिन्हा के बाद अब चांदनी चौक से सांसद रहे हर्षवर्धन ने भी लिया राजनीति से सन्यास


नई दिल्ली। बड़ी खबर आ रही है, हजारीबाग से बीजेपी सांसद जयंत सिन्हा के बाद टिकट कटने से नाराज पूर्व केंद्रीय मंत्री और दिल्ली के चांदनी चौक से भारतीय जनता पार्टी के सांसद डॉ हर्षवर्धन ने रविवार को सक्रिय राजनीति से सन्यास ले लिया।

बताते चलें कि, भाजपा ने शनिवार को जब अपने 195 उम्मीदवारों की सूची जारी की, तो उसमें चांदनी चौक सीट का भी नाम था। लेकिन पार्टी ने इस बार इस सीट से दो बार के सांसद डॉ हर्षवर्धन की जगह प्रदीप खंडेलवाल को अपना उम्मीदवार बनाया है।

 प्रधानमंत्री मोदी की पहली सरकार में स्वास्थ्य विभाग के कैबिनेट मंत्री बनाए गए थे। इसके साथ ही उन्होंने कुछ समय तक पृथ्वी और अंतरिक्ष विभाग का भी कार्यभार संभाला था। यहां बता दें कि, डॉ हर्षवर्धन 2014 से लगातार चांदनी चौक से सांसद हैं।

डॉ हर्षवर्धन ने राजनीति से सन्यास लेने का एलान करते हुए सोशल मीडिया पोस्ट एक्स पर लिखा, “तीस साल से अधिक के शानदार चुनावी करियर के बाद, जिसके दौरान मैंने सभी पांच विधानसभा और दो संसदीय चुनाव लड़े, जो मैंने रिकॉर्ड अंतर से जीते, और पार्टी संगठन और राज्य और केंद्र की सरकारों में कई प्रतिष्ठित पदों पर काम किया। अपनी जड़ों की ओर लौटने के लिए नमन।

पचास साल पहले जब मैंने गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने की इच्छा के साथ जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर में एमबीबीएस में प्रवेश लिया, तो मानव जाति की सेवा ही मेरा आदर्श वाक्य था। दिल से एक स्वयंसेवक, मैं हमेशा पंक्ति में अंतिम व्यक्ति की सेवा करने के प्रयास के दीन दयाल उपाध्याय जी के अंत्योदय दर्शन का उत्साही प्रशंसक रहा हूं।

तत्कालीन आरएसएस नेतृत्व के आग्रह पर मैं चुनावी मैदान में कूदा। वे मुझे केवल इसलिए मना सके, क्योंकि मेरे लिए राजनीति का मतलब हमारे तीन मुख्य शत्रुओं – गरीबी, बीमारी और अज्ञानता से लड़ने का अवसर था।” वहीं, कुछ लोग ये भी बता रहे हैं कि हर्षवर्धन अपना टिकट कटने से नारज हैं। इसलिए उन्होंने राजनीति से सन्यास लेने का फैसला किया है।