विजिटर अवार्ड विजेता प्रोफेसर वेंकटेश सिंह का राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर सीयूएसबी में व्याख्यान, प्रो. सिंह ने ब्रह्मांड में हर जगह मौजूद
गया : दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) के अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) सेल ने राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर "विकसित भारत के लिए स्वदेशी प्रौद्योगिकियों" विषय पर गुरुवार (28 फ़रवरी) को विशेष व्याख्यान आयोजित किया।
जन संपर्क पदाधिकारी (पीआरओ) मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में प्रख्यात वैज्ञानिक एवं विजिटर अवार्ड विजेता प्रो. वेंकटेश सिंह, विभागाध्यक्ष, भौतिकी विभाग (सीयूएसबी) उपस्थित थे।
प्रारंभ में प्रो. दुर्ग विजय सिंह, निदेशक, आर एंड डी सेल ने अतिथियों का स्वागत किया और परिचयात्मक भाषण दिया।
उन्होंने कहा कि हाल ही में प्रो. वेंकटेश सिंह को भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से प्रतिष्ठित विजिटर अवार्ड 2021 प्राप्त हुआ जो विश्वविद्यालय के साथ-साथ देश के संपूर्ण विज्ञान जगत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
प्रो. सिंह ने सर सी.वी. द्वारा खोजे गए 'रमन प्रभाव' की खोज पर भी चर्चा की। रमन ने दर्शकों को वैज्ञानिक स्वभाव के विकास, तर्कसंगत सोच और विज्ञान के सार के बारे में समझाया।
प्रो. वेंकटेश सिंह ने "पिक अप पैनल्स का डिज़ाइन और विकास" विषय पर व्याख्यान दिया और बताया कि उन्होंने सिलिकॉन-आधारित हनी कॉम्ब कोर से स्वदेशी रूप से "पिक अप पैनल" विकसित किया है। प्रो. सिंह ने ब्रह्मांड में हर जगह मौजूद "न्यूट्रिनो" के बारे में चर्चा की।
उन्होंने कहा कि "न्यूट्रिनो" की अनुपस्थिति में सूर्य और तारे चमक नहीं पाएंगे। भारत स्थित न्यूट्रिनो वेधशाला (आईएनओ) अब "न्यूट्रिनो" आधारित अनुसंधान की सुविधा के लिए भारत में विकसित की गई है।
उनके अनुसार "न्यूट्रिनो" का उपयोग संचार और कई अन्य क्षेत्रों में किया जा सकता है।
आयोजन सचिव प्रो. प्रफुल्ल सिंह ने कहा कि हमें आजीविका के लिए अधिकांश चीजें धरती मां से मिलती हैं, लेकिन हम उसी मात्रा में धरती मां को वापस नहीं लौटते हैं, इसलिए उन्होंने नई पीढ़ी को अपने आस-पास उपलब्ध संसाधनों को संरक्षित करने सलाह दी।
इस कार्यक्रम में प्रो. प्रधान पार्थ सारथी, डीन, एसईबीईएस, प्रो. रिजवानुल हक, प्रो. आशीष शंकर, प्रो. राकेश कुमार, प्रो. अमिय प्रियम, डॉ. प्रभात रंजन, डॉ. राम प्रताप सिंह, डॉ. जावेद अहसन, डॉ. विवेक दवे और कई अन्य संकाय सदस्य, शोधकर्ता और छात्र उपस्थित थे। अंत में डॉ. प्रभात रंजन ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
गया से मनीष कुमार
Feb 29 2024, 18:33