बायोफ्लॉक विधि से मछली पालन पर अधिक लाभ: कुलपति
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कुमारगंज अयोध्या।आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में मत्स्य पालन, प्रबंधन एवं नवीनतम तकनीकियां विषय पर सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। मत्सियकी महाविद्यालय के प्रेक्षागृह में आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारंभ कुलपति डा. बिजेंद्र सिंह ने किया।
प्रशिक्षण शिविर को संबोधित करते हुए कुलपति ने कहा कि मछली जलीय पर्यावरण पर आश्रित जलीय जीव है। जलचर पर्यावरण को संतुलित रखने में मछली की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सरकार विभिन्न योजनाओं के तहत वित्तीय सहायता प्रदान करके वैज्ञानिक तरीकों, नवाचारों और आधुनिक तकनीकों के समावेश को बढ़ावा दे रही है।
कुलपति ने कहा कि बायोफ्लॉक और रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम मछली पालन की एक नवीनतम तकनीक है, जिसमें मत्स्य किसान कम जगह और कम पानी में अधिक से अधिक मछली का उत्पादन कर सकता है। मत्सियकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. ए. के गंगवार ने बताया कि मत्स्य किसानों तक आधुनिक तकनीक को पहुंचाने के लिए उन्हें बायोफ्लॉक और आरएएस तकनीक का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था मछली पालन एक महत्वपूर्ण व्यवसाय है जिसमें रोजगार की अपार संभावनाएं हैं । डॉ. एस. के. वर्मा के संयोजन में कार्यक्रम आयोजित किया गया। धन्यवाद ज्ञापन डा. शशांक सिंह व कार्यक्रम का संचालन डा. सुनील कांत वर्मा ने किया।
इस मौके पर विश्वविद्यालय के समस्त अधिष्ठाता, निदेशक, शिक्षक, कर्मचारी व किसान मौजूद रहे।
Feb 28 2024, 20:16