दुमका : कई यादगार पलों के साथ हिजला मेला संपन्न, मेला में रची बसी है संप की संस्कृति - डीडीसी
दुमका : दुमका में आठ दिनों तक चली ऐतिहासिक राजकीय जनजातीय हिजला मेला महोत्सव कई यादगार पलों को समेटने के साथ ही शुक्रवार को समाप्त हो गया।
मेला का समापन सांस्कृतिक कार्यक्रम, आतिशबाजी, घड़ा उतार प्रतियोगिता के साथ हुआ। दुमका के उप विकास आयुक्त अभिजीत सिन्हा ने कहा कि मेला में बड़ी संख्या में लोगों की मौजूदगी से कमोबेश यह प्रतीत हुआ कि हिजला सबके हृदय में जीता है।
उन्होंने कहा कि राजकीय जनजातीय हिजला मेला के सफल आयोजन में जनसहयोग की भूमिका महत्वपूर्ण है। हिजला मेला यहां की संस्कृति की परिचायक है। यह मेला यहां की संस्कृति यहां की आत्मा को संजोए रखने का कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि जिस परिकल्पना के साथ 1890 में इस मेले की शुरुआत की गई थी उसे आज तक बरकरार रखा गया है। यह मेला आदिवासी जीवन शैली यहां की संस्कृति को प्रस्तुत करता है।
यहां की संस्कृति को मंच प्रदान करने का कार्य यह मेला करता है। उप विकास आयुक्त ने कहा कि मेले के सफल आयोजन को लेकर जिला प्रशासन द्वारा व्यापक तैयारियां की गई थी।आमजनों को परेशानी नहीं हो इसे लेकर सुरक्षा के मानकों का विशेष ध्यान रखा गया।कहा कि आने वाले वर्षों में इस मेले को और भी भव्य रूप से आयोजन किया जाएगा। अनुमंडल पदाधिकारी कौशल कुमार ने कहा कि हिजला मेला में संथाल परगना के संस्कृति की झलक देखने को मिलती है।इस मेले के सफल आयोजन के लिए सभी समिति, पदाधिकारी, कलाकारों एवं स्थानीय लोगों को धन्यवाद-आभार।
कहा कि इस मेले की ख्याति देश विदेश तक जाए इसके लिए आने वाले वर्षों में और भी भव्य रूप से आयोजन किया जाएगा। मेला में सरकार के कल्याणकारी योजनाओं के स्टॉल भी लगाए गए थे जिससे लोगों को योजनाओं की जानकारी प्राप्त करने में आसानी हो रही थी। कहा कि अगले वर्ष एक नयी ऊर्जा के साथ इस मेला का आयोजन और भी भव्य तरीके से किया जाएगा। इस दौरान कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय जरमुंडी, जामा, मसलिया, काठीकुंड द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति की गई। मानभूम सांस्कृतिक समिति सरायकेला द्वारा पाईका नृत्य की प्रस्तुति दी गयी। रजत आनंद द्वारा भी सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति की गयी।
सांस्कृतिक कार्यक्रम में महिला वर्ग में आदिवासी अखाड़ा-मालभंडारो, अंगिता सोरेन ग्रुप-काठीकुंड, जोहन टुडू-बसमत्ता क्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान पर रहे। पुरुष वर्ग में आयनेश टुडू ग्रुप-मसलिया, रामजीत टुडू ग्रुप-बाँसकुली रानेश्वर, देवेश चंद्र हेम्ब्रम जगदीशपुर रानेश्वर क्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान पर रहे।
घड़ा उतार प्रतियोगिता में चांदो पानी दुमका की टीम ने पहले ही प्रयास में घड़ा उतार कर पहला स्थान प्राप्त किया।
समापन समारोह में अतिथियों द्वारा हिजला मेला से संबंधित स्मारिका का विमोचन किया गया साथ ही इस दौरान डॉ धुनि सोरेन द्वारा लिखी पुस्तक "इंग्लैंड में एक संताल ग्रामीण की एक अप्रत्याशित कहानी" का भी विमोचन किया गया।
इससे पूर्व पारंपरिक रीति रिवाज से अतिथियों का स्वागत किया गया।
(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)
Feb 24 2024, 20:53