छह महीने का राशन, पर्याप्त डीजल, पत्थर तोड़ने के औजार और भी बहुत कुछ..! लंबा बैठने की तैयारी से दिल्ली आ रहे किसान

दिल्ली की ओर मार्च कर रहे हजारों किसानों का कहना है कि वे लंबी यात्रा के लिए तैयार हैं, उनके पास महीनों तक चलने वाला पर्याप्त राशन और डीजल है, क्योंकि उन्हें राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने से रोकने के लिए सीमाएं सील कर दी गई हैं। किसान अपनी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सहित कई मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं - यह उनके 2020 के विरोध प्रदर्शन का अगला कदम है, जिसमें उन्होंने 13 महीने तक बॉर्डर्स पर डेरा डाला था।

किसानों का कहना है कि अब उनका प्रदर्शन तब तक नहीं रुकेगा, जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं। एक किसान नेता हरभजन सिंह ने कहा कि, 'सुई से लेकर हथौड़े तक, हमारी ट्रॉलियों में वह सब कुछ है जो हमें चाहिए, जिसमें पत्थर तोड़ने के उपकरण भी शामिल हैं। हम अपने साथ छह महीने का राशन लेकर अपने गांव से निकले। हमारे पास पर्याप्त डीजल है, यहां तक कि हरियाणा के अपने भाइयों के लिए भी।" किसान आरोप लगा रहे हैं कि ट्रैक्टरों और ट्रॉलियों का उपयोग करके उनके मार्च को विफल करने के लिए उन्हें डीजल उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है।

हरभजन सिंह ने कहा कि वह 2020 के किसानों के विरोध का हिस्सा थे, ने कहा कि वे इस बार तब तक पीछे नहीं हटेंगे जब तक कि उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं। उन्होंने कहा, "पिछली बार हम 13 महीने तक नहीं रुके। हमसे वादा किया गया था कि हमारी मांगें पूरी की जाएंगी, लेकिन सरकार ने अपना वादा नहीं निभाया। इस बार, हम अपनी सभी मांगें पूरी होने के बाद ही यहां से हटेंगे।" चंडीगढ़ में एक सरकारी प्रतिनिधिमंडल के साथ देर रात की बातचीत विफल होने के बाद किसानों ने आज सुबह फतेहगढ़ साहिब से अपना मार्च शुरू किया।

'दिल्ली चलो' मार्च को रोकने के आखिरी प्रयास में दो केंद्रीय मंत्रियों ने किसान नेताओं से मुलाकात की, जिससे बिजली अधिनियम 2020 को निरस्त करने, उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों को मुआवजा देने और किसानों के खिलाफ मामले वापस लेने पर सहमति बनी। हालाँकि, तीन प्रमुख मांगों पर कोई सहमति नहीं बन पाई, जिनमें सभी फसलों के लिए एमएसपी की गारंटी के लिए कानून बनाना, किसान ऋण माफी और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करना शामिल है। कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन उन्हें कुछ मुद्दों पर राज्यों से परामर्श करने की जरूरत है।

किसानों को शहर में प्रवेश करने से रोकने के लिए दिल्ली की किलेबंदी कर दी गई है, प्रमुख सीमा बिंदुओं - गाज़ीपुर, टिकरी और सिंघू - पर बैरिकेडिंग कर दी गई है। ट्रैक्टरों और ट्रॉलियों को शहर में घुसने से रोकने के लिए सड़कों पर कंक्रीट के ब्लॉक और कीलें लगाई गई हैं। पुलिस ने पूरे शहर में सार्वजनिक समारोहों पर एक महीने का प्रतिबंध भी लगाया है। कई मार्ग परिवर्तन और पुलिस जांच चौकियों के कारण सीमावर्ती क्षेत्रों से भारी यातायात जाम की सूचना मिली है।

घर से उठा ले जाते लड़कियां, बलात्कार आम बात, पुलिस नहीं सुनती, मीडिया भी नहीं दिखाता..! संदेशखाली की भयावह हकीकत, महिलाएं भोग रही नरक

 बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस का काफिला तनावग्रस्त संदेशखाली में लोगों से मिलने जा रहा था, तभी तृणमूल कांग्रेस (TMC) समर्थकों ने बीच रास्ते में रोक दिया। समर्थकों ने केंद्र सरकार द्वारा धन जारी नहीं करने के मामले का विरोध किया, जो कि तृणमूल कांग्रेस (TMC) के नेतृत्व वाली बंगाल सरकार और भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के बीच लंबे समय से गतिरोध का मुद्दा रहा है।

सामने आए दृश्यों में TMC के कार्यकर्ता गवर्नर के काफिले के चारों ओर इकट्ठा हो गए और काफी हंगामे के बीच बंगाल के राज्यपाल के काफिले में वाहनों के करीब खड़े होकर पोस्टर दिखा रहे थे। बंगाल पुलिस ने मीडिया को भी संदेशखाली जाने से रोक दिया। सीवी बोस ने बाद में कहा कि वह स्थानीय लोगों से बात करेंगे। गवर्नर बोस ने संडेस्खली की यात्रा के लिए रविवार को अपनी केरल यात्रा बीच में ही छोड़ दी थी। बंगाल भाजपा विधायक भी आज उस गांव का दौरा करने वाले हैं, जहां बड़ी सभाओं पर प्रतिबंध लगाने वाली धारा 144 लागू कर दी गई है। स्थानीय महिलाओं द्वारा हाल ही में तृणमूल कांग्रेस नेता शेख शाहजहां और उनके सहयोगियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन करने के बाद क्षेत्र में तनाव बढ़ गया।

संदेशखाली में क्या हो रहा ?

बता दें कि, संदेशखाली इलाके में सैकड़ों कि तादाद में महिलाएं, फरार TMC नेता शाहजहां शेख के खिलाफ प्रदर्शन कर रहीं हैं। उनका कहना है कि शाहजहां शेख और उसके गुंडे उनका यौन शोषण करते हैं, घरों से महिलाओं को उठा ले जाते हैं और मन भरने पर छोड़ जाते हैं। महिलाओं का कहना है कि, यहाँ रेप और गैंगरेप आम बात है। TMC के गुंडे अपनी महिला कार्यकर्ताओं को भी नहीं छोड़ते, उन्हें अकेले मीटिंग में बुलाते हैं, धमकी देते हैं कि नहीं आई तो तुम्हारे पति को मार डालेंगे। प्रदर्शन कर रहीं महिलाओं का कहना है कि, उन्हें (TMC के गुंडों को) जो भी महिला पसंद आ गई, उसे वो घर से उठा ले जाते हैं और रात भर भोगकर, सुबह घर भेज देते हैं। पश्चिम बंगाल की पुलिस TMC के गुंडों की ढाल बन जाती और पीड़ितों को ही दबाती है। 

 

अब शाहजहां शेख के फरार होने के बाद ये महिलाएं आवाज़ उठाने लगी हैं तो बंगाल पुलिस ने इलाके में धारा 144 लगा दी है। मीडिया को वहां जाने नहीं दिया जा रहा है। यहाँ तक कि, गवर्नर जब उन पीड़ित महिलाओं से मिलने जा रहे थे, तो TMC वर्कर्स ने केंद्र सरकार के विरोध के नाम पर उनका काफिला भी रोक दिया।  

 

इस बीच वाम दलों ने आज संदेशखाली में बंद का आह्वान किया है, हालाँकि उन्होंने अपने नेता की गिरफ़्तारी के विरोध में ये बंद बुलाया है। सीवी आनंद बोस सोमवार (12 फ़रवरी) की सुबह कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरे और संदेशखाली के रास्ते में अपनी यात्रा शुरू की। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि, "मैं केरल में था। जब मैंने संदेशखाली की चौंकाने वाली कहानी सुनी, तो मैंने वहां के स्थानीय लोगों के वास्तविक संदेशों को जानने के लिए केरल का अपना कार्यक्रम छोटा कर दिया।"

अन्नदाताओं को जेल में डालना गलत, उनका प्रदर्शन शांतिपूर्ण..', किसानों के समर्थन में उतरे दिल्ली के सीएम केजरीवाल

आम आदमी पार्टी (AAP) ने आज मंगलवार को किसानों के 'दिल्ली चलो' मार्च का समर्थन किया और कहा कि 'अन्नदाता' को जेल में डालना गलत है। यह बयान तब आया जब AAP ने कहा कि उसने दिल्ली के बवाना स्टेडियम को जेल में बदलने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। 

दरअसल, दिल्ली पुलिस ने सोमवार को AAP सरकार को 13 फरवरी को किसानों के मार्च के दौरान हिरासत में लिए गए प्रदर्शनकारियों के लिए बवाना स्टेडियम को अस्थायी जेल के रूप में बदलने के लिए लिखा था। इस अनुरोध पर, AAP ने कहा कि किसानों की मांगें वैध और शांतिपूर्ण थीं। संविधान में प्रदर्शन हर नागरिक का अधिकार है। केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी AAP ने कहा, किसान इस देश के अन्नदाता हैं और 'अन्नदाता' को जेल में डालना गलत है।

इस बीच, मंगलवार को किसानों के 'दिल्ली चलो' मार्च को राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने से रोकने के लिए बॉर्डर पर मल्टी-लेयर बैरिकेड्स, कंक्रीट ब्लॉक, लोहे की कीलों और कंटेनरों की दीवारों के साथ दिल्ली में सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। किसान नेताओं और केंद्र के बीच बातचीत बेनतीजा रहने के बाद यह बात सामने आई है। तीन बॉर्डर - सिंघू, टिकरी और गाज़ीपुर - पर दंगा-रोधी गियर में पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों को भारी संख्या में तैनात किया गया था। एक अधिकारी ने बताया कि मार्च के मद्देनजर "विशिष्ट स्थानों" पर अस्थायी जेलें भी स्थापित की गईं।

आज भाजपा की सदस्यता ले सकते हैं अशोक चव्हाण, महाराष्ट्र में सियासी हलचल तेज

कांग्रेस पार्टी छोड़ने के एक दिन बाद महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण आज भाजपा में शामिल होने वाले हैं। चव्हाण दोपहर मुंबई भाजपा कार्यालय में पार्टी में शामिल होंगे। चव्हाण ने भाजपा में शामिल होने की अटकलों के बीच कांग्रेस और विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था।

पूर्व मुख्यमंत्री ने प्राथमिक सदस्य के रूप में अपना त्यागपत्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले को भेजा। अपने इस्तीफे के बाद चव्हाण ने कहा था कि उन्होंने 'अभी तक भाजपा में शामिल होने का फैसला नहीं किया है।' पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री एसबी चव्हाण के बेटे अशोक चव्हाण से पहले वरिष्ठ कांग्रेस नेता बाबा सिद्दीकी और मिलिंद देवड़ा भी बाहर हो गए थे, जिससे राज्य में कांग्रेस की चुनौतियां और बढ़ गईं थी। 

चव्हाण ने इस बात पर जोर दिया कि कांग्रेस छोड़ने का उनका निर्णय व्यक्तिगत था और पुष्टि की कि उन्होंने अभी तक भाजपा में शामिल होने का फैसला नहीं किया है। राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले को लिखे अपने त्याग पत्र में, चव्हाण ने कहा कि वह प्राथमिक सदस्य के रूप में इस्तीफा दे रहे हैं और विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को अपना इस्तीफा सौंपकर विधायक के रूप में भी इस्तीफा दे रहे हैं। चव्हाण ने संवाददाताओं से कहा था कि, "मैंने अभी तक भाजपा में शामिल होने का कोई निर्णय नहीं लिया है।" उन्होंने यह भी कहा कि वह सार्वजनिक मंच पर कांग्रेस के भीतर होने वाली किसी भी बात पर चर्चा नहीं करने जा रहे हैं।

आज से दो दिन के यूएई दौरे पर पीएम मोदी, अबू धाबी में हिंदू मंदिर का करेंगे उद्घाटन

#pm_modi_to_inaugurate_hindu_temple_in_uae

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज यानी मंगलवार को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की दो दिवसीय यात्रा पर जा रहे हैं। प्रधानमंत्री अपने इस दौरे के दौरान अबू धाबी में पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन करेंगे। पीएम मोदी कल यानी की 14 फरवरी को वह अबु धाबी के बीएपीएस हिंदू मंदिर का उद्घाटन करेंगे, लेकिन उससे पहले आज यानी की 13 फरवरी को वह अबु धाबी के जायद स्पोर्ट्स सिटी स्टेडियम में भारतीय प्रवासियों को संबोधित करने वाले हैं। उनके इस कार्यक्रम का नाम अहलान मोदी (नमस्कार मोदी) रखा गया है।

यूएई की इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी न केवल अबू धाबी में पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन करेंगे, बल्कि राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के साथ दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को और गहरा, विस्तारित और मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा करेंगे. साथ ही आपसी हित के क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अबू धाबी में शाम 4 बजे द्विपक्षीय बैठक में शिरकत करेंगे। ऊर्जा, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और बंदरगाह के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता हो सकता है। पीएम मोदी के स्वागत में आज रात 8 बजे अहलान मोदी कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। भारतीय समुदाय को प्रधानमंत्री संबोधित करेंगे। जायद स्पोर्ट्स सिटी स्टेडियम में अहलान मोदी कार्यक्रम की जोरदार तैयारी है। कई सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन होगा।

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साझा किया पोस्ट

अबु धाबी में आज हिंदू प्रवासियों को संबोधित करने से पहले पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट साझा किया। उन्होंने कहा, 'हमें अपने प्रवासी भारतीयों और दुनिया के साथ भारत के जुड़ाव को गहरा करने के उनके प्रयासों पर बहुत गर्व है। आज शाम, मैं अहलान मोदी कार्यक्रम में यूएई के भारतीय प्रवासियों से मिलने के लिए उत्सुक हूं। इस यादगार क्षण में अवश्य शामिल हों।'

बारिश ने सारी तैयारियों पर फेरा “पानी”

हालांकि इस कार्यक्रम से पहले बारिश ने पूरा खेल बिगाड़ दिया है। खराब मौसम के कारण पूरे यूएई में रात भर बारिश और बिजली की चमक देखी गई। बारिश के चलते कार्यक्रम को छोटा कर दिया गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक बारिश के कारण पूरे देश में ट्रैफिक जाम और जलभराव देखा गया। समुदाय के नेता सजीव पुरुषोतमन ने बताया कि अबू धाबी के जायद स्पोर्ट्स सिटी स्टेडियम में प्रधानमंत्री मोदी के अब तक के सबसे बड़े प्रवासी कार्यक्रमों में से एक की तैयारी अच्छी चल रही थी, लेकिन खराब मौसम के कारण इसमें लोगों की भागीदारी को 80,000 से घटाकर 35,000 कर दिया गया। पहले यह बताया गया था कि लोगों को पंजीकृत करने के लिए स्थापित एक वेबसाइट के माध्यम से 60,000 लोगों ने पहले ही अपनी उपस्थिति की पुष्टि कर दी थी।

पीएम मोदी की सातवीं यात्रा

भारत में यूएई के राजदूत अब्दुलनासिर अलशाली ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यूएई यात्रा को द्विपक्षीय संबंधों के लिहाज से 'बेहद महत्वपूर्ण' बताते हुए सोमवार को उम्मीद जताई कि यह सामरिक संबंधों को नयी ऊंचाइयों पर ले जाएगी। प्रधानमंत्री मोदी मंगलवार को दो दिवसीय यात्रा के तहत संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) आएंगे। इस दौरान वह राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायेद अल नाहयान के साथ विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करेंगे और अबू धाबी में पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन करेंगे। यह मोदी की 2015 से सातवीं यूएई यात्रा है।

किसान आंदोलन को रोकने के लिए सीजेआई से लगाई गई गुहार, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने लिखी चिठ्ठी

#farmers_protest_ supreme_court_bar_association_president_writes_to_cji

किसान फिर एक बार एक बड़े जत्थे के साथ दिल्ली कूच कर रहे हैं। पिछली बार मोदी सरकार को किसानों के आगे झुकना पड़ा था और तीन कृषि कानूनों को वापस लेना पड़ा था। एक साल के लंबे आंदोलन के बाद कृषि कानूनों को निरस्त करवाने में कामयाब रहे किसान एक बार फिर आंदोलन कर रहे हैं। पंजाब-हरियाणा के साथ ही कई और राज्यों के किसान आज दिल्ली कूच कर रहे हैं। किसानों के आंदोलन से एक बार फिर दिल्ली की रफ्तार थमने वाले है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आदिश अग्रवाल ने भारत के मुख्य न्यायधीश यानी सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को चिठ्ठी लिखकर किसान आंदोलन पर स्वतः संज्ञान लेने का आग्रह किया है।

बार एसोसिएशन ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को लिखे पत्र में किसान आंदोलन में गलत उद्देश्यों से शामिल किसानों के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया है। चिट्ठी में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट दिल्ली में घुसकर समस्या खड़ी करने और लोगों के आम जनजीवन को प्रभावित करने वाले किसानों पर स्वतः संज्ञान लेकर कार्रवाई करे। इसके साथ ही इसमें सीजेआई चंद्रचूड़ से मांग की गई है कि किसानों के विरोध प्रदर्शन के कारण आज जो वकील कोर्ट में पेश ना हो पाए, उनके खिलाफ कोई प्रतिकूल आदेश पारित नहीं किया जाए।

पत्र में कहा गया है कि किसानों के 2020-21 वाले आंदोलन के दौरान लोगों को बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ा था। इसके साथ ही इसमें दावा किया गया कि पिछले किसान आंदोलन की चलते कई लोगों की मौत भी हो गई थी। ऐसे में आज किसान दिल्ली की तरफ बढ़ रहे हैं। ऐसे आंदोलन में गलत उद्देश्य से शामिल किसानों पर स्वत संज्ञान लेकर कार्रवाई की जाए।

अपनी मांगों को लेकर अड़े अन्नदाताःआज किसानों का दिल्ली चलो मार्च, किले में तब्दील हुई देश की राजधानी

#farmers_protest

किसान एक बार फिर सड़कों पर हैं। सरकार के सामने अपनी मांगों को लेकर अन्नदाता अड़े हुए हैं।पंजाब और हरियाणा के किसानों ने राष्ट्रव्यापी विरोध-प्रदर्शन की पूरी तैयारी कर ली है। किसान संगठन आज दिल्ली कूच करेंगे। वे अपनी मांगों के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के लिए सड़कों पर उतर रहे हैं।आंदोलन को देखते हुए दिल्ली के सभी बॉर्डर सील कर दिए गए हैं।अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे ने एक एडवाइजरी जारी कर यात्रियों से ट्रैफिक जाम को ध्यान में रखते हुए अपनी यात्रा की योजना बनाने का आग्रह किया है।

किसान नेताओं को मनाने की कोशिश नाकाम

इससे पहले चंडीगढ़ में सोमवार देर रात किसान नेताओं को मनाने की कोशिश नाकाम रही। एमएसपी गारंटी, कर्ज माफी, स्वामीनाथन रिपोर्ट जैसी मांगों पर किसान अड़े हैं। मीटिंग के बाद किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि सरकार सिर्फ समय निकालना चाहती है। किसानों की मांगों पर सीरियस नहीं है। किसान नेता जगजीत सिंह ने कहा कि सरकार कॉरपोरेट घरानों के कर्जे तो माफ कर देती है..लेकिन किसानों की बात नहीं मानती है।वहीं सरकार की ओर से बातचीत करने वाले केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि देश के किसानों के हितों की चिंता सरकार को है।पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान नेताओं ने सोमवार शाम को केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात की। बैठक पांच घंटे तक चली। बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा, जो खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल शामिल हुए।

दिल्ली में एक महीने तक लगी रहेगी धारा 144

किसीनों के आंदोलन को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने भी मोर्चा संभाल लिया है। राष्ट्रीय राजधानी को छावनी में बदल दिया गया है। सोमवार से 30 दिन के लिए पूरी दिल्ली में धारा 144 लगा दी गई है। कुंडली-सिंघु, टीकरी और गाजीपुर समेत सभी सीमाओं की किलेबंदी कर दी गई है।

दिल्ली से लगने वाले सभी बॉर्डर सील

दिल्ली से लगने वाले हरियाणा बॉर्डर समेत सभी बॉर्डर को सील कर दिया गया है। दिल्ली के सिंधू बॉर्डर से लेकर गाजीपुर बॉर्डर तक नाकेबंदी की गई है। सिंधू बॉर्डर पर कंटीले चारों से फेंसिंग के साथ सीमेंट के भारी भरकम ब्लॉक्स लगाए गए हैं। कुरुक्षेत्र बॉर्डर पर पांच लेयर की बैरिकेंडिंग की गई है। टिकरी बॉर्डर पर भी कड़ा पहरा है।

विपक्षी दलों के गठबंधन “इंडिया” को एक और बड़ा झटका, जयंत चौधरी ने एनडीए में शामिल होने का किया एलान

#rashtriya_lok_dal_rld_president_jayant_chaudhary_joins_nda

राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने विपक्षी इंडिया गठबंधन को बड़ा झटका दिया है।जयंत चौधरी ने आखिरकार सोमवार को एनडीए में शामिल होने का एलान कर दिया है।रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा कि उन्होंने बहुत सोच-समझकर यह फैसला लिया है। जयंत चौधरी ने कहा कि उन्होंने यह फैसला सभी की भलाई को देखते हुए लिआ है। हालांकि, बहुत कम समय में हमें यह फैसला लेना पड़ा। हम लोगों के लिए कुछ अच्छा करना चाहते हैं।

एनडीए में शामिल होने के लेकर विधायकों की नाराजगी के सवाल पर जयंत चौधरी ने कहा, मैंने अपनी पार्टी के सभी एमएलए और कार्यकर्ताओं से बात करने के बाद यह फैसला लिया। इस फैसले के पीछे कोई बड़ी प्लानिंग नहीं थी। हम लोगों के लिए कुछ अच्छा करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि एनडीए में शामिल होने के फैसले के पीछे कोई बड़ी प्लानिंग रही हो या फिर हम तैयार बैठे थे। चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से नवाजा गया तो हम सभी खुश हैं। बहुत बड़ा सम्मान है जो कि केवल हमारे परिवार और दल तक ही सीमित नहीं है. देश के कोने-कोने में रहने वाले हमारे जो किसान भाई है, नौजवान हैं, गरीब लोग हैं उनका भी सम्मान है।

यह राजनीतिक घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है, जबकि तीन दिन पहले ही शुक्रवार को चौधरी चरण सिंह, जो कि आरएलडी चीफ के दादा हैं, को ‘भारत रत्न’ देने का ऐलान किया गया था।चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का ऐलान के ऐलान के बाद जयंत चौधरी ने ट्वीट करते हुए कहा था, दिल जीत लिया। एनडीए में जाने की बात पर कहा था कि आज किस मुंह से इन्हें इनकार करूं। इसके बाद से ही जयंत चौधरी को एनडीए के साथ हाथ मिलना पक्का माना जा रहा था।

रालोद प्रमुख चौधरी जयंत सिंह के एनडीए में शामिल होने से पश्चिमी यूपी के चुनावी समीकरण भी अब बदल जाएंगे। अब आगामी लोकसभा चुनाव में जाट वोट बैंक भी भाजपा की तरफ आता दिखाई देगा। अब इसके दो बड़े कारण हो गए हैं। पहले भाजपा सरकार ने किसानों के मसीहा पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने की घोषणा कर दी और अब रालोद प्रमुख चौधरी जयंत सिंह ने भी एनडीए में शामिल होने का एलान आधिकारिक तौर पर कर दिया है।

क्या बीजेपी में शामिल होंगे अशोक चव्हाण? राज्यसभा भेजे जानें की अटकलें

#ashok_chavan_will_go_rajya_sabha_form_bjp

लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को झटका देते हुए महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चह्वाण ने सोमवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया। अब ऐसी अटकलें हैं कि वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने की अटकलों के बीच महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने कहा कि अभी कुछ तय नहीं किया गया है। एक- दो दिन में अगले कदम के बारे में बता दूंगा। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या बिहार के बाद महाराष्ट्र में भी तो “खेला” नहीं होने वाला?

बताया जा रहा है कि कांग्रेस से इस्तीफे के बाद अशोक चव्हाण भाजपा ज्वाइन कर सकते हैं, अशोक चव्हाण ने इससे इन्कार किया है, हालांकि माना जा रहा है कि 15 फरवरी को वह अमित शाह की मौजूदगी में भाजपा का दामन थाम सकते हैं, 15 फरवरी को ही अमित शाह महाराष्ट्र के दौरे पर जा रहे हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के बीजेपी में शामिल होने की संभावना को लेकर महाराष्ट्र में राजनीतिक घटनाक्रम ने गति पकड़ ली है।चर्चा है कि अशोक चव्हाण को बीजेपी आगामी राज्यसभा चुनाव के लिए टिकट दे सकती है।महाराष्ट्र की 6 राज्यसभा सीटों पर 27 फरवरी को चुनाव होना है। सीटों के लिए लिहाज से अगर बात करें तो बीजेपी के कुल तीन सदस्य संसद के उच्च सदन राज्यसभा भेजे जा सकते हैं।

वहीं, दावा किया जा रहा है कि चव्हाण के साथ तकरीबन 12 विधायक भी पार्टी को बाय-बाय कह सकते हैं।कयास लगाए जा रहे हैं कि अशोक चव्हाण के साथ कांग्रेस के कुछ और विधायक भी जा सकते हैं, लेकिन अशोक चव्हाण ने इसे खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि मैंने अभी तक किसी भी विधायक से बात नहीं की है। न कोई पार्टी ज्वाइन की है और न ही अभी तक कहीं जाने का फैसला लिया है, यह फैसला मेरा है। मेरी किसी को बदनाम करने की आदत नहीं है, मेरे पास अभी दो दिन का वक्त है, मैं ये तय करूंगा कि आखिर मुझे करना क्या है।

“डिप्टी सीएम का पद असंवैधानिक नहीं” उपमुख्यमंत्रियों की नियुक्ति पर सवाल उठाने वाली याचिक को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज

#supremecourtofindiadismissedpetitionrelatedtodeputy_cms

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों में उपमुख्यमंत्री नियुक्त करने की प्रथा को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को आज खारिज कर दिया है। अलग-अलग राज्यों में उपमुख्यमंत्री बनाए जाने के खिलाफ याचिका दायर की गई थी, जिस पर आज कोर्ट ने बड़ी बात कही है।चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने ‘पब्लिक पॉलिटिकल पार्टी’ द्वारा दायर जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहा, यह सिर्फ एक (पद का) नाम है और भले ही आप किसी को उपमुख्यमंत्री कहते हैं, इससे दर्जा नहीं बदलता।उप-मुख्यमंत्री भी मंत्री ही होता है।पद को कोई नाम दे देने से संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन नहीं होता है।

दरअसल इस जनहित याचिका में कहा गया था कि संविधान में कोई प्रविधान नहीं होने के बावजूद विभिन्न राज्य सरकारों ने उपमुख्यमंत्रियों की नियुक्ति की है। याचिकाकर्ता का कहना था कि उपमुख्यमंत्री का पद संविधान में नहीं लिखा है। अधिवक्ता मोहनलाल शर्मा द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि उपमुख्यमंत्रियों की नियुक्ति का राज्य के नागरिकों से कोई लेना-देना नहीं है। न ही कथित उपमुख्यमंत्रियों की नियुक्ति होने पर राज्य की जनता का कोई अतिरिक्त कल्याण होता है।

याचिका में यह भी कहा गया था कि उपमुख्यमंत्रियों की नियुक्ति से बड़े पैमाने पर जनता में भ्रम पैदा होता है और राजनीतिक दलों द्वारा काल्पनिक पोर्टफोलियो बनाकर गलत और अवैध उदाहरण स्थापित किए जा रहे हैं, क्योंकि उपमुख्यमंत्रियों के बारे में कोई भी स्वतंत्र निर्णय नहीं ले सकते हैं, हालांकि उन्हें मुख्यमंत्रियों के बराबर दिखाया जाता है।

मामले में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा, सबसे पहले और सबसे जरूरी बात यह है कि एक उपमुख्यमंत्री राज्य सरकार में मंत्री होता है और इससे संविधान का उल्लंघन नहीं होता।पीठ ने कहा कि उपमुख्यमंत्रियों की नियुक्ति कुछ राज्यों में पार्टी या सत्ता में पार्टियों के गठबंधन में वरिष्ठ नेताओं को थोड़ा अधिक महत्व देने के लिए अपनाई जाने वाली एक प्रथा है... यह असंवैधानिक नहीं है। कोर्ट ने कहा कि उपमुख्यमंत्री का पदनाम उस संवैधानिक स्थिति का उलंघन नहीं करता है कि एक मुख्यमंत्री को विधानसभा के लिए चुना जाना चाहिए। लिहाजा इस याचिका में कोई दम नहीं है और इसे खारिज किया जाता है।

14 राज्यों में 26 उपमुख्यमंत्री

बता दें कि देशभर के 14 राज्यों में इस समय 26 उपमुख्यमंत्री नियुक्त हैं।सबसे अधिक डिप्टी सीएम आंध्र प्रदेश में हैं। वहां सीएम वाई एस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली सरकार में उनके पांच डिप्टी हैं।