मालदीव में कौन ले रहा भारतीय सैनिकों की जगह? विदेश मंत्रालय ने दी जानकारी

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"इंडिया आउट" कैंपन चलाकर मालदीव की सत्ता में आए मोहम्मद मुइज्जू को एक बार फिर भारत के साथ समझौता करना पड़ा है।मोहम्मद मुइज्जू जब से मालदीव के नए राष्ट्रपति बने हैं, तब से भारत के साथ इस देश के रिश्तों में काफी तनाव बढ़ गया है। उन्होंने आते ही 'इंडिया आउट' कैंपेन का मुद्दा जोरों-शोरों से उठाया। मुइज्जु ने कहा कि उन्हें किसी अन्य देश की मौजूदगी यहां पर नहीं चाहिए।हालांकि ऐसा होता नहीं दिख रहा है। नई दिल्ली में शुक्रवार को भारत-मालदीव कोर ग्रुप की दूसरी बैठक हुई। इस दौरान मालदीव से भारतीय सैनिकों की वापसी को लेकर लंबी चर्चा हुई। बैठक में इस स्तर पर सहमति बनी कि भारत मालदीव में तैनात सैनिकों की जगह असैनिक समूह को तैनात करेगा।इसकी घोषणा विदेश मंत्रालय की ओर से की गई है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने दिल्ली में एक साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा, मालदीव में मौजूदा कर्मियों की जगह सक्षम भारतीय तकनीकी कर्मियों को रखा जाएगा। भारत तीनों एविएशन प्लेटफार्म से अपने सैनिकों को हटाने के लिए मान गया है। 10 मार्च तक एक प्लेटफार्म से और 10 मई तक बचे हुए दो प्लेटफार्म से सैन्यकर्मियों को रिप्लेस कर दिया जाएगा।

इसके अतिरिक्त, विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में एक और बात पर जोर दिया। कहा कि दोनों देशों ने मालदीव के लोगों को मानवीय और मेडवैक सेवाएं प्रदान करने वाले भारतीय विमानन प्लेटफार्मों के निरंतर संचालन को सुनिश्चित करने के लिए व्यावहारिक समाधानों पर पारस्परिक रूप से सहमति व्यक्त की है। साथ ही दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय कोर ग्रुप की अगली बैठक मालदीव की राजधानी माले में आयोजित होने पर सहमति बनी थी।

बताया जाता है कि मुइज्जू मालदीव से भारतीय सैनिकों को हटाकर चीन के असैनिक समूह को तैनात करना चाहते थे, लेकिन वह अपने देश में ही विपक्षी दलों के घोर विरोध से घबराए हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक मुइज्जू ने सिंगापुर में काम करने वाली एक चीनी कंपनी के असैन्य समूह को भारतीय सेना की जगह तैनात करने की योजना बना चुके थे, लेकिन भारत के दबाव के कारण मुइज्जू को अपना निर्णय बदलना पड़ा। एक रिपोर्ट के मुताबिक मुइज्जू ने शपथग्रहण के बाद से ही भारत द्वारा दिए गए हेलीकॉप्टर, डॉर्नियर विमान और ऑफशोर पेट्रोलिंग शिप का संचालन बंद कर दिया था। इसकी वजह से मालदीव में मेडिकल इवैक्यूएशन सर्विस बुरी तरह से प्रभावित हुई है। इलाज के अभाव में मालदीव में हाल में ही एक बच्चे की मौत हुई थी, जिसके बाद मोहम्मद मुइज्जू पर भारत के हेलीकॉप्टर, विमान और ऑफशोर पेट्रोलिंग शिप के संचालन को लेकर दबाव बढ़ गया है।

हल्द्वानी में हिंसाः अतिक्रमण हटाने के विरोध में पत्थरबाजी-आगजनी, बवाल, कर्फ्यू और इंटरनेट ठप

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उत्तराखंड का हल्द्वानी गुरुवार को अचानक हिंसा भड़क गई। पत्थरबाजी-आगजनी और गोलीबारी भी हुई है। हल्द्वानी के बनभूलपुरा में गुरुवार शाम को अतिक्रमण हटाने को लेकर बवाल हो गया। अतिक्रमण हटाने गई टीम को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। टीम को चारों तरफ से उपद्रवियों ने घेरकर पत्थरबाजी शुरू कर दी। इस पत्थरबाजी में 200 से अधिक पुलिस और अधिकारी समेत 300 लोगों के घायल होने की सूचना है। जिसके बाद प्रशासन ने देर शाम उपद्रवियों के पैर में गोली मारने के आदेश जारी किए। 

गुरुवार शाम 4:30 बजे बनभूलपुरा में नगर निगम और पुलिस बल अतिक्रमण स्थल पर पहुंची। शाम 4:59 बजे जेसीबी अतिक्रमण ढहाने गई टीम पर उग्र भीड़ ने विरोध शुरू कर दिया। शाम 5:04 बजे शाम पुलिसकर्मियों पर पथराव शुरू कर दिया गया। शहर में आगजनी के बाद कई वाहन फूंक डाले गए। भीड़ बनभूलपुरा थाने पर पहुंच कर आगजनी कर दी। थाने के सामने खड़ी फायर ब्रिगेड की वैन समेत कई अन्य वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। 

बनभूलपुरा की तंग गलियों में उपद्रवियों को खदेड़ने के लिए अंदर घुस रही पुलिस फोर्स उनके ही जाल में फंसती नजर आई। घरों की छतों से पुलिसकर्मियों पर लगातार पथराव होता रहा। बमुश्किल गलियों से बचते-बचाते पुलिसकर्मी किसी तरह मुख्य सड़क पर आ सके। जानकारों की मानें तो बनभूलपुरा में भेजी गई पुलिस फोर्स दूसरे जिलों या अन्य थानों से आई थी जिन्हें इस इलाके का अंदाजा तक नहीं था। अधिकारियों के आदेश का पालन पूरा करने के लिए फोर्स अंदर तो घुस गई, लेकिन वह चक्रव्यूह में फंस गई, जिस कारण जान भी सांसत में आ गई। पुलिस ने उपद्रवियों को तितर बितर करने के लिए हवाई फायरिंग की। 

हिंसा के बाद इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया है। क्षेत्र में कर्फ्यू के बाद शांति स्थापित करने में कामयाबी मिली। रात 2 बजे कोतवाली में डीआईजी की प्रशासन के साथ बैठक की। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने के आदेश जारी किए हैं। 

बता दें कि हिंसा नगर निगम द्वारा ‘अवैध’ रूप से निर्मित मदरसा एवं मस्जिद को जेसीबी मशीन से ध्वस्त करने के बाद हिंसा फैल गई। हालांकि जिस मदरसा एवं मस्जिद को ध्वस्त किया गया है उसका नगर निगम ने पूर्व में ही कब्जा ले लिया था और अवैध मदरसे एवं नमाज स्थल को सील कर दिया था। इसके बार में बात करते हुए नगर आयुक्त पंकज उपाध्याय ने बताया कि ध्वस्त किया गया मदरसा तथा नमाज स्थल पूरी तरह से अवैध है। उन्होंने बताया कि इस स्थल के पास स्थित तीन एकड़ जमीन पर नगर निगम ने पूर्व में ही कब्जा ले लिया था और अवैध मदरसे एवं नमाज स्थल को सील कर दिया था जिसे आज ध्वस्त किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि जैसे ही एक बुलडोजर ने मदरसे और मस्जिद को ढहाया, भीड़ ने पुलिसकर्मियों, नगर निगम कर्मियों और पत्रकारों पर पथराव किया।

नैनीताल डीएम वंदना सिंह ने हल्द्वानी हिंसा पर कहा है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद ही हल्द्वानी के अलग-अलग हिस्सों में एक्शन लिया गया। उन्होंने बताया कि पीडब्ल्यूडी और नगर निगम की कार्रवाई से पहले सभी को नोटिस भी दिया गया था। कुछ लोग हाईकोर्ट गए, जबकि कुछ को समय मिला और कुछ को नहीं। उन्होंने बताया, जहां समय नहीं दिया गया, वहां पीडब्ल्यूडी और नगर निगम की ओर से तोड़फोड़ की कार्रवाई की गई। ये इकलौती घटना नहीं थी और किसी विशेष संपत्ति को निशाना बनाने से काम नहीं किया गया।

केजरीवाल के बड़ा बयान, बोले-केंद्रीय एजेंसियां मेरे खिलाफ ऐसे तैनात, जैसे देश का सबसे बड़ा आतंकवादी मैं ही हूं

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दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने केन्द्र की मोदी सरकार और केन्द्रीय जांच एजैंसियों के खिलाफ बड़ा बयान दिया है। केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरह से मेरे खिलाफ सीबीआई और ईडी जैसी एजेंसियों को छोड़ रखा है, इससे तो लगता है कि देश का सबसे बड़ा आतंकवादी मैं ही हूं।केजरीवाल ने गुरुवार को द्वारका में एक कार्यक्रम के दौरान ये बातें कहीं।केजरीवालदिल्ली के द्वारिका के पालम इलाके में एक स्कूल की आधारशिला रखने पहुंचे थे।

कार्यक्रम के दौरान अरविंद केजरीवाल ने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनायी, तो वहीं ईडी द्वारा चल रही जांच के सिलसिले में बीजेपी पर हमला भी बोला। केजरीवाल ने कहा कि आप लोग टेलीविजन पर देखते होंगे कभी अरविंद केजरीवाल को ईडी का नोटिस आ गया, कभी सीबीआई का नोटिस आ गया, मुझे तो समझ ही नहीं आता, ऐसा लगता है कि देश का सबसे बड़ा आतंकवादी मैं हूं।अरविंद केजरीवाल ने आगे कहा कि गीता में लिखा है कि पृथ्वी पर भगवान ने हर इंसान को किसी न किसी उद्देश्य से भेजा है। भगवान ने उनको पृथ्वी पर भेजा है झूठे केस बनाकर जेल में डालना और नोटिस देने के लिए, मुझे पृथ्वी पर भेजा है आपके स्कूल बनाने के लिए पानी का इंतजाम करने के लिए, मुझे उनसे कोई गिला शिकवा नहीं है उन्हें काम करने दीजिए मैं अपना काम करूंगा।

सीएम केजरीवाल ने कहा कि वे हमें जितना रोकेंगे, हम उतना ही ज्यादा काम करेंगे।केजरीवाल ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा, वे कहते हैं केजरीवाल चोर है। मैं पूछना चाहता हूं कि मैंने दिल्ली वालों की बिजली मुफ्त कर दी, पंजाब की भी हो गई। इनकी जहां जहां सरकारें हैं मध्य प्रदेश, गुजरात और यूपी में बिजली इतनी महंगी है। बिजली फ्री करने वाला चोर है या महंगी करने वाला चोर है। मैंने दिल्ली में और पंजाब में सबके इलाज मुफ्त कर दिया। शानदार मोहल्ला क्लीनिक बना दिया और शानदार अस्पताल बना दिया। सबके लिए इलाज का इंतजाम करने वाला चोर है या इलाज महंगा करने वाला चोर है।

वित्त मंत्री ने लोकसभा में पेश किया श्वेत पत्र, यूपीए सरकार के 10 सालों की गिनाईं आर्थिक नाकामियां

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज लोकसभा में एक श्वेतपत्र पेश किया। इस श्वेतपत्र में यूपीए सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन के बारे में बताया गया है।श्वेत पत्र के माध्यम से भारत की आर्थिक बदहाली और अर्थव्यवस्था पर इसके नकारात्मक प्रभावों के बारे में विस्तार से बताया गया है। वहीं, इसमें उस समय उठाए जा सकने वाले सकारात्मक कदमों के असर के बारे में भी बात की गई है।बता दें कि संसद के बजट सत्र के दौरान ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की थी कि सरकार संसद के दोनों सदनों में श्वेत पत्र लेकर आएगी। इसके जरिए सरकार 2014 से लेकर 2024 तक अपने कार्यकाल के दौरान हुए कामकाजों का लेखा-जोखा सदन के पटल पर रखेगी। इसके साथ ही इस श्वेत पत्र के जरिए पिछली यूपीए सरकार के कुप्रबंधन और गलत नीतियों के बारे में भी जानकारी देगी। अब उसी सत्र को लोकसभा में पेश कर दिया गया है।

लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा रखे गए भारतीय अर्थव्यवस्था पर श्वेत पत्र' में कहा गया है कि यूपीए सरकार को अधिक सुधारों के लिए तैयार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था विरासत में मिली। लेकिन अपने दस वर्षों में इसे नॉन परफॉर्मिंग बना दिया। 2004 में जब यूपीए सरकार ने अपना कार्यकाल शुरू किया था, तो अच्छे विश्व आर्थिक माहौल के बीच अर्थव्यवस्था 8 प्रतिशत की दर से बढ़ रही थी। उद्योग और सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर 7 प्रतिशत से अधिक थी और वित्त वर्ष 2004 में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 9 प्रतिशत से अधिक थी। 2003-04 के आर्थिक सर्वेक्षण में भी कहा गया था कि विकास, मुद्रास्फीति और भुगतान संतुलन के मामले में अर्थव्यवस्था एक लचीली स्थिति में प्रतीत होती है, एक जोड़ जो कि निरंतर व्यापक आर्थिक स्थिरता के साथ विकास की गति को मजबूत करने की बड़ी गुंजाइश प्रदान करता है। 

श्वेत पत्र में कहा गया है कि 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट पर यूपीए सरकार की ओर से जारी किया गया स्पिल-ओवर प्रभावों से निपटने के लिए एक राजकोषीय प्रोत्साहन पैकेज समस्या से भी कहीं अधिक बदतर था। यह वित्त पोषण और रखरखाव की केंद्र सरकार की क्षमता से कहीं परे था। श्वेत पत्र में आगे कहा गया है कि जीएफसी के दौरान, वित्त वर्ष 2009 में भारत की वृद्धि धीमी होकर 3.1 प्रतिशत हो गई, लेकिन वित्त वर्ष 2010 में तेजी से बढ़कर 7.9 प्रतिशत हो गई। जीएफसी के दौरान और उसके बाद वास्तविक जीडीपी वृद्धि पर आईएमएफ डेटा का उपयोग करते हुए एक क्रॉस-कंट्री विश्लेषण इस तथ्य की पुष्टि करता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव अन्य विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अपेक्षाकृत सीमित था।

लोकसभा में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश श्वेत पत्र में यूपीए कार्यकाल में हुए घोटालों का भी जिक्र है।श्वेत पत्र में लिखा गया है कि यूपीए सरकार के 122 टेलीकॉम लाइसेंस से जुड़े 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले ने सरकारी खजाने से 1.76 लाख करोड़ रुपये की कटौती की थी। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) के अनुमान, सरकारी खजाने को 1.86 लाख करोड़ रुपये की चपत लगाने वाला कोल गेट घोटाला, यूपीए शासनकाल में हमारे यहां घोटालों से भरे 12 दिवसीय राष्ट्रमंडल खेल आयोजित हुए।तब, हमारे पास 2जी घोटाला था, यूपीए काल में सरकार ने कुछ चुने हुए लोगों को सोना आयात लाइसेंस प्रदान किया गया।

सरकार ने श्वेत पत्र में कहा कि तत्कालीन यूपीए सरकार को एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था विरासत में मिली थी और उन्होंने 10 साल बाद हमें एक कमज़ोर अर्थव्यवस्था दी। अब हमने इसकी जीवंतता बहाल कर दी है। जब 2014 में एनडीए सरकार ने सत्ता संभाली, तो अर्थव्यवस्था ना केवल खराब स्थिति में थी, बल्कि संकट में थी। हमें एक दशक से कुप्रबंधित अर्थव्यवस्था को ठीक करने और इसके बुनियादी सिद्धांतों को सुदृढ़ रूप से बहाल करने की जटिल चुनौती का सामना करना पड़ा। तब, हम 'नाज़ुक पांच' अर्थव्यवस्थाओं में से एक थे; अब, हम 'शीर्ष पांच' अर्थव्यवस्थाओं में से एक हैं, जो हर साल वैश्विक विकास में तीसरा सबसे बड़ा योगदान देते हैं।तब दुनिया का भारत की आर्थिक क्षमता और गतिशीलता पर से भरोसा उठ गया था; अब, अपनी आर्थिक स्थिरता और विकास की संभावनाओं के साथ, हम दूसरों में आशा जगाते हैं।

सरकार और विपक्ष के बीच ब्लैक एंड व्हाइट जंगःबीजेपी के बीजेपी के 'श्वेत पत्र' से पहले कांग्रेस का 'ब्लैक पेपर'

#congressbringblackpaperonmodigovt

सरकार और विपक्ष के बीच ब्लैक एंड व्हाइट जंग शुरू हो गई है। अंतरिम बजट 2024-25 में वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक श्वेत पत्र लाने की घोषणा की थी। यह श्वेत पत्र यूपीए शासन के 10 सालों के आर्थिक प्रदर्शन पर लाया जाएगा। केंद्र सरकार के 'व्हाइट पेपर' लाने से पहले ही कांग्रेस ने 'ब्‍लैक पेपर' जारी किया है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व वाली सरकार के 10 सालों का ब्‍योरा पेश किया गया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने संसद भवन परिसर में यह 'ब्लैक पेपर' जारी किया। 

पीएम मोदी द्वारा बताई गईं चार जातियों पर फोकस

पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 57 पेज का ब्लैक पेपर जारी करते हुए इसे 10 साल, अन्याय काल नाम दिया है। कांग्रेस ने सरकार और प्रधानमंत्री मोदी पर उनकी विफलताएं छिपाने का आरोप लगाया। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ गुरुवार को एक ब्लैक पेपर में कांग्रेस ने तमाम मुद्दों के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बताई गईं चार जातियां (गरीब, महिलाएं, युवा और किसान) पर फोकस किया है। कांग्रेस ने अपने इस ब्लैक पेपर में मोदी सरकार के 10 साल में युवाओं, महिलाओं, किसानों, अल्पसंख्यकों और श्रमिकों पर हुए अन्याय का जिक्र किया। कांग्रेस ने सरकार और प्रधानमंत्री मोदी पर उनकी विफलताएं छिपाने का आरोप लगाया।

कांग्रेस ने भाजपा शासन काल के आंकड़े पेश किए

कांग्रेस ने आंकड़े प्रस्तुत करते हुए कहा कि भाजपा के इस काल में बेरोजगारी 45 वर्षों में सबसे अधिक पहुंच गई है। 2012 में बेरोजगारी एक करोड़ थी, जो 2022 में बढ़कर लगभग 4 करोड़ हो गई है। 10 लाख स्वीकृत पद खाली पड़े हैं। ग्रेजुएट्स और पोस्ट ग्रेजुएट्स के मामलों में बेरोजगारी दर लभगत 33 फीसदी है। हर तीन में से एक युवा नौकरी की तलाश रहा है। हर घंटे दो बेरोजगार आत्महत्या कर रहे हैं। किसानों के संकट पर कांग्रेस ने कहा कि भाजपा सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था। लेकिन इसकी जगह एमएसपी में निराशाजनक वृद्धि हुई और पीएम के पूंजीपति मित्रों की समृद्ध करने के लिए संसद के माध्यम से तीन कृषि कानूनों को पारित किया गया। इन काले कानूनों के खिलाफ आवाज उठाते हुए 700 किसान शहीद हुए। पीएम फसल बीमा योजना के तहत बीमा कंपनियों ने 40 हजार करोड़ रुपये का मुनाफा किया है, जबकि हर घंटे एक किसान आत्महत्या कर रहे हैं। महिलाओं के साथ अन्याय पर कांग्रेस ने ब्लैक पेपर में कहा कि भारत में 2022 में कुल 31,516 बलाकात्कार के मामले दर्ज किए गए हैं। यह प्रतिदिन के हिसाब से औसतन 86 का आंकड़ा है। बलात्कार के मामले बढ़ते जा रहे हैं। जबकि सजा की दर बेहद कम 27.4 फीसदी है। 

अपने बारे में बात करने के बजाय सिर्फ कांग्रेस पार्टी की आलोचना करते हैं-खड़गे

सरकार के खिलाफ ब्लैक पेपर को जारी करते हुए खरगे ने कहा कि सरकार यह बताने की कोशिश नहीं करेगी की उनके 10 साल के कार्यकाल में कितने लोगों को नौकरी मिली। मनरेगा फंड जारी करने में वह राज्यों के साथ भेदभाव कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भाजपा केंद्र की सत्ता में है ऐसे में सवाल है कि आज महंगाई पर काबू पाने के लिए उन्होंने क्या किया है। खरगे ने सोशल मीडिया के जरिए नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि 10 साल तक सत्ता में रहने के बावजूद वह अपने बारे में बात करने के बजाय सिर्फ कांग्रेस पार्टी की आलोचना करते हैं। आज भी उन्होंने महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक असमानता के बारे में बात नहीं की?

डेमोक्रेसी को खत्म करने के लिए इस्तेमाल हो रहे पैसे खड़गे

खड़गे ने आगे कहा कि मोदी कहते हैं कि अब इतने पैसे जमा हो रहे हैं, पहले क्यों नहीं होते थे, ऐसा कहकर वे अप्रत्यक्ष रूप में हैरेसमेंट और प्रेशराइज कर रहे हैं और इलेक्शन में पैसा लगा रहे हैं। ये पैसा डेमोक्रेसी को खत्म करने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। भाजपा ने 10 साल में 411 विधायकों को अपनी तरफ ले लिया। मैं ये नहीं कहता कि कितने पैसे देकर खरीदा। आप लोग जानते हैं कि हमारी कितनी सरकारें चुनी हुई थीं जैसे मध्य प्रदेश, गोवा, मणिपुर, उत्तराखंड। यहां सरकारें कैसे गिरीं, आप जानते हैं। अगर वे डराकर हमें कमजोर करना चाहते हैं तो न कांग्रेस और न ही मैं इससे प्रभावित होंगे

सरकार और विपक्ष के बीच ब्लैक एंड व्हाइट जंगःबीजेपी के बीजेपी के 'श्वेत पत्र' से पहले कांग्रेस का 'ब्लैक पेपर'

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सरकार और विपक्ष के बीच ब्लैक एंड व्हाइट जंग शुरू हो गई है। अंतरिम बजट 2024-25 में वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक श्वेत पत्र लाने की घोषणा की थी। यह श्वेत पत्र यूपीए शासन के 10 सालों के आर्थिक प्रदर्शन पर लाया जाएगा। केंद्र सरकार के 'व्हाइट पेपर' लाने से पहले ही कांग्रेस ने 'ब्‍लैक पेपर' जारी किया है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व वाली सरकार के 10 सालों का ब्‍योरा पेश किया गया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने संसद भवन परिसर में यह 'ब्लैक पेपर' जारी किया।

पीएम मोदी द्वारा बताई गईं चार जातियों पर फोकस

पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 57 पेज का ब्लैक पेपर जारी करते हुए इसे 10 साल, अन्याय काल नाम दिया है। कांग्रेस ने सरकार और प्रधानमंत्री मोदी पर उनकी विफलताएं छिपाने का आरोप लगाया। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ गुरुवार को एक ब्लैक पेपर में कांग्रेस ने तमाम मुद्दों के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बताई गईं चार जातियां (गरीब, महिलाएं, युवा और किसान) पर फोकस किया है। कांग्रेस ने अपने इस ब्लैक पेपर में मोदी सरकार के 10 साल में युवाओं, महिलाओं, किसानों, अल्पसंख्यकों और श्रमिकों पर हुए अन्याय का जिक्र किया। कांग्रेस ने सरकार और प्रधानमंत्री मोदी पर उनकी विफलताएं छिपाने का आरोप लगाया।

कांग्रेस ने भाजपा शासन काल के आंकड़े पेश किए

कांग्रेस ने आंकड़े प्रस्तुत करते हुए कहा कि भाजपा के इस काल में बेरोजगारी 45 वर्षों में सबसे अधिक पहुंच गई है। 2012 में बेरोजगारी एक करोड़ थी, जो 2022 में बढ़कर लगभग 4 करोड़ हो गई है। 10 लाख स्वीकृत पद खाली पड़े हैं। ग्रेजुएट्स और पोस्ट ग्रेजुएट्स के मामलों में बेरोजगारी दर लभगत 33 फीसदी है। हर तीन में से एक युवा नौकरी की तलाश रहा है। हर घंटे दो बेरोजगार आत्महत्या कर रहे हैं। किसानों के संकट पर कांग्रेस ने कहा कि भाजपा सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था। लेकिन इसकी जगह एमएसपी में निराशाजनक वृद्धि हुई और पीएम के पूंजीपति मित्रों की समृद्ध करने के लिए संसद के माध्यम से तीन कृषि कानूनों को पारित किया गया। इन काले कानूनों के खिलाफ आवाज उठाते हुए 700 किसान शहीद हुए। पीएम फसल बीमा योजना के तहत बीमा कंपनियों ने 40 हजार करोड़ रुपये का मुनाफा किया है, जबकि हर घंटे एक किसान आत्महत्या कर रहे हैं। महिलाओं के साथ अन्याय पर कांग्रेस ने ब्लैक पेपर में कहा कि भारत में 2022 में कुल 31,516 बलाकात्कार के मामले दर्ज किए गए हैं। यह प्रतिदिन के हिसाब से औसतन 86 का आंकड़ा है। बलात्कार के मामले बढ़ते जा रहे हैं। जबकि सजा की दर बेहद कम 27.4 फीसदी है।

अपने बारे में बात करने के बजाय सिर्फ कांग्रेस पार्टी की आलोचना करते हैं-खड़गे

सरकार के खिलाफ ब्लैक पेपर को जारी करते हुए खरगे ने कहा कि सरकार यह बताने की कोशिश नहीं करेगी की उनके 10 साल के कार्यकाल में कितने लोगों को नौकरी मिली। मनरेगा फंड जारी करने में वह राज्यों के साथ भेदभाव कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भाजपा केंद्र की सत्ता में है ऐसे में सवाल है कि आज महंगाई पर काबू पाने के लिए उन्होंने क्या किया है। खरगे ने सोशल मीडिया के जरिए नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि 10 साल तक सत्ता में रहने के बावजूद वह अपने बारे में बात करने के बजाय सिर्फ कांग्रेस पार्टी की आलोचना करते हैं। आज भी उन्होंने महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक असमानता के बारे में बात नहीं की?

डेमोक्रेसी को खत्म करने के लिए इस्तेमाल हो रहे पैसे खड़गे

खड़गे ने आगे कहा कि मोदी कहते हैं कि अब इतने पैसे जमा हो रहे हैं, पहले क्यों नहीं होते थे, ऐसा कहकर वे अप्रत्यक्ष रूप में हैरेसमेंट और प्रेशराइज कर रहे हैं और इलेक्शन में पैसा लगा रहे हैं। ये पैसा डेमोक्रेसी को खत्म करने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। भाजपा ने 10 साल में 411 विधायकों को अपनी तरफ ले लिया। मैं ये नहीं कहता कि कितने पैसे देकर खरीदा। आप लोग जानते हैं कि हमारी कितनी सरकारें चुनी हुई थीं जैसे मध्य प्रदेश, गोवा, मणिपुर, उत्तराखंड। यहां सरकारें कैसे गिरीं, आप जानते हैं। अगर वे डराकर हमें कमजोर करना चाहते हैं तो न कांग्रेस और न ही मैं इससे प्रभावित होंगे

पाकिस्तान में कोई प्रधानमंत्री पूरा नहीं कर पाए 5 साल का कार्यकाल, पहले 10 साल में ही बने 7 पीएम

#anypakistaniprimeministerdidnotcompletedtheirtenure

पाकिस्तान में नई सरकार के चयन के लिए आज गुरूवार को मतदान हो रहा है। पाकिस्तान इन दिनों आर्थिक परेशानियों के दौर से गुजर रहा है। वहीं, राजनीतिक हालात की बात करें तो देश में अस्थिरता का आलम शुरुआत से ही रहा है। पाकिस्तान को देश बने उतना ही समय हुआ है, जितना भारत को आजाद हुए। इतने वर्षों में भारत कितना आगे निकल चुका है, लेकिन पाकिस्तान काफी पीछे रह गया है। इसके पीछे राजनीतिक अस्थिरता एक बड़ा कारण रही है। बात करें पाकिस्तान में प्रधानमंत्रियों की तो भारत से अलग होकर देश बनने के बाद यानी साल 1947 से पाकिस्तान का एक भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है। अधिकतर प्रधानमंत्री या तो डिसमिस कर दिए गए थे या फिर अयोग्य करार दे दिए गए थे।

पाकिस्तान के 76 साल के इतिहास में वहां एक भी प्रधानमंत्री ने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया है। 21 प्रधानमंत्री ने 24 बार शपथ ली है। लेकिन, सबका कार्यकाल अधूरा रह गया। कोई 13 दिन के लिए पीएम बना तो कोई 54 दिन तो कोई 55 दिन। सबसे लंबे समय तो जो पीएम की कुर्सी पर बैठा उसका भी कार्यकाल सिर्फ 4 साल 86 दिन का रहा। ताज्जुब की बात है कि छह पीएम तो एक साल का भी कार्यकाल नहीं पूरा कर पाए। एक-दो नहीं 18 मौके ऐसे आए, जब बेहद ही विपरीत परिस्थितियों में प्रधानमंत्री को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी। ऐसे ही साल 1993 की बात करें तो इस साल वहां पांच प्रधानमंत्री बदले गए। एक पीएम बेनजीर भुट्टो की हत्या हुई तो जुल्फीकार अली भुट्टो को फांसी की सजा सुनाई गई। इतना ही नहीं चार बार वहां तख्तापलट तक हुआ है।

पहले पीएम का कार्यकाल था 4 साल 63 दिन

लियाकत अली खान 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बने थे। 4 साल 63 दिन बाद गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई। 16 अक्टूबर 1951 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई। इसके बाद 17 अक्टूबर 1951 को ख्वाजा नजीमुद्दीन प्रधानमंत्री बने, लेकिन 17 अप्रैल 1953 को उन्हें भी अपना पद छोड़ना पड़ा। फिर पीएम की कुर्सी पर बैठे, मोहम्मद अली बोगरा। उनका भी कार्यकाल लंबा नहीं चला और वर्ष 1955 में गवर्नर जनरल ने उन्हें पद से हटा दिया। 1956 से लेकर 1958 के बीच भी चार लोग इस पद पर रहे। यानी कि 1958 तक कुल सात प्रधानमंत्री बदले जा चुके थे। यानी औसतन देखा जाए तो एक प्रधानमंत्री का कार्यकाल एक साल पांच महीने के करीब ही होगा।

पाकिस्तान में एक ताकतवर पीएम फांसी पर चढ़ा दिया गया

जुल्फीकार अली भुट्टो पाकिस्तान के सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्रियों में से एक रहे। 3 साल 325 दिन बाद उन्हें सेना की बगावत के आरोप में फांसी पर चढ़ा दिया गया। 20 दिसंबर 1971 से 13 अगस्त 1973 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहने के बाद जुल्फिकार 14 अगस्त 1973 से पांच जुलाई 1977 तक देश के प्रधानमंत्री का पद संभाला। साल 1977 में पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल मोहम्मद जिया-उल-हक के नेतृत्व में सेना ने तख्तापलट कर दिया और जुल्फिकार को 3 सितंबर 1977 को गिरफ्तार कर लिया गया। उनपर विपक्षी नेता की हत्या का आरोप लगा था। 18 मार्च 1978 को जुल्फिकार अली भुट्टो की लाहौर हाईकोर्ट ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई। 3 अप्रैल 1979 को आधी रात उन्हें फांसी दे दी गई। इस तरह पाकिस्तान के एक ताकतवर नेता का दु:खद अंत हुआ।

जब पाकिस्तान को मिली पहली महिला प्रधानमंत्री

पाकिस्तान की कमान संभालने वाली पहली महिला नेता बेनजीर भुट्टो थीं। प्रधानमंत्री के तौर पर उनका पहला कार्यकाल 1988 से 1990 और 1993 सले 1996 तक था। उन्होंने निर्दलीय सांसदों के साथ मिलकर एक गठबंधन बनाया था लेकिन उन्हें सेना के गुस्से का सामना करना पड़ा था। अगस्त 1990 में राष्ट्रपति गुलाम इशक खान ने भ्रष्टाचार के आरोपों में उन्हें सस्पेंड कर दिया था। अक्टूबर 1990 के चुनाव में नवाज शरीफ ने उनकी पार्टी (पाकिस्तान पीपल्स पार्टी) को हराया था।

फिर सत्ता में आए नवाज शरीफ

नवाज शरीफ तीन बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे हैं लेकिन एक बार भी कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए हैं। पाकिस्तान में सबसे ज्यादा तीन बार नवाज शरीफ पीएम की कुर्सी पर बैठे। तीन बार मिलाकर उनका कार्यकाल 9 साल 179 दिन का रहा। 6 नवंबर 1990 को PML-N के नेता नवाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनें। अप्रैल 1993 में राष्ट्रपति गुलाम इशक खान ने संविधान के आर्टिकल 58-2बी के तहत उनकी सरकार को डिजॉल्व कर दिया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने फिर से नवाज सरकार को बहाल किया। 26 मई 1993 को नवाज एक बार फिर वे देश के पीएम बने। हालांकि नवाज का दूसरा कार्यकाल 2 महीने भी नहीं चल सका और उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। फिर पाकिस्तान में फरवरी 1997 के चुनावों में उन्हें जबरदस्त जीत मिली और 17 फरवरी 1997 को उन्होंने एक बार फिर पीएम पद संभाला। हालांकि 3 फरवरी 1997 को जनरल परवेज मुशर्रफ ने उन्हें पद से हटाकर देश में मार्शल लॉ लागू कर दिया। इस तरह उन्होंने देश की सत्ता हथिया ली।

यूसुफ रजा गिलानी का सबसे लंबा कार्यकाल

युसूफ रजा गिलानी पाकिस्‍तान में सबसे लंबी अ‍वधि तक शासन करने वाले प्रधानमंत्री हैं। 25 मार्च 2008 को गिलानी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने। वह 4 साल 86 दिन तक प्रधानमंत्री रहे। उम्मीद थी कि वे 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा करेंगे। लेकिन उनपर कोर्ट की अवमानना के आरोप लगे और आरोप साबित भी हुआ और अप्रैल 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें पीएम पद के लिए अयोग्य घोषित कर दिया। इस तरह वे अपना कार्यकाल पूरा करने से चूक गए।

परवेज अशरफ से इमरान खान तक

राजा परवेज अशरफ ने 22 जून 2012 को प्रधानमंत्री बने, लेकिन वह एक साल से भी कम वक्त तक पद पर रहे। 25 मार्च 2013 को उन्होंने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया। वहीं, शाहिद खाकन अब्बासी एक अगस्त 2017 से जुलाई 2018 तक पीएम पद पर रहे। 2018 में हुए आम चुनावों में इमरान खान को जीत मिली और वे प्रधानमंत्री बनाए गए। क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान भी कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए और इस समय जेल में बंद हैं।

पाकिस्तान में कोई प्रधानमंत्री पूरा नहीं कर पाए 5 साल का कार्यकाल, पहले 10 साल में ही बने 7 पीएम

#anypakistaniprimeministerdidnotcompletedtheirtenure

पाकिस्तान में नई सरकार के चयन के लिए आज गुरूवार को मतदान हो रहा है। पाकिस्तान इन दिनों आर्थिक परेशानियों के दौर से गुजर रहा है। वहीं, राजनीतिक हालात की बात करें तो देश में अस्थिरता का आलम शुरुआत से ही रहा है। पाकिस्तान को देश बने उतना ही समय हुआ है, जितना भारत को आजाद हुए। इतने वर्षों में भारत कितना आगे निकल चुका है, लेकिन पाकिस्तान काफी पीछे रह गया है। इसके पीछे राजनीतिक अस्थिरता एक बड़ा कारण रही है। बात करें पाकिस्तान में प्रधानमंत्रियों की तो भारत से अलग होकर देश बनने के बाद यानी साल 1947 से पाकिस्तान का एक भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है। अधिकतर प्रधानमंत्री या तो डिसमिस कर दिए गए थे या फिर अयोग्य करार दे दिए गए थे।

पाकिस्तान के 76 साल के इतिहास में वहां एक भी प्रधानमंत्री ने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया है। 21 प्रधानमंत्री ने 24 बार शपथ ली है। लेकिन, सबका कार्यकाल अधूरा रह गया। कोई 13 दिन के लिए पीएम बना तो कोई 54 दिन तो कोई 55 दिन। सबसे लंबे समय तो जो पीएम की कुर्सी पर बैठा उसका भी कार्यकाल सिर्फ 4 साल 86 दिन का रहा। ताज्जुब की बात है कि छह पीएम तो एक साल का भी कार्यकाल नहीं पूरा कर पाए। एक-दो नहीं 18 मौके ऐसे आए, जब बेहद ही विपरीत परिस्थितियों में प्रधानमंत्री को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी। ऐसे ही साल 1993 की बात करें तो इस साल वहां पांच प्रधानमंत्री बदले गए। एक पीएम बेनजीर भुट्टो की हत्या हुई तो जुल्फीकार अली भुट्टो को फांसी की सजा सुनाई गई। इतना ही नहीं चार बार वहां तख्तापलट तक हुआ है।

पहले पीएम का कार्यकाल था 4 साल 63 दिन

लियाकत अली खान 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बने थे। 4 साल 63 दिन बाद गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई। 16 अक्टूबर 1951 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई। इसके बाद 17 अक्टूबर 1951 को ख्वाजा नजीमुद्दीन प्रधानमंत्री बने, लेकिन 17 अप्रैल 1953 को उन्हें भी अपना पद छोड़ना पड़ा। फिर पीएम की कुर्सी पर बैठे, मोहम्मद अली बोगरा। उनका भी कार्यकाल लंबा नहीं चला और वर्ष 1955 में गवर्नर जनरल ने उन्हें पद से हटा दिया। 1956 से लेकर 1958 के बीच भी चार लोग इस पद पर रहे। यानी कि 1958 तक कुल सात प्रधानमंत्री बदले जा चुके थे। यानी औसतन देखा जाए तो एक प्रधानमंत्री का कार्यकाल एक साल पांच महीने के करीब ही होगा।

पाकिस्तान में एक ताकतवर पीएम फांसी पर चढ़ा दिया गया

जुल्फीकार अली भुट्टो पाकिस्तान के सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्रियों में से एक रहे। 3 साल 325 दिन बाद उन्हें सेना की बगावत के आरोप में फांसी पर चढ़ा दिया गया। 20 दिसंबर 1971 से 13 अगस्त 1973 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहने के बाद जुल्फिकार 14 अगस्त 1973 से पांच जुलाई 1977 तक देश के प्रधानमंत्री का पद संभाला। साल 1977 में पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल मोहम्मद जिया-उल-हक के नेतृत्व में सेना ने तख्तापलट कर दिया और जुल्फिकार को 3 सितंबर 1977 को गिरफ्तार कर लिया गया। उनपर विपक्षी नेता की हत्या का आरोप लगा था। 18 मार्च 1978 को जुल्फिकार अली भुट्टो की लाहौर हाईकोर्ट ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई। 3 अप्रैल 1979 को आधी रात उन्हें फांसी दे दी गई। इस तरह पाकिस्तान के एक ताकतवर नेता का दु:खद अंत हुआ।

जब पाकिस्तान को मिली पहली महिला प्रधानमंत्री

पाकिस्तान की कमान संभालने वाली पहली महिला नेता बेनजीर भुट्टो थीं। प्रधानमंत्री के तौर पर उनका पहला कार्यकाल 1988 से 1990 और 1993 सले 1996 तक था। उन्होंने निर्दलीय सांसदों के साथ मिलकर एक गठबंधन बनाया था लेकिन उन्हें सेना के गुस्से का सामना करना पड़ा था। अगस्त 1990 में राष्ट्रपति गुलाम इशक खान ने भ्रष्टाचार के आरोपों में उन्हें सस्पेंड कर दिया था। अक्टूबर 1990 के चुनाव में नवाज शरीफ ने उनकी पार्टी (पाकिस्तान पीपल्स पार्टी) को हराया था।

फिर सत्ता में आए नवाज शरीफ

नवाज शरीफ तीन बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे हैं लेकिन एक बार भी कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए हैं। पाकिस्तान में सबसे ज्यादा तीन बार नवाज शरीफ पीएम की कुर्सी पर बैठे। तीन बार मिलाकर उनका कार्यकाल 9 साल 179 दिन का रहा। 6 नवंबर 1990 को PML-N के नेता नवाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनें। अप्रैल 1993 में राष्ट्रपति गुलाम इशक खान ने संविधान के आर्टिकल 58-2बी के तहत उनकी सरकार को डिजॉल्व कर दिया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने फिर से नवाज सरकार को बहाल किया। 26 मई 1993 को नवाज एक बार फिर वे देश के पीएम बने। हालांकि नवाज का दूसरा कार्यकाल 2 महीने भी नहीं चल सका और उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। फिर पाकिस्तान में फरवरी 1997 के चुनावों में उन्हें जबरदस्त जीत मिली और 17 फरवरी 1997 को उन्होंने एक बार फिर पीएम पद संभाला। हालांकि 3 फरवरी 1997 को जनरल परवेज मुशर्रफ ने उन्हें पद से हटाकर देश में मार्शल लॉ लागू कर दिया। इस तरह उन्होंने देश की सत्ता हथिया ली।

यूसुफ रजा गिलानी का सबसे लंबा कार्यकाल

युसूफ रजा गिलानी पाकिस्‍तान में सबसे लंबी अ‍वधि तक शासन करने वाले प्रधानमंत्री हैं। 25 मार्च 2008 को गिलानी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने। वह 4 साल 86 दिन तक प्रधानमंत्री रहे। उम्मीद थी कि वे 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा करेंगे। लेकिन उनपर कोर्ट की अवमानना के आरोप लगे और आरोप साबित भी हुआ और अप्रैल 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें पीएम पद के लिए अयोग्य घोषित कर दिया। इस तरह वे अपना कार्यकाल पूरा करने से चूक गए।

परवेज अशरफ से इमरान खान तक

राजा परवेज अशरफ ने 22 जून 2012 को प्रधानमंत्री बने, लेकिन वह एक साल से भी कम वक्त तक पद पर रहे। 25 मार्च 2013 को उन्होंने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया। वहीं, शाहिद खाकन अब्बासी एक अगस्त 2017 से जुलाई 2018 तक पीएम पद पर रहे। 2018 में हुए आम चुनावों में इमरान खान को जीत मिली और वे प्रधानमंत्री बनाए गए। क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान भी कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए और इस समय जेल में बंद हैं।

एमपी के हरदा ब्लास्ट का कांग्रेस MLA ने किया अनोखा विरोध, गले में सुतली बम की माला डाले पहुंचे विधानसभा

 मध्य प्रदेश के हरदा के कांग्रेस MLA रामकिशोर दोगने नकली बम की माला पहनकर विधानसभा पहुंचे. पटाखा फैक्ट्री में धमाके मामले को लेकर विपक्षी दल के MLA ने गांधी प्रतिमा के सामने धरना दिया. उन्होंने कहा कि 4 लाख रुपए मुआवजे एवं कलेक्टर एसपी को हटाने से कुछ नहीं होगा. हरदा पटाखा फैक्ट्री विस्फोट के पश्चात् प्रदेश सरकार ने कलेक्टर ऋषि गर्ग को हटा दिया है. वहीं, एसपी संजीव कुमार कंचन को हटाकर भोपाल हेडक्वार्टर भेज दिया है. 

दरअसल, विधानसभा सत्र के दूसरे दिन सदन में हरदा ब्लास्ट का मुद्दा गूंजेगा. विपक्ष ने सरकार इसके लिए पूरी तैयारी की है. इसी रणनीति के तहत आज विधानसभा पहुंचे हरदा से कांग्रेस MLA ने अनोखे तरीके से विरोध व्यक्त किया है. कांग्रेस MLA दोगने ने कहा, आरोपियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. भाजपा नेता कमल पटेल के संरक्षण में फैक्ट्री चल रही थी. लोगों के जीवन तबाह हो गए हैं. सरकार को संवेदनशीलता दिखानी चाहिए. उधर, पूर्व कृषि मंत्री कमल पटेल ने बताया कि आरोपी पटाखा फैक्ट्री मालिक राजू एवं मुन्ना पटेल के भाई मन्नी को कांग्रेस MLA आरके दोगने का संरक्षण है. 

बुधवार को सीएम डॉ. मोहन यादव ने जिला चिकित्सालय हरदा पहुंचकर पटाखा हादसे में हुए चोटिल लोगों से मुलाकात कर उनका हाल-चाल जाना. डॉ. यादव ने चिकित्सालय प्रबंधन को हादसे में चोटिल व्यक्तियों के समुचित उपचार के निर्देश दिए. उन्होंने चोटिल व्यक्तियों को आश्वस्त किया कि संकट की घड़ी में सरकार प्रभावितों के साथ है. पीड़ितों को हर संभव मदद दी जाएगी. चोटिल लोगों ने सीएम डॉ. मोहन यादव को बताया कि दुर्घटना में उनके घर पूरी तरह टूट गए हैं. मवेशी भी मारे गए हैं. सीएम डॉ. यादव ने हरदा कलेक्टर को क्षतिग्रस्त आवासों की लिस्टिंग कर पीड़ित परिवारों को आवास के लिये उपलब्ध कराने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि चोटिल मवेशियों का बेहतर इलाज किया जाएगा. मृत हुए मवेशियों का मुआवजा भी प्रभावित लोगों को उपलब्ध कराया जायेगा.

लोकसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र में कांग्रेस को लगा एक और झटका, बाबा सिद्दीकी ने छोड़ा “हाथ”

#baba_siddique_resign_from_maharashtra_congress 

कांग्रेस लगातार लग रहे झटकों से उबर नहीं पा रही है। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को महाराष्ट्र में बड़ा झटका लगा है। बाबा सिद्दीकी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।करीब पांच दशकों तक पार्टी में रहने के बाद बाबा सिद्दीकी ने गुरुवार को कांग्रेस छोड़ दी। बाबा सिद्दीकी ने खुद सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी है। 

बाबा सिद्दीकी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा है कि मैंने एक युवा के रूप में कांग्रेस ज्वाइन की थी। यह 48 वर्षों तक चलने वाली एक महत्वपूर्ण यात्रा रही है। आज मैं तत्काल प्रभाव से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं। ऐसा बहुत कुछ है जिसे मैं व्यक्त करना चाहता हूं, लेकिन जैसा कि कहा जाता है कि कुछ चीजें अनकही ही रह जाएं तो बेहतर है। मैं उन सभी को धन्यवाद देता हूं जो इस यात्रा का हिस्सा रहे हैं।

बाबा सिद्दीकी ने यह कदम चुनाव आयोग के अजित पवार गुट असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के रूप में मान्यता दिए जाने के कुछ दिनों बाद उठाया है। कुछ दिन पहले ये खबर भी सामने आई थी थी कि मुंबई के बांद्रा ईस्ट से पूर्व विधायक बाबा सिद्दीकी अजित पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी गुट में शामिल हो सकते हैं। 

मुंबई में कांग्रेस की युवा इकाई में रहते हुए सिद्दीकी ने राजनीति में अपना कद बढ़ाया। 1988 में वह मुंबई यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बने। बीएमसी में दो बार पार्षद भी रहे। बाबा सिद्दीकी पहली बार 1999 में बांद्रा वेस्ट से विधायक बने थे। इसके बाद लगातार दो बार - 2004 और 2009 में भी जीते। 2004 से 2008 के बीच वह कांग्रेस-एनसीपी की गठबंधन सरकार में मंत्री रहे।

मिलिंद देवड़ा के बाद बाबा सिद्दीकी पार्टी छोड़ने वाले दूसरे बड़े कांग्रेस नेता बन गए हैं। बाबा सिद्दीकी से पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली देवड़ा के बेटे और मिलिंद देवड़ा ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। 47 साल के मिलिंद देवड़ा यूपीए-2 के कार्यकाल में कुछ समय के मंत्री रह चुके थे। मिलिंद देवड़ा ने भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पार्टी छोड़ने की जानकारी दी थी। देवड़ा ने लिखा था कि आज मेरी राजनीतिक यात्रा के एक महत्वपूर्ण अध्याय का समापन हुआ। कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से मैंने अपना त्यागपत्र दे दिया है। कांग्रेस पार्टी के साथ मेरे परिवार का 55 साल पुराना रिश्ता ख़त्म हो गया है।