*एयरस्ट्राइक से बौखलाए पाकिस्तान ने ईरान के राजदूत को किया निष्कासित, अपने राजदूत को तेहरान से वापस बुलाया*

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ईरान की पाकिस्तान के आतंकवादी कैंप पर मिसाइल हमले करने के बाद दोनों देशों में तनाव चरम पर है। इस बीच पाकिस्तान ने बौखलाहट में ईरान के राजदूत को निष्कासित कर दिया है और तेहरान में अपने राजदूत को पाकिस्तान वापस बुला लिया है।वहीं, ईरान मीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक- ईरान ने अपने बॉर्डर पर फौज की तैनाती अचानक बढ़ा दी है। माना जा रहा है कि पाकिस्तान की फौज आतंकियों को ढाल बनाकर ईरान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई कर सकती है।

मंगलवार और बुधवार की दरमियानी रात बलूचिस्तान में इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी या ईरानी सेना) ने मिसाइल और ड्रोन से आतंकी संगठन जैश अल अदल के ठिकानों पर हमले किए थे।इसके कुछ घंटे बाद रात में ही पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर सख्त विरोध दर्ज कराया था। ‘जियो न्यूज’ के मुताबिक- इस घटना के बाद पाकिस्तान में जबरदस्त सियासी और फौजी कवायद देखी गई। रातभर मीटिंग्स का दौर चला। आर्मी चीफ आसिम मुनीर और केयरटेकर प्राइम मिनिस्टर अनवार उल हक काकड़ ने फोन पर बातचीत की। इसके बाद रावलपिंडी में आर्मी कमांडर्स की मीटिंग हुई।बुधवार दोपहर विदेश मंत्रालयर की प्रवक्ता मुमताज जाहरा बलोच मीडिया से मुखातिब हुईं। कहा- हमने तेहरान में मौजूद अपने राजदूत से फौरन देश लौटने को कहा है। ईरान के एम्बेसडर को देश छोड़ने के लिए कह दिया गया है। हालांकि, इस वक्त ईरान के राजदूत अपने देश में ही मौजूद हैं। ईरान ने उकसाने वाली हरकत की है। हम इसे किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं कर सकते।

मुमताज ने आगे कहा- ईरान ने इंटरनेशनल लॉ को भी तोड़ा है। हम इसके खिलाफ UN में शिकायत दर्ज करा रहे हैं। ईरान को याद रखना होगा कि पाकिस्तान के पास जवाब देने की काबिलियत और हक दोनों हैं। इसकी जिम्मेदारी ईरान सरकार की होगी। हमने ईरान के साथ चल रही हर तरह की और हर लेवल की बातचीत बंद करने का फैसला भी किया है।

वहीं, पाकिस्तान पर एयरस्ट्राइक के बाद ईरान ने कहा था कि उसने पाकिस्तानी इलाके में जैश ए अदल आतंकवादी समूह के ठिकानों को मिसाइल और ड्रोन से निशाना बनाया है। हालांकि, पाकिस्तान ने दावा किया कि ईरान के हमलों के कारण दो मासूम बच्चों की मौत हो गई, जबकि तीन लड़कियां घायल हो गईं। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने उस घटनास्थल का उल्लेख नहीं किया है, जहां ईरान ने हमला किया था। हालांकि, ईरान की सरकारी मीडिया ने कहा था कि हमला बलूचिस्तान के सीमावर्ती शहर पंजगुर में हुआ था। ईरान की अर्ध-आधिकारिक तस्नीम समाचार एजेंसी ने कहा कि "इस ऑपरेशन का केंद्र बिंदु बलूचिस्तान में कोह-सब्ज़ (हरा पहाड़)" के नाम से जाना जाने वाला क्षेत्र था।

मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, कुकी उग्रवादियों ने सुरक्षा बलों के वाहन पर किया, कमांडो की गोली मारकर हत्या

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मणिपुर में हिंसा की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। मणिपुर में कुछ दिनों की शांति के बाद एक बार फिर हिंसा भड़क गई है। तेंगनोउपल जिले के सीमावर्ती शहर मोरेह में संदिग्ध कुकी उग्रवादियों ने सुरक्षा बलों के एक वाहन पर बुधवार को हमला कर दिया। इस दौरान उग्रवादियों के साथ सुरक्षा बलों की गोलीबारी हुई। जिसमें, एक पुलिस कमांडो की मौत हो गई है। रिपोर्ट के मुताबिक पुलिसकर्मी के गोली लगी थी। फिलहाल इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, संदिग्ध कुकी उग्रवादियों ने बुधवार की सुबह एसबीआई मोरेह के पास स्थित सुरक्षा बलों की एक चौकी को अपना निशाना बनाया है। उन्होंने चौकी पर गोलीबारी की और फिर बम फेंके। इस पर सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई में फायरिंग की है। इस दौरान उग्रवादियों और सुरक्षा बलों के बीच करीब एक घंटे तक जमकर गोलियां चलीं। इस मुठभेड़ में पुलिस के एक कमांडो को गोली लगी, जिससे उनकी मौके पर मौत हो गई है। मृतक की पहचान इंफाल पश्चिम जिले के मालोम निवासी वांगखेम सोमरजीत के रूप में हुई है। इस घटना के बाद सुरक्षा बलों ने पूरे इलाकों को घेर लिया और संदिग्धों की तलाश कर रही है।

मणिपुर में फिर हिंसा भड़कने के पीछे दो संदिग्धों की गिरफ्तारी मानी जा रही है। पुलिस ने 2 लोगों को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने उप संभागीय पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) सी आनंद की पिछले साल अक्टूबर में की गई हत्या मामले के दो मुख्य संदिग्धों फिलिप खोंगसाई और हेमोखोलाल माते को गिरफ्तार किया था। दोनों ने सुरक्षाकर्मियों के वाहनों पर गोलीबारी की थी जिसके बाद पुलिस ने उनका पीछा किया और उन्हें पकड़ लिया। इसके 48 घंटे के बाद ही कुकी समुदाय से जुड़े संदिग्ध उग्रवादियों ने सुरक्षा बलों की चौकी पर हमला बोल दिया।

मणिपुर सरकार ने तेंगनोउपल में शांति भंग होने, सार्वजनिक सद्भाव बिगड़ने और मानव जीवन एवं संपत्ति को गंभीर खतरे की आशंका संबंधी जानकारी मिलने के बाद 16 जनवरी को देर रात 12 बजे से पूर्ण कर्फ्यू लगा दिया था। तेंगनोउपल के जिला मजिस्ट्रेट की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि कर्फ्यू कानून-व्यवस्था लागू करने और आवश्यक सेवाओं से जुड़ी सरकारी एजेंसियों पर लागू नहीं होगा।

महात्मा गांधी की जगह अब नोट पर होगी प्रभु श्री राम की तस्वीर, RBI ने जारी किया नए सीरीज वाला नोट! हो रहा वायरल

22 जनवरी 2024 को अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होनी है। इसको लेकर देश में भी बहुत उत्साह है। वही इस बीच सोशल मीडिया पर प्रभु श्री श्रीराम और अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की तस्वीरों के साथ 500 रुपये के नोट का फोटो निरंतर वायरल हो रहा है। सोशल मीडिया पर प्रभु श्रीराम और अयोध्या में श्रीराम मंदिर के तस्वीरों के साथ वाला 500 रुपये के नोट को देखें तो 500 रुपये के नोट में जहां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तस्वीर है वहां वायरल हो रहे 500 रुपये के नोट में प्रभु श्रीराम की तस्वीर है तथा नोट के पीछे जहां लाल किले की फोटो है वहां अयोध्या में तैयार हो रहे राम मंदिर की तस्वीर है। सोशल मीडिया पर प्रभु श्रीराम के फोटो के साथ 500 रुपये का नोट ट्रेंड कर रहा है। 

वही एक ओर ये नोट वायरल हो रहा है लेकिन RBI की ओर से प्रभु श्रीराम के तस्वीर वाले 500 रुपये के नए सीरीज के नोट जारी किए जाने की कोई सूचना सामने नहीं आई है। सूत्रों के अनुसार, प्रभु श्रीराम की तस्वीरों के साथ वायरल हो रहा 500 रुपये का नोट फर्जी है। बैंकिंग सेक्टर के जानकार और वॉयस ऑफ बैंकिंग के फाउंडर अश्वनी राणा ने कहा, RBI की ओर से ऐसी कोई ना तो ऐलान किया गया है और ना जानकारी दी गई है। उन्होंने कहा कि ये एक फेक न्यूज है। RBI ऐसा कोई 500 रुपये के नए सीरीज का नोट जारी नहीं करने जा रहा है। हालांकि स्ट्रीट बज इसकी पुष्टि भी नहीं करता। लेकिन ऐसी तस्वीरें वायरल जरूर हो रही है।

वही ऐसा पहला अवसर नहीं है जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जगह किसी और तस्वीर के साथ 500 रुपये के नए सीरीज के नोट जारी किए जाने की बात सामने आई है। जून 2022 में ये बातें रिपोर्ट की जा रही थी कि RBI मौजूदा करेंसी और बैंक नोट में महात्मा गांधी की तस्वीर को बदलकर रवींद्रनाथ टैगोर एवं मिसाइल मैन पूर्व राष्ट्रपति एपीजे कलाम की तस्वीर वाले नए सीरीज के नोट छापने पर विचार कर रहा है। तत्पश्चात, RBI को इस खबर का खंडन करने के लिए सामने आना पड़ा। तब RBI ने कहा था कि ऐसा कोई प्रस्ताव RBI के सामने नहीं है।

स्टडी के लिए कनाडा जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में आई भारी गिरावट, जानें मोहभंग के पीछे की वजह

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भारत और कनाडा के संबंध पहले जैसे नहीं है। निज्जर की हत्या के बाद कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बयान के बाद से भारत-कनाडा के राजनयिक संबंध तल्ख हो गए हैं।कुछ महीनों पहले दोनों देशों के बीच बिगड़े संबंधों में अभी भी सुधार नहीं हुआ है। दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास का असर कई सेक्टर्स में दिख रहा है। दोनों देशों के बीच संबंधों में बढ़ती दूरी भारतीय स्टूडेंट्स का रुख भी बदल गया है।पहले हर साल बड़ी संख्या में भारतीय स्टूडेंट्स पढ़ने के लिए कनाडा जाते थे। पर जब से भारत और कनाडा के बीच विवाद हुआ है, तब से पढ़ने के लिए कनाडा जाने वाले भारतीय स्टूडेंट्स की संख्या में कमी हो गई है।

कनाडा जा कर पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में 86% तक की कमी आई है।पिछले साल जुलाई से सितंबर के बीच 1 लाख 8 हजार से ज्यादा भारतीय बच्चों को स्टडी परमिट दिया गया। वहीं, अक्टूबर से दिसंबर के बीच सिर्फ 14, 910 भारतीय बच्चों ने स्टडी परमिट के लिए आवेदन किया। इस तरह छात्रों की संख्या में 86 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई है।

छात्रों की संख्या में 86 फीसदी तक गिरावट

कनाडा के इमिग्रेशन मिनिस्टर मार्क मिलर ने कहा- कनाडा की तरफ से भारतीय छात्रों को जारी किए जाने वाले स्टडी परमिटों की संख्या में तेजी से गिरावट आई। 2023 की आखिरी तिमाही में ये गिरावट 86 फीसदी तक चली गई। कनाडा में सिख आतंकी की हत्या के बाद दोनों देशों के बीच हुए राजनयिक विवाद के चलते कम भारतीय छात्रों ने आवेदन किया है। यह संख्या जल्द ही बढ़ने की संभावना फिलहाल नहीं दिख रही है।

भारत-कनाडा के रिश्ते प्रभावित हुए

मंत्री मार्क मिलर ने कहा, भारत के साथ हमारे रिश्ते प्रभावित हुए हैं और उसके चलते नए आवेदनों को मंजूरी देने की क्षमता भी हमारी आधी ही रह गई है। अब कनाडा के 21 अधिकारी ही भारत में काम कर रहे हैं। भारत का स्टाफ कनाडा में पहले से ही कम था। डिप्लोमैट्स नहीं होने के कारण स्टूडेंट्स को कनाडा में पढ़ाई से जुड़ी कई जानकारियां नहीं मिल पाईं। बता दें कि 18 सितंबर 2023 को कनाडा ने भारत पर आतंकी निज्जर की हत्या का आरोप लगाया था। भारत ने आरोप को खारिज करते हुए 41 कनाडाई डिप्लोमैट्स को वापस जाने के लिए कहा था। 20 अक्टूबर को कनाडा ने अपने 62 में से 41 डिप्लोमैट्स को भारत से हटा दिया था।

भारतीय छात्रों के जाने से भरता रहा है कनाडा का खजाना

बता दें कि 2022 में कनाडा जाने वाले कुल छात्रों में 41 फीसदी भारतीय (2,25,835 छात्र) थे। इतनी बड़ी संख्या में छात्रों के जाने से कनाडा की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती है। अनुमान के मुताबिक सालाना लगभग 22 बिलियन कनाडाई डॉलर यानी 16.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर की कमाई होती है। भारतीय राशि में इतनी रकम 13.64 खरब रुपये होती है।

खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के लिए कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने अपने देश की संसद में भारत पर आरोप लगाया था। वहीं भारत ने इस आरोप को बेबुनियाद और बेतुका बताया था। इसी के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास पड़ गई थी।

बिलासपुर रेलवे स्टेशन में हादसा प्लेटफॉर्म में घुस गया इंजन, यात्रियों को जाने के लिए भी नहीं बची जगह, ट्रैक पार कर पहुंचे

 छत्तीसगढ़ के बिलासपुर रेलवे स्टेशन पर एक बड़ी दुर्घटना टल गई है. मंगलवार (16 जनवरी) की रात स्टेशन पर छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हो चुकी है. जानकारी के मुताबिक कोच से इंजन को अलग करने के बीच छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस सिग्नल तोड़कर स्टॉपर के ऊपर चढ़ गई. इस दुर्घटना के उपरांत यात्रियों में हड़कंप का माहौल पैदा हो गया है.

हालांकि, इस घटना में कोई भी जनहानि की कोई भी खबर नहीं है, लेकिन लोग इसे रेलवे प्रशासन की बड़ी लापरवाही भी कह रहे है. फिलहाल अभी रेलवे के किसी अधिकारी ने इस केस में कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है. मिली जानकारी के मुताबिक मंगलवार को दिल्ली से आ रही छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस जब बिलासपुर स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 8 पर आ चुकी है, तो उसका इंजन स्टॉपर (डेड एंड) से जाकर टकराया.

कई ट्रेनों के प्लेटफॉर्म नंबर में किया गया बदलाव

इस दुर्घटना में ट्रेन का इंजन क्षतिग्रस्त हो चुका है. टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि डेड एंड के आगे लगे टाइल्स उखड़ कर आगे जा गिरे. कहा जा रहा है कि छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस में घटना रात तकरीबन 8:30 बजे के आस-पास हुई. हादसे के बाद कई ट्रेनों के प्लेटफॉर्म नंबर में परिवर्तन कर दिया गया है. वहीं इससे पहले बालोद जिले के दल्लीराजहरा रेलवे स्टेशन पर 14 जनवरी को रात तकरीबन एक बजे एक मालगाड़ी पटरी से उतर गई थी, इससे प्लेटफॉर्म 1, 2 और 3 प्रभावित हुए थे.

इस हादसे की वजह से कई पैसेंजर ट्रेनें प्रभावित हुई थीं. वहीं एक महीने में अब यह दूसरी रेल दुर्घटना हुई है. जिसके साथ साथ मालगाड़ी के इंजन के डिरेल होने से रविवार सुबह अंतागढ़ से दुर्ग जाने वाली पैसेंजर ट्रेन के यात्रियों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा. पैसेंजर ट्रेन प्लेटफॉर्म पर न रुककर ट्रैक नंबर 4 पर रुक गई, जिस वजह से यात्रियों को ट्रेन तक जाने के लिए ट्रैक पार करके जाना पड़ गया.

ओडिशा में आज '22 जनवरी' जैसा जश्न का माहौल, जानिए जगन्नाथ मंदिर कॉरिडोर की क्या क्या है खास बात

वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर एवं उज्जैन में महाकाल मंदिर कॉरिडोर की तर्ज पर पुरी में भगवान जगन्नाथ मंदिर कॉरिडोर सज-धज कर तैयार हो गया है. ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक इस कॉरिडोर का उद्घाटन कर रहे हैं। देशभर के 90 मंदिरों एवं संस्थानों के प्रतिनिधियों को उद्घाटन कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए आमंत्रित किया गया है. ओडिशा सरकार ने अयोध्या के राम मंदिर उद्घाटन (22 जनवरी 2024 को प्रस्तावित) की भांति तैयारियां की हैं. दुनियाभर के मेहमानों को न्योता भेजा गया है. मंदिर को दिव्य और भव्य बनाने के लिए परिसर के चारों तरफ परिक्रमा कॉरिडोर विकसित किया गया है. इसे 800 करोड़ की लागत से डेवलप किया गया है.

उद्घाटन के पश्चात् यह कॉरिडोर आम जनता के लिए खुला रहेगा. इस प्रोजेक्ट के तहत 800 करोड़ रुपये की लागत से जगन्नाथ मंदिर की मेघनाद पचेरी (बाहरी दीवार) के चारों तरफ विशाल गलियारों का निर्माण किया गया है. इससे भक्तों को 12 वीं शताब्दी के मंदिर के सुव्यवस्थित तरीके से दर्शन करने में सहायता प्राप्त होगी. यह तीर्थयात्रियों को सुविधाएं भी प्रदान करेगा तथा मंदिर तथा भक्तों की सुरक्षा को मजबूत करेगा.

ओडिशा सरकार ने शहर में आज के लिए सरकारी अवकाश का ऐलान किया है. जिससे जगन्नाथ मंदिर हेरिटेज कॉरिडोर प्रोजेक्ट के उद्घाटन में सार्वजनिक हिस्सेदारी को प्रोत्साहन प्राप्त हो. यहां स्कूल एवं कॉलेज सहित सभी सरकारी कार्यालय और शैक्षणिक संस्थान 17 जनवरी को बंद रहेंगे. ओडिशा सरकार ने हेरिटेज कॉरिडोर श्री मंदिर परिक्रमा प्रोजेक्ट को लेकर विशेष तैयारी की है. सरकार का प्लान है कि यहां महीनेभर रोज लगभग 10 हजार श्रद्धालुओं को जुटाया जाए. नवीन पटनायक सरकार ने जिला कलेक्टरों को 22 जनवरी से हर पंचायत और नागरिक निकाय से पुरी तक भक्तों के आवागमन की व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है. इस उद्देश्य के लिए विशेष बजट आवंटित किया गया है.

22 जनवरी को प्रभु श्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा व अनुष्ठान के बाद अयोध्या घूमने का मन है तो यहां का भी कर सकते हैं प्लान, जानिए, डिटेल में

रामनगरी अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर लगभग पूरी तैयारी हो चुकी है। 22 जनवरी को राम मंदिर में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जायेगी। इस यादगार लम्हें का PM नरेंद्र मोदी एवं यूपी के CM योगी से लेकर कई बड़े दिग्गज राजनेता और हजारों साधु-संत गवाह होंगे। देश-दुनिया से लोग अयोध्या पहुंच रहे हैं। ऐसे में अगर आप भी अयोध्या घूमने का प्लान बना रहे हैं तो वहां घूमने लायक कई जगह हैं, जानिये अयोध्या में घूमने लायक जगह।

अयोध्या में कनक भवन बेहतरीन और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। पुरानी मान्यता है कि यह भवन भगवान श्री राम जी से विवाह के तुरंत बाद देवी सीता को महारानी कैकेयी द्वारा उपहार में दिया गया था। यह देवी सीता और भगवान राम का निजी महल है।

बहू बेगम का मकबरा

अयोध्या स्थित बहू-बेगम के मकबरे को पूर्वांचल का ताजमहल कहा जाता है। इसे अवध के तीसरे नवाब शुजाउद्दौला ने सैकड़ों साल पहले अपनी पत्नी की याद में यह मकबरा बनवाया था।

गुलाब बाड़ी

गुलाब बाड़ी शहर के सबसे सुंदर बगीचों में से एक है। यहां की हरियाली मनमोहक है। अवध के तीसरे नवाब शुजाउद्दौला और उनके परिजनों की यहां समाधि बानी हुई है। यहां शानदार मकबरा है, जो विशाल दीवारों से घिरा हुआ है। 8वीं सदी में इस बगीचे में रंगीन गुलाब की कई वेराइटी लगाई गई है। यहां की हरियाली में एक अजीब सा सुकून मिल सकता है।

तुलसी स्मारक भवन

महान संत-कवि गोस्वामी तुलसीदास जी के नाम तुलसी स्मारक भवन समर्पित है। यहां हर रोज प्रार्थना, भक्ति संगीत और धार्मिक प्रवचन आयोजित होते हैं। परिसर में स्थित अयोध्या शोध संस्थान के पास गोस्वामी तुलसीदास पर साहित्यिक रचनाओं का एक बड़ा भंडार है।

हनुमान गढ़ी

अयोध्या का हनुमानगढ़ी बहुत मशहूर है। यहां एक गुफा है जिसको लेकर कहा जाता है कि यहां हनुमान जी विराजते हें। यहां मन को एक अजीब सा सुकून का एहसास हो सकता है।

सरयू घाट

अयोध्या में सरयू घाट आकर्षण का केंद्र है। यह सरयू नदी के तट पर है। रामनवमी, दीपावली, विजयादशमी जैसे पर्व पर यहां हजारों की संख्या में लोग आते हैं।

नागेश्वरनाथ मंदिर

ऐसा कहा जाता है कि नागेश्वर नाथ मंदिर को भगवान राम के पुत्र कुश ने बनवाया था। माना जाता है जब कुश सरयू नदी में नहा रहे थें, तो उनका बाजूबंद खो गया था। बाजूबंद एक नाग कन्या को मिला जिसे कुश से लगाव हो गया। वह शिवभक्त थी। कुश ने उसके लिये यह मंदिर बनवाया था।

मोती महल

मोती महल फैजाबाद में एक स्मारक है। इसका अपना ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है। मोती महल को अक्सर “पर्ल पैलेस” कहा जाता है।

ब्रिटिश फोर्स ने यमन की थी बमबारी तो इस तथ्य के वहां के पीएम ऋषि सुनक के साथ खड़ा हुआ विपक्ष, लेकिन...

कुछ वर्ष पूर्व जब भारत ने सीमापार सर्जिकल स्ट्राइक कर आतंकियों के ठिकाने तबाह किए तब देश में कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल सबूत की मांग करने में लगे हुए थे. हालांकि ब्रिटेन में ऐसा ही एक वाकया सामने आया तो विपक्ष सरकार के साथ खड़ा हुआ दिखाई दिया. जी हां, पीएम ऋषि सुनक ने UK की संसद को सोमवार को बताया कि ब्रिटेन ने यमन में हूती ठिकानों पर अमेरिका के साथ मिलकर एयरस्ट्राइक भी कर दी थी. उन्होंने बताया कि ब्रिटिश जहाजों के लिए खतरा पैदा होने पर यह सीमित कार्रवाई की आवश्यकता थी.  रॉयल एयरफोर्स के चार टाइफून जेट ने पिछले सप्ताह अमेरिका के नेतृत्व में ईरान समर्थित विद्रोहियों के ठिकानों को टारगेट तक कर दिया था. वहीं से लाल सागर में जहाजों पर अटैक कर दिए गए थे. 

 सुनक ने ब्रिटिश सांसदों को कहा है कि हमारे लड़ाकू विमानों ने ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइलों की लॉन्च साइटों को टारगेट भी कर दिया है. UK का आकलन है कि सभी 13 टारगेट तबाह कर दिए गए और किसी भी आम नागरिक को नुकसान नहीं पहुंचा. उन्होंने बोला है कि इस कार्रवाई का मकसद हमला करने की हूतियों की क्षमता पर चोट करना था. यह एक सीमित और सिंगल ऐक्शन था और अब उम्मीद है कि हूती दोबारा हमला नहीं करेंगे. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अपने लोगों और देश के हित में जहां भी आवश्यकता पड़ेगी, हम हिचकिचाएंगे नहीं. 

समय नहीं मिला बताने का

 प्रधानमंत्री सुनक को सुनकर ब्रिटेन के मुख्य विपक्षी लेबर पार्टी के नेता कीर स्टार्मर ने बोला है कि वह बीते सप्ताह किए गए हमले का सपोर्ट करते हैं. खास बात यह है कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने संसद से परामर्श किए बगैर यह कार्रवाई की थी लेकिन उन्होंने विरोध नहीं किया. हालांकि कुछ छोटे विपक्षी दलों ने यह जरूर बोला है कि गवर्नमेंट को सैन्य कार्रवाई से पहले संसद में वोट करा लेना चाहिए था. इस पर सुनक ने जवाब दिया कि सुरक्षा के लिए जल्द ऐक्शन लेना जरूरी हो गया था इसलिए संसद के पास आने का मौका नहीं मिल पाया.

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पर रोक लगाने की मांग, इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर

#pil_demanding_stay_on_ayodhya_ramlala_pran_pratishtha 

अयोध्या के राम मंदिर में रामलला का प्राण प्रतिष्ठा समारोह मंगलवार से शुरू हो गया। इसे लेकर रामक्तों में उत्साह की लहर है। हालांकि , राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होने से पहले ही ये मामला अब कोर्ट पहुंच गया है। उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका(पीआईएल) दायर की गई है। 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पर रोक लगाने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गयी है। याचिकाकर्ता ने पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों प्राण प्रतिष्ठा पर रोक लगाने की भी मांग की है। साथ ही शंकराचार्य की आपत्तियों का हवाला देते हुए इसे सनातन परंपरा के खिलाफ बताया है।

गजियाबाद के भोला दास की ओर से दाखिल याचिका में आरोप है कि प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पर शंकराचार्य की आपत्ति है। इतना ही नहीं पूस के महीने में कोई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाते हैं। इसके अलावा याचिकाकर्ता ने ये भी कहा कि मंदिर अभी भी निर्माणाधीन है, पूरी तरह से मंदिर नहीं बना है, ऐसे में वहां भगवान की प्रतिष्ठा नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा का होना सनातन परंपरा के साथ असंगत होगा।

याचिका में यह भी कहा गया है कि बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव लाभ उठाने के लिए यह आयोजन कर रही है। पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी का इस प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होना संविधान के ख़िलाफ़ हैं। याचिका में कार्यक्रम को केवल चुनावी स्टंट कहा गया है।भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव में लाभ उठाने के लिए आयोजन कर रही है।

आपको बता दें कि पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने भी राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा पर सवाल उठाए थे। चारों शंकराचार्यों ने कार्यक्रम में शामिल न होने का फैसला किया है। शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद ने कहा था कि रामलला शास्त्रीय विधि से प्रतिष्ठित नहीं हो रहे हैं। उनका कहना था कि प्राण प्रतिष्ठा मुहूर्त के हिसाब से किया जाना चाहिए, भगवान की मूर्ती को कौन छुएगा कौन नहीं छुएगा, कौन प्रतिष्ठा करेगा कौन नहीं, इन बातों का ध्यान रखा जाना जरूरी है। इसके साथ ही शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी प्राण प्रतिष्ठा किए जाने पर सवाल उठाए थे।

कैसे हुई ऐतिहासिक नगरी अयोध्या की स्थापना, जानें इससे जुड़ी कुछ खास बातें

#ayodhya_ram_mandir_history 

भारतवर्ष में युगों य़ुगों से श्रीराम का नाम गूंज रहा है। श्रीराम हिन्दूओं के अराध्य हैं,भारतीय सभ्यता और संस्कृति के आधार हैं। ना जाने कितने ही पर्व त्योहार श्रीराम से जुड़े हैं। वैसे इन दिनों अयोध्या में भी त्योहार का वातारण है, तो क्यों ना हम भी अयोध्या के इतिहास से लेकर वर्तमान तक की एक झलक लें। आज हम बात करेंगे ऐतिहासिक नगरी अयोध्या के स्थापना की।

इस समय सबकी नजरें अयोध्या पर टिकी हैं। वर्षों के इंतजार के बाद श्रीराम लला अयोध्या में विराजमान होने जा रहे हैं। 22 जनवरी को श्रीराम लला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है।जिसको लेकर पूरे देश का माहौल राममय हो गया है। हो भी क्यों ना, अयोध्या जिसका धार्मिक महत्व है। कई शताब्दी से ये स्थली हिंदूओं का प्रमुख तीर्थ स्थल रही है। अयोध्या भारत के प्राचीन नगरों में से एक है। वेदों में अयोध्या को ईश्वर की नगरी बताया गया है, वहीं इसकी संपन्नता की तुलना स्वर्ग से की गई है। अयोध्या के स्थापना की कहानी पौराणिक है। हिंदू पौराणिक मान्याताओं के अनुसार अयोध्या सप्त पुरियों में से एक है। ये सप्तपुरी हैं अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, काशी, कांची, अंवतिका और द्वारका ये सभी सातों मोक्षदायिनी और पवित्र नगरियां यानी पुरियां हैं। 

चार वेदों में पहले अथर्ववेद में अयोध्या को ईश्वर का नगर माना है। उसी अयोध्या में भगवान राम का जन्म हुआ था। अयोध्या नगरी सरयू नदी के किनारे पर बसा हुआ है। बाल्मिकी रामायण में अयोध्या का विस्तार से वर्ण है। रामायण के अनुसार सरयू नदी के किनारे बसे अयोध्या की स्थापना सूर्य पुत्र मनु ने थी। अयोध्या की लंबाई 12 योजन और चौड़ाई 3 योजन थी। एक योजन में 12 किमी होते हैं, इसका अर्थ हुआ अयोध्या की सीमा 144 किमी लंबी और 36 किमी चौड़ी थी। 

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार अयोध्या कई शताब्दियों तक सूर्यवंश की राजधानी रही। सूर्यवंश की स्थापना मनु के पुत्र इक्ष्वाकु ने की थी। मनु का जन्म लगभग 6673 ईसा पूर्व में हुआ था। मनु ब्रह्रााजी के पौत्र कश्यप की संतान थे। मनु के 10 पुत्र हुए जिनमें- इक्ष्वाकु प्रतापी राजा हुए। इक्ष्वाकु कुल में कई प्रतापी राजा, मुनि और भगवान हुए है। इक्ष्वाकु कुल में भगवान राम का जन्म हुआ था। महाभारत काल तक अयोध्या पर सूर्यवंसी राजाओं का शासन रहा।

स्कंद पुराण के अनुसार जिस तरह से काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी है उसी प्रकार अयोध्या भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र पर विराजमान है। पौराणिक कथा के अनुसार मनु ब्रह्रााजी से अपने लिए एक नगर के निर्माण की बात को लेकर उनके पास पहुंचे, तब ब्रह्रााजी जी उन्हें भगवान विष्णु के पास भेजा। तब भगवान विष्णु ने मनु के लिए साकेतधाम का चयन किया। साकेतधाम के चयन के बाद ब्रह्रााजी और मनु के साथ विष्णुजी ने देवताओं के शिल्पकार विश्वकर्मा को भेज दिया। विष्णु जी ने महर्षि वशिष्ठ को भी भेजा। वशिष्ठ मुनि ने सरयू नदी के किनारे लीला भूमि का चयन किया। भूमि चयन के बाद देवशिल्पी नगर के निर्माण की प्रकिया आरंभ की। 

रामायण में अयोध्या का जिक्र कौशल जनपद के रूप में भी किया गया। भगवान राम के जन्म के समय इस नगर को अवध के रूप जाना जाता था। अयोध्या का एक नाम साकेत भी है। शताब्दीयों से खुद में गौरवशाली इतिहास को लपेटे इस नगर का अर्थ अजेय भी है। यानी जिसे जीता नहीं जा सकता।

कहते हैं कि भगवान श्रीराम के पुत्र कुश ने एक बार पुन: राजधानी अयोध्या का पुनर्निर्माण कराया था। इसके बाद सूर्यवंश की अगली 44 पीढ़ियों तक इसका अस्तित्व बरकरार रहा। महाभारत के युद्ध के बाद अयोध्या उजड़-सी गई लेकिन उस दौर में भी श्रीराम जन्मभूमि का अस्तित्व सुरक्षित था और लगभग 14वीं सदी तक बरकरार रहा। तथ्यों के मुताबिक, बाबर के आदेश पर सन् 1527-28 में अयोध्या में राम जन्मभूमि पर बने भव्य राम मंदिर को तोड़कर एक मस्जिद का निर्माण किया गया। जिसके बाद शुरू हुआ अयोध्या का विवाद। जो करीब पांच सौ सालों तक चला।