दिग्विजय के बाद कमलनाथ ने भी उठाए EVM पर सवाल, बोले- 'विधायकों को उनके गांव में 50 वोट मिले, ऐसा कैसे हुआ?'

 मध्य प्रदेश में समाप्त हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी शिकस्त के पश्चात् स्टेट यूनिट चीफ कमलनाथ पर सवाल उठाए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि वह आज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात करके अपने पद से इस्तीफा सौंप सकते हैं। इससे पहले ही मीडिया कार्मियों से चर्चा करते हुए उन्होंने EVM पर सवाल उठा दिए। उन्होंने कहा कि मुझे कुछ विधायक मिले हैं जो बोल रहे हैं कि उन्हें उनके अपने गांव में 50 मत प्राप्त हुए हैं, आखिर ऐसा कैसे हो सकता है। 

वही मीडिया ने कमलनाथ से पूछा कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस की हार की क्या वजह रही। इस पर उन्होंने कहा कि अभी हम चर्चा कर रहे हैं। सभी प्रत्याशियों को बुलाया गया है जिसमें हारने वाले और जीते हुए उम्मीदवार भी सम्मिलित हैं। इन लोगों से चर्चा करने के पश्चात् विचार किया जाएगा। कमलनाथ से सवाल पूछा गया कि नेता-प्रतिपक्ष EVM हैक किए जाने की बात कर रहे हैं, क्या आपको भी लगता है EVM हैक हुई है? इसके जवाब में उन्होंने कहा, 'पहले मैं सबकी बात सुन लूं। इस पर चर्चा कर लूं। इसके पश्चात ही किसी फैसले पर पुहंचना सही होगा। लेकिन, आप लोग भी जानते हैं कि क्या माहौल था तो मुझ से क्यों पूछ रहे हैं। आप जनता से पूछिए। मुझे आज सुबह ही कुछ MLA मिले। वे कह रहे हैं कि मुझे अपने गांव में 50 वोट प्राप्त हुए हैं। आखिर ऐसा कैसे हो सकता है।'

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि एग्जिट पोल तो माहौल बनाने के लिए तैयार किया गया था। कुछ लोगों को परिणाम पहले पता थे तो उसी हिसाब से एग्जिट पोल बनाया गया होगा। इससे पहले, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी EVM पर ठीकरा फोड़ा था। उन्होंने कहा कि चीप वाली किसी भी मशीन को हैक करना संभव है। साथ ही उन्होंने पोस्टल बैलेट वोट के आंकड़े साझा किए। दिग्विजय सिंह ने ट्वीट करके कहा, 'कुल 230 सीटों के आंकड़े आपके पास हैं। पोस्टल बैलेट के माध्यम से कांग्रेस और बीजेपी को पड़े वोटों का आंकड़ा विश्लेषण के लिए पेश है। यह सोचना चाहिए कि जब जनता वही है तो वोटिंग पैटर्न इतना कैसे बदल सकता है?' उन्होंने कहा कि पोस्टल बैलेट के माध्यम से कांग्रेस को वोट देने वाले और हम पर विश्वास जताने वाले मतदाताओं का धन्यवाद।

तीनों राज्यों में चुनाव जीतने वाले भाजपा सांसदों और मंत्रियों ने पद से दिया इस्तीफा, CM पोस्ट को लेकर और बढ़ा सस्पेंस !

मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ सहित 4 राज्यों में विधानसभा का चुनाव जीतने वाले सभी सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है। ये सभी लोग अब विधायक के रूप में कार्य करेंगे और अपने प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मजबूत करेंगे। सभी सांसदों ने आज यानी बुधवार (6 दिसंबर) को लोकसभा अधिकः के दफ्तर पहुंचकर इस्तीफा सौंप दिया। बता दें कि, भाजपा ने तीनों राज्यों में 21 सांसदों को मैदान में उतारा था, जिसमे से 11 ने जीत दर्ज की है। 

 इस फैसले के बाद अब मध्य प्रदेश, राजस्थान और छ्त्तीसगढ़ में सीएम पद को लेकर अटकलें और तेज हो चली हैं। दरअसल कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और प्रह्लाद पटेल ने मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ा था और उन्होंने जीते भी दर्ज की है। ऐसे में इनके इस्तीफे के बाद कयास तेज हैं कि क्या वे मुख्यमंत्री बनेंगे? वहीं, इन नेताओं के अलावा राजस्थान से राज्यवर्धन सिंह राठौर जैसे नेताओं ने भी चुनाव में जीत दर्ज की है। हालाँकि, १० सांसदों ने इस्तीफा दे दिया है, लेकिन अब तक बाबा बालकनाथ ने अपना त्यागपत्र नहीं सौंपा है, वे भी राजस्थान में CM पद की दौड़ में हैं।  

राजस्थान में विधानसभा चुनाव जीतने वाले सांसदों राज्यवर्धन सिंह राठौड़, दीया कुमारी और किरोड़ी लाल मीणा ने भी अपने पदों से त्यागपत्र दे दिया है। बता दें कि, राजस्थान में दीया कुमारी और किरोड़ी लाल मीणा भी सीएम पद की रेस में हैं। उधर, मंगलवार शाम पीएम नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह के बीच राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में नए सीएम को लेकर लंबा मंथन चला। इसके बाद माना जा रहा है कि इस बैठक में नाम तय कर लिए गए हैं, जो शनिवार या रविवार को विधायक दल की बैठक के बाद घोषित किए जा सकते हैं।

मध्य प्रदेश के जोबट गांव को पहली बार रेल कनेक्टिविटी, रतलाम झाबुआ सांसद ने ग्रामीणों के लिए ख़रीदे 100 टिकट

मध्य प्रदेश के जोबट गांव को मंगलवार को रेल कनेक्टिविटी मिल गई और जोबट और प्रताप नगर (वडोदरा) के बीच पहली ट्रेन शुरू हुई। अब जोबट से गुजरात तक का सफर भी ट्रेन से पूरा होगा, क्योंकि अलीराजपुर आने वाली ट्रेन को जोबट तक बढ़ा दिया गया है। रेल मार्ग का यह विस्तार अलीराजपुर के उन निवासियों के लिए परिवहन का एक सुविधाजनक और कुशल साधन प्रदान करेगा जो जोबट की यात्रा करना चाहते हैं। इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि इन दोनों शहरों के बीच कनेक्टिविटी भी बढ़ेगी, जिससे यात्रियों और स्थानीय अर्थव्यवस्था दोनों को लाभ होगा। जोबट से प्रतापनगर तक ट्रेन का टिकट 75 रुपये है जबकि बस यात्रा का किराया लगभग 200 रुपये है।

मंगलवार दोपहर करीब 2.05 बजे रतलाम-झाबुआ सांसद गुमानसिंह डामोर ने हरी झंडी दिखाकर ट्रेन को रवाना किया। यात्रा के पहले दिन 168 टिकटें बिकीं और 68 यात्रियों ने अलीराजपुर-प्रतापनगर तक यात्रा की। ट्रेन को हरी झंडी दिखाने के बाद सांसद डामोर ने कहा कि इस ट्रेन के शुरू होने से विकास को गति मिलेगी। अलीराजपुर के बाद, ट्रेनों ने छोटा उदयपुर-धार रेल परियोजना पर सेवा शुरू की और खंडाला और जोबट में भी पटरियों पर दौड़ना शुरू कर दिया। जोबट और खंडाला में रेलवे स्टेशन काफी समय पहले तैयार किए गए थे। उन्होंने ट्रैक का परीक्षण भी किया था। ट्रेन के संचालन की ही प्रतीक्षा थी और यह 5 दिसंबर को समाप्त हो गई। अलीराजपुर जिले के बाद खंडाला और जोबट में रुकते हुए ट्रेनें चलने लगीं। यह अनुमान लगाया गया है कि इस विकास से आर्थिक विकास में तेजी आएगी और जिले के सामान्य जीवन स्तर में सुधार होगा।

वडोदरा के प्रतापनगर स्टेशन और अलीराजपुर के बीच चलने वाली ट्रेन 09119 (मूल ट्रेन 59123) और ट्रेन 09120 (मूल ट्रेन 59124) को जोबट तक बढ़ा दिया गया है। ट्रेन करीब 80 से 90 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से मंगलवार को जोबट पहुंची। एकत्रित जन प्रतिनिधियों ने जयकारे लगाकर ट्रेन और लोको पायलट का स्वागत किया। ट्रेन मंगलवार दोपहर करीब 1:20 बजे जोबट पहुंची। ट्रेन को देखने के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीण भी रेलवे स्टेशन पहुंचे। 

भाजपा नेताओं के साथ सांसद गुमान सिंह डामोर ने अपने समर्थकों के साथ रेलवे स्टेशन का दौरा किया। टिकट खिड़की पर उन्होंने खंडाला गांव के 100 टिकटों के लिए 3000 रुपये का भुगतान किया। इसके बाद नई ट्रेन को हरी झंडी दिखाई गई। पहले दिन जोबट ने कुल 168 टिकटें बेचीं। उनमें से 68 को प्रतापनगर और अलीराजपुर भेजा गया। डामोर के मुताबिक केंद्र सरकार आदिवासी क्षेत्रों की उन्नति के लिए प्रतिबद्ध है. जोबट से ट्रेन सेवा शुरू होने से क्षेत्र के विकास में तेजी आएगी। स्वास्थ्य सेवाएँ, फल, सब्जियाँ, दुग्ध उत्पादन और कृषि उत्पादों की बिक्री सभी स्थानीय लोगों के लिए उपलब्ध होंगी। उन्होंने संभावना जताई कि इंदौर तक इस रेलवे लाइन के विस्तार का काम जल्द ही पूरा हो जाएगा। डामोर के अनुसार जोबट से ट्रेन सेवा शुरू होने पर क्षेत्र का विकास होगा। डामोर जोबट रेलवे स्टेशन भी गये। रेलवे के सीपीएम गतिशक्ति मुकेश कुमार ने ट्रेन शेड्यूल के संबंध में जानकारी दी।

MP में कांग्रेस की हार पर दिग्विजय सिंह ने उठाए EVM पर सवाल, बोले- 'चिप वाली किसी भी मशीन को हैक किया जा सकता'

मध्य प्रदेश सहित पांच प्रदेशों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गए हैं। भाजपा ने मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में सरकार बनाई है। तेलंगाना में कांग्रेस एवं मिजोरम में ZPM पार्टी सत्ता में आई है। चुनावी हार के पश्चात् नेताओं की प्रतिक्रियाएं आने लगी हैं। कांग्रेस नेता एवं राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश में हार के लिए EVM को जिम्मेदार ठहराया है। दिग्विजय ने कहा, चिप वाली किसी भी मशीन को हैक किया जा सकता है।

आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में 230 विधानसभा सीटों पर चुनाव हुए हैं। भाजपा ने 163 सीटें जीती हैं। कांग्रेस 66 सीटों पर सिमट गई है। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने 114 सीटों पर कब्जा किया था। भाजपा ने 109 सीटें जीती थीं। बाद में 2020 में सत्ता का उलटफेर हुआ तथा 22 विधायकों ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा जॉइन कर ली थी। शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बन गई थी। वही अब 2023 के चुनाव में कांग्रेस की बड़ी हार हुई है। जबकि भाजपा ने प्रचंड बहुमत हासिल किया है। परिणाम के 2 दिन पश्चात् कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का बयान ख़बरों में है। 

दिग्विजय सिंह ने कहा, चिप वाली किसी भी मशीन को हैक किया जा सकता है। मैंने 2003 से ही EVM के माध्यम से मतदान का विरोध किया है। क्या हम अपने भारतीय लोकतंत्र को पेशेवर हैकरों द्वारा नियंत्रित करने की अनुमति दे सकते हैं। यह मौलिक सवाल है, जिसका समाधान सभी राजनीतिक दलों को करना होगा। भारतीय चुनाव आयोग तथा सर्वोच्च न्यायालय, क्या आप कृपया हमारे भारतीय लोकतंत्र की रक्षा करेंगे? दिग्विजय ने एक अंग्रेजी अखबार का आर्टिकल भी साझा किया है। इससे पहले उन्होंने एक्स पर एक अन्य पोस्ट में लिखा, अब कुल 230 सीटों के आंकड़े आपके पास हैं। पोस्टल बैलेट के माध्यम से कांग्रेस और भाजपा को पड़े मतों की संख्या विश्लेषण के लिए प्रस्तुत है। सोचने की बात यह है कि जब जनता वही है तो वोटिंग पैटर्न इतना कैसे बदल गया?

खालिस्तानी आतंकी पन्नू की गीदड़ भभकी, दी संसद पर हमले की धमकी, कहा-दिल्ली बनेगा पाकिस्तान

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भारत सरकार के अधिकारी पर अमेरिका में खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू को मारने की कोशिश के आरोपों के बीच पन्नू ने एक और धमकी भरा वीडियो जारी किया है। इसमें पन्नू ने भारत की संसद की नींव को हिला देने की बात कही है। आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने धमकी दी है कि वह 13 दिसंबर को संसद भवन पर हमला करेगा। उसने भारत पर हमले का एक धमकी भरा वीडिया जारी किया है।

पन्नू ने इस वीडियो में कहा कि 'मेरी हत्या की साजिश नाकाम हुई है, मैं 13 दिसंबर को संसद भवन पर हमला करके उसका जवाब दूंगा।'खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने वीडियो में कहा कि भारतीय एजेंसियों ने उसकी हत्या की योजना बनाई थी, जो कामयाब नहीं हो पाई। अब हमले की योजना का जवाब वो 13 दिसंबर को संसद पर हमला करके देगा।' वीडियो में पन्नू ने संसद भवन पर हमले के आरोपी अफजल गुरु का पोस्टर भी जारी किया। इसमें लिखा है 'दिल्ली बनेगा पाकिस्तान'। 

आपको बता दें कि 2001 में 13 दिसंबर के ही दिन भारतीय संसद पर हमला हुआ था। ऐसे में पन्नू के 13 दिसंबर को चुनने की वजह इसी दिन संसद पर हुए हमले से जोड़कर देखा जा रहा है। 

पहले भी धमकी दे चुका है पन्नू

इससे पहले भी खालिस्तानी आतंकी पन्नू गीदड़ भभकी दे चुका है। उसने सिख लोगों से 19 नवंबर को एयर इंडिया की फ्लाइट से यात्रा न करने के लिए कहा था। उसने कहा था कि अगर एयर इंडिया से यात्रा करेंगे तो आपकी जान खतरे में पड़ जाएगी। पन्नूं ने आगे दावा किया था कि दिल्ली का इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट 19 नवंबर को बंद रहेगा और इसका नाम बदल दिया जाएगा।

अमेरिकी एजेंसियों ने लगाया था ये आरोप

बता दें कि अभी हाल ही में अमेरिकी एजेंसियों ने एक भारतीय शख्स को गिरफ्तार कर पन्नू की हत्या की साजिश नाकाम की थी, अमेरिकी एजेंसियों ने दावा किया था कि गिरफ्तार आरोपी भारतीय एजेंसियों के इशारे पर काम कर रहा था। हालांकि भारत ने इन आरोपों से साफतौर पर इनकार किया है। साथ ही जांच के लिए एक हाई लेवल कमेटी भी बनाई है। बता दें कि पन्नू ने साल 2007 में 'सिख फॉर जस्टिस' संगठन बनाया था। जुलाई 2020 में भारत ने पन्नू को आतंकी घोषित किया था. पन्नू आईएसआई की मदद से खालिस्तान की मुहिम चला रहा है।

हमास के बंधक इजराइली महिलाओं से रेप और अत्याचार पर भड़के नेतन्याहू, अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की चुप्पी पर उठाया सवाल

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हमास ने 7 अक्टूबर के हमले के बाद बंधक बनाई गईं इजरायली महिला सैनिकों के साथ क्रूरता की सभी सीमाओं को लांघ दिया। आतंकियों ने महिला सैनिकों को टॉर्चर करने के लिए हर वो तरीका अपनाया, जिसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती। कई इजरायली महिला सैनिकों के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। हमास की हैवानियत का खुलासा मृत इजरायली सैनिकों के शवों को दफनाने वाले डॉक्टरों और वॉलियंटर्स ने की है। उन्होंने जो भी बताया है, वह किसी भी इंसान को भावुक कर सकता है। इसे संयुक्त राष्ट्र के मंच पर भी साझा किया गया है, ताकि दुनिया को हमास की सच्चाई पता चल सके।हमास की इन दिल दहला देने वाली हरकतों पर इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों पर सवाल उठाए हैं। नेतन्याहू ने इजरायली महिलाओं के खिलाफ हमास द्वारा किए गए रेप और अन्य अत्याचारों के बारे में चुप्पी साधने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों, महिला समूहों और संयुक्त राष्ट्र की कड़ी आलोचना की है।

अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की चुप्पी पर उठाया सवाल

नेतन्याहू ने अपने आधिकारिक एक्स पर पोस्ट किया हौ। इसमें लिखा कि "मैं महिला अधिकार संगठनों, मानवाधिकार संगठनों से कहता हूं कि 'आपने इजराइली महिलाओं के रेप, भयानक अत्याचार, यौन उत्पीड़न के बारे में सुना है- आप कहां हैं?' नेतन्याहू ने इजराइली महिलाओं पर हुए हमास के अत्याचारों पर अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के चुप्पी पर उन्हें आड़े हाथों लिया। 

अत्याचार के खिलाफ बोलने की उम्मीद करता हूं- नेतन्याहू

इजरायली पीएम ने कहा मैं सभी सभ्य नेताओं, सरकारों, देशों से इस अत्याचार के खिलाफ बोलने की उम्मीद करता हूं। उन्होंने तेल अवीव में रक्षामंत्री योव गैलेंट और मंत्री बेनी गैंट्ज़ के साथ एक संवाददाता सम्मेलन में यह टिप्पणी की। 

”आप इस वजह से चुप हैं, क्योंकि वे यहूदी महिलाएं थी?”

नेतन्याहू ने कहा कि उन्होंने रिहा किए गए बंधकों और पहले भी बंधक बनाए गए लोगों के रिश्तेदारों से मुलाकात की। उन्होंने बताया, 'मैंने उनकी दिल दहला देने वाली कहानियां सुनी। मुझे दुष्कर्म की दर्दनाक कहानियां बताई गई। नेतन्याहू ने आगे कहा कि लेकिन इन सब में महिला संगठन या अन्य संगठन की तरफ से एक शब्द भी नहीं कहा गया। उन्होंने इन संगठनों से सवाल किया, आप इस वजह से चुप हैं, क्योंकि वे यहूदी महिलाएं थी?

हमास के खिलाफ दक्षिणी गाजा में हमले और तेज

बता दें कि संघर्ष विराम के बाद इजरायल में हमास के खिलाफ दक्षिणी गाजा में हमले और तेज कर दिए हैं। इजरायली सेना, आईडीएफ ने उत्तर के बाद दक्षिण गाजा पर हमले तेज किए हैं। गाजा के जल्दी पूरी तरह से आईडीएफ के नियंत्रण में जाने की संभावना के बीच इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने युद्ध के लक्ष्यों को दोहराया है। नेतन्याहू ने एक बार फिर हमास की कमर तोड़ने और हमास के सभी कमांडरों को खत्म करने की बात दोहराई है। साथ ही नेतन्याहू ने कहा है कि इजरायली सेना गाजा पट्टी में एक विसैन्यीकृत क्षेत्र बनाने के लिए काम करेगी।

*3 राज्यों में करारी हार और 'इंडिया' गठबंधन में उथल-पुथल के बीच विदेश यात्रा पर निकलने वाले हैं राहुल गांधी

#rahul_gandhi_to_visit_four_countries

देश के 5 राज्यों मिजोरम, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित हो चुके हैं। तेलंगाना को छोड़कर बाकी सभी राज्यों से कांग्रेस के लिए बुरे नतीजे सामने आए हैं। हार की समीक्षा करने के बजाय राहुल गांधी आज चार देशों की यात्रा पर निकलने वाले हैं।यही नहीं, राहुल गांधी ऐसे समय में विदेश यात्रा पर जा रहे हैं जब संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है। 

राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पार्टी की सरकार थी, लेकिन यहां भाजपा ने पूर्ण बहुमत हासिल करके कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया है। यही नहीं इस हार के बाद विपक्षी गठबंधन इंडिया में भी अनबन चल रही है जिसकी वजह से आज होने वाली बैठक को टाल दिया गया है। ऐसे में राहुल गांधी की इस यात्रा को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन के लिए इंडिया गठबंधन के सहयोगी कांग्रेस पर मनमानी करने, सहयोगी दलों को अपमानित करने और गठबंधन के लिए गंभीरता नहीं बरतने के आरोप लगा रहे हैं। सहयोगी दलों के कई नेताओं ने सार्वजनिक रूप से इस आशय का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस गठबंधन के प्रति गंभीर नहीं है। 

राहुल गांधी 8 दिसंबर से दक्षिण पूर्व एशियाई देशों की 7 दिवसीय यात्रा पर रहेंगे। वह 8 दिसंबर की शाम को मलेशिया पहुंचेंगे और 10 दिसंबर तक वहीं रहेंगे। इसके बाद वह 11 दिसंबर को सिंगापुर पहुंचेंगे और 12 दिसंबर तक वहीं रहेंगे। राहुल सिंगापुर के बाद 13 दिसंबर को जकार्ता पहुंचेंगे। वहीं, 14 दिसम्बर को राहुल हनोई जाएंगे। इसके बाद वह 15 दिसंबर की रात हनोई से दिल्ली के लिए रवाना होंगे। रिपोर्ट के मुताबिक, राहुल इन देशों के के कुछ विश्वविद्यालयों में भारतीय प्रवासियों और छात्रों के कार्यक्रमों को संबोधित करेंगे।

रेवंत रेड्डी होंगे तेलंगाना के नए मुख्यमंत्री, 7 दिसंबर को होगा शपथ ग्रहण समारोह

#revanthreddywillbethenextchiefministerof_telangana

कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है। ए रेवंत रेड्डी तेलंगाना के नए मुख्यमंत्री होंगे। वे 7 दिसंबर को सीएम पद की शपथ लेंगे। तेलंगाना में कांग्रेस को भारी जीत दिलाने वाले रेवंत रेड्डी को मंगलवार शाम औपचारिक रूप से कांग्रेस विधायक दल का प्रमुख चुन लिया गया। इससे पहले दिल्ली में हुई कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में उनके नाम पर मुहर लगी थी।पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने संवाददाताओं को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि विधायकों द्वारा पारित प्रस्ताव के आधार पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने रेड्डी के नाम का फैसला किया। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल के गठन के बारे में जानकारी बाद में दी जाएगी।

तेलंगाना में नवनिर्वाचित कांग्रेस विधायकों की सोमवार को बैठक हुई थी, जिसमें पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) का नेता नियुक्त करने के लिए अधिकृत किया गया था।कांग्रेस महासचिव वेणुगोपाल ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष ने तेलंगाना विधायक दल के नए सीएलपी के रूप में रेवंत रेड्डी के नाम पर मुहर लगाई है। वे ही राज्य के नए मुख्यमंत्री होंगे।

कौन हैं रेवंत रेड्डी?

कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को 'भारत जोड़ो' यात्रा के ज़रिये चुनाव लड़ने की प्रेरणा देने का श्रेय देने वाले रेवंत रेड्डी का जन्म महबूबनगर जिले के कोंडारेड्डी पल्ली में 8 नवंबर, 1969 को हुआ था। छात्र जीवन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य रहे रेवंत वर्ष 2006 में स्थानीय राजनीति में उतरे थे और पहली बार में ही निर्दलीय के तौर पर मिडजिल मंडल से जेडपीटीसी सदस्य चुने गए। अगले ही साल, यानी 2007 में वह निर्दलीय के तौर ही पहली बार विधान परिषद सदस्य चुने गए।रेवंत रेड्डी बाद में तेलुगूदेशम पार्टी प्रमुख (तथा आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री) एन. चंद्रबाबू नायडू से मुलाकात के बाद टीडीपी में शामिल हो गए। 2009 में उन्होंने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा, और टीडीपी प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस के पांच बार के विधायक गुरुनाथ रेड्डी को पराजित कर दिया। इसके बाद अविभाजित आंध्र प्रदेश से तेलंगाना विधानसभा के लिए वर्ष 2014 में उन्होंने एक बार फिर कोडांगल सीट से टीडीपी प्रत्याशी के रूप में गुरुनाथ रेड्डी को पराजित किया, और इसके बाद उन्हें टीडीपी की ओर से सदन में नेता चुन लिया गया।हालांकि, 25 अक्तूबर 2017 में टीडीपी ने रेवंत को इस पद से बर्खास्त कर दिया, जब पता चला कि वह कांग्रेस में शामिल होने वाले हैं। अंततः 31 अक्तूबर 2017 को रेवंत कांग्रेस के सदस्य बन गए।

रेवंत ने 2019 लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई। रेवंत तेलंगाना में कांग्रेस के उन तीन लोकसभा सांसदों में शामिल हैं, जिन्होंने 2019 में चुनाव जीता था। मल्काजगिरि सीट से उतरे कांग्रेस उम्मीदवार ने टीआरएस के एम राजशेखर रेड्डी को करीबी मुकाबले में 10 हजार से ज्यादा मतों से हराया। जून 2021 में रेवंत को बड़ी जिम्मेदारी मिली, जब कांग्रेस ने उन्हें अपनी तेलंगना प्रदेश इकाई का अध्यक्ष बना दिया। इस विधानसभा चुनाव में रेवंत तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के सामने चुनाव लड़े। यह मुकाबला कामारेड्डी विधानसभा सीट पर था। यहां रेवंत और केसीआर दोनों को भाजपा उम्मीदवार से हार झेलनी पड़ी। हालांकि, रेवंत ने दूसरी सीट कोडांगल से चुनाव जीत लिया।

बता दें कि तेलंगाना विधानसभा चुनाव 2023 के नतीजे 3 दिसंबर को घोषित किए गए थे।पार्टी ने के. चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) हैट्रिक के सपने को चकनाचूर कर दिया है। कांग्रेस ने 64 सीटों पर जीत हासिल की है, वहीं बीआरएस ने 39 सीटों पर जीत हासिल कर सकी है। आठ सीटों पर भाजपा और छह सीटों पर एआईएमआईएम ने जीत दर्ज की है। एक सीट पर भाकपा ने जीत हासिल की है।

हार के बाद कमलनाथ से नाराज है आलाकमान, एमपी कांग्रेस अध्यक्ष बने रहने पर संशय

#congress_asked_to_kamal_nath_to_resign_as_mp_congress_chief

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को मध्यप्रदेश में बड़ी हार का सामना करना पड़ा।रविवार को जारी चुनाव परिणाम में बीजेपी को 163 सीटें और कांग्रेस को मात्र 66 सीटों पर ही जीत मिली। वहीं, सत्ता की कुर्सी पर पहले से काबिज भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने परिणाम के तहत दो तिहाई बहुमत हासिल किया। पार्टी की हार के बाद से ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की अध्यक्षता पर सवाल उठने लगे हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि कमलनाथ प्रदेश अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे सकते हैं।

130 सीट जीतने का दावा करने वाली कांग्रेस 66 सीटों पर सिमट कर रह गई। इसके बाद हार के कारणों का पता लगाने के लिएकांग्रेस ने आज भोपाल में कांग्रेस पार्टी के कार्यालय में समीक्षा बैठक बुलाई गई।राजधानी दिल्ली रवाना होने से पहले कमलनाथ ने मंगलवार को पार्टी के सभी हारे और जीते उम्मीदवारों के साथ बैठक की। भोपाल में प्रदेश कार्यालय में हार की समीक्षा की गई। कमलनाथ ने सभी प्रत्याशियों से वन टू वन चर्चा की। कमलनाथ ने कहा, 'मुझे कुछ विधायकों ने बताया कि उन्हें अपने गांव में 50 वोट मिले। यह कैसे हो सकता है। जिसको पहले से परिणाम पता था, उसने एग्जिट पोल बनवाया होगा। एग्जिट पोल तो माहौल बनाने के लिए था। 

मिल रही जानकारी के मुताबिक कमलनाथ दिल्ली में खड़गे से मुलाकात कर सकते हैं। साथ ही उन्हें पार्टी की राज्य इकाई के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के लिए कहा जा सकता है। कमलनाथ को पद से हटाने की वजह मध्यप्रदेश में कांग्रेस की हार तो है ही। इसके अलावा चुनाव प्रचार के दौरान विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' को घटकों को लेकर उनके बयान की वजह से भी कांग्रेस आलाकमान कमलनाथ से नाराज है। चुनाव के दौरान कमलनाथ ने समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और जनता दल यूनाइटेड सुप्रीमो नीतीश कुमार सहित अन्य नेताओं के खिलाफ सीट बंटवारे को लेकर टिप्पणी की थी।

वहीं, पीसीसी चीफ कमलनाथ सोमवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलने पहुंचे थे। कहा जा रहा है कि आलाकमान कमलनाथ के पार्टी कार्यकर्ताओं से नहीं मिलने और सीएम शिवराज से मिलने की बात से भी नाराज है।

तीसरी सबसे बड़ी इकॉनमी बनने के लिए तैयार भारत, बनेगा ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग का केंद्र, पढ़िए, अमेरिकी रेटिंग एजेंसी की रिपोर्ट

एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स (S&P Global Ratings) ने मंगलवार को कहा कि भारत 2030 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी, लेकिन देश के लिए एक बड़ी परीक्षा 'विशाल अवसर' को अनलॉक करना और अगला बड़ा वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनना होगा। अमेरिका स्थित रेटिंग एजेंसी को उम्मीद है कि भारत अगले तीन वर्षों में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था होगी, जिसमें सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि चालू वित्त वर्ष में अनुमानित 6.4 प्रतिशत से बढ़कर 2026 तक 7 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी।

बता दें कि, मार्च 2023 को समाप्त वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.2 प्रतिशत बढ़ी। भारत की जीडीपी जून और सितंबर तिमाही में क्रमशः 7.8 प्रतिशत और 7.6 प्रतिशत बढ़ी। ये वृद्धि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जताए गए अनुमान से भी अधिक है। अब अमेरिकी रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि, 'भारत 2030 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार है, और हमें उम्मीद है कि यह अगले तीन वर्षों में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था होगी। एक सर्वोपरि परीक्षण यह होगा कि क्या भारत अगला बड़ा वैश्विक विनिर्माण केंद्र बन सकता है, ये एक विशाल अवसर है।''

एसएंडपी ने 'ग्लोबल क्रेडिट आउटलुक 2024: न्यू रिस्क, न्यू प्लेबुक' शीर्षक वाली अपनी रिपोर्ट में कहा कि, "एक मजबूत लॉजिस्टिक्स ढांचा विकसित करना भारत को सेवा-प्रधान अर्थव्यवस्था से विनिर्माण-प्रमुख अर्थव्यवस्था में बदलने में महत्वपूर्ण होगा।" वित्त वर्ष 2022-23 के अंत में 3.73 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के आकार के साथ भारत वर्तमान में अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान के बाद दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत को 2027-28 में तीसरी सबसे बड़ी जीडीपी के साथ 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का अनुमान लगाया है। एसएंडपी ने कहा कि श्रम बाजार की संभावनाओं को अनलॉक करना काफी हद तक श्रमिकों के कौशल बढ़ाने और कार्यबल में महिला भागीदारी बढ़ाने पर निर्भर करेगा। इन दोनों क्षेत्रों में सफलता से भारत को अपने जनसांख्यिकीय लाभांश का एहसास हो सकेगा।

एसएंडपी ने कहा कि एक तेजी से बढ़ता घरेलू डिजिटल बाजार अगले दशक के दौरान भारत के उच्च-विकास स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में विस्तार को बढ़ावा दे सकता है, विशेष रूप से वित्तीय और उपभोक्ता प्रौद्योगिकी में, ऑटोमोटिव क्षेत्र में, भारत विकास, बुनियादी ढांचे पर निर्माण, निवेश के लिए तैयार है। एसएंडपी ने आगे कहा कि 2024 में 50 से अधिक देशों में चुनाव (राष्ट्रपति और/या विधायी) होने हैं, जिनमें से कई के वैश्विक प्रभाव हो सकते हैं। युद्ध में फंसे रूस और यूक्रेन दोनों में, जो जल्द ही अपने तीसरे वर्ष में प्रवेश करेगा, मार्च में राष्ट्रपति चुनाव होंगे।

एसएंडपी ने कहा कि नवंबर में अमेरिकी राष्ट्रपति और विधायी चुनाव मध्य पूर्व और रूस-यूक्रेन दोनों स्थितियों में अनिश्चितता की एक परत जोड़ रहे हैं, यूक्रेन और इज़राइल के लिए अतिरिक्त फंडिंग के समर्थन के संबंध में कांग्रेस में अलग-अलग स्थिति है। इसमें आगे कहा गया है कि इंडोनेशिया, भारत, दक्षिण अफ्रीका और मैक्सिको सहित कई उभरते बाजारों में 2024 में चुनाव होंगे। नीतिगत पूर्वानुमान का निम्न स्तर निवेशकों की भावना को कमजोर कर सकता है और मौजूदा निवेश क्षमता को पटरी से उतार सकता है। एसएंडपी ने कहा कि, उभरते बाजारों को अभी भी संरचनात्मक अवसरों से लाभ उठाने के लिए काम करना है। उदाहरण के लिए, इन विकासशील रुझानों में निवेश आकर्षित करने के लिए नीति दृश्यता बढ़ाना महत्वपूर्ण होगा।