दिल्ली एनसीआर में पिछले दो दिनों से हो रही बारिश,इसके वावजूद पराली की आग से फैल रहे प्रदूषण पर कोई असर नही

नई दिल्ली:- दिल्ली एनसीआर में पिछले दो दिनों से हो रही बारिश ने मौसम को तो ठंडा कर दिया, लेकिन पारली की आग को शांत नहीं कर पाई। दो दिन की बारिश के बाद भी दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण की समस्या बरकरार है। 

बारिश के बाद अब धीरे-धीरे ठंड भी बढ़ने लगी है, ऐसे में दिल्ली-एनसीआर वालों पर दोहरी मार पड़ रही है। एक तरफ प्रदूषण और दूसरी तरफ ठंड के तेवर से लोग परेशान होने लगे हैं। दिल्ली के साथ साथ एनसीआर के भी कई इलाकों में हवा की गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में शामिल हो गई है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में बुधवार को सुबह वायु गुणवत्ता का स्तर 350 के पार चला गया है। आनंद विहार में एक्यूआई 320, आरके पुरम में 410, पंजाबी बाग में 444 और आईटीओ में 422 रहा। मौसम विभाग के अनुसार, बुधवार को भी दिल्ली के कुछ इलाकों में हल्की बारिश होने की संभानवा है।

नौ साल में दूसरी बार सबसे ज्यादा प्रदूषण

इस साल नवंबर में 13 साल के दौरान सर्वाधिक वर्षा दर्ज की गई है, बावजूद इसके राजधानी को एक भी दिन साफ हवा नहीं मिल पाई है। मंगलवार तक माह के 28 दिनों के दौरान हर रोज ही एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) "खराब", "बहुत खराब", "गंभीर" एवं "अत्यंत गंभीर" श्रेणी में रहा है। 2015 से लेकर 2023 तक नौ साल में यह माह दूसरा सबसे प्रदूषित रहा है।

वर्षा ने तोड़ा रिकॉर्ड 

मौसम विभाग के मुताबिक नवंबर की वर्षा ने पिछले बारह साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली की मानक वेधशाला सफदरजंग में इस माह अभी तक 17.3 मिलीमीटर बारिश हुई है। यह सामान्य से 188 प्रतिशत ज्यादा है। नवंबर में सामान्य तौर पर 6.0 मिमी वर्षा होती है। इससे पूर्व नवंबर 2010 में 26 मिमी वर्षा हुई थी।फिर 2011 से लेकर 2023 तक इस बार सर्वाधिक वर्षा दर्ज की गई है।

दिल्ली में नाममात्र वर्षा

पिछले चार साल में तो दिल्ली में नाममात्र की ही वर्षा हुई थी। वर्ष 2022 और 2021 में तो पानी की एक बूंद भी नहीं टपकी थी। जबकि, वर्ष 2020 में 0.6 और वर्ष 2019 में 0.8 मिमी बरसात ही हुई थी। इस हिसाब से देखा जाए तो इस बार नवंबर में अच्छी खासी वर्षा हुई है। वर्षा के चलते ही इस बार दीवाली का दिन भी पिछले कई सालों में सबसे ज्यादा साफ-सुथरा रहा था

दिल्ली की हवा खराब

लेकिन इसे विडंबना ही कहें या कुछ फिर और... रिकॉर्ड वर्षा के बाद भी दिल्ली वासी लगभग पूरे माह ही प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर रहे। "अच्छी", "संतोषजनक" और "मध्यम" श्रेणी के एक्यूआइ वाला दिन तो एक भी रहा ही नहीं, "खराब" श्रेणी के दिन भी घट गए। मतलब, पूरे माह अधिकांश दिन या तो "बहुत खराब" श्रेणी वाले रहे या "गंभीर" श्रेणी वाले।

ये हैं दिल्ली के आंकड़े

सीपीसीबी द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार औसत एयर इंडेक्स की बात करें तो वर्ष 2015 में यह 358, 2016 में 374, 2017 में 361, 2018 में 335, 2019 में 312, 2020 में 328, 2021 में 380, 2022 में 321 और 2023 में 28 दिनों का 375 दर्ज किया गया है। मतलब यह कि 2021 के बाद इस साल नवंबर का औसत एयर इंडेक्स सबसे अधिक रहा है।

कार्बन की समस्या

नवंबर महीने में दिल्ली को आसपास के राज्यों में पराली जलाने के कारण लंबी दूरी की धूल और घुसपैठ कार्बन की समस्या का सामना करना पड़ता है। 2015 से 2023 तक के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि नवंबर के दौरान वर्षा के साथ-साथ हवा की रफ्तार भी बहुत मायने रखती है। लेकिन पश्चिमी विक्षोभों के अभाव में माह के ज्यादातर दिन शुष्क रहे। वर्षा ने रिकार्ड तोड़ा जरूर लेकिन गिनती के दिनों में। ऐसे में नियामक एजेंसियों द्वारा स्थानीय उत्सर्जन भार में मात्रात्मक कमी का प्रदर्शन किया जाना आवश्यक है।

उत्तरकाशी के टनल में 17 दिनों से फंसे सभी मज़दूरों का रेस्क्यू सफल, पीएम मोदी ने कहा-,मज़दूरों का धैर्य और साहस लोगों के लिए प्रेरणा बनेगा

(डेस्क खबर)

नई दिल्ली: 17 दिन बाद चारधाम के लिए पहाड़ काटकर सुरंग के अंदर बन रहे मार्ग के धंस जाने के कारण सभी 41 मज़दूरों का रेस्क्यू हो गया। सभी सुरिक्षत और स्वस्थ हैं सभी की प्राथमिक जांच और उनके स्वास्थ्य की देख रेख के लिए तत्काल अस्पताल में रखा गया।

इस ओपरेशन के बाद सुरंग से बाहर निकले मज़दूरों ने भारत माता की जय का नारा लगाया साथ हीं कहा मोदी है तो मुमकिन है।इस बीच पीएम मोदी ने एक्स (ट्विट) पर लिखा,-- 'उत्तरकाशी में हमारे श्रमिक भाइयों के रेस्क्यू ऑपरेशन की सफलता हर किसी को भावुक कर देने वाली है। टनल में जो साथी फंसे हुए थे, उनसे मैं कहना चाहता हूं कि आपका साहस और धैर्य हर किसी को प्रेरित कर रहा है। मैं आप सभी की कुशलता और उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं।'

प्रधानमंत्री ने आगे लिखा, - 'यह अत्यंत संतोष की बात है कि लंबे इंतजार के बाद अब हमारे ये साथी अपने प्रियजनों से मिलेंगे। इन सभी के परिजनों ने भी इस चुनौतीपूर्ण समय में जिस संयम और साहस का परिचय दिया है, उसकी जितनी भी सराहना की जाए वो कम है। 

मैं इस बचाव अभियान से जुड़े सभी लोगों के जज्बे को भी सलाम करता हूं। उनकी बहादुरी और संकल्प-शक्ति ने हमारे श्रमिक भाइयों को नया जीवन दिया है। इस मिशन में शामिल हर किसी ने मानवता और टीम वर्क की एक अद्भुत मिसाल कायम की है।'

प्रथम मज़दूर को सुरंग से बाहर निकलने पर उत्तरखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने बात भी की। धामी ने मजदूरों के साथ वीडियो शेयर करते हुए लिखा, 'यह धैर्य, परिश्रम और आस्था की जीत हुई है।' वहीं केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह और राज्य के चीफ मिनिस्टर घटनास्थल पर मौजूद रहे।

इधर X ( ट्वीटर) पर यह घटना ट्रेन्डिंग न्यूज के रूप में पूरी दुनिया में देखा जा रहा है।जितना आम जनता में इस सफलता पर खुशी है। उतना हीं इस सफलता पर सरकार भी मज़दूरों का धैर्य,वचाव टीम पर नाज कर रहे है।मज़दूर तो इसे अपना पुनर्जन्म मां कर चल रहे हैं।

हेल्थ टिप्स: डायबिटीज के मरीज अपने डायट में शामिल करे ये 4 चीजें,कंट्रोल में रहेगी हाई ब्लड शुगर


 दिल्ली: डायबिटीज यानी मधुमेह आज दुनिया में फैल रही बीमारी में से एक है।डायबिटीज एक मेटाबॉलिक बीमारी है, जिससे दुनियाभर में लाखों लोग प्रभावित है. डायबिटीज की एक वजह हमारा खराब खानपान और लाइफस्टाइल भी है।डायबिटीज की बीमारी को पूरी तरह से खत्म तो नहीं किया जा सकता लेकिन इसे कंट्रोल में करके सामान्य जिंदगी को जिया जा सकता है.

सिर्फ भारत भर में पिछले 4 सालों में 44 फीसदी डायबिटीज की बीमारी बढ़ी है. हेल्दी लाइफस्टाइल और रेग्युवर एक्सरसाइज के साथ आयुर्वेद की जड़ी बूटियां भी डायबिटीज को रोकने में फायदा कर सकती हैं।आपको बता दें कि डायबिटीज का कोई ज्ञात इलाज नहीं है, इसे लाइफस्टाइल और खान-पान में बदलाव करके कंट्रोल किया जा सकता है. तो चलिए जानते हैं कुछ ऐसे ही फूड्स के बारे में जिन्हें डायबिटीज में खाना फायदेमंद हो सकता है।

करेला

आयुर्वेद में लंबे समय से करेले को डायबिटीज के लिए इस्तेमाल में लाया जा रहा है. इसमें पॉलीपेप्टाइड-पी नामक इंसुलिन जैसा कंपाउंड होता है, जो ब्लड शुगर के लेवल को कम करने में मदद करता है. करेला ग्लूकोज के उपयोग को बेहतर बनाने में भी सहायता करता है, जिससे यह डायबिटिक मरीजों के लिए बेहतर है.

जामुन

जामुन का हाइपो-ग्लेसेमिक इफेक्ट ब्लड शुगर के लेवल को कम करने में मदद करता है. इसमें एंथोसायनिन, एलाजिक एसिड और पॉलीफेनोल्स जैसे बायोएक्टिव कंपाउंड होते हैं, जो ब्लड शुगर को कम करने में मदद करते हैं.

गिलोय

गिलोय भी डायबिटीज के मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है. ये शरीर में ब्लड शुगर को रेग्युलेट करने में मदद करता है. गिलोय में एंटी इंफ्लामेशन गुण भी होते हैं. डायबिटीज के कंट्रोल रखने के लिए डाइट में गिलोय के पानी को शामिल रहते हैं.

आंवला

आयुर्वेद में आंवला काफी अहम माना जाता है. ये शरीर में ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए बेहद फायदेमंद है. यह विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है, जो पैनक्रिटीट फंक्शन को बेहतर करने में मदद करता है. आंवला ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और इंफ्लामेशन को कम करने में मदद करता है. ये दोनों ही चीजें डायबिटीज से जुड़ी होती हैं.

कार्तिक पूर्णिमा,देव दीपावली और गुरुनानक जयंती के कारण आज का दिन है विशेष


 नयी दिल्ली :- हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा के दिन को बहुत पवित्र माना गया है. इस दिन देव दीपावली और गुरुनानक जयंती भी होती है. धार्मिक ग्रंथों के जानकार अंशुल पांडे से जानते व समझते हैं इस दिन का शास्त्रीय पक्ष.

आज का दिन विशेष, कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली और गुरुनानक जयंती, जानिए इस दिन का शास्त्रीय पक्ष 

 कार्तिक पूर्णिमा 2023 त्रिपुरारी या कार्तिक पूर्णिमा और गुरुपरब

कार्तिक मास को पड़ने वाली पूर्णिमा को अत्यंत पवित्र माना गया है. विशेष रूप से उत्तर भारत में इस दिन गंगास्नान का बहुत महत्व है. वैसे तो देश देहात में बसे लोग प्रत्येक पूर्णिमा और एकादशी के दिन गंगा या आस पास की नदियों में स्नान करने जाते हैं पर इस दिन गंगा स्नान अति पवित्र माना जाता है।

चलिए अब इसके शास्त्रीय स्वरूप पर दृष्टि डालते हैं।

नारद पुराण (पूर्वभाग-चतुर्थ पाद, अध्याय क्रमांक 124) के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा को सम्पूर्ण शत्रुओं पर विजय पाने के लिये कार्तिकेय जी का दर्शन करें. उसी तिथि को प्रदोषकाल में दीप–दान के द्वारा सम्पूर्ण जीवों के लिये सुखदायक 'त्रिपुरोत्सव' करना चाहिये. उस दिन दीप का दर्शन करके मोक्ष को प्राप्त करते हैं. उस दिन चन्द्रोदय के समय छहों कृत्तिकाओं की, खड्गधारी कार्तिकेय की तथा वरुण और अग्नि की गन्ध, पुष्प, धूप, दीप, प्रचुर नैवेद्य, उत्तम अन्न, फल तथा शाक आदि के द्वारा एवं होम द्वारा पूजा करनी चाहिए।

इस प्रकार देवताओं की पूजा करके घरसे बाहर दीप-दान करना चाहिये. दीपकों के पास ही एक सुन्दर चौकोर गड्डा खोदे. उसकी लंबाई- चौड़ाई और गहराई चौदह अंगुलकी रखें. फिर उसे चन्दन और जल से सींचे. तदनन्तर उस गड्ढे को गाय के दूध से भरकर उसमें सर्वाङ्गसुन्दर सुवर्णमय मत्स्य डालें. उस मत्स्य के नेत्र मोती के बने होने चाहिये. फिर 'महामत्स्याय नमः' इस मन्त्र का उच्चारण करते हुए गन्ध आदि से उसकी पूजा करके ब्राह्मण को उसका दान कर दें।

यह क्षीरसागर-दान की विधि है. इस दान के प्रभाव से मनुष्य भगवान विष्णु के समीप आनंद भोगता है. इस पूर्णिमा को 'वृषोसर्गव्रत' तथा 'नक्तव्रत' करके मनुष्य रुद्र—लोक प्राप्त कर लेता है.

व्रतुत्सव चंद्रिका अध्याय क्रमांक 31 अनुसार, प्राचीन काल से यह कतकी या कार्तिकी के नाम से प्रचलित है. इस दिन विष्णु का मत्स्य अवतार भी हुआ था. पवित्रता के पीछे एक कहानी है की इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक असुर का वध कर दिया था. त्रिपुर ने चारों तरफ आतंक और उत्पात मचा रखा था. उसने कठोर तपस्या द्वारा यह वरदान प्राप्त किया था कि उसे न तो कोई पुरुष मारेगा न कोई स्त्री, न देवता न राक्षस. उसे केवल वही व्यक्ति मारेगा जो मातपिता रहित है. त्रिपुर हालांकि अमरत्व ही चाहता था पर ब्रह्मा ने कहा कि वे ऐसा वरदान देने में सक्षम नहीं. तो त्रिपुर को इसी से सन्तुष्ट होना पड़ा. पर उसका उत्पात बढ़ता गया.देवताओं को उसने अपना द्वारपाल बना लिया. चारों तरफ त्राहि त्राहि मची थी.

नारद एक दिन त्रिपुर के पास पहुंचे. उनका जाना हमेशा सकारण होता है. हालचाल पूछने के बाद त्रिपुर ने नारद से जानना चाहा कि क्या उसके समान अन्य कोई शक्तिशाली है क्या. यह जानकर की वही सबसे अधिक शक्तिशाली है, वह और विध्वंसक हो गया. 

दूसरी तरफ नारद देवताओं के पास जाकर उनसे यह कह आए की आप यह आतंक क्यों सहन कर रहे हैं. देवताओं ने उपाय रूप में पहले अप्सराओं को त्रिपुर को जाल में फसाने के लिए भेजा. जब बात नहीं बनी तो ब्रह्मा के पास गए. ब्रह्मा ने बताया कि वरदाता तो वे स्वयं हैं तो कुछ नहीं कर सकते. देवता तब विष्णु के पास गए. विष्णु ने तब देवताओं को बताया कि वास्तव में भगवान शिव पर वे सारी बातें लागू होती हैं जो त्रिपुर को मारने के लिए आवश्यक हैं. तब सब देवताओं ने महादेव को मनाया और वे मान भी गए.

महादेव धनुष–बाण लेकर असुरों को मारने लगे. इसके बाद महादेव ने सारे राक्षस असुर और स्वयं त्रिपुर को मार गिराया और देवताओं को पुनः अमरावती उनके सुपुर्द कर दी. 

इस कथा का उल्लेख मैंने अपनी पुस्तक में विस्तार से किया है. इसलिए आज का दिवस पवित्र माना जाता है. इस दिन गंगा–स्नान के बाद दान पुण्य करने से सारे पाप कष्ट नष्ट हो जाते हैं.

कार्तिक पूर्णिमा के दिन को हमारे सिख भाई बहन गुरूपरब के रूप मे भी मनाते हैं. 

इस दिवस गुरुनानक का भी जन्म हुआ था. आज के दिवस को लोग ”देव दीपावली” भी कहते हैं. यह दीपावली और कार्तिक मास का अंतिम दिवस भी है।

केंद्र सरकार ने आयुष्मान भारत योजना को लेकर लिया बड़ा फैसला अब आयुष्मान आरोग्य मंदिर होगा आयुष्मान भारत स्वास्थ्य कल्याण केंद्रों का नाम


नई दिल्ली:- केंद्र सरकार ने आयुष्मान भारत योजना को लेकर बड़ा फैसला लिया है। सरकार के फैसले के बाद राज्यों में आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों का नाम बदला जाएगा। 

सरकार ने बताया है कि अब राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इन केंद्रों का नाम बदलकर आयुष्मान आरोग्य मंदिर रखा जाएगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे लागू करने के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को पत्र भेजा है।

'आरोग्यम परमं धनम'

राज्यों को एबी एचडब्ल्यूसी पोर्टल पर नये नाम वाले इन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की तस्वीरें अपलोड करने को कहा गया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) का लोगो केंद्रों में बरकरार रखा जाएगा। नये नाम वाले एबी एचडब्ल्यूसी की नई टैगलाइन आरोग्यम परमं धनम होगी।

25 नवंबर को भेजे गये इस पत्र में मंत्रालय ने कहा कि ये केंद्र बीमारी से आरोग्यता की ओर की सोच और स्वास्थ्य देखभाल को ले जाने में सफल रहे हैं। अब एक कदम आगे बढ़ते हुए आयुष्मान भारत के सपने को साकार करने के लिए योजना का नाम बदलने का फैसला किया गया।

पत्र में क्या कुछ कहा गया

पत्र के अनुसार, यदि ब्रांडिंग के लिए हिंदी, अंग्रेजी के अलावा अन्य लिपियों का इस्तेमाल किया जाना हो तो उस नाम का राज्य की भाषाओं में सटीक अनुवाद किया जाना चाहिए। 

पत्र में वर्तमान केंद्रों के नाम को बदलने के लिए प्रति केंद्र 3000 रुपये की धनराशि प्रस्तावित की गई है।

हेल्थ टिप्स:अगर शरीर में हैं कैल्शियम की कमी तो खाइए, ये कैल्शियम रिच फूड,बनेंगी हड्डियां मजबूत


दिल्ली:कैल्शियम हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी है खासकर हड्डियों, मांसपेशियों और दांतों की मजबूती के लिए।कैल्शियम से भरपूर फूड्स हेल्दी बॉडी और हेल्दी बोन्स के लिए कैल्शियम के महत्व के बारे में सभी जानते हैं। समय-समय पर रिसर्च और स्टडीज में बार-बार यह बात दोहरायी जाती रही है कि, शरीर के लिए जरूरी पोषण के लिए सभी प्रकार के विटामिन और मिनरल्स की जरूरत होती है।

हड्डियों की मजबूती के लिए कैल्शियम (calcium) और विटामिन डी (Vitamin D) की जरूरत होती है. अगर शरीर में कैल्शियम की कमी रहती है तो हड्डियां कमजोर होने लगती है. हड्डियों में कमजोरी आने पर गठिया, ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियां हो जाती है।

डेली डाइट में संतुलित भोजन की तरह कैल्शियम वाले खाद्य पदार्थ भी शामिल होने चाहिए. अगर आप अपनी डाइट में कैल्शियम वाले फूड शामिल नहीं करते हैं, तो यहां जान लें कौन-कौन से फूड कैल्शियम का निर्माण करते हैं. 

डेयरी खाद्य पदार्थ

शाकाहारी लोगों के लिए कैल्शियम के लिए दूध, दही, पनीर सबसे अच्छे फूड होते हैं. डेयरी खाद्य पदार्थ में पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है. दूध, दही और पनीर को अपनी डाइट में आप कई तरह से शामिल कर सकते हैं. नाश्ते और रात के खाने में दूध का सेवन ज्यादा फायदेमंद होता है.

रागी फूड

वैसे तो सामान्य डाइट में रागी फूड का सेवन बहुत कम होता है. लेकिन वजन कम करने और प्रोटीन और कैल्शियम की कमी को पूरा करने के लिए रागी का सेवन करने की सलाह लगभग सभी डाइट एक्सपर्ट्स देते हैं. हड्डियों की मजबूती के लिए रागी का सेवन लाभदायक होता है.

अंडा है कैल्शियम का स्रोत-

अगर आप अंडा खाते हैं तो आपके लिए कैल्शियम का सबसे अच्छा स्रोत इससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता है. अंडे के पीले भाग में कैल्शियम के अलावा कई अन्य जरूरी पोषक तत्व पाये जाते हैं.

सहजन

आयुर्वेद के अनुसार सहजन के सेवन से कैल्शियम की कमी दूर होती है. सहजन की पत्ती और फल दोनों में कैल्शियम की कमी दूर करने का गुण पाया जाता है. दूध से कई गुना ज्यादा कैल्शियम सहजन में पाया जाता है.

फलियां और बींस

हरी सब्जियों में भी कैल्शियम की मात्रा होती है. सबसे ज्यादा हरी बींस और फलियों वाली सब्जियों में कैल्शियम की मात्रा पायी जाती है.

मशरूम खाएं

अगर शरीर की हड्डियां कमजोर हो रही हैं, तो आपको अपनी डाइट में मशरूम को शामिल करना चाहिए. मशरूम में पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है.

दिल्ली के इस मार्केट में मिलते है सर्दी के सबसे सस्ते कपड़े ₹50 में स्वेटर, ₹300 में जैकेट...


दिल्लीः- ठंड़ का मौसम शुरू होते ही अक्सर लोगो को गर्म कपड़ो की जरूरत होती है और वो ऐसी मार्केट ढुंढने लगते है जहां से वो कम पैसों में ढेर सारी शॉपिंग कर सकते है।राजधानी दिल्ली शॉपिंग करने के मामले में काफी मशहूर है, यहां आपको खरीदारी करने के लिए कई छोटे बड़े मार्केट मिल जाएंगे. अब ठंड का सीजन शुरू हो गया है, तो विंटर की शॉपिंग करने में आपको बहुत आनंद आएगा. 

सर्दियों के कपड़े खरीदने के लिए आपको हम साउथ दिल्ली के एक ऐसे बाजार के बारे में बताएंगे, जहां पर वीकली मार्केट लगता है. आपको बता दें कि इस बाजार में घर के समान से लेकर हर जरूरत का सामान मिल जाएगा. इस बाजार में आप काफी सस्ते दामों में स्वेटर से लेकर कंबल तक खरीद सकते हैं.

यह वीकली बाजार साउथ दिल्ली के छतरपुर में मंगलवार के दिन लगता है, जो कि मंगल बाजार के नाम से काफी मशहूर है. इस बाजार के एक दुकानदार रिंकू ने बताया कि यह बाजार 25 साल से ज्यादा पुरानी है. इस बाजार में खरीदारी करने के लिए 500 से ज्यादा पटरी पर दुकानें लगती हैं. जहां आपको घर के समान से लेकर कपड़े, जूते, ज्वेलरी, बैग एवं हरी सब्जी सब कुछ मिल जाएगा.

बाजार में सामान की कीमत

इस मंगल बाजार में विंटर कपड़ों की कीमत की बात करें तो बच्चों का स्वेटर ₹50 में, नॉर्मल स्वेटर ₹100 में सॉल ₹200 में, जैकेट ₹300 में, मेन स्वेटर 250 रुपए में, विंटर लोअर ₹100 में और टोपी ₹50 में मिल जाएगी. अगर कंबल की बात करें, ₹500 में मिल जाएगा।

बाजार में जानें का समय-स्थान

यह मंगल बाजार दोपहर 2:00 बजे से लेकर रात 11:00 बजे तक लगाया जाता है.इस बाजार में जाने के लिए आपको नजदीकी मेट्रो स्टेशन छतरपुर जाना पड़ेगा।

हेल्थ टिप्स:PCOS से पीड़ित महिला अपने किचन में रखे कुछ मसालों को अपने डायट में शामिल करके पीसीओएस की समस्या से पा सकते हैं छुटकारा


 

दिल्ली:- पीसीओडी या पीसीओएस एक ऐसी स्थिति है जो महिलाओं के अंडाशय को प्रभावित करती है, प्रजनन अंग जो प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन हार्मोन का उत्पादन करते हैं जो मासिक धर्म चक्र को विनियमित करने में मदद करते हैं। PCOS यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) की समस्या से आजकल अधिकतर महिलाएं परेशान हैं। इस बीमारी में महिला के शरीर में पुरुष हार्मोन एंड्रोजन और टेस्टोस्टेरोन का अधिक मात्रा में उत्पादन होने लगता है। इसकी वजह से महिलाओं के शरीर में हार्मोंस का असंतुलन हो जाता है। पीसीओएस होने पर महिलाओं को अनियमित पीरियड्स, इन्सुलिन रेजिस्टेंस, शरीर पर अनचाहे बाल, एक्ने, वजन बढ़ाना और प्रजनन संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 

पीसीओएस होने पर आपको डॉक्टर से उचित परामर्श लेना चाहिए। इसके अलावा, हेल्दी डाइट और लाइफस्टाइल में जरूरी बदलाव के जरिए भी इस समस्या को मैनेज किया जा सकता है। क्या आप जानते हैं कि हमारी रसोई में कुछ ऐसे मसाले मौजूद हैं, जो इस परेशानी को कम करने में मदद कर सकते हैं। हम आपको ऐसे कुछ मसालों के बारे में बताएंगे, जो हार्मोंस को बैलेंस करके पीसीओएस के लक्षणों को कंट्रोल करने में मदद करेंगे।

मेथी दाना – 

पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं के लिए मेथी दाना का सेवन लाभकारी हो सकता है। यह इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करता है, जिससे ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल रखने में मदद मिलती है। इसके सेवन से महिलाओं में हार्मोंस को बैलेंस करने में मदद मिल सकती है। इसके लिए आप रोज सुबह खाली पेट मेथी दाना का पानी पी सकते हैं।

दालचीनी –

 

पीसीओएस की समस्या में दालचीनी का सेवन फायदेमंद साबित हो सकता है। इसमें एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटी-डायबिटिक गुण होते हैं, जो हाई ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। इसके सेवन से मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है, जिससे वजन घटाने में फायदा होता है। इसके नियमित सेवन से अनियमित पीरियड्स की समस्या को दूर करने में मदद मिल सकती है।

काली मिर्च – 

काली मिर्च का सेवन करने से इन्सुलिन सेंसटिविटी में सुधार होता है। इसमें मौजूद एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण हार्मोंस को बैलेंस करने में मदद करते हैं। साथ ही, यह शरीर में जमा एक्स्ट्रा फैट को कम करने में भी मददगार है। आप सुबह खाली पेट कुटी हुई काली मिर्च को शहद के साथ मिलाकर खा सकती हैं।

सौंफ –

 

पीसीओएस के लक्षणों को कम करने में सौंफ फायदेमंद साबित हो सकती है। यह पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं के शरीर में पुरुष हार्मोन एंड्रोजन को कम करने में मदद कर सकती है। इसका सेवन करने के लिए आप रात में एक चम्मच सौंफ को एक गिलास पानी में भिगोकर रख दें। सुबह इस पानी को करीब 5 मिनट तक उबालें। फिर इसे छानकर इसका सेवन करें।

हल्दी –

हल्दी में मौजूद औषधीय गुण पीसीओएस में हार्मोंस को बैलेंस करने में मददगार साबित हो सकते हैं। इसमें एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो इन्सुलिन रेजिस्टेंस, हाई ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं को अपनी डाइट में हल्दी को जरूर शामिल करना चाहिए

सामाजिक विज्ञान के पाठ्यक्रम में रामायण, महाभारत को किया जाए शामिल:एनसीईआरटी समिति


नई दिल्ली: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की एक उच्चस्तरीय समिति ने सिफारिश की है कि सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों को शामिल किया जाना चाहिए तथा कक्षाओं की दीवारों पर संविधान की प्रस्तावना लिखी जानी चाहिए।

यह जानकारी समिति के अध्यक्ष सीआई आईजैक ने दी.पिछले साल गठित सात सदस्यीय समिति ने सामाजिक विज्ञान पर अपने अंतिम स्थिति दस्तावेज के लिए कई सिफारिश की हैं, जो नयी एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकों के विकास की नींव रखने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्देशात्मक दस्तावेज है।

एनसीईआरटी ने अभी तक सिफारिशों पर कोई फैसला नहीं लिया है.

आइजैक ने कहा कि 'समिति ने छात्रों को सामाजिक विज्ञान के पाठ्यक्रम में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों को पढ़ाने पर जोर दिया है. हमारा मानना ​​​​है कि छात्र किशोरावस्था में अपने आत्मसम्मान, देशभक्ति और अपने राष्ट्र के लिए गौरव का निर्माण करते हैं। 

उन्होंने कहा कि हर साल हजारों छात्र देश छोड़कर दूसरे देशों में नागरिकता चाहते हैं क्योंकि उनमें देशभक्ति की कमी है।आइजैक ने कहा कि 'इसलिए, उनके लिए अपनी जड़ों को समझना और अपने देश तथा अपनी संस्कृति के प्रति प्रेम विकसित करना महत्वपूर्ण है. कुछ बोर्ड पहले से ही रामायण और महाभारत पढ़ाते हैं, लेकिन इसे और अधिक विस्तृत तरीके से किया जाना चाहिए.उन्होंने पूर्व में कहा था कि इसी समिति ने पाठ्यपुस्तकों में देश का नाम 'इंडिया' के स्थान पर 'भारत' करने, पाठ्यक्रम में प्राचीन इतिहास के बजाय 'क्लासिकल हिस्ट्री' को शामिल करने और कक्षा तीन से कक्षा 12 तक की पाठ्यपुस्तकों में 'हिंदुओं की जीतों' को रेखांकित करने की भी सिफारिश की थी.

आइजैक ने कहा कि 'हमारी प्रस्तावना लोकतंत्र और पंथनिरपेक्षता सहित सामाजिक मूल्यों को महत्व देती है. यह महान है. इसलिए, हमने इसे कक्षाओं की दीवारों पर लिखने की सिफारिश की है ताकि हर कोई इसे समझ सके और सीख सके.' एनसीईआरटी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप स्कूल पाठ्यक्रम को संशोधित कर रही है. नयी एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकें अगले शैक्षणिक सत्र तक तैयार होने की संभावना है.

इन कक्षाओं के लिए पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तकों और शिक्षण सामग्री को अंतिम रूप देने के लिए जुलाई में अधिसूचित 19 सदस्यीय राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शिक्षण अधिगम सामग्री समिति (एनएसटीसी) अब समिति की सिफारिशों पर विचार कर सकती है।

आगरा के शमसाबाद से हैरान करने वाला मामला आया सामने,शादी में कम पड़े रसगुल्ले तो मच गया बवाल,जमकर हुई मारपीट,6 लोग जख्मी


दिल्ली:-उत्तर प्रदेश के आगरा में एक शादी समारोह में रसगुल्ले की कमी को लेकर जमकर लाठी-डंडे चलने की मामला आया सामने जिसमें एक शादी समारोह में रसगुल्ले कम पड़ने के कारण हालात इतने खराब हो गए कि मारपीट में 6 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए,मारपीट में घायल हुए लोगों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

जानकारी के मुताबिक थाना शमसाबाद कस्बे के नयावास रोड स्थित संतोषी माता के मंदिर के पास बृजभान कुशवाह के यहां शादी समारोह था। जिसकी दावत चल रही थी, दावत में दूसरा पक्ष मनोज पुत्र गौरी शंकर शर्मा अन्य तीन लोगों के साथ शामिल होने के लिए पहुंचा।

आरोप है कि इसी दौरान दावत में रसगुल्ला खाने को लेकर कहासुनी हुई। देखते ही देखते गाली गलौज के बाद मारपीट की नौबत आ गई, दोनों पक्षों की ओर से लाठी डंडे चलने लगे।

झगड़े में एक पक्ष से भगवान देवी पत्नी बृजभान सिंह और योगेश पुत्र बृजभान सिंह लहूलुहान हुए हैं तो वहीं दूसरे पक्ष से मनोज, कैलाश पुत्रगण गौरी शंकर शर्मा, धर्मेंद्र पुत्र रमेश शर्मा, पवन पुत्र गौरी शंकर को गंभीर चोटें आई है। दो पक्षों में हुए संघर्ष की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने घायलों को अस्पताल में इलाज के लिए भेजा है। 

थाना अध्यक्ष शमशाबाद अनिल शर्मा ने बताया कि दावत में रसगुल्ला खाने को लेकर दो पक्षों में विवाद हुआ है। दोनों को मेडिकल के लिए अस्पताल भेजा है। शिकायती पत्र मिलने के बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।