उत्तरकाशी में मजदूरों के सफल रेस्क्यू पर दुनियाभर में जय-जयकार, जानें विदेशी मीडिया में क्या-क्या कहा गया?

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उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सिल्क्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को सफलतापूर्वक बाहर निकाल लिया गया है।71वें दिन सुरंग से बाहर आते ही श्रमिकों का सीएम पुष्कर सिंह धामी ने जोरदार स्वागत किया।एक तरफ इस रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद जहां भारतीय लोगों ने राहत की सांस ली और सरकार को धन्यवाद दिया। वहीं, 400 से अधिक घंटे के बाद इस रेस्क्यू पर विदेशी मीडिया की खास नजर रही।विदेशी मीडिया में इस रेस्क्यू ऑपरेशन चर्चा में है। भारतीय मजदूरों के हौसले और रेस्क्यू टीम के कौशल की जमकर तारीफ हो रही है।

मजदूरों का जीवट और रेस्क्यू टीम के समर्पण से सफल हुआ अभियान-बीबीसी

इस अभियान की वैश्विक मीडिया ने सराहना की है। साथ ही पूरी दुनिया में इसका सीधा प्रसारण देखने को मिला। बीबीसी की ओर से लगातार इससे जुड़ा अपडेट दिया जा रहा था। उसने अपनी खबर में लिखा, 'सुरंग के बाहर, पहले व्यक्ति के निकलने की खबर के साथ ही जश्न का माहौल हो गया।' बीबीसी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी और केंद्रीय मंत्री वीके सिंह की सुरंग से बाहर निकले मजदूरों से मिलने की तस्वीर पोस्ट की।बीबीसी ने इस ऑपरेशन की तारीफ करते हुए लिखा कि मजदूरों का जीवट और रेस्क्यू टीम के समर्पण ने जटिल लग रहे मिशन को सफल बनाया।

सीएनएन ने ऐसे की सराहना

सीएनएन ने खबर दी है, 'घटनास्थल के वीडियो फुटेज में उत्तराखंड राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को उन श्रमिकों से मिलते हुए दिखाया गया है जिन्हें खुशी के माहौल के बीच सुरंग से निकाला गया था।' सीएनएन ने कहा कि श्रमिकों को बचाने के अभियान में कई रुकावटें भी आई जब मलबे में खुदाई के लिए इस्तेमाल की जा रही भारी मशीनें खराब हो गईं और उसके बाद मलबे में आंशिक रूप से हाथों से खुदाई करनी पड़ी और अन्य जोखिमपूर्ण तरीकों का इस्तेमाल करना पड़ा।

यह इंसानी हौसले की मशीनों पर जीत है- द गार्जियन

ब्रिटेन के प्रमुख द गार्जियन अखबार ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट में कहा कि यह इंसानी हौसले की मशीनों पर जीत है। रिपोर्ट में कहा गया कि मानव श्रम ने मशीनरी पर विजय प्राप्त की है. जब मजदूरों तक पहुंचने के लिए ऑगर मशीन खराब हो गई तब अंतिम 12 मीटर मलबे को मैन्युअल तरीके से साफ किया गया. फिर पाइप के जरिए सभी मजदूरों को बाहर निकाला गया।

भारत के हालिया इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण और जटिल बचाव अभियान- वाशिंगटन पोस्ट

वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा-बचाव अभियान केवल कुछ दिनों तक चलने की उम्मीद थी। इसके बजाय, उन 41 निर्माण श्रमिकों तक पहुंचने में 17 दिन लग गए, जो इस महीने की शुरुआत में उत्तरी भारत में भूस्खलन के कारण एक पहाड़ी सुरंग ढह जाने से फंस गए थे।कष्टदायी इंतजार आखिरकार मंगलवार रात को खत्म हुआ और सभी को जिंदा बाहर निकाला गया। लेकिन खुशी और राहत से परे, यह सवाल बना हुआ है कि जो भारत के हालिया इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण और जटिल बचाव अभियानों में से एक बन गया।

बचाए गए लोगों का हीरो के रूप में स्वागत किया गया- डॉन

पाकिस्तानी न्यूज बेवसाइट डॉन ने लिखा-मंगलवार को जब बचावकर्मियों ने हिमालयी सड़क सुरंग से सभी 41 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला तो भारतीय कामगारों का जोरदार जयकारों और फूलों की मालाओं से स्वागत किया गया। विशेष रूप से स्ट्रेचर पर 57 मीटर (187 फीट) स्टील पाइप के माध्यम से खींचे जाने के बाद बचाए गए लोगों का मुस्कुराहट के साथ हीरो के रूप में स्वागत किया गया, जहां राज्य के अधिकारियों ने उनके परिवारों को गले लगाने से पहले उनका स्वागत किया।

17 दिनों बाद आखिरकार 41 परिवारों के लिए आई खुशखबरी

बता दें कि 17 दिनों से मजदूर टनल में फंसे हुए थे और उनके परिवारों की जान सांसत में थी। लगातार कोशिश और मुश्किलों के बाद भी रेस्क्यू टीम ने ऑपरेशन पूरा कर दिखाया। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सभी मजदूरों को राज्य सरकार की ओर से एक लाख रुपये की सहायता राशि देने का ऐलान किया है।

राहुल द्रविड़ को बीसीसीआ ने दिया बड़ा ऑफर, फिर बन सकते हैं भारतीय टीम के कोच

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भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) राहुल द्रविड़ को एक बार फिर दो साल के लिए अनुबंध बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है।वनडे वर्ल्ड कप 2023 के बाद राहुल द्रविड़ का भारतीय क्रिकेट टीम के हेड कोच के रूप में कार्यकाल समाप्त हो गया था। ऐसे में बीसीसीआई टीम इंडिया के नए कोच की तलाश में जुटा हुआ है।राहुल द्रविड़ के बाद भारतीय टीम का नया हेड कोच कौन होगा उसकी चर्चाएं जोरों पर है। लेकिन इस बीच एक बड़ी अपडेट सामने आई है। बीसीसीआई ने राहुल द्रविड़ को आगे के लिए भी कोच बने रहने के लिए अप्रोच किया है।

विश्व कप की समाप्ति के बाद द्रविड़ का कार्यकाल समाप्त हो गया था और उन्हें बोर्ड ने तब तक कोई नया ऑफर नहीं दिया था। राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) के प्रमुख वीवीएस लक्ष्मण ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जारी पांच टी20 मैचों की सीरीज में कोच की भूमिका निभा रहे हैं। अब बोर्ड ने द्रविड़ को अनुबंध बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है।ईएसपीएनक्रिकइंफो के मुताबिक, बीसीसीआई ने पिछले हफ्ते द्रविड़ से संपर्क किया था। इस दौरान कार्यकाल बढ़ाने को लेकर बात हुई। हालांकि, अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हुई है कि द्रविड़ ने यह प्रस्ताव स्वीकार किया है या नहीं। 

मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, बीसीसीआई सचिव जय शाह ने पिछले सप्ताह द्रविड़ से चर्चा की है। नए अनुबंध की बारीकियों पर अभी काम किया जाना बाकी है, लेकिन बीसीसीआइ चाहता है कि द्रविड़ टेस्ट टीम के साथ दक्षिण अफ्रीका जाएं। अनुबंध पर काम किया जाएगा लेकिन टेस्ट सीरीज महत्वपूर्ण है और भले ही राहुल टी-20 सीरीज के लिए नहीं जाते हैं तो वह वनडे सीरीज से टीम के साथ जुड़ सकते हैं।

हालांकि अभी राहुल द्रविड़ की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या राहुल द्रविड़ एक बार फिर भारतीय कोच के रूप में नज़र आते या नहीं और अगर वो कोच नहीं बनते हैं, तो फिर किसे भारतीय कोचिंग की बागडोर दी जाएगी।

बता दें कि राहुल द्रविड़ 2021 में रवि शास्त्री के बाद टीम इंडिया के कोच बने थे। राहुल द्रविड़ के कार्यकाल में टीम इंडिया तीन में से दो आईसीसी टूर्नामेंट के फाइनल और एक के सेमीफाइनल में पहुंची है। हालांकि भारतीय टीम आईसीसी ट्रॉफी अपने नाम नहीं कर सकी। भारत को 2022 के टी20 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में इंग्लैंड को हाथों हार झेलनी पड़ी थी। इसके बाद वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल 2023 में इंडिया को ऑस्ट्रेलिया ने मात दी। फिर अब कुछ दिन पहले ही ऑस्ट्रेलिया ने वनडे वर्ल्ड कप 2023 के फाइनल में भारत को हराया।

टनल से निकाले गए मजदूरों से पीएम मोदी ने की बात, जानें अभी कहां और कैसे हैं सभी?

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उत्तराखंड की सिलक्यारा टनल में फंसे मजदूरों को 17 दिनों के संघर्ष के बाद सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है।सुरंग से निकाले जाने के बाद सभी मजदूरों को चिन्यालीसौड़ में बनाए गए अस्पताल ले जाया गया। यहां पर मजदूर 48 घंटों तक डॉक्टरों की निगरानी में रहेंगे। इसी के बाद उन्हें उनके परिजनों से मिलने भेजा जाएगा।इधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टनल से बाहर आए 41 मजदूरों से फोन पर बात की। श्रमिकों से फोन पर बातचीत कर उनके स्वास्थ्य और कुशलक्षेम की जानकारी ली और इनका हौसला भी बढ़ाया। साथ ही पीएम मोदी ने रेस्क्यू ऑपरेशन को सफल बनाने वाले जवानों की सराहना की।

इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मजदूरों की तारीफ की और कहा, ‘आप सबपर बाबा केदारनाथ की कृपा रही। संकट में आपने एक-दूसरे का हौसला बढ़ाया। आपके परिवारों ने भी हमारा साथ दिया। ये रेस्क्यू ऑपरेशन मानवता और टीम वर्क का अद्भूत मिसाल है।उन्होंने कहा कि 16 दिन सुरंग में रहना बहुत हिम्मत की बात है, लेकिन आप लोगों ने हिम्मत बनाए रखी। 

पीएम मोदी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को फोन कर शुभकामनाएं दीं और श्रमिकों के बारे में मुख्यमंत्री से जानकारी ली।पीएम ने मुख्यमंत्री से जाना कि सुरंग से निकालने के बाद श्रमिकों के स्वास्थ्य देखभाल, घर छोड़ने व परिजनों आदि के लिए क्या व्यवस्थाएं की गई हैं। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि सभी श्रमिकों को सुरंग से निकालने के बाद सीधे चिन्यालीसौड़ स्थित अस्पताल ले जाया गया है, जहां उनकी जरूरी स्वास्थ्य जांच आदि की जाएंगी। साथ ही अवगत कराया कि श्रमिकों के परिजनों को भी फिलहाल चिन्यालीसौड़ ले जाया गया जहां से उनकी सुविधा के अनुसार राज्य सरकार उनको घर छोड़ने की पूरी व्यवस्था करेगी।

उत्तरकाशी हादसा:- अब तक उत्तरकाशी के टनल में फंसे 10 मज़दूर निकाले गए। अपनो का चेहरा देख कर परिजन फफक कर रो पड़े

(डेस्क न्यूज़)

उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल हादसे की सफलता और मज़दूरों के पुनर्जन्म के बाद सभी फंसे मज़दूरों के परिजनों के चेहरे खिल उठे। राज्य सरकार और केंद्र सरकार की आपसी सामंजस्य और बचाव कार्य में लगे पूरी टीम की यह सफलता पुरे

देश के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।

आज 17 वें दिन आखिरकार रेस्क्यू में सफलता मिल ही गई। सभी 41 मजदूरों ने जिंदगी की ये जंगजीत ली। रेस्क्यू टीमों के काफी मशक्कत के बाद सभी मजदूरों को टनल से सुरक्षित बाहर निकाला जा रहा है. अभी तक 10 मजदूर टनल से बाहर निकाले जा चले है। बता दें कि हेलीपैड पर 41 एंबुलेंस को भी तैनात कर दिया गया है।

फिलहाल एक-एक कर सभी मजदूरों को एबुलेंस से अस्पताल लाया जा रहा है। इनमें से जिन मजदूरों की हालत ज्यादा खराब दिखाई देगी, उसे एयरलिफ्ट कर ऋषिकेश एम्स लाया जाएगा। टनल के पास मजदूरों के परिजनों भी मौजद हैं अपनों का चेहरा देखते ही वह बिलख-बिलख कर रो पड़े।

दरअसल, उत्तरकाशी में चारधाम यात्रा मार्ग पर निर्माणाधीन सिल्क्यारा सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर दिवाली के दिन ढह गया था, जिससे मलबे के दूसरी ओर 41 मजदूर फंस गए थे. इन्हीं मजदूरों को निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव अभियान चलाया जा रहा था. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद समय-समय पर उत्तरकाशी पहुंचकर रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा ले रहे थे। साथ ही मजदूरों ढांढस बंधा रहे थे कि जल्द ही उन्हें टनल से बाहर निकाल लिया जाएगा। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस ऑपरेशन पर नजर बनाए हुए थे. वह रेक्स्यू ऑपरेशन को लेकर सीएम धामी से अपडेट लेते रहते थे।

उत्तरकाशी के सिल्क्यारा में पिछले 17 दिनों से यह रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा था। समय बीतने के साथ-साथ लोगों के अंदर एक डर भी था कि इतने दिन बीत जाने के बाद भी मजदूर अभी तक बाहर नहीं आ पाए हैं। देशवासी मजदूरों के सही सलामत बाहर निकलने की दुआ-प्रार्थना कर रहे थे। फिलहाल अब मजदूर सुरंग से बाहर आ चुके हैं तो सभी ने राहत की सांस ली है. सुरंग से निकाले जाने के बाद मजदूरों की मेडिकल जांच और देखभाल के लिए चिन्यालीसौड़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 41 बेड वाला एक अस्पताल तैयार किया गया है

बता दें कि सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने थाईलैंड और नॉर्वे के एक्सपर्ट की भी मदद ली थी। इसके साथ कई और इंटरनेशनल टनल एक्सपर्ट भी मजदूरों को निकालने में अपना अनुभव साझा कर रहे थे, लेकिन इन सबके बावजूद रेस्क्यू टीम के सामने कई चुनौतियां आईं।जानकारी के मुताबिक, टनल में 8 राज्यों के 41 मजदूर फंसे हुए थे. इसमें उत्तराखंड के दो, हिमाचल प्रदेश का एक, उत्तर प्रदेश के आठ, बिहार के पांच, पश्चिम बंगाल के तीन, असम के दो, झारखंड के 15 और ओडिशा के पांच मजदूर थे।

ब्रेकिंग्: उत्तरकाशी के टनल में फंसे मज़दूरों का रेस्क्यू शुरू, विजय नामक मज़दूर निकाले गए बाहर

उत्तरकाशी: (डेस्क )आज 17 वें दिन उत्तरकाशी टनल हादसे में फंसे 41 मज़दूरों को निकालने का काम शुरू हो गया है। विजय नामक एक मज़दूर को बाहर निकाला गया जिसे तत्काल एम्बुलेंस से अस्पताल भेजा गया। उम्मीद है 2 घंटे के अंदर सभी मज़दूरों का रेस्क्यू कर लिया जाएगा।

समाचार लिखे जाने तक एक मज़दूर बाहर निकले जा चुके है जो ठीक हैं।बाकी मज़दूरों के हालात भी ठीक हैं।

आज सुरंग में ब्रेकथ्रू हुआ और स्केप टनल के जरिए मजदूरों को बाहर निकालने के लिए स्केप टनल बन गई है।

यह1 :57 मिनट पर पहला ब्रेकथ्रू हुआ था सुरंग का पहला

रस्सी, सीढ़ी और स्ट्रेचर के साथ NDRF की टीम सुरंग के अंदर पहुंची और बताया सभी मज़दूर सुरक्षित है।

सभी मज़दूरों की 'स्थिति अच्छी है और सभी सलामत हैं सभी मजदूर' - यह बचाव कार्य में शामिल कर्मचारी ने दी जानकारी

उत्तरकाशी। बचाव कार्य में शामिल एक कर्मचारी ने कहा, स्थिति अच्छी है और सभी लोग कुशल मंगल हैं।

क्या है 'रैट होल माइनिंग'? सुरंग में फंसे मजदूरों के लिए साबित हुआ वरदान, जिसपर 9 साल पहले लगा था बैन

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उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में 41 मजदूर 12 नवंबर से फंसे हैं। उन्हें बचाने का काम जारी है। पहाड़ का सीना चीर कर उत्तराखंड में ऑल वेदर रोड बनाने के मिशन में जुटे ये 41मजदूर किसी भी वक्त टनल से बाहर आ सकते हैं।जिसका पूरा देश शिद्दत से इंतजार कर रहा है। दरअसल, दिवाली के दिन हुए हादसे के बाद से लगातार टनल में फंसे 41 मजदूरों को बचाने की जंग जारी थी। बीते दिनों में हर तरह की तकनीक और मशीनों का इस्तेमाल किया गया, लेकिन अब तक सफलता नहीं मिल पाई थी। 41 श्रमिकों को निकालने के लिए अब ‘रैट होल माइनिंग’ के जानकारों की सेवाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है। जो काफी कारगार साबित हुई है।

सिलक्यारा में निर्माणाधीन सुरंग में 12 नवंबर से फँसे 41 श्रमिकों को निकालने के लिए ‘रैट होल माइनिंग’ का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसमें 12 लोगों की एक टीम है, जो देसी तरीक़े से उस सुरंग तक पहुँचने की कोशिश कर रही है, जहाँ पहुँचने में उच्च तकनीक वाली ‘ऑगर’ मशीन सफल नहीं हो पाई। ताजा जानकारी के मुताबिक खुदाई का काम पूरा हो चुका है और टनल में पाइप आर पार हो चुका है।एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के कुछ जवान अंदर गए हैं।अब अब खुशखबरी मिलने ही वाली है। इससे पहले, एक भारी और शक्तिशाली 25 टन वजनी अमेरिकी ऑगर मशीन से सुरंग में क्षैतिज ड्रिलिंग की जा रही थी लेकिन शुक्रवार को उसके कई हिस्से मलबे में फंसने के कारण काम में व्यवधान आ गया. लेकिन इससे पहले उसने मलबे के 47 मीटर अंदर तक ड्रिलिंग कर दी थी।

क्या है 'रैट होल माइनिंग'?

अब सवाल ये उठता है कि यह 'रैट होल माइनिंग' तकनीक क्या है जो इस बचाव प्रयास में सबसे बड़ी उम्मीद की किरण बन कर उभरी। रैट-होल माइनिंग मेघालय में काफी प्रचलित है। यह माइन‍िंग का एक तरीका है जिसका इस्‍तेमाल करके संकरे क्षेत्रों से कोयला निकाला जाता है। 'रैट-होल' टर्म जमीन में खोदे गए संकरे गड्ढों को दर्शाता है। यह गड्ढा आमतौर पर सिर्फ एक व्यक्ति के उतरने और कोयला निकालने के लिए होता है। एक बार गड्ढे खुदने के बाद माइनर या खनिक कोयले की परतों तक पहुंचने के लिए रस्सियों या बांस की सीढ़ियों का उपयोग करते हैं। फिर कोयले को गैंती, फावड़े और टोकरियों जैसे आदिम उपकरणों का इस्‍तेमाल करके मैन्युअली निकाला जाता है। रैट-होल माइनिंग मुख्‍य रूप से दो तरह की होती है। एक है साइड कटिंग प्रोसीजर। दूसरी कहलाती है बॉक्‍स कटिंग। साइड कटिंग में संकरी सुरंगें बनाई जाती हैं। पहाड़ों के ढलान पर इन्‍हें बनाया जाता है। फिर इन टनल में में वर्कर जाकर कोयले की परत को तलाशते हैं। बॉक्‍स कटिंग तरीके में 10 से 100 वर्गमीटर तक की एक ओपनिंग बनाई जाती है। उसके बीच से 100 से 400 फीट गहरा एक वर्टिकल गड्ढा खोदा जाता है। एक बार कोयले की परत मिल जाने के बाद चूहे के बिल के आकार की सुरंगें हॉरिजॉन्‍टल रूप से खोदी जाती हैं। इसके जरिये श्रमिक कोयला निकालते हैं।

विवादित क्यों है यह पद्धति?

इस तरीके में खदानें आमतौर पर अनियमित होती हैं। इनमें उचित वेंटिलेशन, संरचनात्मक सहायता या श्रमिकों के लिए सुरक्षा गियर जैसे सुरक्षा उपायों का अभाव होता है। इस तरीके से होने वाली खुदाई से सुरक्षा को खतरा है। ऐसा इसलिए क्योंकि खनिक सुरक्षा उपाय किए बिना गड्ढे में उतर जाते थे और कई बार हादसों का शिकार हो जाते थे। ऐसे कई मामले भी आए जहां बरसात में रैट होल माइनिंग के कारण खनन क्षेत्रों में पानी भर गया, जिसके चलते श्रमिकों की जानें गईं।यही कारण है इस पद्धति से होने वाली खुदाई पर पाबंदी लगा दिया गया है।

9 साल पहले बैन की गई प्रक्रिया

साल 2024 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मजदूरों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस विधि पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, इसके बाद भी कई इलाकों में रैट होल माइनिंग जारी है, जो कि अवैध माना जाता है। मेघालय में सबसे ज्यादा रैट होल माइनिंग होती है, जिसके कारण न जाने कितने ही मजदूरों को अपनी जान गंवानी पड़ जाती है

कैसे हुआ था हादसा?

सिलक्यारा बचाव अभियान में लगातार विफल होते विकल्पों के बीच सोमवार को रैट माइनर्स की टीम को तैनात किया गया। ऑगर मशीन के फेल होने के बाद हाथ से खोदाई कराने का फैसला किया गया। श्रमिकों की कुशल टीम रैट होल माइनिंग पद्धति का इस्तेमाल करके हाथ से मलबा हटाने का काम किया। दरअसल, 12 नवंबर 2023 की अल सुबह 05.30 बजे सिलक्यारा से बड़कोट के बीच बन रही निर्माणाधीन सुरंग में धंसाव हो गया। सुरंग के सिल्क्यारा हिस्से में 60 मीटर की दूरी में मलबा गिरने के कारण यह घटना हुई।41 श्रमिक सुरंग के अंदर सिलक्यारा पोर्टल से 260 मीटर से 265 मीटर अंदर रिप्रोफाइलिंग का काम कर रहे थे, तभी सिलक्यारा पोर्टल से 205 मीटर से 260 मीटर की दूरी पर मिट्टी का धंसाव हुआ और सभी 41 श्रमिक अंदर फंस गए।घटना की सूचना तुरंत राज्य और केंद्र सरकार की सभी संबंधित एजेंसियों को दी गई और उपलब्ध पाइपों के जरिए सुरंग में फंसे हुए श्रमिकों को ऑक्सीजन, पानी, बिजली, पैक भोजन की आपूर्ति के साथ बचाव कार्य शुरू किया गया। फंसे हुए श्रमिकों से वॉकी-टॉकी के माध्यम से भी संचार स्थापित किया गया है। श्रमिकों को शीघ्र बचाव के लिए कई बीते 16 दिनों में कई उपाय किए गए हैं।अब बस सभी के सुरक्षित निकल आने का इंतजार है।

तेलंगाना के लोगों को सोनिया गांधी का भावुक मैसेज, बोलीं-आपने मुझे अम्मा कहा...

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तेलंगाना में आज चुनाव के लिए हो रहा प्रचार थम गया। आज चुनाव प्रचार के अंतिम दिन तमाम दलों के नेताओं ने पूरी ताकत झोंक दी।कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने तेलंगाना विधानसभा चुनाव के प्रचार के आखिरी दिन एक वीडियो संदेश जारी कर प्रदेश के मतदाताओं से उनकी पार्टी के पक्ष में मतदान की अपील की।

सोनिया गांधी ने लगभग दो मिनट का एक वीडियो संदेश जारी किया है।अपने वीडियो संदेश में सोनिया गांधी ने कहा कि तेलंगाना की मेरी बहनों और प्यारे भाइयों नमस्कारम। मैं आप सबके बीच नहीं आ पाई लेकिन, मैं आप सबके दिल के बेहद करीब हूं। आज मैं आपसे कुछ कहना चाहती हूं। तेलंगाना मां के शहीद बेटों का सपना पूरा होते देखना चाहती हूं। मेरी दिल से इच्छा है कि दोराला तेलंगाना को हम सब प्रजाला तेलंगाना में बदल दें। हम आपके सपनों को साकार करें और आपको एक सच्ची और ईमानदार सरकार दें।

सोनिया ने आगे कहा कि आपने मुझे सोनिया अम्मा कहकर अपार श्रद्धा और सम्मान दिया है। मुझे मां समान माना, इस प्रेम और आदर के लिए मैं आपकी सदा आभारी रहूंगी और आपके प्रति हमेशा के लिए समर्पित रहूंगी। सोनिया गांधी ने तेलंगाना की जनता से आग्रह करते हुए कहा कि बहनों, माताओं, बेटों-बेटियों और भाइयों आपसे मेरी गुजारिश है कि इस बार अपनी पूरी शक्ति बदलाव लाने के लिए इस्तेमाल करें। कांग्रेस के लिए वोट करें।

बता दें कि तेलंगाना विधानसभा की 119 सीटों के लिए 30 नवंबर को मतदान होना है। मतगणना तीन दिसंबर को होगी। कांग्रेस दक्षिणी राज्य में सत्ता में आने की कोशिश में लगी है, जबकि केसीआर की पार्टी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के लिए प्रयासरत है। भारतीय जनता पार्टी ने भी सत्ता में आने की कोशिश में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

पाकिस्तानी कलाकारों को भारत में पूरी तरह बैन करने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज, कहा-इतनी छोटी सोच ना रखें

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सुप्रीम कोर्ट ने पाक कलाकारों के भारत में काम करने पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह इतनी संकीर्ण मानसिकता नहीं रखे। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना एवं न्यायमूर्ति एस. वी. एन. भट्टी की पीठ ने मंगलवार कहा कि वह बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने को इच्छुक नहीं है, जिसने फैज अनवर कुरैशी द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया था।बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई थी।

बॉम्बे हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी पाकिस्तान के कलाकारों को प्रतिबंधित करने की मांग खारिज कर दी है। अदालत में दायर याचिका में अपील की गई थी कि पाकिस्तानी कलाकारों को भारत में प्रदर्शन या काम करने की अनुमति न दी जाए। कलाकारों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली याचिका खारिज करते हुए अदालत ने फटकार लगाई। 

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने फैज अनवर कुरैशी द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए ने कहा कि वह बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते हैं। अदालत ने कुरैशी से कहा कि आपको इस अपील पर बार-बार जोर नहीं देना चाहिए। आपको इतनी छोटी सोच नहीं रखनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता के खिलाफ हाईकोर्ट द्वारा की गई कुछ टिप्पणियों को हटाने की दलील देने से भी इनकार कर दिया।

बंबई उच्च न्यायालय ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता अदालत से जो अनुमति चाहता है वह सांस्कृतिक सद्भाव, एकता और शांति को बढ़ावा देने की दिशा में एक प्रतिकूल कदम है और इसमें कोई दम नहीं है। अदालत ने कहा था, किसी को भी यह समझना चाहिए कि देशभक्त होने के लिए किसी को विदेश, खासकर पड़ोसी देश के लोगों के प्रति शत्रुतापूर्ण व्यवहार करने की जरूरत नहीं है।उच्च न्यायालय ने कहा एक सच्चा देशभक्त वह व्यक्ति है जो निस्वार्थ होता है, जो अपने देश के लिए समर्पित है। वह तब तक ऐसा नहीं हो सकता जब तक कि वह दिल से नेक व्यक्ति नहीं हो। जो व्यक्ति दिल का अच्छा है वह अपने देश में किसी भी गतिविधि का स्वागत करेगा जो देश के भीतर और सीमा पार शांति, सद्भाव और शांति को बढ़ावा देती हो।

याचिका में अदालत से केंद्र सरकार को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया था कि अदालत भारतीय नागरिकों, कंपनियों, फर्म और एसोसिएशन पर पाकिस्तान के सिने कर्मियों, गायकों, गीतकारों और तकनीशियनों सहित किसी भी पाक कलाकार को रोजगार देने या किसी भी काम अथवा प्रस्तुति के लिए बुलाने, कोई सेवा लेने या किसी भी संगठन में प्रवेश करने आदि पर पूर्ण प्रतिबंध लगाए

तेलंगाना में राहुल गांधी ने एक तीर से लगाए कई निशाने, भाजपा, बीआरएस और ओवैसी को बताया एक टीम

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पांच राज्यों के चुनाव में अब सिर्फ तेलंगाना में वोटिंग शेष है।यहां 30 नवंबर को वोट डाले जाने हैं। लंबे समय से सत्ता में काबिज बीआरएस को हटाने के लिए कांग्रेस एडी चोटी का जोर लगा रही है।आज चुनाव प्रचार के आखिरी दिन कांग्रेस ने पूरा जोर लगाया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज तेलंगाना में जगह जगह पार्टी के लिए प्रचार किया। हैदराबाद में एक जनसभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने भाजपा, बीआरएस और ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को एक बताया और इनपर तीखा हमला बोला। 

राहुल गांधी ने कहा कि तेलंगाना में बीआरएस बीजेपी, और एआईएमआईएम सभी एक टीम है। राहुल गांधी ने कहा कि वो (बीआरएस) कांग्रेस को कमजोर करने के लिए काम कर रहे हैं और भाजपा को महाराष्ट्र, असम, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़, गोवा में भाजपा को समर्थन दे रहे हैं। अगर हम पीएम मोदी को दिल्ली में हराना चाहते हैं तो हमें पहले तेलंगाना में केसीआर को हराना होगा। ये सब एक टीम हैं। यहां बीआरएस, भाजपा और एआईएमआईएम साथ मिलकर टीम की तरह काम कर रही हैं।  

केसीआर के खिलाफ कोई केस नहीं है। ईडी, सीबीआई, आयकर विभाग की टीम उनके पीछे नहीं लगी है। ओवैसी जी के ऊपर भी कोई केस नहीं है। मगर मेरे ऊपर 24 केस हैं। मेरे पीछे हर एजेंसियां लगी हैं। मेरा पहला लक्ष्य केसीआर को हराना है जबकि दूसरा लक्ष्य पीएम मोदी को हराना है।

कांग्रेस नेता ने कहा, मोदी के हाथ में रिमोट कंट्रोल है। जिसमें एक बटन ईडी वाला है और एक सीबीआई वाला है। मोदी बटन दबाते भी नहीं, सिर्फ रिमोट कंट्रोल दिखाते है। जैसे ही दिखाते हैं, केसीआर बैठ जाते हैं। उन्होंने कहा कि हम इन दोनों को हराने जा रहे हैं, पहले अभी तेलंगाना में और फिर दिल्ली में।

चीन के बाद ब्रिटेन ने बढ़ाई टेंशन, इंसान में मिला सूअरों में फैलने वाला वायरस

#britain_detects_first_human_case_of_flu_strain_similar_pig_virus

चीन में एक बार फिर एक महामारी फैल रही है। इस महामारी ने दुनिया को दहशत में डाल रखा है। इस बीच ब्रिटेन में एक टेंशन बढ़ाने वाला मामला सामने आया है।दरअसल, ब्रिटेन में स्वाइन फ्लू के एच1एन2 वायरस का केस मिला है। सूअर में मिलने वाले इस स्ट्रेन के इंसान में पाए जाने का ये ब्रिटेन में पहला मामला है। यूके स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी (यूकेएचएसए) ने इसकी पुष्टि की है। 

यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी (यूकेएचएसए) का कहना है कि ब्रिटेन में पहली बार किसी इंसान में स्वाइन फ्लू के स्ट्रेन का पता चला है। यह शख्स सांस लेने में दिक्कत की वजह से टेस्ट के लिए आया था।उत्तरी यॉर्कशायर में सांस से जुड़ी परेशानी होने पर इस शख्स का टेस्ट किया गया था। टेस्ट मे उसके स्वाइन फ्लू स्ट्रेन एच1एन2 से संक्रमित होना पाया गया।स्वाइन फ्लू के इस स्ट्रेन का जिस व्यक्ति में पता चला है, उसका सूअरों के साथ काम करने या कोई संपर्क रहने की बात भी सामने नहीं आई है। उसे स्वाइन फ्लू के हल्के लक्षण हुए थे और वह पूरी तरह से ठीक हो गया है।हालांकि, वह शख्स अब पूरी तरह से ठीक है लेकिन उस पर लगातार नजर रखी जा रही है।

अभी ये पता नहीं चला है कि ये स्ट्रेन कितना संक्रामक है। यूके में इसके और कितने मामले हो सकते हैं। इस पर स्वास्थ्य विभाग ने कुछ नहीं कहा है। इस स्ट्रेन से महामारी फैलने की संभावना पर यूकेएचएसए ने कहा कि इस बारे में कुछ कहना अभी जल्दीबाजी होगी।यूकेएचएसए ने कहा कि स्वास्थ्य अधिकारी लगातार संक्रमण के स्रोत की जांच कर रहे हैं लेकिन अभी इसका स्रोत नहीं मिला है। यूकेएचएसए में निदेशक मीरा चंद ने कहा, फ्लू की नियमित निगरानी और जीनोम सीक्वेंसिंग जारी रखने की वजह से हम इस वायरस का पता लगाने में कामयाब रहे हैं।

बता दें कि स्वाइन फ्लू पैंडेमिक ने 2009 में लाखों लोगों को संक्रमित किया था। यह एक वायरस के कारण हुआ था जिसमें सूअरों, पक्षियों और इंसानों में प्रसारित होने वाले वायरस का जेनेटिक शामिल था।

इधर चीन में निमोनिया तेजी से पैर पसार रहा है। अस्पतालों में निमोनिया से पीड़ित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। मगर चीन इसको लेकर कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं जारी कर रहा है, जिसे ये पता चल सके कि अभी तक इस रहस्मयी बुखार से कितने लोग प्रभावित हुए हैं और यह निमोनिया चीन के कितने राज्यों तक फैल चुका है। चीन में ज्यादातर बच्चे इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं। कहा जा रहा है कि एक दिन में सात हजार से ज्यादा बच्चे अस्पताल पहुंच रहे हैं।