जी20 वर्चुअल समिट में पीएम मोदी ने आतंकवाद पर किया प्रहार, बोले-नागरिकों की मौत कहीं भी हों निंदनीय

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी 20 नेताओं की वर्चुअल समिट की अध्यक्षता की।जी-20 वर्चुअल शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गाजा में छिड़ी लड़ाई की खुलकर चर्चा की। आतंकवाद पर चिंता जताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद हम सभी को अस्वीकार्य है। नागरिकों की मौत कहीं भी हो वो निंदनीय है।इजराइल-हमास युद्ध पर बोलते हुए पीएम ने कहा कि आज बंधकों के रिलीज के समाचार का हम स्वागत करते हैं। उम्मीद करते हैं कि सभी बंधक जल्द ही रिहा हो जाएंगे।

पीएम मोदी ने कहा कि आज की दुनिया चुनौतियों से भरी है। इसमें आपसी विश्वास ही है जो हमें बांधता है, एक-दूसरे से जोड़े रखता है। जब मैंने इस वर्चुअल समिट का प्रस्ताव रखा था, तब मुझे पूर्वानुमान नहीं था कि आज की वैश्विक स्थिति कैसी होगी। पश्चिमी एशिया क्षेत्र में अस्थिरता और असुरक्षा की स्थिति हम सब के लिए चिंता का विषय है। आज हम सभी का एक साथ आना इस बात का प्रतीक है कि हम सभी मुद्दों के प्रति संवेदनशील हैं और इनके समाधान के लिए एक साथ खड़े हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि ये सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि इजराइल और हमास की लड़ाई किसी भी तरह का क्षेत्रीय रूप धारण न करे। आज संकटों के जो बादल हम देख रहे हैं, वन फैमिली में वो ताकत है कि हम शांति के लिए काम कर सकते हैं, मानवीय कल्याण के लिए हम आतंक और हिंसा के विरुद्ध अपनी आवाज बुलंद कर सकते हैं। इसके लिए भारत कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए तत्पर है।

पीएम मोदी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेश यानी एआई के बढ़ते इस्तेमाल की भी चर्चा की। पीएम ने कहा कि दुनियाभर में एआई के नकारात्मक उपयोग को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। एआई लोगों तक पहुंचनी चाहिए और समाज के लिए सुरक्षित होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत की सोच स्पष्ट है, हमें एआई के वैश्विक नियमन पर मिलकर काम करना होगा। पीएम ने यह भी कहा कि जी20 ने बहुपक्षवाद पर विश्वास बढ़ाया है।

बता दें कि कि 10 सितंबर को नई दिल्ली शिखर सम्मेलन के समापन सत्र के दौरान पीएम मोदी ने घोषणा की थी कि भारत एक वर्चुअल शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। भारत के पास 30 नवंबर तक जी20 की अध्यक्षता है। 2024 में ब्राजील की जी20 की अध्यक्षता के दौरान जी20 की टॉप तिकड़ी में भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका शामिल होंगे। भारत ने पिछले साल 1 दिसंबर को एक साल के लिए जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण की और अगले साल तक वह शीर्ष तिकड़ी का हिस्सा बना रहेगा। जी 20 अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का एक मंच है। इसमें 19 देश शामिल हैं। जिनमें अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूके, अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं।

राजौरी में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में सेना के दो जवान शहीद, 2 से 3 आतंकियों के छिपे होने की खबर

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जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ में दो जवान शहीद हो गए। पुलिस ने यह जानकारी दी। पुलिस ने कहा कि सुरक्षाबलों ने मौके पर दो आतंकियों को घेर लिया है। जंगल में आतंकवादियों की घुसपैठ की खुफिया जानकारी मिलने के बाद सेना की स्पेशल फोर्स और पुलिस ने संयुक्त अभियान शुरू किया। 

दरअसल, राजौरी के कालाकोट थाने के अंतर्गत गांव बाजी के जंगलों में दो से तीन आतंकियों के छिपे होने का इनपुट सुरक्षा बलों को मिला था। इस इनपुट के आधार पर भारतीय सेना और जम्मू कश्मीर पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू किया। तलाशी के दौरान आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर फायरिंग शुरू कर दी जिस के बाद उस इलाके में मुठभेड़ शुरू हुई।मुठभेड़ में एक अधिकारी (मेजर) और एक सैनिक की जान चली गई और एक अन्य सुरक्षाकर्मी घायल हो गया। घायल जवान को अस्पताल ले जाया गया है।

जम्मू-कश्मीर में पीर पंजाल के जंगल पिछले कुछ वर्षों में कई मुठभेड़ों के बाद सुरक्षा बलों के लिए एक चुनौती साबित हुए हैं। आतंकवादी भौगोलिक स्थिति का लाभ उठाकर अपनी स्थिति को छुपाने के लिए घने जंगलों का उपयोग करते हैं। आतंकवादी अपनी स्थिति को छिपाने के लिए दुर्गम पहाड़ों, घने जंगलों और अल्पाइन जंगलों का फायदा उठाते हैं।

बता दें कि तीन दिन पहले राजौरी के बुद्धल गांव में सुरक्षाबलों ने एक आतंकवादी को मार गिराया था जिसके बाद लगातार तलाशी अभियान चल रहा था।

सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी पर बाबा रामदेव की सफाई, बोले-कुछ लोग पतंजलि के खिलाफ कर रहे दुष्प्रचार, अपनी सारी रिसर्च दिखाने को तैयार

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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को कड़ी चेतावनी दी है। मॉडर्न मेडिसिन सिस्टम यानी आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ विज्ञापन में भ्रामक दावे पब्लिश करने को लेकर ये फटकार लगाई है। कोर्ट ने सख्ती से कहा था कि वे भ्रामक विज्ञापन बंद करें। कोर्ट की चेतावनी के बाद बाबा रामदेव ने सफाई दी है।स्वामी रामदेव ने कहा कि पंतजलि के खिलाफ 5 साल से प्रोपेगेंडा चल रहा है। हमें लगातार टारगेट किया जा रहा है। 

पतंजलि के खिलाफ किया जा रहा दुष्प्रचार-स्वामी रामदेव

सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी के बाद आज बाबा रामदेव की ओर से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई। उन्होंने कहा कि अलग-अलग मीडिया साइट्स पर एक खबर वायरल हो रही है कि सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आप गलत प्रचार करेंगे तो आप पर जुर्माना लगाया जाएगा। हम सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं। लेकिन हम कोई गलत प्रचार नहीं कर रहे हैं। कुछ स्वार्थी किस्म के लोग पतंजलि के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे हैं। 

कोर्ट में अपनी सारी रिसर्च दिखाने के लिए तैयार-स्वामी रामदेव

स्वामी रामदेव ने कहा कि एलोपैथी और मार्डन मेडिकल साइंस की ओर से झूठ फैलाया जा रहा है। कुछ डॉक्टरों ने एक समूह बनाया है जो लगातार योग, आयुर्वेद आदि के खिलाफ प्रचार करता है। अगर हम झूठे हैं, तो हम पर 1000 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाएं और हम मृत्युदंड के लिए भी तैयार हैं, लेकिन अगर हम झूठे नहीं हैं, तो उन लोगों को दंडित करें जो वास्तव में झूठा प्रचार कर रहे हैं। पिछले 5 वर्षों से रामदेव और पतंजलि को निशाना बनाकर दुष्प्रचार किया जा रहा है। वह कोर्ट के सामने सैकड़ों मरीजों की परेड कराने के लिए तैयार हैं। वह कोर्ट में अपनी सारी रिसर्च दिखाने के लिए तैयार हैं।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु रामदेव द्वारा सह-स्थापित और हर्बल उत्पादों का कारोबार करने वाली कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को कई रोगों के संबंध में अपनी दवाओं के बारे में विज्ञापनों में झूठे और भ्रामक दावे करने के प्रति मंगलवार को आगाह किया था। दरअसल, मॉडर्न मेडिसिन सिस्टम यानी आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ विज्ञापन में भ्रामक दावे पब्लिश करने वाले विज्ञापनों के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। इसपर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कल यानी मंगलवार को पतंजलि आयुर्वेद को कड़ी चेतावनी दी थी।

पाकिस्तान बनेगा ब्रिक्स का हिस्सा! सदस्यता के लिए किया आवेदन, रूस से है मदद की उम्मीद

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विकासशील देशों के संगठन ब्रिक्स की लगातार बढ़ती लोकप्रियता के बीच अब पाकिस्तान भी इसमें शामिल होना चाहता है। चीन के इशारे पर पाकिस्‍तान ब्रिक्‍स की सदस्‍यता हासिल करना चाहता है। पाकिस्‍तान चाहता है कि भारत का दोस्‍त रूस इसमें उसकी मदद करे। पाकिस्तान ने इसके लिए आवेदन भी दे दिया है। रूस की तास न्यूज एंजेंसी ने इसकी जानकारी दी है। रूस में पाकिस्तान के राजदूत मोहम्मद खालिद जमाली ने आवेदन भरने के साथ ही ब्रिक्स में सदस्यता दिलाने के लिए रूस से मदद मांगी है।

रूसी न्‍यूज एजेंसी तास की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्‍तानी राजदूत ने एक इंटरव्‍यू में यह खुलासा किया है। पाकिस्‍तान की सदस्‍यता का मुद्दा अगले साल रूस के सामने आएगा।रूस में ब्रिक्‍स की अगली बैठक होने वाली है और देश के उप विदेश मंत्री ने कहा है कि ब्रिक्‍स की योजना है कि कुछ देशों को पार्टनर स्‍टेट का दर्जा दिया जाए। उन्‍होंने कहा कि ब्रिक्‍स के दोस्‍तों का विस्‍तार वह लैटिन अमेरिका तक देखना चाहते हैं। इससे पहले चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा था कि हमें ब्रिक्‍स में और ज्‍यादा देशों को शामिल करना चाहिए ताकि वैश्विक व्‍यवस्‍था को ज्‍यादा न्‍यायोचित बनाया जा सके। चीन की मंशा है कि ब्रिक्‍स में पाकिस्‍तान को किसी तरह से शामिल किया जाए।

चीन की चाल के खिलाफ खड़ा भारत

चीन भले ही पाकिस्तान को ब्रिक्स सदस्य के रूप में देखना चाहता है, लेकिन भारत इसके खिलाफ पूरी ताकत से अड़ा हुआ है।भारत का कहना है कि ब्रिक्‍स का और ज्‍यादा अगर विस्‍तार होता है तो इससे वह कमजोर होगा और अपने मुख्‍य लक्ष्‍य को हासिल नहीं कर सकेगा। इसके अलावा आम सहमति भी बनाना आसान नहीं होगा। इससे पहले बेलारूस ने भी ब्रिक्‍स में घुसने की कोशिश की थी लेकिन भारत ने उसका कड़ा विरोध किया था।यही वजह है कि चीन और पाकिस्‍तान दोनों रूस के रास्‍ते भारत पर दबाव डालकर ब्रिक्‍स का विस्‍तार कराना चाहते हैं।

ब्रिक्स का हिस्सा क्यों बनना चाहता है पाकिस्तान?

पाकिस्तान की अर्थव्यस्था बेहद मुश्किल हालात से गुजर रही है लेकिन उसे अपने सहयोगी देशों से उतनी मदद नहीं मिल पा रही है। जिसकी उसे उम्मीद थी। इस्लामिक, अफ्रीकी और एशियाई देशों से वह निराश है जबकि अमेरिका भी उसे ज्यादा भाव नहीं दे रहा है। ऐसे में पाकिस्तान अब ब्रिक्स बैंक से आर्थिक मदद पाना चाहता है कि ताकि अपनी चरमराती अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा कर सके।

क्या है ब्रिक्स?

बता दें ब्रिक्स में फिलहाल भारत,रूस, ब्राजील, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल है। हालांकि, दक्षिण अप्रीका के जोहान्सबर्ग में आयोजित ब्रिक्स के 15वें शिखर सम्मेलन में संगठन के विस्तार का फैसला लिया गया। 6 देश - अर्जेंटीना, मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात- ब्रिक्स के नए सदस्य होंगे। नए सदस्य एक जनवरी 2024 से क्स का हिस्सा बन जाएंगे।

एमपी के बुरहानपुर में वन विभाग की लापरवाही की भेंट चढ़े बंदर ! भूख से और पानी में डूबकर 50 की मौत, कई और फंसे हुए हैं

 मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में एक बांध के ओवरफ्लो होने से 50 से अधिक बंदरों की 'मौत' हो गई है। बंदरों की मौत जल संसाधन और वन विभाग की लापरवाही का नतीजा बताई जा रही है। घटना भावासा गांव की है। भावासा सिंचाई परियोजना के तहत भारी बारिश के कारण बांध का पानी अचानक भर गया था। जिसके कारण अनुमानतः 50 से 60 के बीच बंदरों का एक समूह पेड़ों पर फंस गया। कथित तौर पर बंदर कई महीनों तक पेड़ों पर फंसे रहे और पेड़ की पत्तियां खाकर जीवित रहे। जैसे-जैसे भोजन कम होता गया, बंदर मरने लगे।

ग्रामीणों ने कहा कि अभी भी 5 से 6 बंदर इलाके में पेड़ों पर फंसे हुए हैं। बुरहानपुर के भावासा गांव में जल संसाधन विभाग द्वारा किसानों को लाभ पहुंचाने और जल स्तर बढ़ाने के लिए एक बांध का निर्माण किया गया था। हालांकि, अचानक हुई बारिश के कारण बांध भर गया और करीब 50 से 60 बंदर इमली के पेड़ों पर फंस गये। ग्रामीणों का दावा है कि उन्होंने बार-बार जल संसाधन विभाग और वन विभाग को घटना की जानकारी दी, लेकिन अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया। ग्रामीणों के अनुसार, बंदर इमली की पत्तियां और फल खाकर महीनों तक जीवित रहे। पेड़ों की पत्तियां भी खत्म हो गईं तो 50 से ज्यादा बंदरों की मौत हो गई। तैरने की कोशिश में कुछ बंदर पानी में डूब गये और कुछ भूख से मर गये। फिलहाल चार से पांच बंदर ही जीवित बचे हैं और बेहद कमजोर हो गए हैं।

बता दें कि बंदर वन्यजीव संरक्षण के अंतर्गत आते हैं और वन विभाग को इन्हें बचाने के लिए तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए थी। ग्रामीणों का कहना है कि अगर वन एवं जल संसाधन विभाग द्वारा समय रहते कार्रवाई नहीं की गई तो बचे हुए बंदरों की भी मौत हो सकती है। उप वन अधिकारी (DFO) अजय सागर ने कहा इस बारे में कहा है कि यह घटना पुरानी नहीं है और हाल ही में जलस्तर बढ़ने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। उन्होंने 50 बंदरों की मौत के दावे का भी खंडन किया और कहा कि ग्रामीण इस मुद्दे पर झूठ बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि मामला अधिकारियों के संज्ञान में आ गया है और बंदरों को बचाने के लिए एक टीम भेजी जा रही है। उन्होंने आश्वासन दिया कि रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान बंदरों को कोई नुकसान नहीं होगा।

भारतीय नौसेना में शामिल होने के लिए तैयार स्वदेशी “विध्वंसक” इम्फाल, युद्धपोत से दागी गई ब्रह्मोस मिसाइल

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भारतीय सेना लगातार अपनी ताकत में इजाफा कर रही है।इसी क्रम में भारतीय नौसेना ने पहली बार सेना में शामिल होने से पहले किसी युद्धपोत से मिसाइल दागी गई है। इस युद्धपोत का नाम विशाखापट्टनम क्लास स्वदेशी गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर आईएनएस इम्पाल है। इससे दागी गई है दुनिया की सबसे तेज चलने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस।

युद्धपोत आईएनएस इम्फाल से निकली ब्रह्मोस मिसाइल के एक्सटेंडेड वर्जन ने 'बुल्स आई' पर निशाना लगाया। न्यूज एजेंसी एएनआई ने एक्स पर वीडियो शेयर कर कहा, "इम्फाल (यार्ड 12706), भारतीय नौसेना के नवीनतम स्वदेशी निर्देशित मिसाइल विध्वंसक ने समुद्र में अपनी पहली ब्रह्मोस फायरिंग में 'बुल्स आई' स्कोर किया।

नौसेना ने एक बयान में कहा, भारतीय नौसेना के नवीनतम स्वदेशी मिसाइल विध्वंसक पोत- इम्फाल (यार्ड 12706) से निर्देशित प्रहार किया गया। समुद्र में अपनी पहली ब्रह्मोस फायरिंग में इम्फाल ने सटीक निशाना साधा। नौसेना की भाषा में इसे 'बुल्स आई' स्कोर करना कहा गया।

नौसेना ने कहा, इससे 'आत्मनिर्भर भारत' आह्वान के तहत बढ़ती जहाज निर्माण क्षमता की भी पता चलता है। इम्फाल को अपने बेड़े में शामिल करने का फैसला दिखाता है कि नौसेना स्वदेशी हथियारों और प्लेटफार्मों की सुनिश्चित विश्वसनीयता पर अटूट फोकस कर रही है।

इसे भारत में निर्मित सबसे बड़े विध्वंसक जहाजों में से एक बताया जा रहा है। इसकी कुल लंबाई 164 मीटर है। इम्फाल का डिस्प्लेसमेंट 7500 टन से अधिक है। यानी समुद्र में जहाज परिचालन के दौरान इतनी मात्रा में पानी का विस्थापन होगा। इम्फाल पोत की क्षमता के बारे में नौसेना ने बताया कि यह सतह से सतह पर मार करने वाली सुपरसोनिक 'ब्रह्मोस' मिसाइलों और मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली 'बराक-8' मिसाइलों से लैस है। समुद्र के भीतर युद्ध क्षमता के लिए विध्वंसक जहाज में कई और भी सुविधाओं को जोड़ा गया है। 

इम्फाल को अब तक के सबसे योग्य लड़ाकू प्लेटफॉर्म कहा जा सकता है।इम्फाल को सहायक जहाजों के बिना स्वतंत्र रूप से संचालित किया जा सकता है।इम्फाल जहाज 312 लोगों के चालक दल को समायोजित कर सकता है। 4000 समुद्री मील की क्षमता वाला ये युद्धपोत 42 दिनों के सामान्य मिशन को निर्बाध तरीके से अंजाम दे सकता है। जहाज का एक्सेस बढ़ाने के लिए इसे दो हेलीकॉप्टरों से भी सुसज्जित किया गया है।

नौसेना के स्वदेशी जहाज को बड़ी कामयाबी, पहली ही स्ट्राइक में तबाह हो गई मिसाइल, किसी भी समय युद्ध के लिए तत्पर

भारतीय नौसेना ने अपने नवीनतम स्वदेशी युद्धपोत, आईएनएस इंफाल (यार्ड 12706) से ब्रह्मोस मिसाइल के सफल परीक्षण के साथ एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। एक बयान में, नौसेना ने इस सटीक हमले को आईएनएस इम्फाल द्वारा किए गए 'बुल्स आई' के रूप में संदर्भित किया।

किसी भी समय युद्ध के लिए तत्परता

नौसेना के अनुसार, किसी भी जहाज के चालू होने से पहले विस्तारित दूरी वाली ब्रह्मोस मिसाइल का पहला परीक्षण किया गया, जो किसी भी समय युद्ध के लिए नौसेना की तैयारियों को प्रदर्शित करता है। नौसेना का संदेश स्पष्ट है- वह किसी भी परिस्थिति में युद्ध के लिए तैयार है।

नौसेना का 'आत्मनिर्भर भारत' पर भरोसा

नौसेना ने स्वदेशी पोत इम्फाल से मिसाइल को नष्ट करने की सफलता का जश्न मनाते हुए 'आत्मनिर्भर भारत' पहल के तहत जहाज निर्माण क्षमताओं पर भरोसा जताया। इंफाल को अपने बेड़े में शामिल करने का निर्णय स्वदेशी हथियारों और प्लेटफार्मों की विश्वसनीयता पर नौसेना के अटूट फोकस को उजागर करता है।

स्वदेशी इस्पात से निर्मित युद्धपोत

नौसेना ने 20 अक्टूबर को जारी एक बयान में बताया कि जहाज के निर्माण में स्वदेशी DMR 249A स्टील का उपयोग किया गया है। इंफाल को भारत में निर्मित सबसे बड़े स्वदेशी युद्धपोतों में से एक माना जाता है, जिसकी कुल लंबाई 164 मीटर है।

इंफाल का दुर्जेय शस्त्रागार

इम्फाल की क्षमताओं का विवरण देते हुए, नौसेना ने सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइलों को लॉन्च करने की अपनी क्षमता पर जोर दिया, जो सतह के लक्ष्यों पर सटीकता से हमला करने में सक्षम है, और मध्य दूरी के हवाई हमलों के लिए बराक -8 मिसाइलें हैं। यह युद्धपोत समुद्री युद्ध के लिए अतिरिक्त सुविधाओं से सुसज्जित है जो समुद्री क्षेत्र के भीतर अपनी क्षमताओं को बढ़ाता है। अंत में, आईएनएस इम्फाल से सफल परीक्षण फायरिंग भारतीय नौसेना के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है। नौसेना के शस्त्रागार में स्वदेशी प्रौद्योगिकियों और सामग्रियों का एकीकरण एक आत्मनिर्भर रक्षा महाशक्ति बनने की दिशा में भारत की प्रगति को उजागर करता है।

क्या सुधरेंगे संबंध? भारत ने कनाडा के लोगों के लिए फिर शुरू की ई-वीजा सेवा, 2 महीने से बंद थी सेवा

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भारत और कनाडा के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलती हुई नजर आ रही है। खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या मामले पर कनाडा और भारत के बीच राजनयिक तनाव बढ़ गया था।जिसके बाद भारत ने कनाडाई लोगों के लिए ई-वीजा सर्विस को सस्पेंड कर दिया था। लेकिन राजनयिक विवाद के बीच दो महीने की रोक के बाद भारत ने कनाडाई लोगों के लिए ई-वीजा सेवाएं फिर से शुरू कर दी हैं।समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से इसकी जानकारी दी है।

बतका दें कि कनाडा ने सितंबर में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप भारतीय एजेंट्स पर लगाया था। इस वजह से दोनों देशों के संबंध काफी खराब हो गए। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिस ट्रूडो ने संसद में कहा था कि कनाडाई नागरिक निज्जर की जून में ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत के सरे शहर में गुरुद्वारे के बाहर हुई हत्या को भारतीय एजेंट्स ने अंजाम दिया था। इसके बाद 21 सितंबर को भारत ने कनाडाई नागरिकों के लिए ई-वीजा सर्विस पर रोक लगा दी।

भारत ने ट्रूडो के बयान को सिरे से खारिज करते हुए कनाडा के सीनियर डेप्लोमेट को 5 दिन के अंदर देश छोड़ने का आदेश दिया था। फिर कनाडा ने अपने नागरिकों को भारत के कुछ खास हिस्सों में न जाने के लिए एडवाइजरी जारी की थी। जिसके जवाब में भारत ने भी कनाडा के लिए ऐसी ही एडवाइजरी रिलीज कर दी थी। जिसके बाद भारत ने कनाडा में मौजूद भारत के वीजा एप्लिकेशन सेंटर की सेवाओं को सस्पेंड कर दिया था।

21 सितंबर को कनाडा में भारत के लिए वीजा सेवाएं मुहैया कराने वाली एजेंसी ने परिचालन कारणों से कुछ समय के लिए इस सुविधा को निलंबित कर दिया था। बीएलएस इंटरनेशनल की ओर से जारी आदेश में कहा गया था कि ऑपरेशन कारणों से तत्काल प्रभाव से कनाडा में भारतीय वीजा सेवाओं को अगली सूचना तक निलंबित कर दिया गया है।हालांकि, इसके बाद 26 अक्तूबर से भारत ने कुछ विशेष श्रेणियों में वीजा सेवाएं फिर से शुरू करने की बात कही थी। इनमें प्रवेश वीजा, बिजनेस वीजा, मेडिकल वीजा और कॉन्फ्रेंस वीजा शामिल थे। हालांकि, अब कनाडाई नागरिकों के लिए हर तरह के ई-वीजा आवेदनों की छूट दे दी गई है।

सोनिया और राहुल गांधी को बड़ा झटका! नेशनल हेराल्ड केस में ED ने किया 752 करोड़ रूपये की संपत्ति को कुर्क

कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गाँधी एवं राहुल गांधी को बड़ा झटका लगा है। नेशनल हेराल्ड केस में प्रवर्तन निदेशालय ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 751 करोड़ की संपत्ति बरामद कर ली है। प्रवर्तन निदेशालय ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड एवं मेसर्स यंग इंडियन की 751.9 करोड़ की संपत्ति बरामद की। इसमें एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की संपत्ति का कुल भाव 661.69 करोड़ रुपए है, जो दिल्ली, लखनऊ एवं मुम्बई जैसे शहरों में फैली हुई है। वहीं, मेसर्स यंग इंडियन की प्रॉपर्टी का भाव 90.21 करोड़ रुपए है, जो शेयरों के रूप में है। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय कांग्रेस के दोनों नेताओं से पूछताछ की थी।

दिल्ली के मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा एक निजी शिकायत पर संज्ञान लेने के पश्चात् जारी प्रक्रिया के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग की तहकीकात आरम्भ की थी। कोर्ट ने माना था कि यंग इंडियन समेत 7 अपराधियों ने प्रथम दृष्टया IPC की धारा 406 के तहत आपराधिक विश्वासघात, IPC की धारा 420 के तहत धोखाधड़ी एवं धोखाधड़ी से संपत्ति दिलवाने, IPC की धारा 403 के तहत संपत्ति की बेईमानी से गबन एवं IPC की धारा 120बी के तहत आपराधिक षड्यंत्र के अपराध का मामला है। कोर्ट ने माना था कि अपराधियों ने प्लानिंग के तहत यंग इंडियन के जरिए एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की सैकड़ों करोड़ रुपए की संपत्तियों को हड़पने का आपराधिक षड्यंत्र रचा था।

बता दे कि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को अखबार प्रकाशित करने के उद्देश्य से भारत के तमाम शहरों में रियायती दरों पर जमीन दी गई थी। एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड ने 2008 में अपना प्रकाशन बंद कर दिया तथा संपत्तियों का इस्तेमाल व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए करना आरम्भ कर दिया। एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को ऑल इंडिया कॉन्ग्रेस कमेटी (एआईसीसी) को 90.21 करोड़ रुपए का ऋण चुकाना था, हालाँकि एआईसीसी ने 90.21 करोड़ रुपए के उक्त ऋण को एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड से वसूली योग्य नहीं माना तथा इसे 50 लाख रुपए में एक नई बनाई गई कंपनी यंग इंडियन को बेच दिया, जिसके पास 50 लाख रुपए भी देने का कोई स्रोत नहीं था। अपने इस कृत्य से एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के शेयरधारकों के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी के दाताओं के साथ भी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड एवं कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारियों द्वारा धोखाधड़ी की गई। प्रवर्तन निदेशालय की तहकीकात से पता चला कि एआईसीसी से 90.21 करोड़ रुपए का लोन पाने के बाद यंग इंडियन ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड से या तो लोन का भुगतान करने या फिर एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के इक्विटी शेयरों को देने की डिमाँड की। 

तत्पश्चात, एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड ने एक आम बैठक (ईजीएम) आयोजित की और शेयर पूँजी बढ़ाने का प्रस्ताव पास किया, जिसमें यंग इंडियन के लिए 90.21 करोड़ रुपए के नए शेयर जारी करने का प्रस्ताव पारित किया गया। यंग इंडियन को शेयर मिलने के पश्चात् एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के 1000 से ज्यादा वास्तविक शेयर धारकों की कंपनी में हैसियत सिर्फ 1 प्रतिशत की रह गई और एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड कंपनी पूरी तरह से यंग इंडियन कंपनी की सहायक कंपनी बन गई। यही नहीं, एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की संपत्तियों पर भी यंग इंडियन ने कब्जा कर लिया। इस प्रकार से सिर्फ 50 लाख रुपए में बनाई गई यंग इंडियन नाम की कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड जैसी बड़ी कंपनी की मालिक बन गई। यंग इंडियन के मालिकान, जिसमें राहुल गाँधी तथा सोनिया गाँधी हैं, उनके पास उस एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की पूरी कमान आ गई, जो अब तक 1000 शेयरधारकों की कंपनी थी। प्रवर्तन निदेशालय ने बताया है कि मामले की तहकीकात जारी है। ये पूरा घोटाला 2000 करोड़ रुपए से ज्यादा का है।

पीएम मोदी की मेजबानी में आज G20 का वर्चुअल सम्मेलन, इजराइल-हमास जंग का निकलेगा समाधान?

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पिछले डेढ़ महीने से ज्यादा समय से इजरायल-हमास युद्ध जारी है। इस जंग में हजारों नागरिकों को अपनी जान गवांनी पड़ी है। अभी तक इस युद्ध का कोई ठोस समाधान नहीं खोजा जा सका है। हां, ये बात जरूर है कि आज ही इजरायल-हमास के बीच 4 दिनों के संघर्ष विराम पर सहमति बनी है।इस दौरान नों तरफ से बंधकों को छोड़े जाने पर भी समझौता हुआ है। लेकिन जंग पूरी तरह से कब खत्म होगी इस पर सवाल बरकरार है। इस बीच आज जी- 20 नेताओं के एक वर्चुअल शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया है। प्रधानमंत्री मोदी की मेजबानी में होने वाली इस बैठक में इजराइल-हमास के बीच छिड़ी जंग को लेकर चर्चा होने की संभावना है। इस दौरान जंग को खत्म करने पर जोर दिया जाएगा।

आज होने वाली बैठक में जी-20 के लगभग सभी सदस्य देश शामिल होगे। माना जा रहा है कि जी-20 के मंच से इस युद्ध के विभिन्न पहलुओं पर गहन मंथन के बाद इजराइल से तत्काल युद्ध विराम करने और हमास से बंधकों की सकुशल रिहाई का रास्ता साफ हो सकता है।आज होने वाला वर्चुअल सम्मेलन इजरायल-हमास जंग के साये में रह सकता है। अमेरिका और यूरोपीय देश इस मसले को उठा सकते हैं। इस मुद्दे पर चीन, रूस, अरब और तुर्किये का रुख क्या होता है, इसे लेकर भी चर्चा अभी से उठने लगी है।

वहीं, विदेश मंत्रालय ने कहा, जी-20 वर्चुअल शिखर सम्मेलन भारत की अध्यक्षता में सितंबर में समूह के वार्षिक सम्मेलन में तय किए गए नतीजों और कार्रवाई बिंदुओं को आगे बढ़ाएगा। इसमें रूस-यूक्रेन युद्ध और इस्राइल-हमास संघर्ष के प्रभाव पर भी चर्चा की जाएगी। 

भारत की कोशिश है कि सात अक्तूबर को इजराइल पर हुए हमास के आतंकी हमले को लेकर वैश्विक समुदाय को एकजुट किया जाए, जिससे इजराइल के घाव पर भी मरहम लग सके। गाजा में उत्पन्न मानवीय संकट पर अंतर्राष्ट्रीय जगत को मिलकर काम करने की जी20 की अपील से हमास पर बंधकों की सुरक्षित रिहाई को लेकर दवाब बन सकेगा। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद ये दूसरा ऐसा मुद्दा है जब भारत जी-20 के मंच पर सर्वसम्मति बनाने की पुरजोर कोशिश करेगा।

बता दें कि कि 10 सितंबर को नई दिल्ली शिखर सम्मेलन के समापन सत्र के दौरान पीएम मोदी ने घोषणा की थी कि भारत एक वर्चुअल शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। बैठक में अफ्रीकी संघ के अध्यक्ष सहित जी20 देशों के नेताओं के साथ-साथ नौ अतिथि देशों और 11 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुखों को आमंत्रित किया गया है। भारत के पास 30 नवंबर तक जी20 की अध्यक्षता है। 2024 में ब्राजील की जी20 की अध्यक्षता के दौरान जी20 की टॉप तिकड़ी में भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका शामिल होंगे। भारत ने पिछले साल 1 दिसंबर को एक साल के लिए जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण की और अगले साल तक वह शीर्ष तिकड़ी का हिस्सा बना रहेगा।