फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने इजरायल से किया युद्धविराम का आग्रह, नेतन्याहू ने दिया ये जवाब

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इजरायल और हमास के बीच जारी जंग को एक महीने से अधिक का समय हो चुका है। हालांकि, युद्ध में विराम लगता दिख नहीं रहा है। इस जंग में इजराइल का साथ दे रहे अमेरिका पहले ही जंग को बंद करने का आह्वान कर चुका है। अब फ्रांस ने इजरायल से गाजा में नागरिकों पर हमला बंद करने के आह्वान किया है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन द्वारा गाजा में बढ़ती मौतों के बीच नागरिकों पर बमबारी रोकने का आह्वान किया गया है।मैक्रॉन ने कहा कि बमबारी का "कोई औचित्य नहीं" था और युद्धविराम से इजरायल को फायदा होगा।

अब तक इसराइली हमलों में गाजा पट्टी में मरने वालों की संख्या 11,078 पहुंच गई है, जिनमें अधिकांश बच्चे हैं। ऐसे में गाजा की ताजा हालात को देखते हुए दुनिया भर के देश युद्ध विराम की अपील कर रहे हैं। इसी बीच फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भी इजरायल हमास के बीच जारी संघर्ष को रोकने की अपील की है।इमैनुएल मैक्रों ने एक इंटरव्यू में बीबीसी को बताया कि इजरायल को गाजा पर बमबारी करना और नागरिकों को मारना बंद करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बमबारी का कोई औचित्य नहीं था और युद्धविराम से इजरायल को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि फ्रांस हमास की आतंकवादी कार्रवाइयों की "स्पष्ट रूप से निंदा" करता है। इसके साथ ही हमारा मानना है कि इजरायल को अपनी रक्षा करने का भी पूरा अधिकार है लेकिन हम गाजा में होने वाली बमबारी को रोकने का आग्रह करते हैं।

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन के इजरायल से गाजा में नागरिकों पर हमला बंद करने के आह्वान का जवाब दिया है। फ्रांस के राष्ट्रपति को दिए जवाब में बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि इन मौतों के लिए हमास जिम्मेदार है, न कि इजरायलय और इसलिए पूरी दुनिया को हमास और आईएसआईएस की निंदा करनी चाहिए न कि इजरायल की। उन्होंने आगे कहा कि इजराइल गाजा के नागरिकों को नुकसान पहुंचाने से बचने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है, जबकि हमास उन्हें सुरक्षित क्षेत्रों में जाने से रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।

गाज़ा पर फ़ौरन हमला रोके इजराइल..', UNGA में जॉर्डन लाया प्रस्ताव, पढ़िए, भारत ने वोट डालने से किया इंकार करते हुए ये बताया कारण

भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में जॉर्डन द्वारा प्रस्तुत एक मसौदा प्रस्ताव पर मतदान से परहेज किया, जिसमें इज़राइल-हमास संघर्ष में तत्काल मानवीय संघर्ष विराम का आह्वान किया गया था, और इसमें फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह हमास का कोई जिक्र नहीं किया गया था। मसौदा प्रस्ताव में गाजा पट्टी में निर्बाध मानवीय पहुंच का भी आह्वान किया गया था और इसे बांग्लादेश, मालदीव, पाकिस्तान, रूस और दक्षिण अफ्रीका सहित 40 से अधिक देशों द्वारा सह-प्रायोजित किया गया था। भारत के अलावा, अनुपस्थित रहने वाले देशों में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, जापान, यूक्रेन और ब्रिटेन शामिल थे।

"नागरिकों की सुरक्षा और कानूनी और मानवीय दायित्वों को कायम रखना" शीर्षक वाले प्रस्ताव को भारी बहुमत से अपनाया गया, जिसमें 120 देशों ने इसके पक्ष में मतदान किया, 14 ने इसके खिलाफ वोट किया और 45 ने मतदान ही नहीं किया। प्रस्ताव पर आम सभा के मतदान से पहले, 193 सदस्यीय निकाय ने कनाडा द्वारा प्रस्तावित और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा सह-प्रायोजित, पाठ में एक संशोधन पर विचार किया गया। संशोधन में प्रस्ताव में एक पैराग्राफ डालने के लिए कहा गया, जिसमें कहा गया कि महासभा "7 अक्टूबर 2023 को इजरायल में हुए हमास के आतंकवादी हमलों और बंधकों को ले जाने की घटना को स्पष्ट रूप से खारिज करती है और इसकी निंदा करती है, सुरक्षा और कल्याण की मांग करती है। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुपालन में बंधकों के साथ मानवीय व्यवहार, और उनकी तत्काल और बिना शर्त रिहाई का आह्वान करती है।''

इस प्रस्ताव के लिए भारत ने 87 अन्य देशों के साथ संशोधन के पक्ष में मतदान किया, जबकि 55 सदस्य देशों ने इसके खिलाफ मतदान किया और 23 अनुपस्थित रहे। इसके अलावा, UNGA के 78वें सत्र के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने घोषणा की कि मसौदा संशोधन को अपनाया नहीं जा सकता है। 

भारत द्वारा वोट की व्याख्या

उप स्थायी प्रतिनिधि राजदूत योजना पटेल ने UNGA में कहा कि, "7 अक्टूबर को इजराइल में हुए आतंकी हमले चौंकाने वाले थे और निंदा के लायक थे। हमारी संवेदनाएं बंधक बनाए गए लोगों के साथ हैं। हम उनकी तत्काल और बिना शर्त रिहाई का आह्वान करते हैं।" उन्होंने कहा कि, "आतंकवाद एक घातक बीमारी है और इसकी कोई सीमा, राष्ट्रीयता या नस्ल नहीं होती है। दुनिया को आतंकी कृत्यों के औचित्य पर विश्वास नहीं करना चाहिए। आइए हम मतभेदों को दूर रखें, एकजुट हों और आतंकवाद के प्रति शून्य-सहिष्णुता का दृष्टिकोण अपनाएं।"

भारत ने UNGA में कहा कि, "मानवीय संकट को संबोधित करने की जरूरत है। हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय के तनाव कम करने के प्रयासों और गाजा के लोगों को मानवीय सहायता पहुंचाने का स्वागत करते हैं। भारत ने भी इस प्रयास में योगदान दिया है। हम पार्टियों से आग्रह करते हैं कि वे तनाव कम करें, हिंसा से बचें और सीधी शांति वार्ता की शीघ्र बहाली के लिए स्थितियां बनाने की दिशा में काम करें। हमें उम्मीद है कि इस सभा के विचार-विमर्श से आतंक और हिंसा के खिलाफ एक स्पष्ट संदेश जाएगा और कूटनीति और बातचीत की संभावनाओं का विस्तार होगा। 

प्रस्ताव में क्या 

बता दें कि, जॉर्डन द्वारा तैयार किए गए प्रस्ताव में शत्रुता की समाप्ति के लिए तत्काल, टिकाऊ और निरंतर मानवीय संघर्ष विराम का आह्वान किया गया था। इसने पूरे गाजा पट्टी में नागरिकों को आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं के तत्काल, निरंतर, पर्याप्त और निर्बाध प्रावधान की भी मांग की, जिसमें पानी, भोजन, चिकित्सा आपूर्ति, ईंधन और बिजली तक सीमित नहीं है। मसौदा प्रस्ताव में अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के तहत यह सुनिश्चित करने की अनिवार्यता पर जोर दिया गया था कि नागरिकों को उनके अस्तित्व के लिए अपरिहार्य वस्तुओं से वंचित नहीं किया जाए।

साथ ही जॉर्डन ने फिलिस्तीन शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी और अन्य संयुक्त राष्ट्र मानवीय एजेंसियों और उनके कार्यान्वयन भागीदारों के लिए "तत्काल, पूर्ण, निरंतर, सुरक्षित और निर्बाध मानवीय पहुंच" का भी आह्वान किया। मसौदा प्रस्ताव में रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति और अन्य सभी मानवीय संगठनों के लिए मानवीय पहुंच की भी मांग की गई। संकल्प के अनुसार, यह मानवीय सिद्धांतों को बनाए रखने और गाजा पट्टी में नागरिकों को तत्काल सहायता प्रदान करने, मानवीय गलियारों की स्थापना को प्रोत्साहित करने और नागरिकों को मानवीय सहायता के वितरण की सुविधा के लिए अन्य पहलों के द्वारा किया जाना चाहिए।

प्रस्ताव में शामिल सभी लोगों से अंतरराष्ट्रीय कानून के नियमों का पालन करने के लिए कहा गया, खासकर जब नियमित लोगों और उनकी चीजों की सुरक्षा की बात आती है, साथ ही मानवीय कार्यकर्ताओं की सहायता करने और गाजा में जरूरतमंद लोगों को आवश्यक आपूर्ति प्राप्त करने की बात आती है। इसमें यह भी कहा गया कि फ़िलिस्तीनी नागरिकों, संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारियों और मानवीय कार्यकर्ताओं को उत्तरी गाजा से दक्षिणी गाजा में स्थानांतरित करने के लिए प्रभारी देश इज़राइल द्वारा दिए गए आदेश को रद्द किया जाना चाहिए। प्रस्ताव में यह भी मांग की गई कि बिना किसी उचित कारण के बंदी बनाए गए सभी लोगों को तुरंत मुक्त किया जाना चाहिए, और उनके साथ अच्छा व्यवहार किया जाना चाहिए और कानून के अनुरूप होना चाहिए। हालाँकि, भारत ने इस प्रस्ताव पर वोट करने से साफ़ इंकार कर दिया, क्योंकि, इसमें फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास का जिक्र नहीं किया गया था और न ही आतंकी हमले की निंदा की गई थी। भारत का संयुक्त राष्ट्र में स्पष्ट कहना था कि, कोई भी प्रस्ताव एकतरफा नहीं आना चाहिए और दुनियाभर को आतंकवाद को मानवता के सबसे बड़े खतरे के रूप में पहचानना होगा। वहीं, हमास अब भी इजराइल के 200 नागरिकों को बंधक बनाए हुए है और रह-रहकर इजराइल पर रॉकेट भी दाग रहा है, ऐसे में इजराइल जंग नहीं रोक सकता। 

 फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास को इस लड़ाई में लेबनानी आतंकी संगठन हिजबुल्लाह, फिलिस्तीन इस्लामिक जिहाद समेत कई आतंकी संगठनों और अधिकतर मुस्लिम देशों का खुला समर्थन मिल रहा है, ऐसे में ये भी संभव है कि, यदि मात्र 90 लाख आबादी वाला यहूदी देश इजराइल अभी रुकता है, तो उसपर चौतरफा हमला हो सकता है, यहाँ तक कि उसका अस्तित्व भी समाप्त हो सकता है। क्योंकि, 1967 में 6 मुस्लिम देश एक साथ मिलकर इजराइल पर हमला कर चुके हैं, तब इजराइल ने महज 6 दिनों में सभी देशों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था, लेकिन आज परिस्थियाँ अलग हैं।

इजराइल-हमास जंग के बीच अमेरिका की बड़ी कार्रवाई, सीरिया में बड़ा हवाई हमला, ईरान समर्थित संगठनों को बनाया निशाना

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इजराइल हमास जंग के बीच अमेरिका ने सीरिया में बड़ा हवाई हमला किया है।अमेरिका ने पूर्वी सीरिया में स्थित ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) और उससे जुड़े समूहों के ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की है। अमेरिका का कहना है कि इस हफ्ते की शुरुआत में अमेरिकी बेस पर ड्रोन और मिसाइल से किए गए हमलों के मद्देनजर जह जवाबी कार्रवाई की गई है।रॉयटर के मुताबिक हमले का आदेश राष्ट्रपति जो बाइडेन ने दिया था।

अमेरिका ने यह कदम इराक और सीरिया में अमेरिकी सेना के खिलाफ किए हमलों के जवाब में उठाया है। अमेरिकी रक्षा सचिव (रक्षा मंत्री) लॉयड जे. ऑस्टिन ने इस संबंध में आधिकारिक बयान जारी किया है। उन्होंने कहा, अमेरिकी सेना ने सीरिया में दो मिलिशिया ठिकानों पर कार्रवाई की है, ये संगठन ईरान के इस्लामिक इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) की मदद करते है।

पेंटागन ने कहा कि इराक में यूएस एयरबेस पर फिर से हमला किया गया। इरबिल एयरबेस पर हमले की कोशिश की गई। लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ और केवल मामूली नुकसान हुआ।

पेंटागन के मुताबिक 17 अक्टूबर को इराक और सीरिया में अमेरिकी बेस पर कम से कम 12 हमले किये गए। इन हमलों में 21 अमेरिकी नागरिक घायल हुए। इराक में अमेरिका के बेस अल असद और सीरिया में अल-तनफ गैरिसन में ईरान से जुड़े संगठनों ने यह हमला किया था। अमेरिका का कहना है कि आज किया गया हमला उसी का जवाब है।

अफगानिस्तान में फिर भूकंप के झटके, केंद्र जमीन से 10 किोलमीटर की गहराई पर था, दो दिन पहले ही भूकम्प से 4000 लोगों की हुई थी मौत

अफगानिस्तान में बुधवार की सुबह भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेज के मुताबिक भूकंप के झटके अफगानिस्तान के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में यह कंपन महसूस की गई है। भूकंप की तीव्रता 6.3 बताई गई है। बताया जा रहा है कि भूकंप का केंद्र जमीन से 10 किोलमीटर की गहराई पर था।

 बता दें कि बीते शनिवार को ही अफगानिस्तान में बड़े स्तर पर भूकंप आने के चलते जानमान का नुकसान हुआ था। शनिवार को अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में भूकंप के तेज झटके लगे थे। जिसमें 4000 लोगों की मौत हो गई। हालांकि अब तक तालिबान ने इसकी पुष्टि नहीं की है।

जंग और तेज होगीःहथियारों के जखीरे से लदा अमेरिकी विमान इजराइल पहुंचा

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इजरायल और हमास के बीच जारी युद्ध और तेज होने वाला है।दरअसल, अमेरिका इजरायल के समर्थन में खुलकर सामने आ गया है। अमेरिकी हथियारों से लदा पहला विमान मंगलवार की शाम दक्षिणी इजराइल में उतरा। इजराइल के रक्षा बल (आईडीएफ) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर इस बात की जानकारी दी।इस विमान ने ऐसे समय में लैंडिंग की है जब अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने इजरायल को पूरा समर्थन देने की बात दोहराई है।बता दें कि गाजा में हमास के खतरनाक हमले में 14 अमेरिकी नागरिक भी मारे गए हैं। 

इजराइल के रक्षा बल (आईडीएफ) ने एक्‍स पर पोस्‍ट कर अमेरिकी मदद मिलने की बात बताई है। उन्होंने लिखा, 'यूएस हथियारों से लदा हुआ पहला विमान दक्षिणी इस्राइल के नेवाटिम एयरबेस में शाम को पहुंचा।' हालांकि, आईडीएफ ने हथियारों के प्रकार या सैन्य उपकरणों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है। इससे पहले अब तक अमेरिका इस जंग में इजरायल के लिए पूरा समर्थन तो जारी कर रहा था, लेकिन गोला-बारूद की सप्लाई शुरू नहीं की गई थी। अब माना जा रहा है कि इसके बाद भी कई अमेरिकी विमान गोला-बारूद लेकर इजरायल पहुंच सकते हैं।जो युद्ध के नजरिए से निर्णायक साबित हो सकते हैं।

नेतन्याहू ने दी है जंग खत्म करने की धमकी

इससे पहले इजराइल के पीएम नेतन्याहू ने हमास को धमकी देते हुए कहा, 'इस्राइल ने यह युद्ध शुरू नहीं किया है, लेकिन इस्राइल इसे खत्म करेगा। नेतन्याहू ने कहा कि ‘इजरायल जंग में है। हम यह जंग नहीं चाहते थे। इसे सबसे क्रूर और बर्बर तरीके से हम पर थोपा गया। हालांकि इजरायल ने इस जंग को शुरू नहीं किया, लेकिन इजरायल इसे खत्म करेगा।

बाइडन ने की नेतन्‍याहू की बात

इस बीच, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने मंगलवार को अमेरिकी बाइडेन से तीसरी बार टेलीफोन पर बात की। बातचीत के बाद नेतन्याहू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, 'मैंने उन्‍हें बताया कि हमास आईएसआईएस से भी बदतर है और उनके साथ उसी तरह व्यवहार किया जाना चाहिए।' वहीं बाइडन ने दोहराया है कि अमेरिका इजरायल के साथ खड़ा है और अपनी रक्षा के उसके अधिकार का पूरी तरह से समर्थन करता है। इजरायल के पीएम ने बिना शर्त समर्थन के लिए बाइडन को धन्यवाद भी दिया।

इजराइल ने हमास के 1500 से ज्यादा आतंकियों को किया ढेर, कहा- 72 घंटे में ही बदला पूरा

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आतंकी संगठन हमास ने अचानक इज़रायल पर हजारों रॉकटों से हमला कर दिया था।हमास ने शनिवार को इजराइल पर रॉकेट दागे। इजराइल ने भी पलटवार करते हुए हमास पर बमबारी कर दी। इज़राइल, गाजा पट्टी में हमास के ठिकानों पर बड़े पैमाने पर हवाई हमले कर रहा है।अब इजराइल ने दावा किया है कि हमलों के 72 घंटों के भीतर ही उसने हमास से बदला ले लिया है। इजराइल की सेना ने कहा है कि हमने हमास के 1500 से ज्यादा आतंकियों को ढेर कर दिया है और अब हमारा बॉर्डर पूरी तरह से सुरक्षित है।

हमास के 1500 आतंकियों के मिले शव

समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक इजरायली सेना ने दक्षिण में बड़े पैमाने पर नियंत्रण हासिल कर लिया है और सीमा पर पूर्ण नियंत्रण भी बहाल हो गई है। प्रवक्ता रिचर्ड हेचट ने कहा कि इजरायली क्षेत्र में हमास आतंकवादियों के 1500 शव मिले हैं और सोमवार रात से कोई भी हमास लड़ाका इजरायल में नहीं घुसा है।हालांकि रिचर्ड हेक्ट ने घुसपैठ रुकने की संभावनाओं से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि घुसपैठ अभी भी हो सकती है।

इजरायली सेना ने 200 से अधिक ठिकानों पर किए हमले

उधर इजराइली डिफेन्स फोर्स ने सीजफायर की किसी भी संभावना इनकार कर दिया है। जंग के बीच इजरायली विमानों ने गाजा पट्टी में हमास के 200 से ज्यादा ठिकानों पर हमले किए हैं। इजरायली सेना ने बयान जारी करते हुए कहा कि उसने गाजा पट्टी में रात भर में 1200 से अधिक स्थानों पर हमले किए, जिनमें गाजा शहर के रिमल पड़ोस के साथ-साथ खान यूनिस शहर भी शामिल है। सेना ने कहा कि जिन स्थानों पर हमला किया गया उनमें एक मस्जिद के अंदर हथियार भंडारण स्थल के साथ-साथ हमास के एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल बलों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला एक अपार्टमेंट भी शामिल है।

इजरायल ने हमास को दी धमकी

इजराइल के विदेश मंत्री अली कोहेन ने हमास को किसी भी बंधक को नुकसान पहुंचाने के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा, ‘‘इस युद्ध अपराध को भुलाया नहीं जाएगा।इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने राष्ट्रीय टेलीविजन पर दिए संबोधन में कहा, ‘हमने हमास पर हमला करना अभी तो शुरू ही किया है। हम आने वाले दिनों में अपने दुश्मनों के साथ जो करेंगे, उसकी गूंज कई पीढ़ियों तक सुनाई देगी।

इजरायली सैनिकों को एयरलिफ्ट किया

इजरायली वायु सेना ने गाजा पट्टी में हमास आतंकवादी समूह के खिलाफ चल रहे युद्ध में लड़ने के लिए पिछले दिनों यूरोप में मौजूद सैकड़ों इजरायली सैनिकों को एयरलिफ्ट किया है. इजरायली सेना का कहना है कि सी-130 और सी-130जे भारी परिवहन विमानों ने ऑफ-ड्यूटी सैनिकों को इजरायल वापस लाने के लिए यूरोप के विभिन्न देशों के लिए उड़ान भरी है.

नौसेना की ताकत बढ़ाने आ रहा है 'महेंद्रगिरी', चीन-पाकिस्तान का बढ़ेगा खौफ, जानें कब होगा लॉन्च

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समंदर में भी बारत की शक्तियों में इजाफा होने वाला है। भारतीय नौसेना के बेड़े में युद्धपोत 'महेंद्रगिरी' को शामिल करने की सभी तैयारियां पूरी हो गई हैं।रक्षा मंत्रालय ने बताया कि एक सितंबर को मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स द्वारा विकसित भारतीय नौसेना का नया युद्धपोत महेंद्रगिरि मुंबई में लॉन्च किया जाएगा।उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की मौजूदगी में उनकी पत्नी इस आधुनिक युद्धपोत को लॉन्च करेंगी।

उपराष्ट्रपति के सचिवालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ अपनी पत्नी सुदेश के साथ एक सितंबर को मुंबई का दौरा करेंगे।इस मौके पर राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ चीफ गेस्ट होंगे जबकि उनकी पत्नी इसे लॉन्च करेंगी।इसके साथ ही उपराष्ट्रपति एमडीएल के हेरिटेज म्यूजियम 'धरोहर' का भी दौरा करेंगे। 

मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड द्वारा बनाए जा रहे नीलगिरि श्रेणी के चौथे और अंतिम जहाज, 'महेंद्रगिरि' को भारतीय नौसेना के ब्यूरो ऑफ नेवल डिजाइन द्वारा डिजाइन किया गया है।उन्नत स्टील्थ सुविधाओं, उन्नत हथियारों, सेंसर और प्लेटफ़ॉर्म प्रबंधन प्रणालियों से लैस है। महेंद्रगिरि तकनीकी रूप से उन्नत है और यह स्वदेशी रक्षा क्षमताओं के भविष्य की दिशा में आगे बढ़ते हुए अपनी समृद्ध नौसैनिक विरासत को अपनाने के भारत के दृढ़ संकल्प के प्रतीक के रूप में खड़ा है।भारतीय सुरक्षा बेड़े में इसके शामिल होने से चीन और पाकिस्तान की नींद उड़ने वाली है।

महेंद्रगिरि के बारे में

नौसेना का युद्धपोत, महेंद्रगिरि, प्रोजेक्ट 17ए के तहत सातवां और आखिरी स्टील्थ फ्रिगेट है। इसे मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएसएल) में विकसित किया गया है।जबकि परियोजना 17ए के तहत चार युद्धपोत मुंबई के मझगांव में बनाए गए थे, शेष तीन पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) में विकसित किए गए थे।प्रोजेक्ट 17ए के तहत पहले छह जहाज 2019 और 2023 के बीच लॉन्च किए गए हैं।प्रोजेक्ट 17ए के तहत सभी सात युद्धपोतों को भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिजाइन किया गया है।'महेंद्रगिरि' युद्धपोत को बेहतर स्टील्थ सुविधाओं, उन्नत हथियारों और सेंसर और प्लेटफ़ॉर्म प्रबंधन प्रणालियों के साथ शामिल किया गया है

देश में डिजाइन किए गए 'महेंद्रगिरि' में अत्याधुनिक हथियार, सेंसर, उन्नत कार्रवाई सूचना प्रणाली, एकीकृत मंच प्रबंधन प्रणाली, विश्व स्तरीय मॉड्यूलर रहने की जगह, परिष्कृत बिजली वितरण प्रणाली और अन्य आधुनिक विशेषताएं होंगी। यह एक सुपरसोनिक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल प्रणाली से लैस है, और इसकी वायु रक्षा क्षमता दुश्मन के विमान खतरों और एंटी-शिप क्रूज मिसाइलों का मुकाबला करने के लिए डिज़ाइन की गई है जो ऊर्ध्वाधर प्रक्षेपण और लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली के चारों ओर घूमेगी।

इमरान खान की मुश्किलें बढ़ी, अभी जेल में ही रहेंगे, 13 सितंबर तक बढ़ी न्यायिक हिरासत

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पाकिस्‍तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं।तोशाखाना मामले में इस्‍लामाबाद हाई कोर्ट से मिली राहत के बावजूद इमरान खान जेल से बाहर नहीं आ सकेंगे। दरअसल, पाकिस्तान की एक विशेष अदालत ने गोपनीय दस्तावेज लीक करने के मामले में इमरान खान की न्यायिक हिरासत 13 सितंबर तक बढ़ा दी है। अदालत के इस आदेश से इमरान खान की जल्द जेल से बाहर आने की उम्मीदों को झटका लगा है।

बता दें कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को तोशाखाना मामले में बड़ी राहत मिली थी। इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को अपना फैसला सुनाते हुए इमरान को मिली सजा पर रोक लगा दी।अदालत ने इमरान को जेल से रिहा करने का भी आदेश दिया था। हालांकि उन्हें साइफर मामले में गिरफ्तार कर लिया गया।आज साइफर केस में कोर्ट में उनकी पेशी के बाद दो हफ़्ते की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है।

जियो न्‍यूज की खबर के मुताबिक बुधवार को ऑफिशियल सीक्रेट एक्‍ट की विशेष अदालत ने इमरान खान की न्‍यायिक हिरासत की अवधि को 13 सितंबर तक के लिए बढ़ा दिया है। ऐसा माना जा रहा है कि इमरान खान के जल्‍द सलाखों के पीछे से बाहर आने की उम्‍मीद कम ही है।

न्यायाधीश अबुअल हसनत जुल्करनैन सिफर मामले की सुनवाई के लिए जेल पहुंचे। आंतरिक मंत्रालय द्वारा इमरान खान की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए जाने के बाद कानून मंत्रालय ने जेल से ही न्‍यायिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का आदेश दिया। यही वजह है कि जेल परिसर में ही इस मामले की सुनवाई हुई। कानूनी प्रक्रियाओं के बाद न्‍यायाधीश ने इमरान खान की न्‍यायिक हिरासत की अवधि को 14 दिन के लिए बढ़ाने का निर्णय लिया।

क्या है साइफर मामला?

बता दें कि साइफर एक डिप्‍लोमेटिक दस्‍तावेज है जो सरकारी कागजों से गायब है। आरोप है कि बीते साल पाकिस्‍तान के पीएम पद से हटाए जाने के बाद इमरान खान ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए यह दस्‍तावेज हवा में लहराए थे। यही वजह है कि उनपर ऑफिशियर सिक्रेट एक्‍ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। जांच एजेंसियों इस संबंध में उनसे पूछताछ कर रही हैं। हालांकि पूछताछ के दौरान इमरान खान ने जांच एजेंसियों के सामने कबूला है कि उनसे वह दस्तावेज गुम हो गया है। 

5 अगस्त से जेल में बंद हैं इमरान

तोशाखाना मामले में इमरान खान बीती 5 अगस्त से पंजाब की अटक जेल में बंद हैं। मंगलवार को इस्लामाबाद हाईकोर्ट की दो सदस्यी पीठ ने इमरान खान की सजा को निलंबित करते हुए उन्हें रिहा करने का आदेश दिया था। हालांकि आदेश के बावजूद इमरान खान की रिहाई नहीं हो सकी क्योंकि गोपनीय दस्तावेज लीक करने के मामले में अदालत ने इमरान खान को जेल में ही रखने और बुधवार को सुनवाई के दौरान पेश करने का आदेश दिया था।

जापान के हिरोशिमा में जी-7 शिखर सम्मेलन के समापन के तुरंत बाद चीन का अमेरिका पर ट्रेड स्ट्राइक, अमेरिकी टेक कंपनी माइक्रोन टेक्नोलॉजी के बनाए चि

 दुनिया की दो बड़ी आर्थिक महाशक्तियों के बीच जारी ट्रेड वार में चीन ने अमेरिका पर बड़ा हमला बोलते हुए अमेरिकी टेक कंपनी माइक्रोन टेक्नोलॉजी द्वारा बनाए गए चिप को 'राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा'बताया है। ड्रैगन ने चीन के इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में माइक्रोन टेक्नोलॉजी के चिप के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है।

साइबरस्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ चाइना (CAC) ने रविवार को इसकी घोषणा करते हुए कहा कि यूएस चिप निर्माता कंपनी साइबर सुरक्षा के मापदंडों में खरा नहीं उतर सकी। चीन का यह कदम जापान के हिरोशिमा में जी-7 शिखर सम्मेलन के समापन के तुरंत बाद आया है। जी-7 की बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन समेत कई प्रमुख नेताओं ने चीन की महत्वाकांक्षी भू-राजनीतिक विस्तार पर चिंता जताई थी और ताइवान समेत हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा और शांत की चिंताओं पर एक स्वर में बात की थी।

चीनी नियामक ने एक बयान में कहा है, "समीक्षा में पाया गया कि माइक्रोन के उत्पादों में अपेक्षाकृत गंभीर साइबर सुरक्षा जोखिम हैं, जो चीन की महत्वपूर्ण सूचना अवसंरचना आपूर्ति श्रृंखला के लिए महत्वपूर्ण सुरक्षा जोखिम पैदा करते हैं और ये राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित कर सकते हैं।"

चीनी प्रतिबंध के बाद सोमवार को प्रीमार्केट ट्रेडिंग में माइक्रोन टेक्नोलॉजी के शेयर लगभग 6% लुढ़क गए, जबकि इसके एशियाई प्रतिद्वंद्वियों ने दिन में बड़ी उछाल दर्ज की। चीनी मेमोरी चिप निर्माता इंजेनिक सेमीकंडक्टर के शेयर आज 2.8% उछले। शेन्ज़ेन Techwinsemi प्रौद्योगिकी के शेयरों में 6.3% की उछाल दर्ज की गई, जबकि,Toyou Feiji Electronics के शेयर 14% चढ़ गए। सियोल में, दुनिया के सबसे बड़े मेमोरी चिप निर्माताओं में से एक, एसके हाइनिक्स ने दक्षिण कोरियाई बाजार से बेहतर प्रदर्शन करते हुए 0.9% की बढ़त हासिल की।

राष्ट्रपति चुनाव से पहले ट्रंप को झटका, यौन शोषण मामले में दोषी करार, 50 लाख डॉलर का लगा जुर्माना

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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अदालत ने यौनाचार के मामले में दोषी करार दिया है। अमेरिकी ज्यूरी ने मंगलवार को देश के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को अमेरिका की एक पत्रकार का यौन शोषण और मानहानि करने के लिए उत्तरदायी पाया और उनको हर्जाने में 5 मिलियन डॉलर (भारतीय रुपए में करीब 41 करोड़) का भुगतान करने का आदेश दिया।हालांकि, सुनवाई के दौरान नौ ज्यूरी सदस्यों ने ई. जीन कैरल के बलात्कार के आरोप को खारिज कर दिया।

कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ट्रंप 1990 के दशक में एक मैगजीन की लेखिका ई. जीन कैरल का यौन शोषण करने के दोषी हैं।ट्रंप ने कैरल को कई मौकों पर झूठा बताकर उन्हें बदनाम करने की भी कोशिश की है।कोर्ट ने ट्रंप को दोषी ठहराते हुए कैरल को हर्जाने के तौर पर 50 लाख डॉलर देने का फैसला सुनाया है। हालांकि, कोर्ट ने ट्रंप को डिपार्टमेंटल स्टोर में कैरल का रेप करने का दोषी नहीं पाया।ज्यूरी ने कैरल के रेप के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह मामला क्रिमिनल कोर्ट में नहीं बल्कि सिविल कोर्ट के समक्ष लाया गया था।

यह पहली बार है जब ट्रम्प के खिलाफ मुकदमे में फैसला सुनाया गया है।ट्रम्प ने दशकों पुराने यौन दुराचार के आरोपों और एक दर्जन महिलाओं से जुड़े कानूनी मामलों का सामना किया है. कैरल ने मामले में हर्जाने की मांग को लेकर ट्रंप के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। वह पूर्व राष्ट्रपति से इस बयान को वापस लेने की भी मांग कर रही हैं कि कैरल द्वारा लगाए गए आरोप मानहानिकारक हैं।.

अमेरिका पत्रकार, लेखिका और स्तंभकार ई जीन कैरोल (79) ने पिछले साल अप्रैल में डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ अदालत में सुनवाई के दौरान आरोप लगाया था कि देश के पूर्व राष्ट्रपति ने एक लग्जरी डिपार्टमेंट स्टोर में उनसे बलात्कार किया था। कैरोल ने कहा था कि वह 1996 में बर्गडोर्फ गुडमैन में ट्रंप से मिली थीं, जहां ट्रंप न उन्होंने कपड़े बदलने के कमरे में उनसे बलात्कार किया।