राजेंद्र गुप्ता और हिमानी शिवपुरी का रंग महोत्सव में चला जादू
गोरखपुर।राजेंद्र गुप्ता और हिमानी शिवपुरी जब रंगमंच के यह साधक किसी नाटक में साथ आते हैं तब प्रस्तुति में कैसा रचनात्मक जादू होता है इसकी मिसाल है नाटक– "जीना इसी का नाम है"।
दिल को छू लेने वाली इस प्रस्तुति में दो प्रमुख नाम और भी शामिल है पहले हैं राकेश वेदा जिन्होंने इस नाटक को लिखा और जिसे अपनी दिलचस्पी लेकर राजेंद्र गुप्ता और हिमानी शिवपुरी ने प्रस्तुति के रूप में आगे बढ़ाया दूसरे हैं इस नाटक के निर्देशक सुरेश भारद्वाज। मूल रूप से यह प्रस्तुति अर्बुज़ोव के मूल रूसी नाटक 'ओल्ड वर्ल्ड' पर आधारित है।
जीना इसी का नाम है का मंचन बुधवार को अभियान थिएटर ग्रुप द्वारा आयोजित नेशनल थियेटर फेस्टिवल गोरखपुर रंग महोत्सव 2023 के अंतर्गत पहले दिन हुआ जिसमे दर्शक बहते चले गए। 80 मिनट कब बीते पता ही नहीं चला। इसी बीच मंच पर जब राजेंद्र गुप्ता और हिमानी शिवपुरी एक ही छतरी के नीचे बारिश में भीगे, युवा जोड़ों की तरह थिरके और जब हिमानी की गोद में सिर रखकर उन्होंने अपनी "नई बॉस" के आगे खुद को सरेंडर किया, रोमांचित दर्शक भी इस सिक्सटी प्लस रोमांस में खो गए।
युवा दर्शक इस अनूठी दोस्ती से खुद को अलग नहीं कर सके। इस नाटक ने बड़े प्यार से दर्शकों को संदेश दिया कि अकेली, उदास और 60 पार जिंदगी भी हसीन बना सकती है बशर्ते उसमें रूटिंग से हटकर मस्ती का नया रंग भर दिया जाए।सोच बदलने वाला कोई दोस्त, कोई साथी मिल जाए फिर उदासियां तो क्या गम भी आंसू बहाते है।
"जीना इसी का नाम है" नाटक दो विपरीत स्वभाव वाले पात्रों डॉक्टर भुल्लर (राजेंद्र गुप्ता) और सरिता शर्मा ( हिमानी शिवपुरी) की कहानी है। 69 बरस के डॉक्टर भुल्लर मुंबई में समंदर के किनारे एक हेल्थ सेंटर के चीफ मेडिकल ऑफिसर है। वहां पर सरिता शर्मा एडमिट है एक मरीज के रूप में। डॉक्टर भुल्लर से उनकी स्वाभाविक मुलाकात होती है मगर पहले ही मुलाकात में दोनों को मालूम हो जाता है कि दोनों मंगल और शुक्र तारे की तरह दो अलग प्रकृति के व्यक्तित्व है।
सरिता शर्मा एक थिएटर आर्टिस्ट है। वह जिंदगी से भरपूर है। उन्हें खूबसूरत रहना और इस अंदाज में पेश आना अच्छा लगता है। वह अपने गमों को भुलाकर बिंदास तरीके से जिंदगी को जीने में यकीन करती हैं। वही डॉक्टर भुल्लर बेहद अनुशासन प्रिय और रूखे मिजाज के हैं। सिगरेट छोड़ने की चाहत में पिछले 6 साल से चॉकलेट लगातार खा रहे हैं। बेतरतीब से रहते हैं। शुरुआती मुलाकात में दोनों के बीच विकर्षण का भयंकर विस्फोट होता है।
डॉक्टर भुल्लर को शिकायत है अस्पताल में एडमिट मरीज सरिता शर्मा ने अपना फार्म तक ठीक से नहीं भरा है। उसमें उम्र तक नहीं लिखी है। मैरिड है या अनमैरिड यह भी नहीं बताया है। अपॉइंटमेंट फिक्स होने के बावजूद समय पर नहीं आई। इस पर सरिता शर्मा के अपने तर्क है - " जरा गौर फरमाइए डॉक्टर साहब क्या आपको पता नहीं कि किसी महिला से उसकी उम्र पूछना निहायत ही बेअदबी की बात है और आपको मेरी शादी से क्या लेने देना।
दस बजे की जगह मैं एक बजे इसलिए आ सकी क्योंकि मैं गार्डन में चिड़ियों को दाने डाल रही थी वरना दाना खिलाने का टाइम गड़बड़ा जाता है। " जाहिर है कि तलाक मिजाज डॉक्टर साहब ऐसी अजीब तर्कों पर कशमशा जाते हैं, उखड़ जाते हैं।
डॉक्टर भुल्लर को जब अपने सवालों का जवाब नहीं मिलता तभी उनके पास आई स्टाफ की शिकायतों का कच्चा चिट्ठा खोल देते हैं। सरिता शर्मा से उन्हें इसके भी लाजवाब जवाब मिलता है - "डॉक्टर साहब मैं आधी रात के वक्त अपने वार्ड के खिड़की से इसलिए गायब हो जाती हूं क्योंकि मुझे चांद को देखना बहुत अच्छा लगता है। मैं रात को गार्डन में देर तक चांद को निहारती हूं ,घूमती हूं, फिरती हूं और सुकून से बैठकर गीत गुनगुनाती हूं और आप ही बताइए क्या सुबह-सुबह वार्ड में अपने बिस्तर पर बैठकर भजन गाना क्या बुरी बात है।"
हॉस्पिटल की शुरुआती मुलाकातों के विपरीत जल्दी दोनों एक दूसरे के दोस्त बन जाते हैं। यह सब होता है, सरिता शर्मा यानी हिमानी शिवपुरी की जिंदगी से भरपूर किरदार की वजह से। इस दौरान दोनों की आपबीती सामने आती है डॉक्टर भुल्लर की पत्नी तभी चल बसी थी जब उनकी बेटी सिर्फ 5 साल की थी। अभी बेटी शादीशुदा है। उन्हें बेटी और दामाद के आने का बीते डेढ़ साल से इंतजार है जबकि सरिता शर्मा के पति एक नामी कलाकार है। वह कार्यक्रमों की वजह से देश-विदेश की दौरे पर रहते हैं। वह एक यंग थिएटर आर्टिस्ट से शादी कर चुके हैं। लिहाजा सरिता शर्मा दोनों से अलग अपनी जिंदगी जी रही हैं। जाहिर है कि डॉक्टर भुल्लर और सरिता शर्मा एकाकी और टूटी जिंदगी जीने को मजबूर है। सवाल है कि क्या दोनों की पटरी एक दूसरे के साथ कभी बैठ सकेगी क्या विपरीत प्रकृति वाले दोनों उम्र दराज बची जिंदगी के सफर पर साथ चल सकेंगे नाटक अंत तक इसी कशमकश के साथ आगे बढ़ता है ।
नाटक में राजेंद्र गुप्ता और हिमानी अपनी अभिनय कला के बेहतरीन आयाम और रंग बिखरते हैं। कहानी के अनुसार मंच पर खुद को राजेंद्र गुप्त और हिमानी शिवपुरी बेहद बेहतरीन अंदाज में प्रस्तुत करते हैं और दर्शकों को सहज ही अपने किरदारों से बांध लेते हैं। एक रोमानी और जिंदगी से भरपूर पात्र के रूप में हिमानी शिवपुरी दर्शकों की आंखों और दिल में कुछ ज्यादा ही उतर जाती है। नाटक मंच पर जीवंत तथा प्रभावशाली बनाने में निपत्य के कलाकारों महत्वपूर्ण श्रम रहा नाटक में दृश्य को बदलने के लिए स्लाइडिंग सीन्स फ्रेम्स या पैनल का कल्पनाशील उपयोग किया गया संगीत, दृश्य और दर्शकों दोनों को जोड़ता रहा इस सफल संयोजन प्रस्तुति और प्रबंधन में निर्देशक सुरेश भारद्वाज एक बार फिर एक स्तंभ की तरह सामने आए।
रंग महोत्सव के दूसरे दिन होगी बिदेसिया की प्रस्तुति
आयोजन समिति के मीडिया समन्वयक नवीन पांडेय ने बताया कि रंग महोत्सव के दूसरे दिन रंग विमर्श के अंतर्गत रंगमंच का अभिनेता और उसका भविष्य विषय पर चर्चा होगी जिसमे बतौर अतिथि श्री संजय उपाध्याय, पूर्व निदेशक मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय भोपाल मौजूद रहेंगे और वार्ताकार होंगे डॉक्टर शैलेश श्रीवास्तव।
श्री पाण्डेय ने बताया कि विमर्श के तुरंत बाद भोजपुरी भाषा के सेक्सपियर कहे जाने वाले महान लोक कलाकार भिखारी ठाकुर द्वारा लिखित बिदेसिया की प्रस्तुति होगी। संगीत, परिकल्पना और निर्देशन चर्चित रंग निर्देशक श्री संजय उपाध्याय का है।पुष्प दंत जैन, प्रोफेसर चितरंजन मिश्र, प्रोफेसर आर डी राय, प्रोफेसर भरत भूषण, कुमार हर्ष, आर डी सिंह, विनोद सिंह, श्रीकांत शरण त्रिपाठी, राकेश श्रीवास्तव सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।
Nov 02 2023, 14:19