*बीते छह माह में 3,220 गर्भवती ने लिया ईरूपी-वाउचर का लाभ*
सीके सिंह(रूपम)
सीतापुर। जिले में जिला महिला चिकित्सालय सहित 19 ब्लॉक सीएचसी हैं। जिला महिला चिकित्सालय के अलावा किसी भी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर अल्ट्रासाउंड जांच की सुविधा नहीं है। ऐसे में ग्रामीण अंचलों की गर्भवती को या तो सुदूर जिला मुख्यालय के चक्कर काटने पड़ते थे, या फिर उन्हें निजी अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर महंगी कीमत पर जांच करानी पड़ती थी। इस समस्या के चलते प्रदेश शासन के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने अल्ट्रासाउंड जांच की सुविधा निजी डायग्नोसिस सेंटरों पर भी उपलब्ध कराने की व्यवस्था की।
इस नई व्यवस्था को पॉयलट प्रोजेक्ट के तौर पर पहले लहरपुर और सिधौली सीएचसी पर जनवरी 2023 में चलाया गया। इस प्रयोग के सफल होने के बाद इसे अप्रैल 2023 सीतापुर सहित पूरे प्रदेश में लागू किया गया। जिसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं। सीतापुर शहरी क्षेत्र सहित यह सुविधा अभी तक 13 निजी डायग्नोसिस सेंटर पर उपलब्ध है। इसी वर्ष बीते माह अप्रैल से लेकर सितंबर के मध्य इस सुविधा का लाभ 3,220 गर्भवती ने उठाया है।
इसके अलावा इसी अवधि में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत अब तक 14,536 गर्भवती ने भी अपने स्वास्थ का परीक्षण कराया है। मातृत्व स्वास्थ्य सलाहकार उपेंद्र यादव बताते हैं कि हर माह की एक, नौ, 16 और 24 तारीख को जिला महिला चिकित्सालय सहित सभी ब्लॉक सीएचसी पर प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस का आयोजन किया जाता है। इस मौके पर कोई भी गर्भवती किसी भी स्वास्थ्य केंद्र पर आकर अपनी एवं अपनी गर्भस्थ शिशु की जांच करा सकती है।
इस तरह काम करती है नई व्यवस्था
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक सुजीत वर्मा ने बताया कि इस नई व्यवस्था के तहत सीएचसी अाने वाली गर्भवती का पंजीयन कर जांच के लिए सीएचसी प्रभारी द्वारा ईरुपी-वाउचर उपलब्ध कराया जाता है। लाभार्थी के मोबाइल पर मिलने वाले इस ई-वाउचर को दिखाकर गर्भवती पीसी-पीएनडीटी एक्ट के तहत पंजीकृत एवं सूचीबद्ध 13 निजी डायग्नोसिस सेंटर में से किसी पर भी जांच करा सकती हैं। इस जांच का खर्च प्रदेश सरकार द्वारा वहन किया जाता है।
इस वाउचर व्यवस्था के ऑनलाइन भुगतान की प्रक्रिया के लिए स्वास्थ्य विभाग ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से करार किया है इस व्यवस्था से आशा कार्यकर्ताओं को भी जोड़ा गया है, आशा कार्यकर्ता गांव की महिलाओं के नियमित संपर्क में रहती हैं। वह गर्भ धारण करते ही महिलाओं का ऑनलाइन पंजीकरण करती हैं। यही पंजीकरण उनके अल्ट्रासाउंड जांच के दौरान काम आता है। निजी डायग्नोस्टिक सेंटर पर एक बार के अल्ट्रासाउंड पर करीब एक हजार रुपये खर्च होते हैं। चार से पांच जांच पर चार से छह हजार रुपये तक खर्च होते हैं।
पीपीपी मॉडल का हिस्सा
सीएमओ डॉ. हरपाल सिंह का कहना है कि मातृ-शिशु स्वास्थ्य को लेकर हर स्तर पर सावधानी बरती जा रही है। गर्भवती व प्रसूता की जांच में किसी तरह की समस्या न आए, इसके लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। पीसी-पीएनडीटी एक्ट के तहत पंजीकृत सभी निजी डायग्नोसिस सेंटरों को इस व्यवस्था के तहत सूचीबद्ध किया जाना है, जिसकी प्रक्रिया चल रही है जल्द ही ईरुपी-वाउचर की सुविधा शेष सभी निजी डायग्नोसिस सेंटरों पर मिलने लगेगी। जिससे गर्भवती महिलाओं की जांच समय पर हो सकेगी।
क्या कहती हैं लाभार्थी
सीतापुर शहरी क्षेत्र की अनामिका गुप्ता कहती हैं, मैंने अगस्त माह में शहर के जेल रोड स्थित एक नर्सिंग होम में ई-वाउचर के माध्यम से अपने गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य की जांच कराई थी। इसमें मुझे कोई भी शुल्क नहीं देना पड़ा था। सरकार की यह व्यवस्था गरीब परिवारों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।
इन 13 केंद्रों पर मिल रही ईरूपी-वाउचर की सुविधा
प्रगति नर्सिंग होम, सीतापुर, मालती मेमोरिया हॉस्पिटल एंड ट्रामा सेंटर, सीतापुर, महोली यूएसजी सेंटर, महोली, चंदन यूएसजी सेंटर, महमूदाबाद, न्यू चरक यूएसजी सेंटर, मिश्रिख, सुमित्रा यूएसजी सेंटर, मिश्रिख, एडवांस यूएसजी सेंटर, खैराबाद, चंदन हेल्थ केयर यूएसजी सेंटर, हरगांव, बिसंवा यूएसजी सेंटर, बिसवां, मनीष हॉस्पिटल एंड यूएसजी सेंटर, सिधौली, आरके मिश्रा यूएसजी सेंटर, लहरपुर, आईकॉन हॉस्पिटल एंड यूएसजी सेंटर, लहरपुर और अनुपमा यूएसजी सेंटर, लहरपुर पर यह सुविधा उपलब्ध है।
Oct 25 2023, 17:39