*आजमगढ़: रामलीला के चौथे दिन राम वनगमन एवं दशरथ मरण का मंचन*
आजमगढ़- फूलपुर तहसील के ओरिल बाजार की रामलीला के चौथे दिन की रामलीला में कलाकारों ने राम वनगमन एवं दशरथ मरण का मंचन किया। जय श्रीराम के जयकारे से पूरा क्षेत्र गूंज उठा।युवक रामलीला समिति के तत्वाधन में रामलीला के चौथे दिन दिन राम वनवास को बड़े सुंदर ढंग से दर्शाया गया।
जब राजा दशरथ ने राम को राज्याभिषेक की घोषणा करते है तब पूरे अयोध्या में खुशियां की लहर दौड़ जाती हैं। पुरवासी नाचने गाने लगते हैं। परन्तु होनी को कौन टाल सकता है। देवता और ऋषियों ने सोचा कि यदि प्रभु राम अयोध्या का राजा बन जायेंगे तो धरती पर दुष्टों का संहार कौन करेगा। इसलिए देवताओं ने मां स्वरस्वती जी से कहा कि आप जाकर मन्थरा दासी की जिहवा पर बैठ जाओ, जिससे कैकेई अपने पुत्र भरत को अयोध्या का राजा बनाने को और राम को 14 वर्ष का वनवास जिससे धरती पर से दुष्टों का नाश कर दें।
हुआ वही जो मन्थरा ने कहा। रानी कैकेयी ने अपना दो वरदान जो राजा दशरथ के पास धरोहर के रूप में रखा था। वह समय आने पर और मन्थरा के उकसाने पर राजा से मांग लिया। पहले वरदान में भरत को राजगद्दी और दूसरे वर में श्रीराम को चौदह वर्षों का वनवास। यह बातें सुनकर राजा ने कहा रानी तेरी मति मारी है, ऐसा वरदान मांगने में तुझे लज्जा नहीं आई कि दुनिया हमें क्या कहेगी। रानी पहला वर तुम सहर्ष ले लो लेकिन दूसरा वर वापस लो। मेरे राम को वन में मत भेजो। मैं तुम्हारे पांव पड़ता हूँ। तेरा पति होकर मैं राम को तुमसे भीख मांगता हूं, नहीं मैं पुत्र राम के वियोग में अपना प्राण छोड़ दूंगा।
रानी अपनी जिद पर अड़ी रही राजा दशरथ ने पुत्र वियोग में अपने प्राण छोड़ दिया। ऐसा पहला उदाहरण है जब पिता ने पुत्र के वियोग में प्राण त्याग दिए।
Oct 21 2023, 18:20