सरायकेला : यहां हो रहे दो मंदिरों में दुर्गापूजा के सप्तमी तिथि पर मां कालरात्रि का कलश यात्रा निकला
सरायकेला : जिला के चांडिल अनुमंडल स्थित यहां दो मंदिरों में हो रहे पूजा के दौरान स्पतमी तिथि को पुजारियों द्वारा मां कालरात्री की भव्य कलश यात्रा वामनी नदी से सार्वजनिक मंदिर चांडिल और कदमडीह सार्वजनिक दुर्गा पूजा कमिटी चांडिल से आज सुबह कड़ी सुरक्षा की बीच कलश यात्रा निकाला गया।
यह कलश यात्रा गाजा बाजा के साथ श्रद्धालू भक्तों एवं मंदिर के पुजारी के साथ निकला गया।इस कलश यात्रा में सैकड़ो श्रद्धालु और भक्त मंडली उपस्थि रहे।
नवरात्र के सातवें दिन शत्रुओं का नाश करती हैं मां कालरात्रि
चांडिल सार्वजनिक मंदिर के पुजारी जयदेव वनर्जी ने बताया कि महाशक्ति मां दुर्गा का सातवां स्वरूप हैं कालरात्रि। मां कालरात्रि काल का नाश करने वाली हैं, इसी वजह से इन्हें कालरात्रि कहा जाता है। मां कालरात्रि की आराधना के समय भक्त को अपने मन को भानु चक्र जो ललाट अर्थात सिर के मध्य स्थित करना चाहिए। इस आराधना के फलस्वरूप भानु चक्र की शक्तियां जागृत होती हैं। मां कालरात्रि की भक्ति से हमारे मन का हर प्रकार का भय नष्ट होता है।
जीवन की हर समस्या को पल भर में हल करने की शक्ति प्राप्त होती है। शत्रुओं का नाश करने वाली मां कालरात्रि अपने भक्तों को हर परिस्थिति में विजय दिलाती हैं ।
पश्चिमसप्तम कालरात्रि यानि नागदौन -
यह नागदौन औषधि के रूप में जानी जाती है। सभी प्रकार के रोगों की नाशक सर्वत्र विजय दिलाने वाली मन एवं मस्तिष्क के समस्त विकारों को दूर करने वाली औषधि है।











Oct 21 2023, 14:27
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