शोपियां में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़, लश्कर के दो आतंकी ढेर

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जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले के अलशिपोरा में सुरक्षाबलों ने आज तड़के दो आतंकवादियों को मार गिराया। यह एनकाउंटर सोमवार की देर रात में शुरू हुई थी।पास के जगलों में और आतंकवादियों के छिपे होने की आशंका के चलते तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। सेना और पुलिस ने एक ज्वाइंट ऑपरेशन के दौरान इन आतंकियों को मौत की नींद सुलाया। इसकी जानकारी जम्मू-कश्मीर पुलिस ने दी।

कश्मीर पुलिस जोन ने एक्स (पहले ट्विटर) पर ट्वीट करते हुए दी है। पुलिस का कहना है कि, 'शोपियां के अलशीपोरा इलाके में शुरू हुई मुठभेड़ में 2 आतंकवादी मारे गए हैं।'इन दोनों आतंकियों की पहचान भी कर ली गई है।

पुलिस के मुताबिक, मारे गए आतंकवादियों की पहचान आतंकी संगठन लश्कर के मोरीफत मकबूल और जाजिम फारूक उर्फ अबरार के रूप में हुई है। पुलिस ने यह भी बताया कि जाजिम फारूक उर्फ अबरार कश्मीरी पंडित संजय शर्मी की हत्या में भी शामिल था।

बता दें कि इससे पूर्व कुलगाम जिले में दो आतंकवादियों को मार गिराया गया था। बीते बुधवार यानी कि 4 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में हिज्बुल मुजाहिदीन के दो आतंकवादी मारे गये थे। पुलिस ने यह जानकारी दी थी। पुलिस ने बताया था कि मारे गए आतंकवादियों की पहचान बासित अमीन भट और साकिब अहमद लोन के रूप में हुई। उन्होंने बताया कि दोनों कुलगाम जिले के रहने वाले हैं।

एमपी चुनाव को लेकर बीजेपी की चौथी सूची आई, शिवराज को फिर बुधनी से उतारा

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चुनाव आयोग द्वारा सोमवार को पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव ला ऐलान होते ही बीजेपी ने अपने पत्ते खोलने शुरू कर दिए हैं। इसी कड़ी में भारतीय जनता पार्टी ने मध्य प्रदेश के लिए चौथी सूची जारी कर दी है।इस सूची में कुल 57 नाम हैं जिनमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित कई बड़े चेहरे शामिल हैं। इस सूची के जारी होने के बाद साफ हो गया है कि शिवराज सिंह चौहान बुधनी से चुनाव लड़ेंगे।इसके साथ ही उन अटकलों पर विराम लग गया है कि वह चुनाव नहीं लडेंगे।

कौन कहां से लड़ रहा है चुनाव?

पार्टी ने एक बार फिर शिवराज मंत्रिमंडल के 24 मंत्रियों को चुनावी मैदान में उतारा है।शिवराज सिंह चौहान के अलावा इस सूची में कई बड़े नाम शामिल हैं। पार्टी ने रेहली से गोपाल भार्गव, सुरखी से गोविंद सिंह राजपूत, दतिया से गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, ग्वालियर से प्रद्युम्न सिंह तोमर, खुरई से भूपेंद्र सिंह, सागर से शैलेंद्र जैन, मऊगंज से प्रदीप पटेल, रीवा से राजेंद्र शुक्ल, सिवनी से दिनेश मुनमुन राय, हरदा से कमल पटेल, नरेला से विश्वास सारंग, सीहोर से सुदेश राय, इंदौर-2 से रमेश मेंदोला, इंदौर-4 से मालिनी लक्ष्मण सिंह को उम्मीदवार बनाया है।

बुधनी सीट सीएम का गढ़

शिवराज सिंह चौहान 2006 से बुधनी सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इस सीट पर उन्होंने पहली बार उप चुनाव में जीत हासिल की थी। नर्मदा नदी के तट पर स्थित, सीहोर जिले की बुधनी सीट सीएम शिवराज सिंह चौहान का गढ़ है। उन्होंने 2008, 2013 और 2018 के विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी के लिए यह सीट जीती थी। पिछले विधानसभा चुनाव में बुधनी विधानसभा सीट पर शिवराज ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता अरुण यादव को 58,999 वोटों के अंतर से हराया था।

राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने जारी की प्रत्याशियों की पहली लिस्ट, यहां भी एमपी वाला फॉर्मूला, 7 सांसदों को दिया टिकट

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राजस्थान में चुनाव की तारीखों का एलान हो गया है। राजस्थान में 23 नवंबर को मतगणना होनी है। चुनाव आयोग की घोषणा के साथ ही भाजपा ने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। इसमें कुल 41 उम्मीदवारों के नाम के एलान हैं। बीजेपी ने मध्य प्रदेश की तर्ज पर राजस्थान में 7 सांसदों को टिकट दिया है।बता दें कि बीजेपी की पहली लिस्ट में वसुंधरा राजे सिंधिया का नाम नहीं है।

किन सांसदों को कहां से मिला टिकट?

राजस्थान में जैसी उम्मीद की गई थी उसी के मुताबिक उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की गई है। राज्य में एक बार फिर सत्ता में आने के लिए बीजेपी ने अपने बड़े चेहरों पर दांव लगाया है।राज्यवर्धन सिंह राठौड़ राजस्थान के झोटवाड़ा से, दीया कुमारी विद्याधर नगर से, बाबा बालकनाथ तिजारा से, हंसराज मीणा सपोटरा से और किरोड़ी लाल मीणा सवाई माधोपुर से, नरेंद्र कुमार मांडवा से और देवी पटेल सांचौर से टिकट दिया गया है।

राजस्थान का चुनाव का पूरा शैड्यूल

बता दें कि 200 सीटों के लिए 23 नवंबर को मतदान होगा। वहीं मतों की गिनती तीन दिसंबर को की जाएगी। बताया जा रहा है कि चुनाव की अधिसूचना 30 अक्तूबर को जारी होगी। उम्मीदवार छह नवंबर तक नामांकन दाखिल कर सकेंगे। इलेक्शन कमेटी से मिली जानकारी के अनुसार सात नवंबर को नामांकन की जांच होगी। नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख नौ नवंबर होगी। विधानसभा का कार्यकाल 14 जनवरी को खत्म होगा।

भारत से भगाई गई पाकिस्तानी एंकर जैनब अब्बास, हिन्दू देवी-देवताओं का किया था अपमान

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भारत में वनडे विश्व कप पांच अक्तूबर को शुरू हो चुका है। टूर्नामेंट के लिए पाकिस्तान की क्रिकेट टीम के अलावा वहां के विशेषज्ञ, प्रशंसक और एंकर भी भारत आए हुए हैं। बाबर आजम की कप्तानी में पाकिस्तानी टीम ने जीत के साथ शुरुआत की है। उसने नीदरलैंड को अपने पहले मैच में परास्त किया है। उसे दूसरा मुकाबला मंगलवार (10 अक्तूबर) को श्रीलंका के खिलाफ हैदराबाद में खेलना है।इसी बीच वनडे वर्ल्ड कप 2023 की कवरेज के लिए आई पाकिस्तानी एंकर जैनब अब्बास को भारत छोड़ना पड़ा है। सोशल मीडिया पर भारत और हिंदुओं पर किए गए पुराने ट्वीट्स और कॉमेंट्स को लेकर की गई जांच में आरोप सही पाए गए। इसके बाद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड और इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल ने उन्हें प्रेजेंटर की लिस्ट से हटा दिया।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्हें भारत से जाने के लिए कहा गया क्योंकि पहले वो साइबर क्राइम, भारत और हिंदू धर्म की आलोचना करने के लिए विवादों में रही हैं। उनके कई पुराने ट्वीट्स वायरल हुए थे, जिसमें वो भारत और हिंदू धर्म को लेकर गलत-सलत बोलती हुई दिखी थीं। पाकिस्तान के न्यूज़ चैनल ‘समा टीवी’ के एक्स अकाउंट (पहले ट्विटर) के मुताबिक, जैनब अब्बास ने भारत छोड़ दिया है। वे मौजूदा वक़्त में दुबई में हैं।

जैनब अब्बास के खिलाफ यह शिकायत अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता ने विनीत जिंदल ने दिल्ली पुलिस की साइबर सेल में यह शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने अलग-अल धाराओं के तहत एंकर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का अनुरोध किया गया था जिंदल का कहना था कि अब्बास ने हिंदू आस्था मान्यताओ और भारत के खिलाफ भद्दी टिप्पणी की है। और उन्हें आईसीसी की एंकर लिस्ट से हटा देना चाहिए।

जैनब अब्बास एक पाकिस्तानी टेलीविजन होस्ट, स्पोर्ट्स प्रेजेंटर हैं। उनका जन्म लाहौर में हुआ था और उन्होंने इंग्लैंड के विश्वविद्यालयों - एस्टन विश्वविद्यालय और वारविक विश्वविद्यालय से एमबीए की पढ़ाई की है।जैनब लंबे समय से क्रिकेट एंकरिंग कर रही हैं और कई बड़े टूर्नामेंट में नजर आ चुकी हैं। जैनब क्रिकेट एंकर के अलावा मेकअप आर्टिस्ट भी रह चुकी हैं। उनके पिता नासिर अब्बास क्रिकेटर रह चुके हैं।

*क्लाउडिया गोल्डिन को अर्थशास्त्र में नोबेल, जानिए क्यों मिला सम्मान?*

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रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने अर्थशास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार 2023 का एलान कर दिया है। इस साल क्लाउडिया गोल्डिन को अर्थशास्त्र का नोबेल प्राइज मिला है।क्लाउडिया गोल्डिन को महिलाओं के श्रम बाजार के परिणामों के बारे में हमारी समझ को उन्नत या विकसित करने के लिए यह सम्मान दिया गया है।

क्लाउडिया गोल्डिन ने सदियों से महिलाओं की कमाई और श्रम बाजार भागीदारी का पहला व्यापक विवरण मुहैया कराने का काम किया है। उनके शोध से बदलाव के कारणों और शेष लिंग अंतर के मुख्य स्रोतों का पता चला। इनके रिसर्च से पता चला कि वैश्विक श्रम बाजार में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है और जब वे काम करती हैं तो पुरुषों की तुलना में कम कमाती हैं। गोल्डिन ने अभिलेखों का पता लगाया और 200 वर्षों से अधिक का डेटा एकत्र किया, जिससे उन्हें यह साबित किया कि कमाई और रोजगार दरों में लिंग अंतर कैसे और क्यों बदल गया?

क्लाउडिया गोल्डिन हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर हैं और 1989 से 2017 तक NBER के अमेरिकी अर्थव्यवस्था विकास कार्यक्रम की डायरेक्टर थीं। वह NBER के 'जेंडर इन द इकोनॉमी' समूह की को-डायरेक्टर भी हैं। आर्थिक इतिहासकार और एक श्रम अर्थशास्त्री के रूप में गोल्डिन ने कई विषयों पर शोध किए हैं। इसमें महिला श्रम शक्ति, कमाई में लिंग अंतर, आय असमानता, तकनीकी परिवर्तन, शिक्षा और आप्रवासन जैसे कई विषय शामिल हैं। उनके अधिकांश शोध में इतिहास की नजर से वर्तमान को देखने की कोशिश की गई है। शोध के माध्यम से उन्होंने वर्तमान की चुनौतियों को सबके सामने रखा है। उनकी सबसे हालिया किताब करियर एंड फैमिली: वीमेन्स सेंचुरी-लॉन्ग जर्नी टुवर्ड्स इक्विटी (प्रिंसटन यूनिवर्सिटी प्रेस, 2021) है।

पिछले साल तीन अमेरिकी अर्थशास्त्रियों को मिला था सम्मान

रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने पिछले साल अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार बेन एस बर्नानके, डगलस डब्ल्यू डायमंड और फिलिप एच डायबविग को दिए थे। इन्हें बैंकों और वित्तीय संकटों पर शोध के लिए सम्मानित किया गया था। तीनों पुरस्कार विजेताओं ने विशेष रूप से वित्तीय संकट के दौरान अर्थव्यवस्था में बैंकों की भूमिका के बारे में हमारी समझ में काफी सुधार किया था। उनके शोध में एक महत्वपूर्ण खोज यह है कि बैंकों के पतन से बचना क्यों महत्वपूर्ण है?

इतना मिलता है पुरस्कार

पुरस्कारों में 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर यानी एक मिलियन अमेरिकी डॉलर या दस लाख डॉलर का नकद पुरस्कार दिया जाता है। धनराशि अवॉर्ड के संस्थापक और स्वीडिश आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल की छोड़ी हुई वसीयत से आती है। 1896 में उनका निधन हो गया था।

क्लाउडिया गोल्डिन को अर्थशास्त्र में नोबेल, जानिए क्यों मिला सम्मान?

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रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने अर्थशास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार 2023 का एलान कर दिया है। इस साल क्लाउडिया गोल्डिन को अर्थशास्त्र का नोबेल प्राइज मिला है।क्लाउडिया गोल्डिन को महिलाओं के श्रम बाजार के परिणामों के बारे में हमारी समझ को उन्नत या विकसित करने के लिए यह सम्मान दिया गया है।

क्लाउडिया गोल्डिन ने सदियों से महिलाओं की कमाई और श्रम बाजार भागीदारी का पहला व्यापक विवरण मुहैया कराने का काम किया है। उनके शोध से बदलाव के कारणों और शेष लिंग अंतर के मुख्य स्रोतों का पता चला। इनके रिसर्च से पता चला कि वैश्विक श्रम बाजार में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है और जब वे काम करती हैं तो पुरुषों की तुलना में कम कमाती हैं। गोल्डिन ने अभिलेखों का पता लगाया और 200 वर्षों से अधिक का डेटा एकत्र किया, जिससे उन्हें यह साबित किया कि कमाई और रोजगार दरों में लिंग अंतर कैसे और क्यों बदल गया?

क्लाउडिया गोल्डिन हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर हैं और 1989 से 2017 तक NBER के अमेरिकी अर्थव्यवस्था विकास कार्यक्रम की डायरेक्टर थीं। वह NBER के 'जेंडर इन द इकोनॉमी' समूह की को-डायरेक्टर भी हैं। आर्थिक इतिहासकार और एक श्रम अर्थशास्त्री के रूप में गोल्डिन ने कई विषयों पर शोध किए हैं। इसमें महिला श्रम शक्ति, कमाई में लिंग अंतर, आय असमानता, तकनीकी परिवर्तन, शिक्षा और आप्रवासन जैसे कई विषय शामिल हैं। उनके अधिकांश शोध में इतिहास की नजर से वर्तमान को देखने की कोशिश की गई है। शोध के माध्यम से उन्होंने वर्तमान की चुनौतियों को सबके सामने रखा है। उनकी सबसे हालिया किताब करियर एंड फैमिली: वीमेन्स सेंचुरी-लॉन्ग जर्नी टुवर्ड्स इक्विटी (प्रिंसटन यूनिवर्सिटी प्रेस, 2021) है।

पिछले साल तीन अमेरिकी अर्थशास्त्रियों को मिला था सम्मान

रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने पिछले साल अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार बेन एस बर्नानके, डगलस डब्ल्यू डायमंड और फिलिप एच डायबविग को दिए थे। इन्हें बैंकों और वित्तीय संकटों पर शोध के लिए सम्मानित किया गया था। तीनों पुरस्कार विजेताओं ने विशेष रूप से वित्तीय संकट के दौरान अर्थव्यवस्था में बैंकों की भूमिका के बारे में हमारी समझ में काफी सुधार किया था। उनके शोध में एक महत्वपूर्ण खोज यह है कि बैंकों के पतन से बचना क्यों महत्वपूर्ण है?

इतना मिलता है पुरस्कार

पुरस्कारों में 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर यानी एक मिलियन अमेरिकी डॉलर या दस लाख डॉलर का नकद पुरस्कार दिया जाता है। धनराशि अवॉर्ड के संस्थापक और स्वीडिश आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल की छोड़ी हुई वसीयत से आती है। 1896 में उनका निधन हो गया था।

राहुल गांधी का बड़ा ऐलान, बोले-कांग्रेस शासित राज्यों में जाति जनगणना करवाएंगे, आर्थिक सर्वे भी होगा

# rahul_gandhi_on_caste_census_promises_in_cwc

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव के लिए तारीख घोषित हो चुकी है। चुनाव के ऐलान के ठीक बाद दिल्ली में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक भी हुई।कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में बड़ा निर्णय लिया गया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मीटिग के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि हमने सर्वसम्मित से सीडब्ल्यूसी की मीटिंग में जातीय गणना पर सहमति जताई।कांग्रेस नेता ने कहा कि सीडब्ल्यूसी की मीटिंग में जातीय गणना पर प्रस्ताव पास हुआ। कांग्रेस शासित राज्यों में जाति जनगणना करवाएंगे। उन्होंने कहा कि हम बीजेपी पर दबाव डालेंगे।

राहुल गांधी ने कहा कि जातीय गणना को लेकर हम राजस्थान, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश सहित अन्य कांग्रेस शासित राज्यों में आगे बढ़ेंगे। इसको लेकर हम बीजेपी पर भी दवाब बनाएंगे। उन्होंने कहा कि विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' में शामिल ज्यादातर दल जातिगत गणना के साथ हैं। राहुल गांधी ने कहा कि जातिगत गणना साफ दिखाएगा कि हिंदुस्तान में कितने और कौन लोग हैं। हमें यह पता लग जाएगा कि कितने लोग हैं और धन किसके हाथ में हैं। शायद इसमें हमारी भी गलती है। राहुल ने ये भी कहा कि कांग्रेस जाति जनगणना के काम को पूरा करके ही छोड़ेगी। उसके बाद आर्थिक सर्वे भी कराया जाएगा। मोदी सरकार जाति जनगणना कराए या रास्ते से हटे। 

ओबीसी का जिक्र करते हुए राहुल गांधी ने कहा देश में जिसकी आबादी करीब 50 फीसदी के आसपास है, सरकार में उसकी कोई भूमिका नहीं है। राहुल गांधी ने कहा कि हमारे चार में से तीन मुख्यमंत्री अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैं। वहीं बीजेपी का दस में से सिर्फ एक ही सीएम ओबीसी समाज से हैं। उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ओबीसी के लिए काम नहीं करते बल्कि ध्यान भटकाने का प्रयास करते हैं।

गाजा पट्टी”41 किलोमीटर लंबा जमीन का टुकड़ा, जिसके लिए इजरायल-हमास में दशकों से चल रहा खूनी संघर्ष

#whatisgaza_strip 

इजरायल और फलस्‍तीनी आतंकी गुट हमास के बीच गाजा पट्टी में भीषण युद्ध जारी है। दोनों देश एक दूसरे को मिटा देने पर अमादा नजर आ रहे हैं। जानकारी के मुताबिक इस युद्ध में अभी तक दोनों पक्षों के लगभग 1000 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक युद्ध में अब तक इजराइल के 700 से अधिक लोगों की मौत हो गई है और लगभग 2150 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। इतना ही नहीं, हमास ने इजराइल के लगभग 100 लोगों को बंदी भी बना लिया है। वहीं,पिछले 2 दिनों में हमास के करीब 370 लोग मारे गए हैं और करीब 2200 लोग इस युद्ध में घायल हुए हैं।क्या आपको पता है इस खूनी संषर्ष की एक बड़ी वजह है 41 किलोमीटर लंबा जमीन का टुकड़ा, जिसके गाजा पट्टी के नाम से जानते हैं। 

क्या है गाजा पट्टी?

बता दें कि गाजा पट्टी, मिस्र, इजरायल और भूमध्य सागर के बीच स्थित एक छोटा सा एरिया है। यह दुनिया की सबसे ज्यादा घनी आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है। आतंकी संगठन हमास गाजा पट्टी से ही ऑपरेट होता है और इजरायल पर अटैक कर रहा है। गाजा पट्टी की लंबाई करीब 41 किलोमीटर और चौड़ाई 6 से 12 किलोमीटर की है। गाजा पट्टी की जनसंख्या 20 लाख से ज्यादा है। बताया जाता है कि यहां हर वर्ग किलोमीटर में करीब 400 लोग रहते हैं।गाजा पट्टी में रहने वाले अधिकतर लोग फिलिस्तीनी हैं। इनमें शरणार्थी और मूल निवासी दोनों शामिल हैं। 

गाजा पट्टी का इतिहास

इजरायल की स्थापना 1948 में हुई थी और तभी से इजरायल-फिलिस्तीन के बीच संघर्ष शुरू हो गया था। 1948 में इज़रायल के निर्माण के बाद, मिस्र ने लगभग दो दशकों तक गाजा पट्टी पर नियंत्रण किया। 1967 के 6 दिवसीय युद्ध में अपने अरब पड़ोसियों के खिलाफ इज़रायल की जीत के बाद उसने गाजा पट्टी और पश्चिमी किनारे पर नियंत्रण हासिल कर लिया। अगले 38 वर्षों के लिए इजरायल ने गाजा पट्टी को नियंत्रित किया और 21 यहूदी बस्तियों का निर्माण किया। साल 2005 में, अंतरराष्ट्रीय और घरेलू दबाव में, इज़रायल ने गाजा से लगभग 9,000 इज़राइली बसने वालों और अपने सैन्य बलों को वहां से वापस बुला लिया। इससे गाजा पट्टी को फलस्‍तीनी प्राधिकरण द्वारा शासित किया जाना था, जो पश्चिम बैंक के कुछ हिस्सों को भी नियंत्रित करती है।

वर्तमान में गाजा पट्टी के हालात*

गाजा पट्टी पर हमास ने साल 2007 में शासन शुरू किया था। हमास ने साल 2007 में गाजा में चुनाव जीतने के बाद वहां नियंत्रण कर लिया। उसके बाद से कोई चुनाव नहीं हुआ है। संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार समूहों की अपील के बावजूद, इज़रायल ने 2007 से गाजा पर जमीन, हवा और समुद्री नाकाबंदी बनाए रखी है जिसका फलस्‍तीनी व‍िरोध कर रहे हैं। इजरायल का कहना है कि नाकाबंदी, जो उसे गाजा की सीमाओं पर नियंत्रण देती है और मिस्र द्वारा भी लागू की जाती है। उसका कहना है कि इजरायली नागरिकों को हमास से बचाने के लिए यह नाकेबंदी आवश्यक है।इसके बाद हमास और इजायल के बीच कई बार भीषण लड़ाई हो चुकी है।

*“गाजा पट्टी”41 किलोमीटर लंबा जमीन का टुकड़ा, जिसके लिए इजरायल-हमास में दशकों से चल रहा खूनी संघर्ष*

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इजरायल और फलस्‍तीनी आतंकी गुट हमास के बीच गाजा पट्टी में भीषण युद्ध जारी है। दोनों देश एक दूसरे को मिटा देने पर अमादा नजर आ रहे हैं। जानकारी के मुताबिक इस युद्ध में अभी तक दोनों पक्षों के लगभग 1000 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक युद्ध में अब तक इजराइल के 700 से अधिक लोगों की मौत हो गई है और लगभग 2150 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। इतना ही नहीं, हमास ने इजराइल के लगभग 100 लोगों को बंदी भी बना लिया है। वहीं,पिछले 2 दिनों में हमास के करीब 370 लोग मारे गए हैं और करीब 2200 लोग इस युद्ध में घायल हुए हैं।क्या आपको पता है इस खूनी संषर्ष की एक बड़ी वजह है 41 किलोमीटर लंबा जमीन का टुकड़ा, जिसके गाजा पट्टी के नाम से जानते हैं। 

क्या है गाजा पट्टी?

बता दें कि गाजा पट्टी, मिस्र, इजरायल और भूमध्य सागर के बीच स्थित एक छोटा सा एरिया है। यह दुनिया की सबसे ज्यादा घनी आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है। आतंकी संगठन हमास गाजा पट्टी से ही ऑपरेट होता है और इजरायल पर अटैक कर रहा है। गाजा पट्टी की लंबाई करीब 41 किलोमीटर और चौड़ाई 6 से 12 किलोमीटर की है। गाजा पट्टी की जनसंख्या 20 लाख से ज्यादा है। बताया जाता है कि यहां हर वर्ग किलोमीटर में करीब 400 लोग रहते हैं।गाजा पट्टी में रहने वाले अधिकतर लोग फिलिस्तीनी हैं। इनमें शरणार्थी और मूल निवासी दोनों शामिल हैं। 

गाजा पट्टी का इतिहास

इजरायल की स्थापना 1948 में हुई थी और तभी से इजरायल-फिलिस्तीन के बीच संघर्ष शुरू हो गया था। 1948 में इज़रायल के निर्माण के बाद, मिस्र ने लगभग दो दशकों तक गाजा पट्टी पर नियंत्रण किया। 1967 के 6 दिवसीय युद्ध में अपने अरब पड़ोसियों के खिलाफ इज़रायल की जीत के बाद उसने गाजा पट्टी और पश्चिमी किनारे पर नियंत्रण हासिल कर लिया। अगले 38 वर्षों के लिए इजरायल ने गाजा पट्टी को नियंत्रित किया और 21 यहूदी बस्तियों का निर्माण किया। साल 2005 में, अंतरराष्ट्रीय और घरेलू दबाव में, इज़रायल ने गाजा से लगभग 9,000 इज़राइली बसने वालों और अपने सैन्य बलों को वहां से वापस बुला लिया। इससे गाजा पट्टी को फलस्‍तीनी प्राधिकरण द्वारा शासित किया जाना था, जो पश्चिम बैंक के कुछ हिस्सों को भी नियंत्रित करती है।

वर्तमान में गाजा पट्टी के हालात

गाजा पट्टी पर हमास ने साल 2007 में शासन शुरू किया था। हमास ने साल 2007 में गाजा में चुनाव जीतने के बाद वहां नियंत्रण कर लिया। उसके बाद से कोई चुनाव नहीं हुआ है। संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार समूहों की अपील के बावजूद, इज़रायल ने 2007 से गाजा पर जमीन, हवा और समुद्री नाकाबंदी बनाए रखी है जिसका फलस्‍तीनी व‍िरोध कर रहे हैं। इजरायल का कहना है कि नाकाबंदी, जो उसे गाजा की सीमाओं पर नियंत्रण देती है और मिस्र द्वारा भी लागू की जाती है। उसका कहना है कि इजरायली नागरिकों को हमास से बचाने के लिए यह नाकेबंदी आवश्यक है।इसके बाद हमास और इजायल के बीच कई बार भीषण लड़ाई हो चुकी है।

*एमपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान, पांच राज्यों के नतीजे तीन दिसंबर को, जानें पूरा शेड्यू

#assemblyelectiondateannouncementbyecimprajasthanchhattisgarhtelanganamizoram 

मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम के लिए चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। इन राज्यों में 7 नवंबर से चुनाव शुरू होंगे जो 30 नवंबर तक चलेंगे।सभी राज्यों के नतीजे एक साथ 3 दिसंबर को आएंगे।आयोग के इस ऐलान के बाद पांचों राज्यों में आदर्श आचार सहिंता भी लागू हो गई है। इसका मतलब यह हुआ है कि अब यहां सरकारें किसी भी नए काम को शुरू नहीं कर पाएंगी। इसके साथ ही सरकार और प्रशासन चुनाव आयोग के हाथ में चला जाएगा। जिलों के डीएम चुनाव अधिकारी बन जाएंगे और इन राज्यों में प्रशासनिक फेरबदल या जिम्मेदारियों में बदलाव भी अब चुनाव आयोग ही करेगा। 

मुख्य चुनाव आयुक्त ने चुनावी कार्यक्रम की घोषणा करते हुए बताया कि तेलंगाना, राजस्थान मध्य प्रदेश और मिजोरम में एक ही चरण में चुनाव होंगे। वहीं नक्सल प्रभावित राज्य छत्तीसगढ़ में दो चरणों में चुनाव संपन्न कराए जाएंगे।आयोग ने बताया कि मध्य प्रदेश में एक ही चरण में 17 नवंबर को मतदान होंगे। राजस्थान में 23 नवंबर, छत्तीसगढ़ में दो चरणों में 7 नवंबर और 17 नवंबर को मतदान होंगे, तेलंगाना में एक ही चरण में सभी सीटों पर 30 नवंबर को मतदान होंगे और मिजोरम की सभी सीटों पर 7 नवंबर को वोटिंग होगी। सभी राज्यों के नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे।

कुल 16.14 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि इन चुनावों में कुल 16.14 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे, जिनमें 8.2 करोड़ पुरुष मतदाता और 7.8 करोड़ महिला मतदाता होंगे। इस बार 60.2 लाख नए मतदाता पहली बार वोट डालेंगे। इसके साथ ही उन्होंने राज्यवार आंकड़ा पेश करते हुए बताया कि मध्य प्रदेश में 5.6 करोड़, राजस्थान में 5.25 करोड़, तेलंगाना में 3.17 करोड़, छत्तीसगढ़ में 2.03 करोड़ वोटर, जबकि मिजोरम में 8.52 लाख वोटर अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे।

पांचो राज्यों में कुल 17,734 मॉडल मतदान केंद्र

चुनाव आयोग ने बताया कि पांचो राज्यों में कुल 17,734 मॉडल मतदान केंद्र होंगे। जहां 621 मतदान केंद्रों का प्रबंधन पीडब्ल्यूडी कर्मचारियों द्वारा किया जाएगा। इसके अलावा 8,192 पीएस पर महिलाएं कमान संभालेंगी। वहीं मध्य प्रदेश में आदिवासियों के लिए आरक्षित वन क्षेत्रों/अभयारण्यों में मतदान केंद्र स्थापित किये जायेंगे। इसके साथ ही मिजोरम में मतदान दल 22 गैर मोटर योग्य पीएस और 19 नदी मतदान केंद्रों से नाव द्वारा पैदल यात्रा करेंगे।

दिव्यांगों को घर पर मिलेगी वोटिंग की सुविधा

दिल्ली: छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और मिज़ोरम के आगामी विधानसभा चुनाव के तारीखों की घोषणा करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा, PwD के कुल मतदाताओं की संख्या 17.34 लाख है, अगर वे मतदान केंद्र पर आकर मतदान नहीं कर सकते हैं तो उन्हें उनके घर से भी मतदान करने की सुविधा मिलेगी।

अपराधिक उम्मीदवार को टिकट देने का कारण पार्टी को होगा बताना

वहीं अब अपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को तीन बार विज्ञापन देकर अपने अपराधिक रिकॉर्ड के बारे में बताना होगा। इसके साथ ही ऐसे उम्मीदवारों को चुनने के लिए पार्टी को भी कारण बताना होगा। चुनाव आयोग ने कहा कि स्वतंत्र, निष्पक्ष और प्रलोभन-मुक्त चुनाव सुनिश्चित करने के लिए नागरिकों की जागरूकता और सहयोग महत्वपूर्ण है।