*सत्य स्वरूप परमात्मा की शरण में ले जाती है भागवत : भाईश्री*
विवेक दीक्षित
नैमिषारण्य ( सीतापुर )। संसार में जीव जागता, सोता और स्वप्न देखता है, इन तीनों परिस्थितियों में जीव को सुख और दुख का अनुभव होता है । एकमात्र सत्य स्वरूप परमात्मा की शरण से ही जीव को विश्राम मिलता है, श्रीमद्भागवत कथा उसी सत्य स्वरूप परमात्मा की शरण में ले जाती है, यह प्रवचन भागवताचार्य रमेश भाई ओझा ने भागवत कथा के तीसरे दिन कही ।
कालीपीठाधीश गोपाल शास्त्री के पावन सानिध्य में कालीपीठ संस्थान द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कथा श्रवण किया । भाईश्री ने बताया कि ऋषिपुत्र के श्राप से परीक्षित को सात दिन में मृत्यु का श्राप मिला और परीक्षित को शुकदेव जैसे गुरुदेव मिलने पर सात दिनों में मोक्ष की प्राप्ति हुई । दूसरे परिप्रेक्ष्य में देखें तो ऋषिपुत्र ने परीक्षित को चेताया कि अगले सात दिनों में तेरी मृत्यु होने वाली है अब तो जाग । सच बात तो यह है कि यदि हम समय पर जाग जाए तो मृत्यु भी महोत्सव बन जाती है ।
परमहंस शुकदेव के मुख से भागवत कथा सुन कर परीक्षित की मृत्यु भी महोत्सव बन गई । कथा समापन पर महामहिम राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने रमेश भाई ओझा को अंगवस्त्र देकर सम्मान किया । कालीपीठ संस्थान द्वारा उन्हें स्मृति चिन्ह दिया गया । अंत में राज्यपाल कालीपीठाधीश गोपाल शास्त्री, भास्कर शास्त्री, भाजपा जिलाध्यक्ष राजेश शुक्ला, मुनींद्र अवस्थी, बिंद्रा प्रसाद अवस्थी ने भागवत भगवान की आरती उतारी ।
Oct 03 2023, 16:51