रमेश बिधूड़ी को बीजेपी ने भेजा कारण बताओ नोटिस, बिगड़े बोल पर चौतरफा घिरे बीजेपी सांसद

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लोकसभा में बीएसपी सांसद दानिश अली के खिलाफ अपशब्दों के इस्तेमाल का मामला तूल पकड़ लिया है। अब बीजेपी ने बिधूड़ी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।बीजेपी अध्‍यक्ष जेपी नड्डा के निर्देश पर बिधूड़ी को नोटिस भेजा गया। बिधूड़ी ने गुरुवार को लोकसभा में बहुजन समाज पार्टी के सांसद दानिश अली के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था। इसे लेकर सदन के उपनेता और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने खेद भी जताया था। वहीं लोकसभा स्पीकर ने भी चेतावनी दी थी। 

विपक्षी सांसदों की ओर से हंगामा किए जाने और बिधूड़ी के खिलाफ कार्रवाई की मांग के बीच बीजेपी ने रमेश बिधूड़ी को असंसदीय भाषा के प्रयोग के लिए यह कारण बताओ नोटिस जारी किया है. बीजेपी ने उन्हें 15 दिनों के भीतर जवाब देने के लिए कहा है. पार्टी ने पूछा है कि असंसदीय भाषा के इस्तेमाल के लिए क्यों न उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए?

संसद के विशेष सत्र के चौथे दिन लोकसभा में चंद्रयान 3 की सफलता पर रमेश बिधूड़ी बोल रहे थे। इस दौरान बहुजन समाज पार्टी के सांसद दानिश अली ने बीच में ही टिप्पणी कर दी। इतना करते ही रमेश बिधूड़ी भड़क गए और उन्होंने दानिश अली के खिलाफ सदन में ही अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल कर दिया।बिधूड़ी ने दानिश को उग्रवादी के साथ कई आपत्तिजनक बातें बोली।

सदन में भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी की आपत्तिजनक टिप्पणियों पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने नाराजगी जताई है और भविष्य में ऐसा व्यवहार दोहराए जाने पर उन्हें कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी।

भाजपा सांसद की अमर्यादित भाषा पर विपक्षी सांसदों ने आपत्ति जताई। विपक्ष के हंगामे पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि उन्होंने भाजपा सांसद की बातों को नहीं सुना लेकिन आसन से अपील की कि अगर टिप्पणी से विपक्षी सदस्य नाराज हैं तो इन शब्दों को कार्यवाही से हटा दिया जाए। इसके बाद राजनाथ सिंह ने सांसद के बयान पर माफी मांगी। राजनाथ सिंह के इस कदम की विपक्षी सांसदों ने भी तारीफ की।

आप हाईकोर्ट क्यों नहीं जाते ? उदयनिधि स्टालिन पर FIR की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं पर भड़का सुप्रीम कोर्ट, फिर, वरिष्ठ वकील की मांग पर जारी किय

सुप्रीम कोर्ट ने आज शुक्रवार को 'सनातन धर्म' के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने को लेकर तमिलनाडु के मंत्री और DMK नेता उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमति दे दी है। इसके साथ ही, याचिका में 'सनातन धर्म उन्मूलन सम्मेलन' के बारे में भी चिंता जताई गई, जहां मंत्री द्वारा कथित तौर पर की गई इन टिप्पणियों से राजनीतिक विवाद पैदा हो गया। कोर्ट ने याचिका में तमिलनाडु राज्य और उदयनिधि स्टालिन सहित प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया है।

न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ चेन्नई स्थित वकील बी। तमिलनाडु मुरपोकु एज़ुथालर संगम द्वारा आयोजित तमिलनाडु असंवैधानिक था। एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड गोपालन बालाजी के माध्यम से दायर याचिका में तर्क दिया गया है कि सम्मेलन में हिंदू धर्म को निशाना बनाने और आक्रामक और अपमानजनक भाषा का उपयोग करके नफरत का प्रचार करने का एक जानबूझकर एजेंडा था। न्यायाधीश अनिरुद्ध बोस और बेला एम त्रिवेदी की पीठ चेन्नई में बी जगन्नाथ नामक वकील के कानूनी अनुरोध पर सुनवाई कर रही थी। वह चाहते थे कि अदालत स्टालिन और अन्य लोगों को 'सनातन धर्म' (हिंदू धर्म से संबंधित शब्द) के बारे में नकारात्मक टिप्पणी करना बंद करने के लिए कहे। वह यह भी चाहते थे कि अदालत यह घोषित करे कि तमिलनाडु में 2 सितंबर को तमिलनाडु मुरपोकु एज़ुथालर संगम द्वारा आयोजित एक सम्मेलन की कानून द्वारा अनुमति नहीं थी। एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड गोपालन बालाजी द्वारा प्रस्तुत वकील ने तर्क दिया कि सम्मेलन जानबूझकर हिंदू धर्म की आलोचना करने और आहत करने वाली और अपमानजनक भाषा का उपयोग करके नफरत फैलाने की कोशिश कर रहा था।

आज की सुनवाई की शुरुआत में ही न्यायमूर्ति बोस ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दामा शेषाद्रि नायडू को इस प्रार्थना के साथ उच्च न्यायालय जाने की सलाह दी। लेकिन वरिष्ठ वकील सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप की अपनी मांग पर अड़े रहे और नफरत फैलाने वाले भाषण के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाले अन्य आवेदनों में अदालत द्वारा दी गई अंतरिम राहत की ओर इशारा किया। उन्होंने तर्क दिया कि, 'अगर कोई व्यक्ति किसी कम्युनिटी या लोगों के समूह के खिलाफ बोलता है, तो एक बार समझा जा सकता है। लेकिन, यह तब समझ से बाहर हो जाता है, जब राज्य अपनी सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल करता है। छात्रों को एक विशेष धर्म (हिन्दू धर्म) के खिलाफ बोलने का निर्देश देने वाले परिपत्र जारी किए गए हैं। क्या कोई संवैधानिक प्राधिकारी ऐसे भाषण दे सकता है? ये अस्वीकार्य हैं। याचिकाओं का एक समूह पहले ही स्वीकार कर लिया गया है, मुझे अब उच्च न्यायालय जाने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए। जब ​​व्यक्तियों की बात आती है, तो अदालत ने पहले भी अंतरिम निर्देश जारी किए हैं। यहां, मैं राज्य के बारे में चिंतित हूं।'

भले ही पीठ ने शुरू में याचिका पर विचार करने में अनिच्छा व्यक्त की, लेकिन अंततः उसने नोटिस जारी करने की वरिष्ठ वकील की अपील स्वीकार कर ली। हालाँकि, अदालत ने इस स्तर पर इस मामले को घृणास्पद भाषण पर याचिकाओं के समूह के साथ टैग करने से इनकार कर दिया। अलग होते हुए, न्यायमूर्ति बोस ने वादकारियों के सीधे उच्चतम न्यायालय में जाने पर भी अपनी अस्वीकृति व्यक्त की। जज ने चिल्लाते हुए कहा कि, 'आप हाई कोर्ट क्यों नहीं जा सकते? आप हमें पुलिस स्टेशन में बदल रहे हैं।'

क्या है उदयनिधि स्टालिन का बयान

डीएमके नेता और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन इस महीने की शुरुआत में अपनी उस टिप्पणी के लिए सवालों के घेरे में आ गए थे, जिसमें उन्होंने 'सनातन धर्म' की तुलना 'मलेरिया' और 'डेंगू' जैसी बीमारियों से की थी और इसे समूल नष्ट करने की वकालत की थी। इससे न केवल एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया, बल्कि उदयनिधि के खिलाफ कई आपराधिक शिकायतें भी दर्ज की गईं और साथ ही उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं भी दायर की गईं। मौजूदा याचिका में उदयनिधि के खिलाफ FIR दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की गई है। 

वहीं, कुछ कांग्रेस नेताओं ने भी उदयनिधि स्टालिन के बयान का समर्थन किया है, जिसमे कार्ति चिदंबरम, लक्ष्मी रामचंद्रन और कांग्रेस सुप्रीमो मल्लिकर्जुन खड़गे के बेटे एवं कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे का नाम भी शामिल है। जिसके चलते उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में उदयनिधि और उनके समर्थक कांग्रेस नेता प्रियांक खड़गे के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। बता दें कि, अपने बयान के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन के बावजूद उदयनिधि स्टालिन लगातार माफी मांगने से इनकार करते रहे हैं। हालाँकि, विवाद बढ़ने के बाद उदयनिधि ने डैमेज कण्ट्रोल करते हुए कहा था कि, उन्होंने जातिवाद ख़त्म करने की बात कही थी। लेकिन यहाँ गौर करें कि, जातिवाद मिटाने की बात प्रधानमंत्री मोदी, बसपा सुप्रीमो मायावती समेत कई दलों के कई नेता करते रहे हैं, इसे समाज सुधार की कोशिश के रूप में देखा जाता है और कोई विवाद नहीं होता, लेकिन जब पूरे धर्म का ही नाश करने की बात की जाए और नेतागण उसका समर्थन भी करें, तो ये निश्चित ही नफरत फ़ैलाने वाली बात है। यही कारण है कि, कई पूर्व जजों, आईएएस अधिकारीयों (262 गणमान्य नागरिकों) ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर उदयनिधि के बयान पर स्वतः संज्ञान लेने और कार्रवाई करने का आग्रह किया था। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान तो नहीं लिया, याचिका दाखिल किए जाने के बाद भी हाई कोर्ट जाने को कहा, लेकिन अंततः अदालत सुनवाई के लिए राजी हुई और उदयनिधि को नोटिस जारी किया। 

बता दें कि, कुछ समय पहले इसी तरह का एक मामला सामने आया था। जब भगवान शिव का अपमान सुनकर पलटवार के रूप में भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने पैगम्बर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी कर दी थी, जिसका वीडियो मोहम्मद ज़ुबैर ने सोशल मीडिया पर फैलाया था। ​लेकिन, ज़ुबैर ने अपने एडिटेड वीडियो में केवल नूपुर का बयान शामिल किया था, उसके पहले शिव के अपमान वाली बात उसने काट दी थी। जिससे पता चलता कि, पहले हिन्दू देवता का अपमान हुआ, जिसके जवाब में पैगम्बर पर बयान दिया गया। हालाँकि, उस समय सुप्रीम कोर्ट ने भी 'केवल' नूपुर को ही जिम्मेदार माना था, शिवलिंग को प्राइवेट पार्ट कहने वाले मौलाना अब भी टीवी डिबेट में आते रहते हैं, किन्तु नूपुर गुमनाम जिंदगी जीने को मजबूर है। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि, यदि किसी दूसरे धर्म को खत्म करने की बात कही गई होती, तो क्या यही होता, जो उदयनिधि वाले मामले में हो रहा है ? क्योंकि, जातिवाद तो हर धर्म में है, इस्लाम में भी 72 फिरके हैं, जिनमे से कई एक-दूसरे के विरोधी हैं, तो ईसाईयों में प्रोटेस्टेंट- केथलिक, पेंटिकोस्टल, यहोवा साक्षी में विरोध है। तो क्या समाज सुधारने के लिए उदयनिधि, इन धर्मों को पूरी तरह ख़त्म करने की बात कह सकते हैं ? या फिर दुनिया में एकमात्र धर्म जो वसुधैव कुटुंबकम (पूरा विश्व एक परिवार है), सर्वे भवन्तु सुखिनः (सभी सुखी रहें) जैसे सिद्धांतों पर चलता है, जो पूरी दृढ़ता के साथ यह मानता है कि, ईश्वर एक है और सभी लोग उसे भिन्न-भिन्न रूप में पूजते हैं, उस सनातन को ही निशाना बनाएँगे ?

एशियन गेम्स में अरुणाचल के तीन खिलाड़ियों को चीन ने नहीं दिया वीजा, भारत ने दिखाई सख्ती, खेलमंत्री ने रद्द किया दौरा

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चीन में चल रहे एशियाई खेल में अरुणाचल प्रदेश के खिलाड़ियों को एंट्री नहीं दी गई।अरुणाचल प्रदेश के खिलाड़ियों को एशियन गेम्स में चीन की तरफ से एंट्री न देने पर भारत ने बड़ा कदम उठाया है।भारत सरकार ने इस हरकत पर करारा जवाब दिया है। इसके तहत केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने एशियन गेम्स का दौरा रद्द करने का फैसला किया है।विदेश मंत्रालय ने इस मामले पर लिखित बयान में कहा है कि चीन ने अरुणाचल के लोगों के साथ भेदभाव किया है। उन्हें एशियन गेम्स में एंट्री नहीं दी गई है जिसके बाद अब भारत के खेल मंत्री अनुराग ठाकुर उस देश में कदम नहीं रखेंगे।

हांगझोऊ एशियाई खेलों से पहले भारत और चीन के बीच विवाद बढ़ गया है। दरअसल, खेलों से पहले चीन की एक नापाक हरकत सामने आई। उसने हांगझोऊ एशियाई खेलों के लिए अरुणाचल प्रदेश के तीन वूशु खिलाड़ियों को अंतिम क्षणों में वीजा नहीं दिया। जिसके बाद तेगा ओनिलु, लामगु मेपुंग और वांगसू न्येमान भारतीय वूशु टीम के साथ हांगझोऊ नहीं जा पाए। इससे पहले भी 26 जुलाई को विश्व यूनिवर्सिटी खेलों के लिए इन्हीं तीनों खिलाड़ियों को चीन ने नत्थी वीजा जारी किया था। इसके विरोध में भारत सरकार ने पूरी वूशु टीम को एयरपोर्ट से वापस बुला लिया था।

चीन की इस हरकत का भारत सरकार ने पुरजोर विरोध किया है। सरकार ने साफतौर पर कह दिया है कि देश के किसी भी राज्य के साथ ऐसा व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, भारत सरकार को पता चला है कि चीनी अधिकारियों ने लक्षित और पहले से निर्धारित तरीके से अरुणाचल प्रदेश के कुछ भारतीय खिलाड़ियों को चीन के हांगझोऊ में होने वाले 19वें एशियाई खेलों में मान्यता और एंट्री नहीं देकर उनके साथ भेदभाव किया है।विदेश मंत्रालय ने कहा, हमारी दीर्घकालिक और सुसंगत स्थिति के अनुरूप, भारत डोमिसाइल या जातीयता के आधार पर भारतीय नागरिकों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार को दृढ़ता से खारिज करता है। अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा।

मंत्रालय ने आगे कहा, चीन की कार्रवाई एशियाई खेलों की भावना और उनके आचरण को नियंत्रित करने वाले नियमों दोनों का उल्लंघन करती है, जो स्पष्ट रूप से सदस्य देशों के खिलाड़ियों के खिलाफ भेदभाव को दर्शाती है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इसके बाद कहा, इसके अलावा चीन की कार्रवाई के खिलाफ हमारे विरोध के रूप में, भारत के सूचना और प्रसारण और युवा मामले और खेल मंत्री ने खेलों के लिए चीन की अपनी निर्धारित यात्रा रद्द कर दी है। भारत सरकार हमारे हितों की रक्षा के लिए उचित कदम उठाने का अधिकार सुरक्षित रखती है।

देश के श्रेष्ठ पर्यटन गांव में उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के सरमोली का चयन, आधिकारिक घोषणा के साथ 27 को मिलेगा सम्मान

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के सरमोली गांव जल्द ही देश का श्रेष्ठ पर्यटन गांव घोषित किया जाएगा। पर्यटन मंत्रालय ने श्रेष्ठ पर्यटन गांव प्रतियोगिता में सरमोली गांव का चयन किया है। 27 सितंबर को इसकी आधिकारिक तौर पर घोषणा की जाएगी। साथ ही गांव को श्रेष्ठ पर्यटन गांव का पुरस्कार दिया जाएगा। ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन मंत्रालय ने श्रेष्ठ पर्यटन गांव प्रतियोगिता शुरू की है। इस प्रतियोगिता में राष्ट्रीय स्तर पर पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी के समीप सरमोली गांव का चयन किया गया।

मंत्रालय की केंद्रीय नोडल एजेंसी ग्रामीण पर्यटन और ग्रामीण होम स्टे के माध्यम से प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसमें सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 795 गांवों के आवेदन मिले। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए गांव स्तर पर किए गए बेहतर कार्यों पर सरमोली गांव को श्रेष्ठ पर्यटन गांव के रूप में चयनित किया गया।

सूत्रों के मुताबिक, पर्यटन मंत्रालय के ग्रामीण पर्यटन भारत की नोडल अधिकारी कामाक्षी माहेश्वरी ने राज्य को पत्र जारी कर सरमोली गांव को देश का श्रेष्ठ पर्यटन गांव के रूप में चयनित करने की सूचना दी है। पत्र में कहा कि अधिकारिक घोषणा 27 सितंबर को दिल्ली में होने वाले कार्यक्रम में की जाएगी। कार्यक्रम में पर्यटन विभाग और गांव के एक प्रतिनिधि को भी कार्यक्रम में भेजने का आग्रह किया गया।

नैसर्गिक सुंदरता समेटे है सरमोली गांव

पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी के समीप सरमोली गांव अपनी समृद्ध संस्कृति और नैसर्गिक सुंदरता को समेटे हुए है। पर्यावरण संरक्षण के साथ गांव के लोगों ने ग्रामीण पर्यटन को स्वरोजगार बनाया है। ईको टूरिज्म और साहसिक पर्यटन के लिए पर्यटक सरमोली गांव आते हैं। यहां से हिमालय, नंदा देवी, राजरंभा, पंचाचूली, नंदा कोट चोटियों का दृश्य हर किसी को आकर्षित करता है। गांव में होम स्टे पर्यटकों की पहली पसंद है।

बीजेपी सांसद के बिगड़े बोल, सांसद रमेश बिधूड़ी ने दानिश अली को कहा आतंकवादी, राजनाथ सिंह ने जताया खेद

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भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा सांसद रमेश बिधूड़ी ने लोकसभा में बहुजन समाज पार्टी के दानिश अली के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल किया। भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी द्वारा की गई आपत्तिजनक टिप्पणी पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कड़ी नाराजगी व्‍यक्‍त की है। उन्‍होंने भाजपा सदस्य रमेश बिधूड़ी को इस तरह का व्यवहार दोबारा दोहराए जाने पर “सख्त कार्रवाई” की चेतावनी दी है।वहीं, बहुजन समाज पार्टी और दानिश अली ने लोकसभा स्पीकर को चिट्टी लिखकर रमेश बिधूडी की सदस्यता रद्द करने की मांग की है। जबकि, बिधूड़ी के इस व्‍यवहार पर सदन के उपनेता और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी खेद जताया है।

बता दें कि आज संसद के विशेष सत्र के चौथे दिन लोकसभा में चंद्रयान 3 की सफलता पर रमेश बिधूड़ी बोल रहे थे। इस दौरान बहुजन समाज पार्टी के सांसद दानिश अली ने बीच में ही टिप्पणी कर दी। इतना करते ही रमेश बिधूड़ी भड़क गए और उन्होंने दानिश अली के खिलाफ सदन में ही अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल कर दिया।बिधूड़ी ने दानिश को उग्रवादी के साथ कई आपत्तिजनक बातें बोली।

लोकसभा अध्यक्ष ने जताई नाराजगी

सदन में भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी की आपत्तिजनक टिप्पणियों पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने नाराजगी जताई है और भविष्य में ऐसा व्यवहार दोहराए जाने पर उन्हें कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी।

विपक्ष ने की निलंबन की मांग

अब बहुजन समाज पार्टी और दानिश अली ने लोकसभा स्पीकर को चिट्टी लिखकर रमेश बिधूडी की सदस्यता रद्द करने की मांग की है। पार्टी की नेशनल कोर्डिनेटर और पार्टी चीफ मायावती के भतीजे आकाश आनंद ने यह मांग की है।

भाजपा सांसद के बयान पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मांग की कि रमेश बिधूड़ी को सदन से निलंबित कर देना चाहिए। वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि 'अगर उन्होंने आतंकवादी कहा है तो हमें इसकी आदत है। इन शब्दों का इस्तेमाल पूरे मुस्लिम समुदाय के खिलाफ किया गया था। मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि भाजपा से जुड़े मुस्लिम इसे कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं? इससे पता चलता है कि वह हमारे बारे में क्या सोचते हैं? उन्हें शर्म आनी चाहिए।'

राजद सांसद मनोज झा ने कहा कि 'उन्हें रमेश बिधूड़ी के बयान से दुख हुआ है लेकिन वह हैरान नहीं हैं। प्रधानमंत्री के वसुधैव कुटुंबकम का यही सच है। हमें इस बारे में सोचने की जरूरत है अगर ऐसे शब्द देश की संसद में किसी सांसद द्वारा इस्तेमाल किए गए तो देश के मुस्लिमों, दलितों के खिलाफ किस तरह की भाषा को वैधता दी गई है? अभी तक पीएम मोदी ने रमेश बिधूड़ी को लेकर एक शब्द नहीं कहा है।'

विपक्ष के हंगामे पर राजनाथ सिंह ने मांगी माफी

भाजपा सांसद की अमर्यादित भाषा पर विपक्षी सांसदों ने आपत्ति जताई। विपक्ष के हंगामे पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि उन्होंने भाजपा सांसद की बातों को नहीं सुना लेकिन आसन से अपील की कि अगर टिप्पणी से विपक्षी सदस्य नाराज हैं तो इन शब्दों को कार्यवाही से हटा दिया जाए। इसके बाद राजनाथ सिंह ने सांसद के बयान पर माफी मांगी। राजनाथ सिंह के इस कदम की विपक्षी सांसदों ने भी तारीफ की।

4 साल बाद नजरबंदी से रिहा हुए हुर्रियत नेता मीरवाइज, मस्जिद में अदा की नमाज

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ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेन्स के चेयरमैन मीरवाइज उमर फारूक आज चार साल की नजरबंदी से रिहा हो गए हैं। रिहाई के साथ ही उन्हें श्रीनगर की ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में नमाज अदा की। अंजुमन औकाफ़ जामिया मस्जिद के अधिकारियों ने बताया कि रिहाई के बाद मीरवाइज मौलवी उमर फारूक ने नौहट्टा की मशहूर जामिया मस्जिद में नमाज अदा की। मीरवाइज फारूक को अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद से अबतक नजरबंदी में रखा गया था।

पार्टी ने दी जानकारी

हुइससे पहले र्रियत नेता मीरवाइज उमर फारूक की रिहाई की जानकारी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के सोशल मीडिया पर भी जारी की गई है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दी गई जानकारी के मुताबिक, हुर्रियत ने कहा है कि 4 साल और 212 दिन बाद मीरवाइज उमर फारूक ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में जुमे की नमाज पढ़ेंगे। साथ ही ये भी कहा गया है कि वह 3 अगस्त, 2019 से अवैध और मनमानी हिरासत में थे।

2019 से नजरबंद मीरवाइज मौलवी उमर फारूक

मीरवाइज मौलवी उमर फारूक कश्मीर के प्रमुख मजहबी नेताओं में गिने जाते हैं। उन्हें अगस्त 2019 में एहतियात के तौर पर घर में नजरबंद बनाया गया था। इसके बाद पुलिस व नागरिक प्रशासन ने कई बार उनकी रिहाई का दावा किया, लेकिन मीरवाइज मौलवी उमर फारूक ने सरकार के दावे को नकारते हुए कहा कि उन्हें घर से बाहर नहीं निकलने दिया जाता।

मीरवाइज पर केंद्र का रुख नरम

मीरवाइज को रिहा करने और उनको जुमे की नमाज का नेतृत्व करने देने का केंद्र सरकार के फैसले को एक नरम रुख की तरह देखा जा रहा है। दरअसल 2019 के बाद से ही सरकार कश्मीरी अलगाववादियों की कड़ी आलोचना झेल रही है। हाल ही में अलगाववाद को बढ़ावा देने के आरोप में जेल में बंद दो अन्य मौलवियों को भी रिहा कर दिया गया था। कश्मीर में स्थानीय बीजेपी नेताओं ने इस फैसले का स्वागत किया था।

नेताओं ने जाहिर की खुशी

हुर्रियत नेता की रिहाई पर जहां एक तरफ उनके समर्थकों में खुशी की लहर है, वहीं डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने भी मीरवाइज की रिहाई पर खुशी जाहिर कर प्रशासन के इस कदम का स्वागत किया है। आजाद ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा ”स्वागत योग्य कदम! 4 साल की नजरबंदी के बाद, यह सुनकर खुशी हुई कि मीरवाइज उमर फारूक को श्रीनगर की जामिया मस्जिद में जुमे की नमाज अदा करने की इजाजत दी जाएगी। धार्मिक स्वतंत्रता एक मौलिक अधिकार है और मौलवियों की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका है। यह मेल-मिलाप और एकता की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।

महिला आरक्षण विधेयक पर बोले राहुल गांधी-पता नहीं लागू होगा भी या नहीं, जातीय जनगणना पर कही ये बात

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महिला आरक्षण बिल संसद के दोनों सदनों से पास हो चुका है। अब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अप्रूवल के बाद यह कानून बन जाएंगे।इस बीच कांग्रेस पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी आज महिला आरक्षण बिल को लेकर प्रेस कांफ्रेंस कर अपनी बात रखी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि महिला आरक्षण तो बड़ी अच्छी चीज है लेकिन लागू कब होंगे, यह साफ नहीं है। इस दौरान राहुल गांधी ने कहा कि बिल में दो कमियां हैं। राहुल गांधी ने प्रेस वार्ता के दौरान केंद्र सरकार द्वारा लाए गए महिला आरक्षण विधेयक में ओबीसी महिलाओं की भागीदारी की भी मांग की। साथ ही उन्होंने जातीय जनगणना की मांग की।

यह ध्यान भटकाने वाली राजनीति-राहुल गांधी

राहुल ने कहा, पहले तो पता नहीं चला कि ये विशेष सत्र क्यों बुलाया जा रहा है, उसके बाद पता चला कि ये महिला आरक्षण के लिए बुलाया गया है। महिला आरक्षण विधेयक बढ़िया है लेकिन हमें दो फुटनोट मिले कि जनगणना और परिसीमन पहले करने की जरूरत है। इन दोनों कामों में कई साल लगेंगे। सच तो ये है कि आरक्षण आज ही लागू हो सकता है...यह कोई जटिल मामला नहीं है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि कोई नहीं जानता कि ये लागू होगा भी या नहीं। यह ध्यान भटकाने वाली राजनीति है। 

राहुल गांधी ने इस बात पर जताया अफसोस

कांग्रेस सासंद राहुल गांधी ने कहा कि हम एक बिल आज पास कर रहे हैं और 10 साल बाद इसे इम्प्लीमेंट करेंगे, इसका क्या मतलब है। भारत कि महिलाओं को इतना कम इंटेलीजेंट मत समझिए। अफसोस है कि अपने समय में हमें ओबीसी कोटा दे देना चाहिए था।

राहुल ने पूछा- ओबीसी प्राइड के लिए पीएम ने क्या किया?

कांग्रेस नेता ने आरक्षण के जरिए केंद्र सरकार पर ‘डायवर्जन’ का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि डायवर्जन ओबीसी सेंसस से हो रही है। उन्होंने केंद्र सरकार में सेक्रेटरी और कैबिनेट सेक्रेटरी की जातीय कैटगरी पर बात की।उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि अगर वह ओबीसी के लिए इतना ही काम कर रहे हैं तो 90 में सिर्फ तीन लोग ही ओबीसी कैटगरी से क्यों हैं? कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री हर रोज ओबीसी प्राइड की बात करते हैं तो उनके लिए पीएम ने क्या किया? प्रधानमंत्री संसद में ओबीसी रिप्रेजेंटेशन की बात करते हैं, राहुल ने कहा कि इससे क्या होगा? जो डिसीजन मेकर्स हैं उनमें सिर्फ पांच फीसदी को ही जगह क्यों दी गई? क्या ओबीसी की आबादी देश में सिर्फ पांच फीसदी है? राहुल ने कहा कि अब मुझे ये पता लगाना है कि हिंदुस्तान में ओबीसी कितने हैं? और जितने भी हैं उस हिसाब से उन्हें भागीदारी मिलनी चाहिए।

चांद-सूरज के बाद अब 'समुद्र' की बारी, पानी में 6 KM अंदर जाएगी

भारत की पहली मानवयुक्त पनडुब्बी 'मत्स्य 6000', राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान बना रहा



भारत की पहली मानवयुक्त पनडुब्बी जिसे 'मत्स्य 6000' (Matsya 6000) कहा जाता है, गहरे समुद्र के संसाधनों का अध्ययन करने के लिए तीन लोगों को 6,000 मीटर की गहराई तक ले जाएगी। सबमर्सिबल का निर्माण समुद्रयान परियोजना के तहत राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT) द्वारा किया जा रहा है। NIOT के निदेशक आनंद रामदास ने कहा कि इसका उद्देश्य समुद्री संसाधनों के सतत उपयोग के लिए प्रौद्योगिकियों को डिजाइन, विकसित और प्रदर्शित करना है। उन्होंने कहा कि, मत्स्य 6000 तीन मनुष्यों को ले जाएगा और यह 6 किमी की गहराई तक वैज्ञानिक अन्वेषण कर सकता है। रामदास ने कहा कि, आंतरिक स्थान को जीतना अन्य स्थान को जीतने जितना ही कठिन है।

उन्होंने कहा कि जिस गहराई तक सबमर्सिबल जाएगी - 6,000 मीटर - दबाव समुद्र तल पर अनुभव किए गए दबाव से लगभग 600 गुना अधिक होगा और तापमान 2 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाएगा। उन्होंने कहा कि, 'आप पृथ्वी की सतह से मंगल ग्रह के रोवर को नियंत्रित कर सकते हैं, लेकिन आप पानी में 20 मीटर से नीचे की चीज़ों को नियंत्रित नहीं कर सकते। विद्युत चुम्बकीय तरंगें यात्रा नहीं करतीं। आपके पास उस गहराई तक संचार करने की प्रणालियाँ नहीं हैं। हम इसे नियंत्रित नहीं कर सकते और हमें वहां सोच-समझकर निर्णय लेने के लिए एक इंसान की जरूरत है। यह निश्चित रूप से एक बड़ी चुनौती है।'

मत्स्य 6000 के लिए सुरक्षा उपाय

NIOT के वैज्ञानिक सत्यनारायण ने कहा कि चालक दल की सुरक्षा को सबसे अधिक महत्व दिया गया है। इसमें स्टील से बने एक दबाव पतवार का निर्माण शामिल था, जिसका 500 मीटर की गहराई पर परीक्षण किया गया था। जीवन समर्थन प्रणाली कैसे काम करती है यह देखने के लिए सात मीटर की गहराई पर मनुष्यों के साथ इसका परीक्षण भी किया गया। उन्होंने कहा कि, 'जहाज 12 घंटे तक टिकेगा, जिनमें से तीन घंटे 30 मीटर/सेकेंड की गति से नीचे उतरने के लिए, छह घंटे अनुसंधान के लिए और अन्य तीन घंटे चढ़ने के लिए हैं। सत्यनारायणन ने कहा, हम जहाज से नीचे उतरने के लिए गिट्टी टैंकों का उपयोग कर रहे हैं और गिट्टी भार छोड़ने से इसके चढ़ने में मदद मिलेगी।

 

सबमर्सिबल के चालक दल में एक पायलट और दो वैज्ञानिक शामिल होंगे जो ऐक्रेलिक खिड़कियों के माध्यम से समुद्र को देख सकेंगे। दबाव पतवार का गोलाकार आकार और उसके वजन को कम करने के लिए टाइटेनियम मिश्र धातु का उपयोग एक और तरीका है, जिससे मत्स्य 6000 चालक दल की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। सत्यनारायणन ने कहा कि, सुरक्षा उपायों के कई स्तर अपनाए गए हैं, विशेष रूप से बिजली और गिट्टी वजन जारी करने के लिए उपयोग की जाने वाली बैटरियों के साथ। उन्होंने कहा कि, वाहन की सहनशीलता अवधि अनुसंधान के लिए निर्धारित 12 घंटों को छोड़कर, 96 घंटे है और यह जीवन सहायता प्रदान कर सकता है।

उन्होंने कहा कि जहाज में इस्तेमाल होने वाली प्रत्येक सामग्री को कठोर परीक्षणों से गुजरना होगा, जिसमें उसकी दबाव से निपटने की क्षमता को देखना भी शामिल है। आनंद रामदास ने कहा कि मत्स्य 6000 का लक्ष्य समुद्री संसाधनों का पता लगाना और समझना है। NIOT निदेशक ने कहा कि, 'गैस हाइड्रेट 1,000 मीटर की गहराई पर उपलब्ध हैं, धातुओं से भरपूर पॉली मेटालिक नोड्यूल 5,000 मीटर पर और हाइड्रोथर्मल सल्फाइट्स 3,000 मीटर पर उपलब्ध हैं। ये हमारी रुचि के खनिज हैं और इनका पता लगाने के लिए हमें इस वाहन की आवश्यकता है। एक बार जब मत्स्य 6000 का निर्माण पूरा हो जाएगा, तो भारत अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान और चीन के बाद मानवयुक्त पनडुब्बी तैनात करने वाला दुनिया का छठा देश बन जाएगा।'

डॉ रमन सिंह और संबित पात्रा को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने किया बरी, कांग्रेस ने दर्ज कराया था केस, पुलिस को भी पड़ी फटकार

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने भाजपा नेता और राज्य के पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. संबित पात्रा के खिलाफ एक आपराधिक मामले को खारिज कर दिया है। बता दें कि, छत्तीसगढ़ पुलिस ने भाजपा नेताओं पर कथित तौर पर COVID-19 महामारी के दौरान कथित 'कांग्रेस टूलकिट' के स्क्रीनशॉट ट्वीट करके फर्जी खबर फैलाने के आरोप में FIR दर्ज की थी, जिसमें दावा किया गया था कि इसने COVID-19 महामारी के दौरान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को खराब करने के कांग्रेस के एजेंडे को उजागर किया है। यह FIR कांग्रेस की छात्र शाखा - नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) के प्रदेश अध्यक्ष आकाश शर्मा द्वारा दायर एक शिकायत पर दर्ज की गई थी।

चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस एनके चंद्रवंशी की पीठ ने कहा कि भाजपा नेताओं द्वारा किए गए दो ट्वीट की सामग्री गलत या असत्य हो सकती है, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता है कि इसे उकसाने के इरादे से पोस्ट किया गया था या जिससे किसी को किसी अन्य वर्ग या समुदाय के विरुद्ध अपराध करने के लिए व्यक्तियों का वर्ग या समुदाय उकसाने की संभावना है। हाई कोर्ट ने कहा कि, 'तत्काल मामलों में, एक संदेश पोस्ट करना/ट्वीट करना जो कि राजनीतिक गपशप के रूप में अधिक है, को फर्जी समाचार फैलाने और हिंसा भड़काने के कृत्य का रूप देने की कोशिश की गई है। FIR के अवलोकन से, यह सुरक्षित रूप से माना जा सकता है कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई भी अपराध नहीं बनता है।'

उच्च न्यायालय ने भाजपा नेताओं के खिलाफ आपराधिक मामले को रद्द करते हुए कहा कि उनकी खिलाफ शिकायत 19 मई, 2021 को शाम 4.05 बजे पुलिस स्टेशन में प्राप्त हुई थी और तुरंत एक मिनट के भीतर यानी 4:06 बजे FIR दर्ज की गई थी। हाई कोर्ट ने छत्तीसगढ़ पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि, 'पुलिस अधिकारी एक मिनट में इस नतीजे पर कैसे पहुंच गए कि उक्त शिकायत याचिकाकर्ताओं के खिलाफ संज्ञेय अपराध का मामला बनती है।' उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारियों द्वारा दिखाई गई जल्दबाजी समझ से परे है।

उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता यानी छत्तीसगढ़ NSUI अध्यक्ष, जिनकी लिखित शिकायत पर FIR दर्ज की गई थी, वो नोटिस की तामील के बावजूद अदालत में पेश नहीं हुए। हाई कोर्ट ने कहा कि, 'प्रतिवादी नंबर 4 (छत्तीसगढ़ NSUI अध्यक्ष) भी कोई आम आदमी नहीं है, बल्कि NSUI, छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष हैं। यदि वह इतने ही चिंतित और सतर्क थे कि सोशल मीडिया पर कोई गलत/गलत संदेश राज्य में अशांति का कारण न बने, तो उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए इस कोर्ट के समक्ष भी उपस्थित होना चाहिए था। ऐसे में, यह इस तथ्य का संकेत है कि संबंधित FIR अपना हिसाब-किताब बराबर करने के लिए शुद्ध राजनीतिक प्रतिशोध का परिणाम है।'

हाई कोर्ट ने आगे कहा कि जब याचिकाकर्ता भाजपा नेताओं द्वारा किया गया ट्वीट पहले से ही सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध था, तो याचिकाकर्ताओं के खिलाफ FIR दर्ज करने का कोई कारण नहीं था, लेकिन अगर ऐसा करना जरूरी भी था, तो पहले उस पर केस किया जाना चाहिए था कि जिस व्यक्ति ने सबसे पहले झूठा संदेश ट्वीट किया। उच्च न्यायालय ने कहा कि, 'याचिकाकर्ताओं (रमन सिंह और पात्रा) ने एक वास्तविक विश्वास के तहत इसे एक वास्तविक संदेश मानते हुए इसे अपने सोशल मीडिया अकाउंट से अग्रेषित/रीट्वीट किया, जो पहले से ही सार्वजनिक डोमेन में था।'

बता दें कि, याचिकाकर्ता भाजपा नेताओं ने अपने-अपने ट्विटर हैंडल पर 'टीम भारत' नाम के एक हैंडल की एक पोस्ट को '#CongressToolKitExposed' हैशटैग के साथ रीट्वीट किया था, जिसमें "कोविड कुप्रबंधन पर नरेंद्र मोदी और भाजपा को घेरना" शीर्षक से एक दस्तावेज़ साझा किया गया था और उस दस्तावेज़ में कुछ निर्देश दिए गए थे, जिसमे बताया गया था कि केंद्र सरकार और भाजपा की छवि को शर्मसार और धूमिल कैसे करें। उसमे स्टेप बाय स्टेप पूरा प्लान था, जिसे टूलकिट कहा गया था। उसमे कहा गया था कि कथित निर्देश अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के अनुसंधान विभाग के लेटर-हेड के तहत जारी किए गए थे।

युथ कांग्रेस के नेता आकाश शर्मा ने इस संबंध में छत्तीसगढ़ पुलिस से शिकायत की और एक मिनट के अंदर भाजपा नेताओं के खिलाफ FIR दर्ज कर ली गई। भाजपा नेताओं ने कोर्ट में स्वीकार किया कि उन्होंने 'कांग्रेस टूलकिट' की आलोचना की, क्योंकि वे ईमानदारी से और दृढ़ता से मानते हैं कि केंद्र सरकार भारतीय नागरिकों के सर्वोत्तम हित में काम कर रही है, और वह (कांग्रेस) जानबूझकर केंद्र सरकार की गतिविधियों, कार्यों और नीतियों के बारे में जनता को गुमराह कर रही है। भाजपा नेताओं ने कोर्ट में कहा कि, राजनीतिक लाभ जनहित के विरुद्ध है और देश को बड़े खतरे में डालता है।

भाजपा नेताओं ने बताया कि जन प्रतिनिधियों के रूप में उनका काम भारत के लोगों को यह समझने में सहायता करना है कि क्या सच है और क्या नहीं, साथ ही क्या तथ्यों पर आधारित है और क्या बनाया गया है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि विचाराधीन ट्विटर पोस्ट उनकी व्यक्तिगत राय को दर्शाता है, जिसे बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हिस्से के रूप में उन्हें सभी संबंधित नागरिकों के साथ साझा करने का अधिकार है। याचिकाकर्ता भाजपा नेताओं ने आगे कहा कि भले ही उन पर सार्वजनिक शरारत और जनता के बीच शत्रुता, घृणा या दुर्भावना को बढ़ावा देने से संबंधित अपराधों के लिए आरोप लगाए गए हैं, लेकिन राजनीतिक पदाधिकारी (कांग्रेस नेता) के अलावा पुलिस में कोई शिकायत नहीं की गई है। कांग्रेस पार्टी और स्पष्ट रूप से, विवादित FIR निहित स्वार्थों के इशारे पर और राजनीतिक लाभ के लिए राज्य मशीनरी का दुरुपयोग करके दर्ज की गई थी।

दिल्ली में दिवाली पर नहीं जला पाएंगे पटाखे, SC ने केजरीवाल सरकार के फैसले में हस्तक्षेप करने से किया इनकार

दिल्ली में दिवाली पर पटाखे जलाने का इंतजार कर रहे लोगों को झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली पर दिल्ली में सभी प्रकार के पटाखों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के दिल्ली सरकार के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है।

शीर्ष न्यायालय ने इसी के साथ बेरियम का उपयोग कर पटाखों के निर्माण और उपयोग की मांग वाली याचिका भी खारिज कर दी है। केंद्र सरकार और पटाखा निर्माताओं ने इन पटाखों के निर्माण और बिक्री की प्रक्रिया की जानकारी SC को दी थी। दोनों ने इनके निर्माण को मंजूरी का अनुरोध किया था।

केजरीवाल सरकार ने लगाया पटाखों पर बैन

दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने हाल ही में राज्य में पटाखों के निर्माण, बिक्री और जमाखोरी पर बैन लगाया था। कोर्ट ने इससे पहले भी कहा था कि लोगों का स्वास्थ्य जरूरी है, न कि पटाखे जलाने। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकार ने जो फैसला लिया है उसका कड़े तरीके से पालन होना चाहिए।