राजद्रोह कानून के प्रावधान की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 12 सितंबर से सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, आरपार के मूड में सीजेआई

सुप्रीम कोर्ट औपनिवेशिक काल के राजद्रोह कानून के प्रावधान की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 12 सितंबर से सुनवाई करेगा। ये याचिकाएं सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक मई को आई थीं। अदालत ने केंद्र के यह कहने पर सुनवाई टाल दी थी कि दंडात्मक प्रावधान की समीक्षा पर सरकार परामर्श लेने के अंतिम चरण में है।

केन्द्र सरकार ने 11 अगस्त को एक बड़ा कदम उठाते हुए ब्रिटिश कालीन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने के लिए लोकसभा में तीन नये विधेयक पेश किये थे तथा कहा कि अब राजद्रोह कानून को पूरी तरह समाप्त किया जा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर 12 सितंबर के लिए अपलोड की गई वाद सूची के अनुसार आईपीसी की धारा 124ए (राजद्रोह) की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाएं प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आएंगी। अदालत ने एक मई को इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी की इन दलीलों पर गौर किया था कि सरकार ने आईपीसी की धारा 124ए की पुन: पड़ताल की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है।

पिछले साल 11 मई को एक ऐतिहासिक आदेश में शीर्ष न्यायालय ने राजद्रोह संबंधी औपनिवेशिक काल के दंडात्मक कानून पर तब तक के लिए रोक लगा दी थी, जब तक कि "उपयुक्त" सरकारी मंच इसकी समीक्षा नहीं करता। इसने केंद्र और राज्यों को इस कानून के तहत कोई नयी प्राथमिकी दर्ज नहीं करने का निर्देश दिया था।

अदालत ने व्यवस्था दी थी कि देशभर में राजद्रोह कानून के तहत जारी जांच, लंबित मुकदमों और सभी कार्यवाही पर भी रोक रहेगी। राजद्रोह कानून के तहत अधिकतम आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है। इसे देश की आजादी से 57 साल पहले और आईपीसी के अस्तित्व में आने के लगभग 30 साल बाद 1890 में लाया गया था।

जी 20 की दिल्ली में बैठक में पाकिस्तान को नहीं बुलाने पर शर्मिंदा महसूस कर रहे पाकिस्तान के लोग, पढ़िए, कैसी कैसी अा रही प्रतिक्रिया

जी 20 समूह में कुल 20 देश शामिल है। इन सभी देशों के प्रमुख भारत पहुंचे हुए हैं। इसके अलावा भारत ने अन्य 9 देश को अतिथि के तौर पर आने के लिए न्योता भेजा था। इस वक्त सारी दुनिया की नजरें देश में होने वाले जी 20 शिखर सम्मेलन पर टिकी हुई है, जहां दुनिया के सबसे ताकतवर देश के नेता का एक जगह पर शामिल हुए है। जी 20 शिखर सम्मेलन 9 से 10 सितंबर के बीच आयोजित किए जाएगा।

इस सम्मेलन में उपस्थित सारे देश आर्थिक मुद्दों से लेकर सामाजिक और पर्यावरण से संबंधित विषयों पर विचार-विमर्श करने वाले हैं। हालांकि, इसी बीच पाकिस्तान के लोगों को इस बात का अफसोस हो रहा है कि भारत ने उन्हें जी 20 शिखर सम्मेलन में बतौर अतिथि भी शामिल होने का न्योता नहीं दिया।

बता दें कि जी 20 समूह में कुल 20 देश शामिल है। इन सभी देशों के प्रमुख भारत पहुंचे हुए हैं। इसके अलावा भारत ने अन्य 9 देश को अतिथि के तौर पर आने के लिए न्योता भेजा था। बांग्लादेश भी शामिल है, जो पाकिस्तान से अलग होकर एक नया देश बना था। इन्हीं बातों को लेकर पाकिस्तानी लोगों को बहुत शर्म आ रही है कि बांग्लादेश एक न्यूक्लियर देश न होकर भी जी 20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने जा रहा है और वहीं पाकिस्तान को न्यूक्लियर देश होने के बावजूद नहीं बुलाया गया।

पाकिस्तानियों को महसूस हो रही शर्मिंदगी

पाकिस्तानी यूट्यूबर शोएब चौधरी ने आवाम के बीच जाकर भारत में होने वाले जी 20 शिखर सम्मेलन को लेकर राय जाननी चाही। इस पर पाकिस्तानियों ने कहा कि हमे बहुत ज्यादा शर्मिंदगी महसूस हो रही है। भारत ने हमे शिखर सम्मेलन में न्योता नहीं दिया है।

जी 20 समूह में शामिल देशों के अलावा और भी 9 देशों को विशेष आमंत्रण पर शामिल होने के न्योता दिया गया है। इन देशों में बांग्लादेश, ईजिप्ट, मॉरीशस, नीदरलैंड, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन और संयुक्त अरब अमीरात शामिल है।

पाकिस्तान को न्योता न भेजने की वजह

भारत का पाकिस्तान को न्योता न भेजने की वजह ये है कि भारत के रिश्ते पाकिस्तान के साथ सही नहीं है। पाकिस्तान हमेशा से भारत के खिलाफ जहर उगलता रहा है। इसके अलावा पड़ोसी मुल्क आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने की कोशिश भी करता है और कई बार अपने नापाक मसूंबों में सफल भी हुआ है, जिसमें साल 2008 में हुआ मुंबई हमला एक उदाहरण है। इसके अलावा देश के जवानों को अपना निशाना बनाता रहता है। पुलवामा अटैक और उरी हमला इसका उदाहरण है।

दिल्ली में G20 सम्मेलन के पहले दिन लिए गए पांच बड़े फैसले, यहां डिटेल में पढ़िए, कैसे पहले ही दिन भारत को मिली बड़ी कामयाबी

दिल्ली में G20 सम्मेलन के पहले दिन कई बड़े फैसले लिए गए। भारत को जहां पहले दिन दिल्ली घोषणापत्र को एडॉप्ट कराने में सफलता मिली। वहीं पहले दिन ही अफ्रीकन यूनियन को G20 की स्थायी सदस्यता भी दी गई। 

G20 सम्मेलन की शुरुआत के कुछ घंटे के बाद ही सभी देशों ने एक बड़ा फैसला किया। इसके तहत अफ्रीकन यूनियन को G20 का स्थाई सदस्य बनाने का निर्णय लिया गया। इस फैसले के बाद कहा गया कि यह एक प्रयास है विकासशील देशों को मुख्यधारा से जोड़ने का।

अमेरिका, भारत, सऊदी अरब और खाड़ी और अरब देशों और यूरोपीय संघ को जोड़ने वाले व्यापक रेल और शिपिंग कनेक्टिविटी नेटवर्क की घोषणा की गई।

चीन और रूस की सहमति के बाद दिल्ली घोषणापत्र को सभी की सहमति के बाद पास कराया गया। पीएम मोदी ने कहा कि इस घोषणापत्र को लेकर 100 फीसदी सहमति बन गई है।

पीएम मोदी ने स्वच्छ ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन शुरू करने की घोषणा की। यह पुष्टि की गई कि यह गठबंधन पौधों और जानवरों के अपशिष्ट सहित विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जैव ईंधन में व्यापार को सुविधाजनक बनाकर शुद्ध शून्य उत्सर्जन लक्ष्य को पूरा करने के वैश्विक प्रयासों को गति देगा।

सम्मेलन के दौरान कोरोना के बाद विश्व में देशों के बीच मौजूद अविश्वास की स्थिति पर भी चर्चा हुई। सभी देशों ने तय किया कि इस अविश्वास को G20 के सदस्य देशों के बीच अधिक सहयोग से दूर किया जाएगा।

अगर हम सत्ता में आए तो...',कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को G20 डिनर का न्योता नहीं देने पर संजय राउत का बड़ा बयान



जी20 समिट में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को न्योता नहीं दिए जाने पर शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने कहा ने कहा कि जब मन किसी राजा का छोटा होता है, तो ऐसी हरकत होती है। आप देवगौड़ा और मनमोहन सिंह को बोलते हैं जो चल भी नहीं सकते हैं, लेकिन मल्लिकार्जुन खरगे को नहीं बुला रहे इससे उनका डर झलकता है। राउत ने कहा कि आपने इंडिया को लेकर The Mother of Democracy बुक जारी की है, लेकिन अगर आप विपक्ष को इसमें जगह नहीं देते हैं, तो यह लोकतंत्र नहीं है।  

"हम परंपरा को फॉलो करेंगे, उन्हें न्योता देंगे"

संजय राउत ने कहा, "अगर इन इंडिया (I.N.D.I.A.) गठबंधन सत्ता में आए और मोदी विपक्ष के नेता हुए, तो हम परंपरा को फॉलो करेंगे और उन्हें न्योता देंगे। दुनियाभर के नेता एक साथ आ रहे हैं, लेकिन आप विपक्ष के सबसे बड़े नेता को जगह नहीं देते, तो यह दुखद है।" इस मुद्दे पर बेल्जियम में राहुल गांधी के दिए बयान का समर्थन करते हुए राउत ने कहा कि राहुल गांधी ने अगर यूरोप में कहा है, तो वो सच कहा, उसमें गलत क्या है। वो कुछ गलत नहीं कह रहे। आप जब मल्लिकार्जुन खरगे को डिनर पर न्योता नहीं देते तो क्या यह लोकतंत्र है, क्या यह सही है, राहुल बिल्कुल सही कह रहे हैं, मोदी खुद पीएम रहते भी विदेशों में देश की आलोचना कर चुके हैं।

ए राजा की टिप्पणी पर संजय राउत का बयान

सनातन धर्म पर ए राजा के दिए बयान को लेकर शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा, "हमने कल अपने सामना के जरिए अपनी नाराजगी जताई है। ए राजा ने जो कहा उस पर हम फिर से चर्चा अगली बैठक में करेंगे। जो लोग सनातन या दूसरे धर्म के बारे में बोलते हैं उन्हें पहले जानना चाहिए, बिना सोचे-समझे न बोले। जिस नेता का आप नाम ले रहे (ए राजा) उनकी पार्टी आज कहा है। सनातन धर्म पर बोलने वालों के कितने विधायक या सांसद हैं। सनातन धर्म के बारे में जिन्हें जानकारी नहीं उन्हें टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। हम सामना के जरिए फिर से लेख लिखेंगे।"

ओबीसी नेताओं की सीएम शिंदे के साथ आज बैठक 

मराठा आरक्षण को लेकर उन्होंने कहा कि आज ओबीसी नेताओं की सीएम शिंदे के साथ बैठक होने वाली है। उसके बाद देखेंगे। ये मुद्दा बहुत गंभीर है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार जल्द मराठों को आरक्षण देने का काम करे, ताकि मनोज जारांगे पाटिल अपना अनशन तोड़े, क्योंकि यह मामला जितना लंबा खींचेगा उतनी मुश्किल सरकार को होगी। बिना किसी के साथ अन्याय किए मराठों को न्याय राज्य सरकार दे।

राधाकृष विखे पाटिल के विरोध पर क्या बोले?

धनगर कार्यकर्ता पर राधा कृष्ण विखे पाटिल के विरोध को लेकर उन्होंने कहा, ओबीसी के जो धनगर समाज नाराज हैं और कल उनके एक नेता ने भगवान को चढ़ाने वाली हल्दी मंत्री राधाकृष विखे पाटिल पर फेंकी तो वो इतने नाराज़ हो गए और उनके बॉडीगार्ड ने उस शख्स को इतना मारा कि वो बेहोश हो गए और मंत्री हंस रहे थे। यह बहुत ही दुखद बात है। भगवान की हल्दी अगर मंत्री पर किसी ने विरोध के चलते डाल भी दी, तो इतना नाराज होने की क्या जरूरत थी?

जी 20 में ऐतिहासिक ऐलान, भारत से दुबई होते हुए यूरोप तक बनेगा रेल कॉरिडोर, चीन की बीआरआई को लगा बड़ा झटका

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जी समिट में इंटरनेशनल लेवल के बड़े प्रोजेक्ट्स के बारे में बड़ा ऐलान किया गया है। अमेरिका, भारत, सऊदी अरब और यूएई के साथ कई देश मिलकर आपसी कनेक्टिविटी को बेहतर करना चाहते हैं। इसके लिए भारत मिडिल ईस्ट यूरोप ईको कॉरिडोर प्रोजेक्ट का ऐलान किया गया है।अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने शनिवार को इस आर्थिक कॉरिडोर का एलान किया। इस प्रोजेक्ट के तहत भारत और मिडिल ईस्ट के देशों से होते हुए यूरोप को भी कनेक्ट किया जाएगा। मिडल ईस्ट देशों के बीच रेल लाइन बनाई जाएगी और फिर पोर्ट के जरिए इसे भारत से जोड़ा जाएगा। इस बड़े ऐलान से चीन के प्रोजेक्ट बीआरआई को तगड़ा झटका लगा है।

बाइडन ने आर्थिक कॉरिडोर के लिए पीएम मोदी को दी बधाई

भारत में जी-20 समिट में हिस्सा लेने आए जो बाइडन ने आर्थिक कॉरिडोर की घोषणा करते हुए कहा कि, "यह वास्तव में एक बड़ी बात है। मैं प्रधानमंत्री को धन्यवाद कहना चाहता हूं। एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य जो इस जी 20 शिखर सम्मेलन का फोकस है, पर ही आधारित है। यह कई मायनों में, उस साझेदारी का भी प्रतीक है जिसके बारे में हम आज बात कर रहे हैं। टिकाऊ, लचीला बुनियादी ढांचे का निर्माण, गुणवत्ता वाले बुनियादी ढांचे में निवेश करना और एक बेहतर भविष्य बनाने के लिए हम इकोनॉमिक कॉरिडोर तैयार करेंगे। पिछले साल, हम इसके लिए प्रतिबद्ध होकर एक साथ आए थे।"

पीएम मोदी ने कहा-भारत और यूरोप के बीच व्यापार करना आसान हो

वहीं, इस उपलब्धि पर मुहर लगने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह रेल और शिपिंग कॉरिडोर मजबूत कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे के विकास का आधार होगा। भारत ने अपनी विकास यात्रा में इसे प्राथमिकता दी है। पीएम मोदी ने कहा कि शिपिंग और रेल कॉरिडोर बनाने का मुख्य उद्देश्य भारत के साथ- साथ मध्य पूर्व व दक्षिण एशिया से यूरोप तक वाणिज्य, ऊर्जा और डेटा के प्रवाह में सहायता प्रदान करना है। वहीं, यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि इस रेल कॉरिडोर बनने से भारत और यूरोप के बीच व्यापार करना आसान हो जाएगा। उनकी माने तो यूरोप और भारत के बीच व्यापार में 40 प्रतिशत की तेजी आएगी। खास बात यह है कि इस शिपिंग और रेल कॉरिडोर परियोजना के समझौते ज्ञापन पर सभी देशों ने हस्ताक्षर भी कर दिए हैं।

8 देश मिलकर बनाएंगे रेल कॉरिडोर

खास बात यह है कि भारत, अमेरिका और सऊदी अरब सहित कुल 8 देश मिलकर इस रेल कॉरिडोर को बनाएंगे। इन देशों ने मिलकर मध्य पूर्व, दक्षिण एशिया और यूरोप के देशों को जोड़ने वाले एक रेल कॉरिडोर बनाने की घोषणा की है। इसके अलावा इन देशों ने एक शिपिंग गलियारे के निर्माण पर भी मुहर लगाई है।

चीन के लिए बड़ा सदमा

बता दें कि चीन ने इससे पहले बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआइ) की शुरुआत की थी। जिसका मकसद मिडिल ईस्ट के बाजार पर दबदबा कायम करना था। हालांकि चीन की यह परियोजना पूरी तरह परवान नहीं चढ़ सकी। इस बीच भारत से यूरोप तक जाने वाले इन नए कोरिडोर के ऐलान से चीन को बड़ा सदमा लगा है। इसे भारत की बड़ी सफलता के तौर पर देखा जा रहा है। इस कोरिडोर का सबसे बड़ा फायदा भारत को होने वाला है।

क्या है जी20 घोषणापत्र? मानी जा रही भारत की बड़ी कामयाबी, आतंकवाद, महंगाई, यूक्रेन युद्ध समेत कुल 112 मुद्दे हैं शामिल

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राजधानी दिल्ली के भारत मंडपम में जी-20 शिखर सम्मेलन की बैठक जारी है। इस बीच भारत को इस शिखर सम्मेलन मे बड़ी कामयाबी मिली है। सम्मेलन के दूसरे सत्र में साझा घोषणा-पत्र पर सहमति बन गई है।घोषणापत्र को जी20 सदस्य देशों ने सर्वसम्मति से मंजूरी भी दे दी है जो कि भारत के लिए एक बड़ी कामयाबी है।इस घोषणापत्र में आतंकवाद, महंगाई, यूक्रेन युद्ध समेत कुल 112 मुद्दे शामिल हैं।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'भारत मंडपम' में जी-20 समिट के दूसरे सत्र को संबोधित करते हुए ये ऐलान किया कि संयुक्त घोषणा पत्र पर सबकी सहमति बन गई है। 37 पेजों के घोषणा पत्र में आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा की गई है।

जी20 नेताओं के घोषणा-पत्र में क्या?

-घोषणापत्र में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल या धमकी को अस्वीकार्य बताया गया है। यूएनएससी और यूएनजीए में अपनाए गए देश के रुख और प्रस्तावों को दोहराया गया है।

-घोषणापत्र में कहा गया है कि हम सभी देशों से अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धातों को बनाए रखने और क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को बनाए रखने का आह्वान करते हैं।

-घोषणापत्र में आतंकवाद को अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताया गया है। इसके साथ-साथ इसका मुकाबला करने और किसी भी रूपों में इसकी निंदा की गई है।

-जी20 घोषणापत्र मजबूत सतत समावेशी विकास पर केंद्रित है। इसमें हरित मार्ग की परिकल्पना की गई है। जी20 की अध्यक्षता का संदेश एक पृथ्वी है, एक कुटुम्ब है और एक भविष्य बताया गया है।

-घोषणापत्र में लैंगिक अंतर को कम करने के साथ-साथ फैसले लेने वालों के रूप में अर्थव्यवस्था में महिलाओं की पूर्ण और समान भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्धता दर्शाइ गई है।

-घोषणापत्र में यूक्रेन युद्ध का भी जिक्र किया गया है और कहा गया है कि इससे दुनियाभर में महंगाई बढ़ी है। यूक्रेन युद्ध का पूरी दुनिया पर नकारात्मक प्रभाव का भी उल्लेख किया गया है।

-विवादित मुद्दों का शांतिपूर्ण समाधान करने की अपील की गई है। आतंकी समूहों को पनाह देने वालों के खिलाफ कठोर कदम उठाने की बात कही गई है।

-यह मानते हुए कि जी20 भू-राजनीतिक मुद्दों को हल करने का मंच नहीं है, घोषणापत्र में स्वीकार किया गया है कि इन मुद्दों का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ सकता है।

-सभी देशों को किसी देश की क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ उसके भू-भाग पर कब्जे के लिए बल के इस्तेमाल या धमकी देने से बचना चाहिए।

-इसके अलावा एफएटीएफ के बढ़ते संसाधन आवश्यकताओं के समर्थन को लेकर प्रतिबद्धता जताई गई है। विवादों का कूटनीति और संवाद के जरिए शांतिपूर्ण समाधान निकालने की अपील की गई है।

-जी20 समिट के दौरान तीन एफ-फूड, फ्यूल और फर्टिलाइजर के मुद्दे विशेष चिंता की श्रेणी में शामिल थे। जी20 सदस्य देशों ने कारोबार की सुगमता को बढ़ावा देने का संकल्प लिया।–

-जी20 देशों से कहा गया है कि हमारे पास बेहतर भविष्य बनाने का अवसर है। ऐसी स्थिति नहीं बननी चाहिए कि किसी भी देश को गरीबी से लड़ने और प्लेनेट के लिए लड़ने के बीच चयन करना पड़ा।

इससे पहले प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यह मेरा प्रस्ताव है कि इस जी20 घोषणापत्र को अपनाया जाए।’ सदस्यों की मंजूरी के बाद पीएम मोदी ने कहा, ‘मैं इस घोषणापत्र को अपनाने की घोषणा करता हूं।’ उन्होंने कहा, ‘इस अवसर पर मैं अपने मंत्रियों, शेरपा और सभी अधिकारियों को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से इसे संभव बनाया।’ 

न्यूज एजेंसी पीटीआई ने राजनयिक सूत्रों के हवाले से बताया है कि यूक्रेन संघर्ष से संबंधित पैराग्राफ पर आम सहमति नहीं होने के कारण, भारत ने शुक्रवार को सकारात्मक परिणाम निकालने के प्रयास में भू-राजनीतिक संबंधी पैराग्राफ के बिना ही सदस्य देशों के बीच शिखर सम्मेलन घोषणापत्र का मसौदा वितरित किया था।

भारत को बड़ी सफलता, नई दिल्ली साझा घोषणा पत्र को जी 20 देशों की मंजूरी, पीएम मोदी ने कहा- मेरी टीम की मेहनत रंग लाई

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को जी-20 शिखर सम्मेलन के पहले दिन एलान किया कि संगठन के सभी सदस्य देशों ने नई दिल्ली घोषणापत्र को मंजूरी दे दी है। पीएम मोदी ने इस संयुक्त घोषणापत्र को मंजूरी मिलने के पीछे जी20 शेरपा, मंत्रियों और अधिकारियों का धन्यवाद किया और उनके कठिन परिश्रम के लिए उनकी तारीफ की। जी20 का संयुक्त घोषणा पत्र कल यानी रविवार को जारी होगा। रविवार को भी जी20 सदस्य देशों की बैठक होनी है। इस बैठक में भविष्य की रणनीति पर चर्चा होगी। बता दें कि पहले रूस-यूक्रेन के मुद्दे को लेकर इस घोषणापत्र को मंजूरी मिलने में दिक्कतें आ रही थीं, हालांकि बाद में भारत ने घोषणापत्र के पैराग्राफ में बदलाव किए, जिससे इसे मंजूरी मिलने में आसानी हुई।

भारत ने यूक्रेन संकट पर नया ‘पैराग्राफ’ साझा किया

भारत ने शनिवार को जी20 देशों के बीच समूह के दो दिवसीय शिखर सम्मेलन के अंत में जारी होने वाले नेताओं के घोषणापत्र में यूक्रेन संघर्ष का उल्लेख करने के लिए एक नया ‘पैराग्राफ’ साझा किया। राजनयिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। यूक्रेन संघर्ष से संबंधित पैराग्राफ पर आम सहमति नहीं होने के कारण भारत ने शुक्रवार को भू-राजनीतिक मुद्दे से संबंधित पैराग्राफ के बिना ही सदस्य देशों के बीच शिखर सम्मेलन के संयुक्त घोषणापत्र का एक मसौदा साझा किया था ताकि सकारात्मक परिणाम निकल सके। यूक्रेन पर भारत की ओर से घोषणापत्र में नया पाठ तब साझा किया गया जब जी20 नेताओं ने शिखर सम्मेलन के पहले दिन गंभीर वैश्विक चुनौतियों पर विचार-विमर्श शुरू किया।

जी20 में अब तक का सबसे विस्तृत और व्यापक घोषणा पत्र

दिल्ली घोषणापत्र में कुल 112 मुद्दों को शामिल किया गया है। यह जी20 में अब तक का सबसे विस्तृत और व्यापक घोषणा पत्र है। इस बार की बैठक में पिछले घोषणापत्रों से ज्यादा मुद्दों पर सहमति बनी है।

भारत को बड़ी सफलता, नई दिल्ली साझा घोषणा पत्र को जी 20 देशों की मंजूरी, पीएम मोदी ने कहा- मेरी टीम की मेहनत रंग लाई

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को जी-20 शिखर सम्मेलन के पहले दिन एलान किया कि संगठन के सभी सदस्य देशों ने नई दिल्ली घोषणापत्र को मंजूरी दे दी है। पीएम मोदी ने इस संयुक्त घोषणापत्र को मंजूरी मिलने के पीछे जी20 शेरपा, मंत्रियों और अधिकारियों का धन्यवाद किया और उनके कठिन परिश्रम के लिए उनकी तारीफ की। जी20 का संयुक्त घोषणा पत्र कल यानी रविवार को जारी होगा। रविवार को भी जी20 सदस्य देशों की बैठक होनी है। इस बैठक में भविष्य की रणनीति पर चर्चा होगी। बता दें कि पहले रूस-यूक्रेन के मुद्दे को लेकर इस घोषणापत्र को मंजूरी मिलने में दिक्कतें आ रही थीं, हालांकि बाद में भारत ने घोषणापत्र के पैराग्राफ में बदलाव किए, जिससे इसे मंजूरी मिलने में आसानी हुई।

भारत ने यूक्रेन संकट पर नया ‘पैराग्राफ’ साझा किया

भारत ने शनिवार को जी20 देशों के बीच समूह के दो दिवसीय शिखर सम्मेलन के अंत में जारी होने वाले नेताओं के घोषणापत्र में यूक्रेन संघर्ष का उल्लेख करने के लिए एक नया ‘पैराग्राफ’ साझा किया। राजनयिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। यूक्रेन संघर्ष से संबंधित पैराग्राफ पर आम सहमति नहीं होने के कारण भारत ने शुक्रवार को भू-राजनीतिक मुद्दे से संबंधित पैराग्राफ के बिना ही सदस्य देशों के बीच शिखर सम्मेलन के संयुक्त घोषणापत्र का एक मसौदा साझा किया था ताकि सकारात्मक परिणाम निकल सके। यूक्रेन पर भारत की ओर से घोषणापत्र में नया पाठ तब साझा किया गया जब जी20 नेताओं ने शिखर सम्मेलन के पहले दिन गंभीर वैश्विक चुनौतियों पर विचार-विमर्श शुरू किया।

जी20 में अब तक का सबसे विस्तृत और व्यापक घोषणा पत्र

दिल्ली घोषणापत्र में कुल 112 मुद्दों को शामिल किया गया है। यह जी20 में अब तक का सबसे विस्तृत और व्यापक घोषणा पत्र है। इस बार की बैठक में पिछले घोषणापत्रों से ज्यादा मुद्दों पर सहमति बनी है।

G20 के बीच 3.8 बिलियन डॉलर का मार्केट बना भारत, निवेशकों का भरोसा भी बढ़ा, विशेषज्ञों ने दिए 'शुभ' संकेत

भारत अपने शेयर बाजार में बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस संबंध में अन्य विश्व नेताओं के सामने चर्चा करने की पूरी संभावना जानकार बता रहे हैं। भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है और इसका शेयर बाजार रिकॉर्ड तोड़ने के करीब जा पहुंच है। यह कई अन्य देशों से अलग है, खासकर चीन, जिसकी अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार में कुछ समस्याएं दिख रहीं हैं। आज निवेशक भारत को अधिक पसंद कर रहे हैं, क्योंकि यह उनके लिए अधिक से अधिक सुरक्षित होता जा रहा है। निवेशकों को यह अहसास होने लगा है कि भारत अपना पैसा लगाने के लिए एक अच्छी जगह है।

बता दें कि, भारत का शेयर बाज़ार, अब बहुत धन, यानी लगभग 3.8 ट्रिलियन डॉलर का हो गया है। आर्थिक मोर्चे पर यह बहुत बड़ी बात है और इससे पता चलता है कि भारत, आज दुनिया का एक महत्वपूर्ण देश बनता जा रहा है। वहीं, देश के पीएम मोदी इसका इस्तेमाल कंपनियों को भारत में आकर कारोबार करने के लिए आकर्षित करने के लिए कर रहे हैं। Apple और Samsung जैसी बड़ी कंपनियां पहले से ही भारत में चीजें बना रही हैं। विदेशी निवेशक इस साल भारत में जमकर पैसा लगा रहे हैं, 16 अरब डॉलर से भी अधिक अब तक आ चुका है। इसके उलट, कई अन्य एशियाई देशों को विदेशी निवेशकों से उतना पैसा नहीं मिल रहा है। कुल मिलाकर अभी भारत अपने शेयर बाजार में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और कई निवेशक इससे खुश हैं। भारतीय शेयर बाजार पिछले कुछ महीनों में अन्य बाजारों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।

कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि भारत का शेयर बाजार लगातार बढ़ता रहेगा, क्योंकि भारत में कंपनियां अधिक पैसा कमाएंगी, खासकर रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों में। वे यह भी सोचते हैं कि भारत इस समय निवेश के लिए चीन से काफी बेहतर जगह बन चुका है। लेकिन, भारत में कुछ समस्याएं भी हैं। जैसे तेल की कीमत बढ़ती जा रही है, जिससे देश में चीजें और महंगी हो सकती हैं। भारतीय मुद्रा, रुपया भी आशा के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर रही है, और अन्य मुद्राओं की तुलना में इसकी कीमत कम है। अगले कुछ समय में भारत में भी चुनाव आने वाला है, जिसका असर शेयर बाजार पर पड़ सकता है। 

दीर्घावधि में, भारत को अपने बुनियादी ढांचे, शिक्षा जैसी चीजों में सुधार करने और अपने युवाओं के लिए अधिक नौकरियां पैदा करने की आवश्यकता है। लेकिन, जिस तरह से निवेश आ रहा है और कंपनियां, भारत में कारोबार करने के लिए लालायित हो रहीं हैं, ऐसे में देश के लोगों के लिए रोज़गार भी पैदा होगा ही और वो भी बड़े पैमाने पर। वहीं, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के जरिए सरकार इस क्षेत्र में भी सुधार करने का प्रयास कर रही है, लेकिन केंद्र सरकार को इस संबंध में कुछ राज्य सरकारों का सहयोग नहीं मिल रहा है, खासकर विपक्ष शासित राज्यों का। उनका आरोप है कि, केंद्र सरकार, इस शिक्षा नीति के जरिए कट्टर राष्ट्रवाद को बढ़ावा दे रही है। इसलिए कुछ विपक्ष शासित राज्य अपनी खुद की शिक्षा नीति बनाने की घोषणा कर चुके हैं।

क्या समझौते से निकलेगा रूस-यूक्रेन युद्ध का हल ? G20 में भारत कर रहा प्रयास. लेकिन सर्वसम्मति पर फंसा पेंच, पढ़िए, पूरी रिपोर्ट

लंबे विचार-विमर्श और खींचतान के बाद अंततः G20 प्रतिनिधि यूक्रेन पर रूस के युद्ध को लेकर "समझौता" शब्द पर पहुंच गए हैं और सदस्य देशों के बीच संयुक्त घोषणा के एक संशोधित मसौदे को प्रसारित किया है। रिपोर्ट के अनुसार, यह घटनाक्रम तब हुआ जब दुनिया के सबसे धनी देशों के नेता G20 नेताओं के शिखर सम्मेलन के लिए नई दिल्ली में एकत्र हुए और बातचीत शुरू की। रिपोर्ट में कहा गया है कि अपने-अपने देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले शेरपा, अंतिम विज्ञप्ति के लिए यूक्रेन संघर्ष का वर्णन करने के लिए एक समझौते पर पहुंचे हैं।

दरअसल, यूक्रेन में युद्ध को लेकर 20 देशों का गुट गहराई से बंटा हुआ है, पश्चिमी देश रूस की कड़ी निंदा पर जोर दे रहे हैं, जबकि मॉस्को अपने सहयोगी चीन के समर्थन से अपने विशेष सैन्य अभियान की अंतरराष्ट्रीय निंदा को कम करना चाहता है, जिससे संयुक्त कार्रवाई में बड़ी बाधा उत्पन्न हो रही है। शुक्रवार को, भारत के G20 शेरपा अमिताभ कांत ने कहा कि संयुक्त घोषणा "लगभग तैयार" थी और दो दिवसीय शिखर सम्मेलन के दौरान इसे G20 नेताओं के सामने प्रस्तुत किया जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार, शिखर सम्मेलन घोषणा के पिछले मसौदे से पता चला है कि वार्ताकार यूक्रेन संघर्ष से संबंधित भाषा के संबंध में असहमति का समाधान नहीं कर सके थे। सदस्यों के बीच वितरित 38 पेज के मसौदे में, "भूराजनीतिक स्थिति" को संबोधित करने वाले अनुभाग को खाली छोड़ दिया गया था, जबकि विभिन्न विषयों को कवर करने वाले 75 अन्य पैराग्राफों पर सहमति बनी थी।

अब, भारत द्वारा प्रस्तावित नए पाठ पर प्रतिनिधियों द्वारा सहमति व्यक्त की गई है, और इसे अगले नेताओं के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। इसमें कहा गया है कि विशिष्ट विवरण फिलहाल उपलब्ध नहीं है, लेकिन यह इंडोनेशिया में 2022 शिखर सम्मेलन की विज्ञप्ति में इस्तेमाल की गई भाषा से मेल खा सकता है। यूक्रेन पर पाठ पर सर्वसम्मति की कमी के परिणामस्वरूप समूह के लिए पहली बार संयुक्त घोषणा के बिना शिखर सम्मेलन समाप्त हो सकता है। हालाँकि, संयुक्त विज्ञप्ति पर आम सहमति को भी उतना ही उल्लेखनीय माना जा सकता है, क्योंकि दो शक्तिशाली राष्ट्राध्यक्ष - रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उनके चीनी समकक्ष शी जिनपिंग - शिखर सम्मेलन से दूर रहे। जबकि रूस का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव कर रहे हैं, शी जिनपिंग ने उनके स्थान पर प्रधान मंत्री ली कियांग को भेजा है।