*एमडीआर टीबी मरीजों को तीन माह से नहीं मिल रहीं पूरी दवाएं*
लखनऊ। प्रदेश में तीन माह से सरकारी डॉट केंद्रों पर बहु दवा प्रतिरोधी(एमडीआर) टीबी की सभी दवाएं मरीजों को नहीं मिल रही हैं। इससे एमडीआर टीबी के करीब दस हजार मरीजों की जान का खतरा मंडराने लगा है। चिकित्सकों के मुताबिक दवा की एक खुराक न खाने पर पहले ली गई पूरी दवा बेकार हो जाती है। इससे मरीज में आगे बीमारी अतिरिक्त दवा प्रतिरोधी (एक्सडीआर) व सर्व दवा प्रतिरोधी(टीडीआर) टीबी का रुप ले सकती है, जो लगभग ला इलाज है। इससे उनकी जान तक जा सकती है।
सबसे अहम सवाल यह है कि अफसरों के पास दवा खरीदने का पैसा नहीं, ऐसे में कैसे पूरा होगा 2025 तक टीबी उन्मूलन लक्ष्य?एमडीआर टीबी की मुख्य दवाएं सायक्लोसीरीन व क्लोफाजायमीन अभी तक उप्लब्ध नहीं हैं। इसके अलावा तीन अन्य दवाओं पाईरीडॉकसिन,लिवोफ्लोकसेसिन व लाईनोजोलिड की भी सभी मरीजों को पर्याप्त खुराकें नहीं मिल पा रही हैं।
राजधानी समेत प्रदेश के दवा वितरण डॉट केंद्रों पर अभी तक साल भर या 18 माह के कोर्स तक यही पांच दवाएं मरीजों को निहशुल्क दी जाती हैं। इसके साथ शुरूआत में बीडाक्वीलीन की एक गोली 188 दिन तक रोज खाने को दी जाती है।
चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि देश में एमडीआर टी बी से स्वस्थ होने की दर पहले से कम है। इसपर भी जब मरीजों को दवाएँ भी नहीं मिल रही हैं तो आगे दवा प्रतिरोधी टी बी के मरीज बड़ी तादात में बढ़ेंगें।
सबसे अहम यह है कि एक - आध साधन संपन्न लोग ही अपने मरीजों को यह हजारों रुपए महंगी दवाएं खरीद कर देने में सक्षम हैं। बाकी हजारों गरीब मरीज इन्हेँ खरीद कर खा ही नहीं पा रहे हैं। इससे उनकी जान पर बन आई है। साथ ही सरकार का वर्ष 2025 तक देश से टी बी उन्मूलन का लक्ष्य भी खयाली पुलाव बन रहा है।
वर्जन
एमडीआर टीबी के पूरी दवाएँ नहीं मिल पा रही हैं। इसके लिए हम लोगों ने बैठक कर दवाओँ का आर्डर भेजा है। 10- 15 दिन में सायक्लोसीरीन व क्लोफाजायमीन उप्लब्ध हो जाएंगी। पूरे प्रदेश में इन दवाओं का अभाव चल रहा है। दवा खरीद कर देने को हमारे पास धन नहीं है। दवाओं के लिए 31 लाख रुपए की दवाओं का आर्डर करने की मांग की है।
- डॉ अतुल कुमार सिंघल
जिला क्षयरोग अधिकारी लखनऊ
Sep 08 2023, 19:26