दलमा वाइल्डलाइफ सेंचुरी के दैनिक भोगी आदिवासी मजदूरों को पांच माह से नही मिला मज़दूरी
आज इन मज़दूरों का परिवार भुखमरी और बरसाती बीमारी से हैं तबाह
सरायकेला:चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के दलमा वाइल्डलाइफ सेंचुरी के दैनिक भोगी आदिवासी मजदूर को पांच माह से छः माह का मानदेय नही मिला जिसे मजदूरों की घरेलू जीवन अस्त- व्यस्त हो गया है । मजदूरों का कहना है कि दलमा वन क्षेत्र पदाधिकारी द्वारा सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है।
आज के दौर में परिवार का खर्चा उठाना मुस्किल हो गया दो जून रोटी के लिए इन मज़दूरों के परिवार महोताज़ हो गए हैं ।
दूसरी ओर बरसाती बीमारी डेंगू, बायरल फीवर से मजदूर की परिवार के लोगों को दावा ओर ड्राकटर की फीस देना मुश्किल हो गया है।
दूसरे से रुपया कर्ज लेकर जमशेदपुर में इलाज कराने पर वे मजबूर हैं ,जब जब मजदूरो द्वारा मानदेय की मांग की जाती है , तो आजकल कह कर टाल दिया जाता है। मज़दूरों के परिवार के लोग बीमार हैं लेकिन कोई गरीब मजदूरों का बाते नही सुनता है।
दलमा सेंचुरी में कुछ मजदूर 1980 से कार्यरत हैं । दलमा सेंचुरी में स्थानीय के नाम पर विभाग द्वारा कौशल मजदूर का दर्जा तक नही दिया गया ।
आज भी उन लोगो को वन एवं
पर्यावरण विभाग द्वारा स्थाई नही किया गया । जिसका हक अधिकार की लड़ाई कई वर्षो से उच्च न्यायलय रांची में चल रहा है। आज दैनिक भोगी मजदूर सेंचुरी में सेवा भावना के तहत मृग रेस्क्यू केंद्र में हिरण सांबर की देख रेख करना ,मकुलाकोचा रेस्ट हाउस , पिंडराबेड़ा रेस्ट हाउस , कोंकादासा रेस्ट हाउस में पर्यटकों की सेवा देना ,मिजियम का देखरेख, चेकनाका में पर्यटकों का टिकट काटना,गेट खोलना साथ ही रजनी हाथी की देख रेख , जंगल की सुरक्षा में जेसे पेड़ कटाई ,आग लगने पर आग पर काबू पाना जिसके लिए इन आदिवासी लोगो 365 दिन और रात कार्य करके सुरक्षा देता है।
आज बदले में इन परिवार को विभाग की अनदेखी के कारण आज समय पर मानदेय की राशि करीब 17 मजदूरों को नही मिला जिसे इन परिवार के लोगो को दो जून की रोटी के लिए तरसना पड़ रहा है।
Sep 05 2023, 19:52