*11 करोड़ के अतिरिक्त बजट से बदले जाएंगे बिजली के जर्जर उपकरण *
नितेश श्रीवास्तव
भदोही। जिले में दो वितरण खंड सहित 29 उपकेंद्रों से तीन लाख उपभोक्ता जुड़े हैं। एक से दो दशक पूर्व के लगे उपकरण एवं तार जर्जर हो चुके हैं। चार महीने पूर्व रिवैंप योजना के तहत तारों और जर्जर उपकरण को बदलने के लिए जिले को 100 करोड़ स्वीकृत हुआ। अलग-अलग उपकेंद्रो से जुड़े तारों को बदला जा रहा है। बिजली विभाग की मांग पर शासन से 11 करोड़ और सात दिन पूर्व स्वीकृत हुआ।
अधीक्षण अभियंता अशोक कुमार ने बताया कि सौ करोड़ आरडीएसएस-रिवैंप योजना से प्रथम चरण में जर्जर तार-खंभों को बदलने का कार्य शुरू कर दिया गया है। अतिरिक्त 11 करोड़ का बजट स्वीकृत होने पर एचटी-एलटी जर्जर तार समेत लघु मध्यम वर्गीय ट्रांसफार्मरों की क्षमता में वृद्धि हो जाएगी और कार्य करने में अक्षम एबीसी कंडक्टर नए लग जाएंगे।
इन फीडरों पर हो रही मात्र चार घंटे आपूर्ति
चौरी/सुरियावां। चौरी क्षेत्र के मानिकपुर, चौरी, मई, चौरी बाजार फीडर पर मात्र चार घंटे बिजली मिल रही है। उपभोक्ता प्रेमचंद गुप्ता, राजू सिंह, पवन कुमार, राजबीर सिंह, ओमप्रकाश यादव ने बताया कि उक्त फीडरों का संचालन चौरी उपकेंद्र से होता है। रोस्टर 24 घंटे के लिए निर्धारित है, लेकिन आपूर्ति कब होगी या नहीं कोई समय तय नहीं है। पर्याप्त आपूर्ति न मिलने से उपभोक्ता हवा, पानी, किसान सिंचाई, व्यापारी अपने व्यापार के लिए परेशान रहते हैं। इसी तरह वहिदानगर उपकेंद्र के अरता फीडर उपभोक्ता कमलेश, सुरेश, राहुल, नीला देवी ने बताया कि रात 11 बजे के बाद होने वाली कटौती सबसे अधिक परेशानी बढ़ा रही है।
इसी तरह सुरियावां नगर में बाईपास रोड, पेट्रोल पंप के पास खुले में रखे मध्यम वर्गीय ट्रांसफार्मर किसी समय अनहोनी को बढ़ावा दे सकते हैं। नगर निवासी मिथिलेश, सुरेंद्र, रामलोलारख, हरिओम ने बताया कि इस तरह से कई स्थानों पर भी ट्रांसफार्मर लगे हैं। बार-बार शिकायत होती है कि ऊंचा फाउंडेशन बनवाकर जर्जर हाईटेंशन बदलने से खतरा टलेगा, लेकिन कोई असर विभाग पर नहीं होता। अधीक्षण अभियंता अशोक कुमार ने कहा कि गर्मी के कारण आपूर्ति खपत अधिक है। मेन आपूर्ति ही रोस्टर ट्रिपिंग होकर सवाल उठा रही है। दो-तीन दिन में समस्या दूर हो जाएगी।
जंगली लतर, हरे पेड़ों की टहनियां बढ़ा रहीं दुश्वारियां
ज्ञानपुर। ग्रामीण और शहरी उपभोक्ता विद्युत आपूर्ति व्यवस्था में व्यवधान को मुख्य कारण जंगली लतर और हरे पेड़ों की टहनियाें को मान रहे हैं। उपभोक्ताओं ने स्पष्ट भी किया कि पुरानी लाइनें आबादी बढ़ने से पूर्व बनी हैं, लेकिन नई लाइनों का निर्माण करते समय विभागीय अधिकारियों की निगरानी को धता बताकर ठेकेदार मनमानी करते हैं। इससे तार और खंभे गलत स्थानों पर लग जाते हैं। अधीक्षण अभियंता अशोक कुमार ने कहा कि मामला संज्ञान में आया है। कुछ स्थानों पर गिरी टहनियों की छटाई कराकर बाधित आपूर्ति को चालू कराया गया है। जंगली लतर से प्रभावित उपकरणों को चिन्हित कर सफाई कराई जाएगी।
Aug 25 2023, 14:33