बेतिया: अफगानिस्तान के स्वतंत्रता दिवस पर दिया गया विश्व शांति, मानवता, सत्य, अहिंसा और आपसी प्रेम का संदेश
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बेतिया: आज अफगानिस्तान के स्वतंत्रता दिवस 2023 के अवसर पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सत्याग्रह भवन सभागार में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों, बुद्धिजीवियों और छात्रों ने भाग लिया।
इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय शांति दूत सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ. एजाज अहमद एडवोकेट, डॉ. सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी झारखंड, डॉ. अमित कुमार लोहिया, डॉ. शाहनवाज अली, मदर ताहिरा चैरिटेबल ट्रस्ट की निदेशक एस सबा डॉ अमानुल हक डॉ महबूब उर रहमान एवं अल बयान के संपादक डॉ. सलाम ने संयुक्त रूप से उन्होंने अफगानिस्तान के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अफगानिस्तान के नायकों, अमर शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित करते हुए कहा कि आज ही के दिन 19 अगस्त 1919 को अफगानिस्तान ब्रिटिश शासन से स्वतंत्र हुआ था.
अफगानिस्तान का गौरवशाली इतिहास रहा है. विश्व शांति, मानवता, सच्चाई और आपसी प्रेम का संदेश देते हुए वक्ताओं ने कहा कि अफगानिस्तान रेशम मार्ग और मानव सभ्यता का प्राचीन केंद्र बिंदु रहा है।
पुरातत्वविदों को मध्य पुरापाषाण काल की मानव बस्ती के साक्ष्य मिले हैं। इस क्षेत्र में शहरी सभ्यता की शुरुआत 3,000 से 2,000 ईसा पूर्व हुई।
माना जा सकता है कि यह क्षेत्र एक भू-रणनीतिक स्थान पर स्थित है जो मध्य एशिया और पश्चिम एशिया को भारतीय उपमहाद्वीप की संस्कृति से जोड़ता है। कुषाण, हफ्थलाइट, समानी, गजनवी, मोहम्मद गोरी, मुगल, दुर्रानी और कई अन्य प्रमुख साम्राज्य इस भूमि पर विकसित हुए हैं। अफगानिस्तान, जो प्राचीन काल में फ़ारसी और शक साम्राज्य का हिस्सा था, कई सम्राटों, आक्रमणकारियों और विजेताओं की कर्मस्थली रहा है।
इनमें सिकंदर, फारसी शासक दारा प्रथम, तुर्क, मुगल शासक बाबर, मुहम्मद गोरी, 8 नादिर शाह सिख साम्राज्य आदि के नाम प्रमुख हैं। ब्रिटिश सेना ने भी कई बार अफगानिस्तान पर आक्रमण किया। फिलहाल अमेरिका द्वारा तालिबान पर हमले के बाद नाटो सेनाएं वहीं रुकी हुई हैं.
इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि अफगानिस्तान के प्रमुख शहर हैं- राजधानी काबुल, कंधार (गांधार प्रदेश) भारत के प्राचीन ग्रंथ में इसे राजा शकुनि का क्षेत्र गांधार प्रदेश कहा जाता था। यहां कई नस्लों के लोग रहते हैं, जिनमें पश्तून (पठान या अफगान) सबसे ज्यादा हैं। इसमें उज्बेक्स, ताजिक, तुर्कमेन और हजारा भी शामिल हैं। यहाँ की मुख्य भाषा पश्तो है। फ़ारसी भाषा के अफगानी रूप को दारी कहा जाता है।
Aug 19 2023, 16:58