राजद के पूर्व विधायक सुरेश मेहता की बोलेरो गाड़ी को असामाजिक तत्वो ने जलाया, मामले की जांच मे जुटी पुलिस

औरंगाबाद : नगर थाना क्षेत्र के बाईपास के समीप खड़ी राजद के पूर्व विधायक सुरेश मेहता की बोलेरो कार में मंगलवार की शाम असामाजिक तत्वों ने आग लगा दी। जिससे उनकी कार धू धूकर जल उठी।

गाड़ी में आग लगने की सूचना पर पहुंचे विधायक के पुत्र ने आस पास के लोगों के सहयोग से उसे बुझाया लेकिन तब तक वाहन पूरी तरह से जल चुका था। 

घटना की जानकारी मिलते ही नगर थाना पुलिस मौके पर पहुंचकर आगे की कारवाई में जुट गई है।

बताया जाता है कि आग के हवाले हुई राजद के पूर्व विधायक की बोलेरो कार काफी पुरानी थी और विधायक ने उसे अपने पॉलीटेक्निक कॉलेज के पास ही लगा रखा था। लेकिन आज वह असामाजिक तत्वों की भेंट चढ़ गई।

स्थानीय लोगों की माने तो जहां बोलरो गाड़ी लगी हुई थी। वहां प्रत्येक शाम असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है और आज उन्ही में से यह करतूत किसी ने की होगी। 

फिलहाल पुलिस मामले छानबीन में है।

औरंगाबाद से धीरेन्द्र

बदल गया नेहरू मेमोरियल का नाम, अब पीएम म्यूजियम एंड लाइब्रेरी के नाम से होगी पहचान, जानें क्या है कांग्रेस की प्रतिक्रिया

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दिल्ली में स्थित नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय का नाम बदल दिया गया है। अब से यह प्रधानमंत्री म्यूजियम एंड सोसाइटी के नाम से जाना जाएगा।इसे लेकर पहले ही फैसला लिया जा चुका था, लेकिन स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इसे बदल दिया गया।जाहिर सी बात है कांग्रेस की इस पर जोरदार प्रतिक्रिया होगी।कांग्रेस महासचिव और पार्टी के संचार प्रमुख जयराम रमेश ने नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी का नाम बदलने पर मोदी सरकार पर नेहरू की विरासत को नष्ट करने का आरोप लगाया है। 

बता दें कि जून महीने में नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी की एक विशेष बैठक में इसका नाम बदलकर प्राइम मिनिस्टर्स म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी करने का फैसला किया गया था।स्वतंत्रता दिवस पर नाम परिवर्तन को औपचारिक रूप दे दिया गया।पीएमएमएल के उपाध्यक्ष ए सूर्य प्रकाश ने एक्स (ट्विटर) पर नाम बदलने की पुष्टि की। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय (एनएमएमएल) अब 14 अगस्त, 2023 से प्रधान मंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय (पीएमएमएल) सोसायटी है, जो समाज के दायरे के लोकतंत्रीकरण और विविधीकरण के अनुरूप है। 

पीएम मोदी के पास डर और असुरक्षा का एक बड़ा पिटारा-जयराम रमेश

अब इसे लेकर कांग्रेस की तरफ से रिएक्शन सामने आया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसे लेकर पीएम मोदी पर निशाना साधा है।नेहरू मेमोरियल का नाम बदलने को लेकर जयराम रमेश ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, आज से एक प्रतिष्ठित संस्थान को नया नाम मिल गया है, विश्व प्रसिद्ध नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय (एनएमएमएल) प्रधानमंत्री स्मारक संग्रहालय और पुस्तकालय बन गया है। पीएम मोदी के पास डर और असुरक्षा का एक बड़ा पिटारा है। 

उनका एकमात्र एजेंडा नेहरू और नेहरूवादी विरासत को नकारना-जयराम रमेश

खासतौर पर जब हमारे पहले और सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले प्रधानमंत्री की आती है, उनका एकमात्र एजेंडा नेहरू और नेहरूवादी विरासत को नकारना, विकृत करना, बदनाम करना और नष्ट करना है। उन्होंने N को मिटाकर उसकी जगह P डाल दिया है। वह पी वास्तव में संकीर्णता और अपमानित करने के लिए है।कांग्रेस नेता ने कहा कि देश की लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष, वैज्ञानिक और उदारवादी नींव रखने में नेहरू की योगदान को हम नहीं भूलने देंगे। नेहरू ने देश की आजादी के लिए अहम योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि अब सब मोदी और उनके साथ काम करने वालों के हाथ में है। इन सब के बावजूद जवाहरलाल नेहरू की विरासत दुनिया के देखने के लिए जीवित रहेगी और आने वाली पीढ़ियों को वह प्ररित करते रहेंगे। 

बता दें कि 1948 में तीन मूर्ति भवन देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का आधिकारिक आवास बन गया। वे यहां करीब 16 सालों तक रहें और यहीं उन्होंने अपनी आखिरी सांस भी ली थी। उनके निधन के बाद इस तीन मूर्ति भवन को उनकी याद में समर्पित कर दिया गया। इसके बाद से ही इसे पंडित नेहरू मेमोरियल के नाम से जाना जाने लगा। 15 जून को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंहकी अध्यक्षता में एक विशेष बैठक हुई थी, जिसमें नेहरू मेमोरियल का नाम बदलने के फैसले पर मुहर लगी थी। बता दें राजनाथ सिंह नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी के उपाध्यक्ष हैं वहीं, प्रधानमंत्री इसके अध्यक्ष हैं। अब केंद्र सरकार ने इसका नाम नेहरू मेमोरियल से बदलकर पीएम म्यूजियम एंड सोसाइटी कर दिया है।

अटल बिहारी बाजपेयी की पुण्यतिथि आज, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री मोदी समेत कई नेता और मंत्री श्रद्धांजलि देने पहुंचे 'सदैव अटल'


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देश के पूर्व प्रधानमंत्री और बीजेपी के संस्थापक सदस्य भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की आज 5वीं पुण्यतिथि है। इस मौके राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तमाम केंद्रीय मंत्रियों ने सुबह-सुबह अटल स्मृति पर जाकर उनको श्रद्धांजलि दी। 

दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर आज उनकी समाधि 'सदैव अटल' पर प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर 'सदैव अटल' स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने भी अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर 'सदैव अटल' स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की। 

एनडीए गठबंधन के भी नेताओं का लगा जमावड़ा

अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर बीजेपी की ओर से दिल्ली में अटल स्मृति पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। जिसमें औपचारिक तौर पर गठबंधन के भी नेताओं को भी बुलाया गया है। एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल, केंद्रीय मंत्री और अपना दल (सोनीलाल) की नेता अनुप्रिया पटेल और हम नेता जीतन राम मांझी सहित अन्य एनडीए नेताओं ने अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर 'सदैव अटल' स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की।

पीएम मोदी ने किया ट्वीट

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को ट्वीट कर लिखा कि अटल जी की पुण्यतिथि पर मैं देश के 140 करोड़ लोगों के साथ उन्हें नमन करता हूं। भारत को उनके नेतृत्व से काफी फायदा मिला, उन्होंने देश के विकास में अहम योगदान दिया और 21वीं सदी के भारत की नींव डालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में

बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन 93 साल की उम्र में 16 अगस्त 2018 में हुआ था, वह लंबे वक्त से बीमार थे। अटल बिहारी वाजपेयी ने 3 बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी, साल 1998 से लेकर 2004 तक उन्होंने बतौर प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा किया था। अटल ने सबसे पहले 1996 में 13 दिन, 1998 में 13 महीने और फिर 1999 में 5 साल तक अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री रहे थे। अटल बिहारी वाजपेयी 9 बार वो लोकसभा सांसद चुने गए जबकि 2 बार राज्यसभा सांसद चुने गए।

अटल बिहारी वाजपेयी को भाजपा के सर्वोच्च नेताओं में से एक माना जाता है, जिनकी अगुवाई में बीजेपी का उदय हुआ और सत्ता तक का सफर तय हुआ। वाजपेयी को पार्टी को उनके आधार से परे लोकप्रिय बनाने और छह साल तक सफलतापूर्वक गठबंधन सरकार चलाने का श्रेय दिया जाता है, इस दौरान उन्होंने सुधारों को आगे बढ़ाया और बुनियादी ढांचे को बढ़ावा दिया।

चांद के और करीब पहुंचा चंद्रयान-3, आखिरी ऑर्बिट में ली एंट्री, अब 23 अगस्त का इंतजार

#chandrayaan_3_successfully_completes_fifth_and_final_maneuver_to_reach_moon

चंद्रयान-3 चांद के और करीब पहुंच गया है।चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने की पांचवीं और अंतिम कवायद सफलतापूर्वक पूरी कर ली है।जी हां, चंद्रयान-3 आज चंद्रमा के आखिरी ऑर्बिट में पहुंच गया है। इसरो ने इसकी जानकारी दी है।इसरो ने ट्वीट कर बताया कि रफ्तार बढ़ाने के लिए की गई आज की सफल फायरिंग थोड़े समय के लिए आवश्यक थी। इस फायरिंग ने चंद्रयान-3 को अपनी मंशा के अनुरूप 153 किलोमीटर से 163 किलोमीटर की कक्षा में स्थापित कर दिया है।यह वो पल है जहां से चंद्रयान की यात्रा में महत्वपूर्ण लेकिन निर्णायक बदलाव होने हैं। 

इसरो के मुताबिक, इस ऑर्बिट में पहुंचने के बाद वह लैंडर को अलग करने की प्रक्रिया शुरू करेंगे।इसरो ने बताया कि अब तैयारियों का समय आ गया है क्योंकि प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल अपनी अलग-अलग यात्राओं के लिए तैयार हो रहे हैं। लैंडर मॉड्यूल को प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग करने की योजना 17 अगस्त, 2023 को बनाई गई है।

इसरो ने ट्वीट में कहा गया है कि आज इंजन को सफलतापूर्वक ऑन करने के बाद उसने चांद की तरफ जाने वाली एक ऑर्बिट को पूरा कर लिया है। अब उसकी दूरी 153 km x 163 km रह गई है। यहां से लैंडर को अलग किया जाएगा और इस मिशन का कैरियर 17 अगस्त से एक और राउंड पूरा करने के बाद अपनी अलग-अलग यात्रा शुरू करेंगे। अगर सब ठीक रहता है तो लैंडर 23 अगस्त को अपने तय समय के मुताबिक चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कर जाएगा।

लैंडर के प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने और 100 किमी x 30 किमी की कक्षा में प्रवेश करने के बाद सॉफ्ट लैंडिंग प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। लगभग 30 किमी की ऊंचाई पर लैंडर चंद्रमा की सतह तक नीचे जाने के लिए अपने थ्रस्टर्स का उपयोग करेगा। सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित करने के लिए इस नाजुक ऑपरेशन के लिए सटीक नियंत्रण और नेविगेशन की आवश्यकता होती है। चंद्रयान-3 का मिशन न सिर्फ अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की बढ़ती तकनीकी क्षमताओं का प्रदर्शन है बल्कि इसका उद्देश्य महत्वपूर्ण वैज्ञानिक खोजें करना भी है।

‘चंद्रयान-3' का प्रक्षेपण 14 जुलाई को किया गया था और पांच अगस्त को इसने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था।चंद्रयान-3 ने जब पहली बार चंद्रमा की कक्षा में एंट्री की थी तो उसकी ऑर्बिट 164 Km x 18,074 Km थी।ऑर्बिट में प्रवेश करते समय उसके ऑनबोर्ड कैमरों ने चांद की तस्वीरें भी कैप्चर की थीं। इसरो में ने अपनी वेबसाइट पर इसका एक वीडियो बनाकर शेयर किया था।पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने के बाद छह और नौ अगस्त को चंद्रयान को कक्षा में नीचे लाए जाने की दो प्रक्रियाओं को अंजाम दिया गया।

मिजोरम को लेकर बीजेपी नेता के दावे का सचिन पायलट ने दिया करारा जवाब, कहा- मेरे पिता ने बम जरूर गिराए थे, लेकिन...

#sachin_pilot_replied_on_amit_malviya_claims 

मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर भारतीय जनता पार्टी की केन्द्र सरकार और विपक्ष आमने सामने हैं। विपक्ष द्वारा हाल ही में मणिपुर के मसले पर संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। इस बीच मिजोरम को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में जुबानी जंग छिड़ गई है।इस बीच कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने उनके पिता राजेश पायलट को लेकर किए किए गए भारतीय जनता पार्टी के दावे का करारा जवाब दिया है। अमित मालवीय ने ये दावा करते हुए ट्वीट किया था कि राजेश पायलट ने मार्च 1966 में बतौर भारतीय वायुसेना पायलट मिजोरम में बम गिराए थे। इस पर सचिन पायलट ने कहा कि आपके तथ्य और दिनांक दोनों ही गलत हैं।

सचिन पायलट ने अमित मालवीय के ही ट्वीट पर प्रतिक्रिया दी है।उन्होंने लिखा, 'स्व. राजेश पायलट दिनांक 29 अक्टूबर, 1966 को भारतीय वायु सेना में कमीशन हुए थे। यह कहना कि उन्होंने 5 मार्च 1966 में मिज़ोरम में बमबारी करी थी- काल्पनिक है, तथ्यहीन है और पूर्ण तरह भ्रामक है। हां, 80 के दशक में एक राजनेता के रूप में मिजोरम में युद्ध विराम करवाने और स्थाई शांति संधि स्थापित करवाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका जरूर निभाई थी। स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ, जय हिन्द।'

इसके साथ ही सचिन पायलट ने पिता राजेश पायलट के वायुसेना में कमीशन होने का सर्टिफिकेट भी अटैच किया है।

दरअसल, अमित मालवीय ने 13 अगस्त को एक ट्वीट किया था। मालवीय ने ट्वीट में लिखा था, "राजेश पायलट और सुरेश कलमाड़ी भारतीय वायुसेना के उन विमानों को उड़ा रहे थे, जिन्होंने 5 मार्च 1966 को मिज़ोरम की राजधानी आइजोल पर बम गिराए। बाद में दोनों कांग्रेस के टिकट पर सांसद और सरकार में मंत्री भी बने। साफ है कि नार्थ ईस्ट में अपने ही लोगों पर हवाई हमला करने वालों को इंदिरा गांधी ने बतौर इनाम राजनीति में जगह दी, सम्मान दिया।"

बता दें कि मिजोरम का यह मसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अविश्वास प्रस्ताव के दौरान दिए भाषण के बाद उठा है। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कांग्रेस पर आरोप लगाया था कि मिजोरम में कांग्रेस ने अपने ही नागरिकों पर वायुसेना से हमला करवाया था, क्या मिजोरम के लोग हमारे देश के नागरिक नहीं थे। आज भी 5 मार्च को मिजोरम में शोक दिवस मनाया जाता है. मणिपुर पर जवाब देते हुए पीएम मोदी ने यह हमला किया था, जिसके बाद से ही बीजेपी-कांग्रेस के बीच तकरार चल रही है।

सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक का निधन, दिल्ली एम्स में ली अंतिम सांस, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने जताया शोक

#sulabhinternationalfounderbindeshwarpathakpassedaway

सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक का निधन हो गया है। नई दिल्ली स्थित एम्स में उन्होंने अंतिम सांस ली। बताया जा रहा है कि सुलभ इंटरनेशनल के केंद्रीय कार्यालय में झंडोत्तोलन के बाद उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई थी और उन्हें एम्स में भर्ती करवाया गया था। बताया जा रहा है कि उन्हें कार्डियक अरेस्ट आया था। डॉक्टरों ने उन्हें कार्डियक पल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) की मदद से सांस देने की भी कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली।

उनके एक सहयोगी ने बताया कि 80 वर्षीय बिंदेश्वर ने सुबह स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया और उसके तुरंत बाद वह अचानक गिर गए, जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए एम्स लाया गया। अस्पताल के एक सूत्र ने कहा कि बिंदेश्वर पाठक को दोपहर 1:42 बजे मृत घोषित कर दिया गया था। उन्होंने बताया कि मौत का कारण कार्डियक अरेस्ट है।

सामाजिक कार्यकर्ता रहे बिंदेश्वर पाठक ने हाथ से मैला ढोने वाली प्रथा के खिलाफ बड़े पैमाने पर लड़ाई लड़ी।बिंदेश्वर पाठक की पहचान बड़े समाज सुधारकों की रही है, जिन्होंने निचले तबके के लोगों के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया।उन्होंने मानव अधिकारों, स्वच्छता और सामाजिक सुधारों को लेकर 1970 में सुलभ इंटनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गनाइजेशन की स्थापना की थी।

कई राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित

वहीं, सुलभ ने एक इनोवेटिव डिजाइन के आधार पर लगभग 1.3 मिलियन घरेलू शौचालय और 54 मिलियन सरकारी शौचालयों का निर्माण किया है। शौचालयों के निर्माण के अलावा संगठन ने मानव अपशिष्ट की मैन्युअल क्लीनिंग को खत्म करने के लिए एक आंदोलन का नेतृत्व किया। उन्होंने सुलभ शौचालयों को किण्वन संयंत्रों से जोड़कर बायोगैस निर्माण का अभिनव उपयोग किया, जिसे उन्होंने तीन दशक पहले डिजाइन किया था। अब दुनिया भर के विकासशील देशों में स्वच्छता के लिए एक पर्याय बन रहे हैं। उनके अग्रणी काम, विशेष रूप से स्वच्छता और स्वच्छता के क्षेत्र में, उन्हें विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं।

बिंदेश्वर पाठक के निधन का समाचार अत्यंत दुखदाई- राष्ट्रपति

सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक श्री बिन्देश्वर पाठक के निधन का समाचार अत्यंत दुखदाई है। श्री पाठक ने स्वच्छता के क्षेत्र में क्रान्तिकारी पहल की थी। उन्हें पद्म-भूषण सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। उनके परिवार तथा सुलभ इंटरनेशनल के सदस्यों को मैं अपनी शोक-संवेदनाएं व्यक्त करती हूं।

पीएम मोदी ने जताया दुख

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट कर कहा, डॉ. बिंदेश्वर पाठक जी का निधन हमारे देश के लिए एक गहरी क्षति है। वह एक दूरदर्शी व्यक्ति थे, जिन्होंने सामाजिक प्रगति और वंचितों को सशक्त बनाने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया। पीएम मोदी ने कहा, बिंदेश्वर जी ने स्वच्छ भारत के निर्माण को अपना मिशन बना लिया था। उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन को जबरदस्त समर्थन प्रदान किया। हमारी विभिन्न बातचीत के दौरान स्वच्छता के प्रति उनका जुनून हमेशा दिखता रहा।

औरंगाबाद जदयू कार्यालय में जिलाध्यक्ष अशोक सिंह ने किया झंडोत्तोलन

औरंगाबाद : स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आज मंगलवार को जनता दल यू कार्यालय में 11 बजे झंडोत्तोलन किया गया। इस आशय की जानकारी जदयू मुख्य प्रवक्ता सह सांसद प्रतिनिधि राजीव रंजन सिंह उर्फ राजा बाबू ने दिया।  

उन्होंने बताया कि 77वे स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर जदयू जिला कार्यालय में जदयू जिलाध्यक्ष व रफीगंज के पूर्व विधायक अशोक कुमार सिंह द्वारा झंडातोलन किया गया। इस मौके पर पार्टी के सैकड़ों नेता और कार्यकर्ता मौजूद रहे। 

झंडातोलन के बाद जिलाध्यक्ष ने कहा कि आज स्वतंत्र दिवस के मौके पर वह देश को स्वतंत्र दिलाने वाले नायकों को याद कर रहे हैं।उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहे हैं।

कहा कि आजादी के लिए लंबा संघर्ष करने के बाद 15 अगस्त 1947 को भारत को बिट्रिश हुकूमत से आजादी मिली थी। इस दिन को आजादी का जश्न मनाने के साथ ही स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान के लिए भी याद किया जाता है।  

इस मौके पर पूर्व सांसद औरंगाबाद सह पूर्व विधायक नबीनगर वीरेंद्र कुमार सिंह , राजद जिलाध्यक्ष अमरेंद्र कुशवाहा, राजद प्रदेश उपाध्यक्ष सुबोध सिंह , जिला परिषद अध्यक्ष प्रतिनिधि राजा बाबू, जदयू के वरिष्ठ नेता रामेश्वर सिंह,जदयू मुख्य प्रवक्ता सह सांसद प्रतिनिधि राजीव रंजन सिंह उर्फ राजा बाबू, जदयू जिला उपाध्यक्ष सूर्यवंश सिंह , जिला उपाध्यक्ष रिंकू सिंह, जिला उपाध्यक्ष ओंकार नाथ सिंह, जिला कोषाध्यक्ष उदय सिंह, उमेश सिंह, जहीर हसन आजाद, भंडारी, जिला महासचिव मोहम्मद इरशाद आलम , जिला सचिव संजय राणा सिंह ,रितेश सिंह, टीकू सिंह, जिला सचिव राम अनुज सिंह, टुनटुन सिंह,मोहम्मद जाहिद अंसारी, सम्मा इमाम, गुडु जी,राज्य परिषद सदस्य अनिल यादव,महिला प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष मंजरी सिंह, प्रखंड अध्यक्ष औरंगाबाद राकेश कुमार सिंह , बृज किशोर शर्मा , जिला सचिव शांति देवी, भोले शंकर ,जिला सचिव अतहर, बबन भुइया, परवीन कुमार , संजय कुमार अंबेडकर, योगेंद्र राजवंशी हुसैन ,जदयू नगर अध्यक्ष औरंगाबाद सईद मुजफ्फर कादरी, , मुकेश पटेल, उदय पटेल, अप्पू सिंह, प्रकाश सिंह सोलंकी, जिला महासचिव नदिता सिंह, जिला महासचिव नागेंद्र सिंह, जिला सचिव ओमप्रकाश गुप्ता, जिला महासचिव धर्मेंद्र कुशवाहा , वकील राजेश कुमार, अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष जुगनू जी, रीता कुशवाहा महादलित प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष विजय दास , मंजीत सिंह, प्रसिद्ध कुमार,   इस दौरान यदि के सैकड़ों कार्यकर्ता और पदाधिकारी मौजूद रहे।

औरंगाबाद से धीरेन्द्र

औरंगाबाद में लोजपा (रामविलास) के नए कार्यालय का प्रदेश महासचिव ने किया उद्घाटन

औरंगाबाद : स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आज मंगलवार को लोक जनशक्ति (रामविलास) का नए कार्यालय का उद्घाटन लोजपा के प्रदेश महासचिव सह रफीगंज से रहे पूर्व विधायक प्रत्याशी प्रमोद सिंह ने फीता काटकर किया। वही 77वे स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लोजपा के जिला कार्यालय में लोजपा जिलाध्यक्ष के द्वारा झंडातोलन किया गया। इस मौके पर पार्टी के सैकड़ों नेता और कार्यकर्ता मौजूद रहे। 

झंडातोलन के बाद जिलाध्यक्ष ने कहा कि आज स्वतंत्र दिवस के मौके पर वह देश को स्वतंत्र दिलाने वाले नायकों को याद कर रहे हैं।उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहे हैं। आजादी के लिए लंबा संघर्ष करने के बाद 15 अगस्त 1947 को भारत को बिट्रिश हुकूमत से आजादी मिली थी। इस दिन को आजादी का जश्न मनाने के साथ ही स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान के लिए भी याद किया जाता है। इस दौरान यदि के सैकड़ों कार्यकर्ता और पदाधिकारी मौजूद रहे।

प्रदेश प्रवक्ता कुमार सौरव सिंह प्रदेश सचिव सरून पासवान जिला अध्यक्ष अनूप ठाकुर संयुक्त रूप से फीता काटकर कार्यालय का उद्घाटन किया। कार्यालय का उद्घाटन 5 अगस्त को होना था लेकिन किसी कारणवश नहीं हो सका। 

इस मौके पर स्मृति मंच जिला अध्यक्ष सुधीर शर्मा महिला जिलाध्यक्ष नीतू सिंह महिला सेल जिला अध्यक्ष रंजू वर्मा जिला परिषद के पूर्व सदस्य अजय पासवान महासचिव विभीषण गहलोत मदनपुर प्रखंड अध्यक्ष शंभू कुमार आदि लोग उपस्थित रहे। 

औरंगाबाद से धीरेन्द्र

औरंगाबाद आसमान में लहरा रहा था आजादी का तिरंगा इसी बीच आया तिरंगे में लिपटा हुआ जवान का शव,मचा कोहराम

औरंगाबाद देश के 77वें स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र के आन बान और शान के प्रतीक तिरंगें का औरंगाबाद में मंगलवार को रंग तो एक दिखा लेकिन रूप दो दिखे। एक रूप में रंगों और खुशियों की रंगीनी रही। दूसरे रूप में रंगीनी थी लेकिन साथ में गमगीनी भी थी।

अवसर था ठीक 77वें स्वतंत्रता दिवस के दिन पर शहीद सैनिक की अंतिम विदाई का। संभवतः वक्त भी एक ही रहा। एक ओर शान से तिरंगा लहरा रहा था। दूसरी ओर तिरंगें में लिपटा शहीद अंतिम यात्रा कर रहा था। एक ओर मुख्य समारोह में औरंगाबाद के जिलाधिकारी शहर के गांधी मैदान में तिरंगें का ध्वजारोहन कर सलामी दे रहे थे। दूसरी ओर सीमा सुरक्षा बल(बीएसएफ) के जवान औबरा प्रखंड मुख्यालय  के दोमुहान स्थित शमशान में अपने शहीद साथी संजय कुमार दुबे को संगीनें झुका कर सलामी दे रहे थे।  फायर झोंक कर अंतिम विदाई दे रहे। उधर डीएम ने झंडोतोलन समारोह में परेड की टुकड़ी को अनुमति देकर कार्यक्रम का विसर्जन कराया।

इधर बीएसएफ के जवानों ने फायर झोंक कर शहीद साथी को अंतिम विदाई देकर विसर्जन किया। इस दौरान शहीद के बड़े पुत्र स्वस्तिक(12) ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। मुखाग्नि के बाद जैसे जैसे अग्नि तेज हाेती गई, वैसे-वैसे परिजनों की आंखों से आंसूओं की धारा तेज होती गयी। इस मौके पर भारी संख्या में स्थानीय नागरिक, गणमान्य लोग, ओबरा के शासन-प्रशासन के अधिकारी, जन प्रतिनिधि एवं शहीद सैनिक के परिजन मौजूद रहे। इस दौरान सबकी आंखें नम रही और सभी ने नम आंखों से शहीद सैनिक को अंतिम विदाई दी। अंतिम विदाई के दौरान का माहौल पूरी तरह गमगीन रहा।    

 तिरंगे में लिपटा शव आते ही चित्कार करने लगे परिजन-इसके पूर्व सोमवार को देर रात शहीद जवान का शव लेकर राजस्थान के जैसलमेर से बीएसएफ के अधिकारी ओबरा के पंडित मुहल्ला स्थित पैतृक घर पर पहुंचे। शव लेकर आए वाहन पर शहीद जवान का कॉफिन देखते ही चित्कार कर उठे। परिजनों की चीख पुकार से रात के सन्नाटें को भेदते हुए पूरा मुहल्ला जाग उठा। मुहल्ले के लोग अपने घरों से निकलकर शहीद जवान के घर पर आकर परिजनों को सांत्वना देने लगे। परिजनों के रूदन से मुहल्ले के लोगों की भी आंखें नम हो गई। लोगो के ढांढ़स बंधाने के बाद परिजन कुछ देर के लिए शांत हुए। फिर सुबह होने का इंतजार होने लगा। सुबह होते ही अंतिम संस्कार की तैयारी हुई। इसके बाद आठ बजे के करीब शहीद सैनिक की शव यात्रा निकली। शवयात्रा पंडित मुहल्ला से निकलकर बाजार रोड, दुर्गा चौक, सूर्य मंदिर, काली स्थान, एनएच-139, बेल मोड़, बेल रोड होते दोमुहान स्थित शमशान तक पहुंची जहां तिरंगे में लिपटे शहीद सैनिक को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। 

ड्यूटी के दौरान सड़क हादसे में शहीद हो गए थे संजय-गौरतलब है कि सीमा सुरक्षा बल(बीएसएफ) में भारत-पाक सीमा पर राजस्थान के जैसलमेर में कार्यरत बिहार के औरंगाबाद के ओबरा के पंडित मुहल्ला के जवान संजय कुमार दुबे की पिछले सप्ताह शनिवार को देर शाम ड्यूटी के दौरान सड़क हादसे में घायल होने के बाद मौत हो गयी है। वहां सेना का एक बस जवानों को लेकर सीमा पर जा रहा था।

इसी दौरान वाहन इब्राहिम की ढाणी और लंगतला के बीच खड्ड में पलट गयी। हादसे में पांच जवान गंभीर रूप से घायल हो गये। आनन फानन में घायल जवानों को इलाज के लिए वहां के सेना अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान संजय दुबे की मौत हो गई थी। इलाज के बाद चार अन्य जवानों की हालत खतरे से बाहर हो गयी थी। वही हादसे के बाद शनिवार को देर रात जवान की मौत की खबर बीएसएफ के जैसलमेर कार्यालय से ओबरा थाना को दी गई थी। इसके बाद थाना द्वारा यह सूचना मृत जवान के परिवार को देने के साथ ही परिजनों में हाहाकार मच गया था।

घर से महिलाओं के रोने और चिखने चिल्लाने की आवाज आने लगी थी। मुहल्ले के लोगों की भीड़ जमा हो गई थी। हर कोई इस मनहूस खबर को जानकर गमगीन हो उठा। सबकी आंखे नम हो गई। शहीद जवान की पत्नी रिंकू देवी का इस मनहूस खबर को सुनकर सबसे बुरा हाल था।

वह पति की मौत का सदमा बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। उसका रोते-रोते हाल बुरा था। आज भी शहीद सैनिक का शव आते ही पत्नी का वैसा ही हाल हो गया। वह बार-बार बेहोश हो जा रही थी। मुहल्लें के लोगों द्वारा परिजनो को लगातार ढांढ़स बंधाया गया और सांत्वना दी गई। रही है। शहीद सैनिक के दाह संस्कार के बाद उत्साह और उमंग के राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस पर भी पंडित मुहल्ले में मातम पसरा है। 

बीएसएफ में 2002 में हुआ था संजय का चयन-संजय दुबे का 2002 में बीएसएफ में हुआ था। उनके दो बेटे स्वस्तिक 12 वर्ष और शुभ 10 वर्ष का है। शहीद जवान के पिता केदार दुबे का बेटे का शव देखकर रो-रोकर बुरा हाल हो गया। उन्होने रोते हुए कहा कि बेटे के निधन से मेरा घर परिवार बर्बाद हो गया है। परिवार पूरी तरह से बेसहारा हो गया है।

दो बेटों के सिर से पिता का साया उठ गया है। मेरे लिए अब अपना जीवन पहाड़ सा हो गया है। बेटे की बीवी बेवा हो गई है। उसका हाल बेहाल है। परिवार पर दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा है। अब घर परिवार कैसे संभलेगा, इसकी चिंता उन्हे खाए जा रही है।

रूस में बड़ा हादसा, गैस स्टेशन में हुए भीषण विस्फोट में 25 से ज्यादा लोगों की मौत, 100 से ज्यादा घायल

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रूस के मखाचकाला में एक गैस स्टेशन में भीषण धमाका हो गया है। इस धमाके में तीन बच्चों समेत 25 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। जबकि 100 से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर है। 

बताया जा रहा है कि आग पहले कार की मरम्मत करने वाली दुकान में लगी और देखते ही देखते पास के गैस स्टेशन में फैल गई।

रूस की सरकारी समाचार एजेंसी आरआईए नोवोस्ती की देश के आपातकाल मंत्रालय के हवाले से जारी की गई खबर के मुताबिक, क्षेत्र की राजधानी मखचकाला के बाहरी क्षेत्र में स्थित गैस स्टेशन में सोमवार रात को विस्फोट हुआ था। आग पहले कार की मरम्मत करने वाली दुकान में लगी और देखते ही देखते पास के गैस स्टेशन में फैल गई। खबर के मुताबिक, गैस स्टेशन में लगी आग थोड़ी ही देर में 600 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैल गई। आग को बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड की टीम को साढ़े तीन घंटे से अधिक समय लगा।

रूसी उप स्वास्थ्य मंत्री व्लादिमीर फिसेन्को ने बताया है कि घायलों में से 10 की हालत गंभीर है। इंटरफैक्स ने दागेस्तानी स्वास्थ्य मंत्रालय के हवाले से बताया कि घायलों में तेरह बच्चे हैं। रूस के आपातकालीन स्थिति मंत्रालय ने टेलीग्राम मैसेजिंग ऐप पर कहा कि गंभीर रूप से घायलों को मॉस्को ले जाने के लिए माखचकाला में एक विमान भेजा गया था।

प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, मखचकाला में ग्लोबस शॉपिंग सेंटर के पास एक कार सर्विस सेंटर में विस्फोट हुआ था। क्षेत्रीय गवर्नर ने मंगलवार 15 अगस्त को कहा कि दागेस्तान के दक्षिणी रूसी क्षेत्र में एक गैस स्टेशन में आग लगने का मामला सामने आया। डागेस्टानी डिजास्टर मेडिसिन सेंटर की जानकारी के अनुसार, 12.00 बजे (मॉस्को समय) तक 12 लोग मारे गए, 50 घायल हो गए। हालांकि बाद में मृतकों की संख्या और बढ़ी जो कि 25 से ज्यादा पहुंच गई। मरने वालों में 3 बच्चे भी शामिल हैं।