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Aug 12 2023, 20:28

*यूपी एटीएस का खुलासा: स्वतंत्रता दिवस पर हिजबुल और जैश ने रची थी हमले की साजिश, पूछताछ में खुले राज

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

स्वतंत्रता दिवस पर आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन और जैश ए मोहम्मद ने यूपी में आतंकी हमले की साजिश रची थी। इसका खुलासा एटीएस की गिरफ्त में आए हिजबुल के संदिग्ध आतंकी अहमद रजा से पूछताछ में हुआ है। उसने बताया कि वह अपने साथी के साथ मिलकर स्वतंत्रता दिवस पर किसी बड़ी आतंकी घटना को अंजाम देने की फिराक में था। हमला कहां होना था, इसका खुलासा अभी नहीं किया गया है। एटीएस अहमद रजा के साथियों की तलाश में पश्चिमी उप्र के कई जिलों में छानबीन कर रही है।

एटीएस की जांच में सामने आया है कि अहमद रजा जैश ए मोहम्मद के पाकिस्तानी आतंकी वलीद के संपर्क में था। वालिद के कहने उसने एक ऑटोमेटिक पिस्टल भी खरीदी थी। एटीएस ने इस पिस्टल को मुरादाबाद से बरामद कर लिया है। वह हिजबुल मुजाहिदीन के पोस्टर बॉय बुरहान वानी व जाकिर मूसा से प्रेरित था और उनको अपना आदर्श मानता था। उसके मोबाइल से जिहादी गतिविधियों से संबंधित वीडियो, फोटो और व्हाट्सएप व फेसबुक मैसेंजर चैट मिली है। इसमें अहमद रजा के पाकिस्तानी व अफगानी आतंकियों के संपर्क में होने और हथियारों की ट्रेनिंग लेने की पुष्टि हुई है। उसके मोबाइल में मुजाहिदीनों के लिये हथियारों की व्यवस्था करने की चैट व फोटो भी मिली है। वह तालिबानी सेना की स्पेशल फोर्स बदरी 313 कमांडो शाखा में शामिल होना चाहता था।

डीजीपी विजय कुमार ने कहा कि जांच के दृष्टिगत गोपनीय सूचनाओं को साझा नहीं किया जा सकता है। वहीं स्पेशल डीजी प्रशांत कुमार ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस पर प्रदेश में अलर्ट घोषित किया गया है। संवेदनशील धार्मिक स्थलों और सरकारी इमारतों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

आतंकी संगठनों के कमांडर के संपर्क में था फिरदौस

वहीं दूसरी ओर एटीएस की गिरफ्त में आए कश्मीर के अनंतनाग निवासी हिजबुल मुजाहिदीन आतंकी फिरदौस ने पूछताछ में बताया कि वह हिजुबल मुजाहिदीन व जैश ए मोहम्मद के पाकिस्तानी कमांडरों के लगातार संपर्क में है। उसका सगा चाचा गुलाम अहमद डार मुजाहिदीन था, जो वर्ष 1994 में सेना के साथ मुठभेड़ में मारा गया था। वह अपने चाचा से प्रेरित था और जाकिर मूसा को अपना आदर्श मानता है। उसके मोबाइल से जाकिर मूसा का फोटो व अन्य जिहादी विडियो मिले हैं, जिसमें आतंकवादियों की शहादत का गुणगान किया गया है। ध्यान रहे कि फिरदौस ने ही मुरादाबाद निवासी अहमद रजा को बुलाकर अनंतनाग की पहाड़ियों मे हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी थी।

तिरंगा यात्रा पर भी रहेगी पैनी नजर

स्पेशल डीजी कानून-व्यवस्था एवं अपराध प्रशांत कुमार ने बताया कि स्वतंत्रता दिवस पर सुरक्षा के विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं। राजधानी में होने वाले महत्वपूर्ण आयोजनों में एंटी सबोटाज चेकिंग के अलावा एटीएस के कमांडो तैनात किए जाएंगे। इस अवसर पर तिरंगा यात्रा का आयोजन भी किया जाता है। आयोजकों के साथ वार्ता कर सुनिश्चित कराया जा रहा है कि कहीं कोई असामाजिक तत्व इसकी आड़ में गड़बड़ी न फैला सके। वहीं सुरक्षा के दृष्टिगत दिल्ली समेत अन्य पड़ोसी राज्यों के साथ भी समन्वय स्थापित किया गया है। सुरक्षा के दृष्टिगत 248 कंपनी पीएसी, सात कंपनी केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल और तीन कंपनी एसडीआरएफ तैनात की गई है।

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Aug 12 2023, 20:15

मणिपुर मुद्दे पर भाजपा के सहयोगी दल नागा पीपुल्स फ्रंट के सांसद ने कहा, केंद्र सरकार ने बांधे हमारे हाथ, प्रधानमंत्री मणिपुर पर ध्यान नहीं दे रह

मणिपुर मुद्दे पर विपक्ष ने केंद्र सरकार को घेर रखा है। वहीं, अब भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी दल भी सवाल उठाने लगे हैं। नागा पीपुल्स फ्रंट के सांसद ने ऐसा ही एक बयान दिया है। इस सांसद का नाम है लोरहो पफोज। पफोज ने कहा है कि हम संसद में मणिपुर पर अपनी बात रखना चाहते थे। लेकिन इसके लिए उन्हें इजाजत नहीं मिली। केंद्र सरकार ने हमारे हाथ बांध रखे थे। एनपीएफ सांसद ने कहा कि हम भले ही भाजपा के सहयोगी हैं, लेकिन अपने लोगों की आवाज तो हमें उठानी ही होगी। गौरतलब है कि मणिपुर के मुद्दे पर विपक्ष संसद में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी। इस दौरान कांग्रेस समेत विभिन्न विपक्षी दलों ने सरकार को जमकर घेरा था।

राहुल गांधी की तारीफ

इस दौरान एनपीएफ सांसद पफोज ने राहुल गांधी की काफी तारीफ की। लोरहो पफोज ने कहा कि यह सही है कि भाजपा मणिपुर के विभिन्न इलाकों में काफी काम किया है। इसके बावजूद ताजा मामले को गलत तरीके से हैंडल किया गया है। उन्होंने कहा कि हम भाजपा के सहयोगी हैं, इसलिए हमें कुछ आदेश मानने होंगे। राहुल गांधी की प्रशंसा करते हुए लोरहो पफोज ने कहा कि राहुल गांधी विपक्ष से हैं, इसके बावजूद वह जिस तरह से मणिपुर आए और उन्होंने लोगों से भेंट की, इस बात ने मुझे काफी प्रभावित किया।

पीएम को जाना चाहिए

सिर्फ इतना ही नहीं, एनपीएफ सांसद ने मणिपुर के मामले को लेकर प्रधानमंत्री मोदी से भी नाराजगी जताई है। लोरहो पफोज ने कहा कि प्रधानमंत्री को मणिपुर जाना चाहिए और लोगों के जख्मों पर मरहम लगाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मणिपुर पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहे हैं और मैं इस बात से काफी नाराज हूं। पफोज की नाराजगी यहीं नहीं थमी। उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार ने बीरेन सिंह को बचाया है। उन्होंने इस बात पर भी नाखुशी जताई। बता दें कि इससे पहले भी फोज बीरेन सिंह पर निशाना साध चुके हैं।

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Aug 12 2023, 18:28

तमिलनाडु के ऊटी के पास मुथुनाडु गांव में टोडा आदिवासी समुदाय के सदस्यों के साथ एक आदिवासी नृत्य करते नजर आए राहुल गांधी, सामने आया Video

कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस समय तमिलनाडु और केरल राज्यों की दो दिवसीय यात्रा पर हैं। उन्हें आज शनिवार (12 अगस्त) को तमिलनाडु के ऊटी के पास मुथुनाडु गांव में टोडा आदिवासी समुदाय के सदस्यों के साथ एक आदिवासी नृत्य में भाग लेते देखा गया। सामने आए एक वीडियो में राहुल गांधी को स्थानीय लोगों की पोशाक पहने देखा गया।

बता दें कि, राहुल गांधी आज सुबह दिल्ली से इंडिगो की फ्लाइट से कोयंबटूर पहुंचे। आगमन पर उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र वायनाड का भी दौरा किया। 'मोदी' उपनाम मामले में दोषी ठहराए जाने पर सुप्रीम कोर्ट के स्थगन आदेश के बाद लोकसभा में संसद सदस्य के रूप में बहाल होने के बाद यह उनकी वायनाड की पहली यात्रा है। राहुल गांधी के वायनाड दौरे के बारे में बोलते हुए, केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष वीटी सिद्दीकी ने पहले कहा कि, "राहुल गांधी 12 अगस्त को वायनाड आएंगे। हम उनके लिए गर्मजोशी से स्वागत की व्यवस्था करने जा रहे हैं और तैयारी पहले ही शुरू हो चुकी है। जिला कांग्रेस कमेटी की बैठक कल होगी। इसमें 12 और 13 अगस्त को राहुल गांधी मौजूद रहेंगे।"

बता दें कि, इससे पहले राजस्थान में अपनी आदिवासी आउटरीच रैली के दौरान, राहुल गांधी ने राजस्थान सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की प्रशंसा की थी और कहा था कि, "जहां कांग्रेस एकजुट होने का काम करती है, वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नफरत फैलाने और बांटने का काम करती है। भाजपा की विचारधारा ने मणिपुर में आग लगा दी है। लोग मारे जा रहे हैं, महिलाओं के साथ बलात्कार हो रहा है, अगर पीएम मोदी चाहें तो आग को दो-तीन दिन में बुझाया जा सकता है, लेकिन वह आग को भड़काए रखना चाहते हैं।' बता दें कि, कांग्रेस सांसद सितंबर में यूरोप के दौरे पर भी जाएंगे जहां वह यूरोपीय संघ के सांसदों और भारतीय प्रवासियों के सदस्यों से मुलाकात करेंगे।

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Aug 12 2023, 18:26

रुद्रप्रयाग के गौरीकुंड में हुए भूस्खलन हादसे में लापता दो लोगों के शव और बरामद, 16 की तलाश में रेस्क्यू अभियान जारी

 रुद्रप्रयाग में गौरीकुंड भूस्खलन हादसे में लापता 18 लोगों में से आज शनिवार को दो शव बरामद हुए हैं। इनमें से एक शव महिला का और एक युवती का है, जिनकी शिनाख्त की जा रही है। बीते 3 अगस्त की रात्रि लगभग 11.30 बजे गौरीकुंड डाटपुल के समीप भारी भूस्खलन से हाईवे किनारे बनी तीन दुकानें भी बह गई थी जिसमें 23 लोग बह गए थे। जिनकी तलाश में गौरीकुंड में रेस्क्यू अभियान जारी है। 

वहीं गौरीकुंड भूस्खलन हादसे में लापता नेपाली मूल के 14 लोगों के बारे में जिला प्रशासन ने नेपाल दूतावास से भी उनके बारे में जानकारी मांगी है। साथ ही पुलिस से भी यात्रा के दौरान बाहरी लोगों के सत्यापन के बारे में रिपोर्ट मांगी गई है। भूस्खलन हादसे के छह दिन बाद भी नेपाली मूल व अन्य सहित कुल 20 लोगों का अभी तक कोई सुराग नहीं मिल पाया।

मलबे में दबी कार, पांच की मौत

वहीं रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग पर बृहस्पतिवार को आए मलबे में दबी कार में पांच लोगों की मौत हो गई। शुक्रवार को बुरी तरह से क्षतिग्रस्त वाहन के अंदर से पांचों के शव बरामद किए गए हैं। राजमार्ग का 80 मीटर से अधिक हिस्सा पूरी तरह से ध्वस्त है। इस कारण दूसरे दिन भी यातायात बहाल नहीं हो पाया है।

शुक्रवार सुबह छह बजे से ही राजमार्ग पर भूस्खलन प्रभावित हिस्से में मलबा सफाई का काम शुरू हो गया था। दोनों तरफ से जेसीबी मशीनों से मलबे के साथ भारी बोल्डरों को तोड़कर साफ किया जा रहा था। शाम पांच बजे मलबा हटाते समय एक वाहन भी दिखाई दिया। एसडीआरएफ, डीडीआरएफ, पुलिस और होमगार्ड के जवानों ने प्रभावित हिस्से में रेस्क्यू शुरू करते हुए मलबे की सफाई कर वाहन को निकाला। बुरी तरह से क्षतिग्रस्त कार के अंदर से पांच शव बरामद किए गए।

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Aug 12 2023, 18:24

हिट एंड रन के मामलों में 10 साल की जेल, जानिए, हादसों में होने वाली मौतें रोकने के लिए केंद्र सरकार ने किया प्रावधान

 हिट-एंड-रन मामलों पर अंकुश लगाने के प्रयास में, सरकार ने देश में आपराधिक कानूनों में बदलाव के तहत एक नया प्रावधान प्रस्तावित किया है। भारतीय दंड संहिता (IPC) को प्रतिस्थापित करने के लिए लाइ गई भारतीय न्याय संहिता (BNS) की एक धारा, उन ड्राइवरों के लिए 10 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान करती है जो दुर्घटना के बाद घटनास्थल से भाग जाते हैं या पुलिस या मजिस्ट्रेट को घटना की रिपोर्ट करने में विफल रहते हैं। 

प्रस्तावित कानून की धारा 104(2) कहती है कि, 'जो कोई लापरवाही से या गैर इरादतन हत्या की श्रेणी में आने वाला कोई भी काम करके किसी व्यक्ति की मौत का कारण बनता है और घटना स्थल से भाग जाता है या घटना की रिपोर्ट, पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को जल्द करने में विफल रहता है, घटना के बाद, दस साल तक की जेल की सज़ा दी जाएगी और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।' सरकार ने तेज गति और लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण हुई मौत के लिए काफी लंबी जेल की सजा का भी प्रस्ताव रखा है, जो गैर इरादतन हत्या की श्रेणी में नहीं आएगा। संहिता की धारा 104(1) में IPC की धारा 304ए के तहत दो साल की तुलना में सात साल तक की जेल की सजा का प्रस्ताव है। दोनों धाराओं में अपराधियों पर जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है।

बता दें कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में सड़क दुर्घटनाओं में 1.5 लाख से अधिक लोगों की जान चली गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 कैलेंडर वर्ष में कुल 4.12 लाख सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 1.54 लाख लोगों की जान चली गई और 3.84 लाख लोग घायल हो गए। इसमें बताया गया है कि जहां 2019 की तुलना में सड़क दुर्घटनाओं में 8.1% की कमी आई और चोटें 14.8% कम हुईं, वहीं मृत्यु दर में 1.9% की वृद्धि हुई। 

वहीं, दहेज हत्या के मामलों के लिए, संहिता में IPC के समान ही शब्द और सजा बरकरार रखी गई है। प्रस्तावित संहिता की धारा 79 में कम से कम सात साल की जेल की सजा का प्रावधान है, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है। यह IPC की धारा 304बी के समान है। ब्रिटिश शासनकाल के आपराधिक कानूनों में बदलाव के लिए गृह मंत्री अमित शाह ने कल लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए। आपराधिक प्रक्रिया संहिता को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BS) को भारतीय साक्ष्य द्वारा प्रतिस्थापित करने का प्रस्ताव है। तीनों विधेयकों को स्थायी समिति के पास भेज दिया गया है।

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Aug 12 2023, 18:21

वर्ष 2017 के बाद से उत्तरप्रदेश में हुए 183 कथित मुठभेड़ों (एनकाउंटर्स ) के मामलों की जांच कहां तक पहुंची, सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को विस्तृ

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से यह बताने के लिए कहा है कि 2017 के बाद से राज्य में हुई 183 कथित मुठभेड़ों से संबंधित मामलों की जांच कहां तक पहुंची है। इस बारे में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को इन सभी मामलों के जांच की स्थिति को लेकर एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।

जस्टिस एस. आर. भट्ट और अरविंद कुमार की पीठ ने पूर्व सांसद व यूपी के बाहुबली नेता अतीक अहमद व उसके भाई अशरफ की पुलिस हिरासत में हुई हत्या की निष्पक्ष जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने की मांग को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया है। पीठ ने राज्य सरकार से यह भी जानना चाहा कि मुठभेड़ के मामलों में पुलिस शीर्ष अदालत और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन कर रही है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने अधिवक्ता विशाल तिवारी द्वारा दाखिल याचिका पर यह निर्देश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने पांच-दस लोगों की सुरक्षा में अतीक अहमद की हत्या की घटना पर भी सवाल उठाया और कहा कि कोई कैसे आकर गोली मार सकता है? पीठ ने इस हत्याकांड में किसी की मिलीभगत पर भी संदेह जताया है। इस पर उत्तर प्रदेश सरकार ने पीठ को बताया कि अतीक और उनके भाई की पुलिस हिरासत में हत्या के मामले में संबंधित अदालत में आरोप-पत्र दाखिल कर दी गई है।

याचिकाकर्ता विशाल तिवारी द्वारा दाखिल याचिकाओं में से एक में कहा गया है कि पुलिस मौजूदगी के बीच अतीक और उनके भाई अशरफ की हत्या की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति गठित की जानी चाहिए। अतीक और उनके भाई की 15 अप्रैल को उत्तर प्रदेश में पुलिस हिरासत के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

आयशा ने भतीजे असद के लिए डाली याचिका

एक अन्य याचिका गैंगस्टर से राजनेता बने अतीक अहमद और अशरफ अहमद की बहन ने दाखिल की है। अतीक अहमद की बहन आयशा नूरी ने अपनी याचिका में एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश या एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा मामले की व्यापक जांच की मांग की गई। उन्होंने अपने भतीजे और अतीक अहमद के बेटे की मुठभेड़ में हत्या की भी जांच की मांग की है। उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में अतीक अहमद की मौत के मामले में शीर्ष अदालत में एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल की है। इसमें शीर्ष अदालत को बताया गया कि पुलिस सुधार और आधुनिकीकरण के उपाय चल रहे हैं और कठोर अपराधियों को आसानी से भागने से रोकने के लिए हथकड़ी लगाने के निर्देश जारी किए गए हैं।

आधुनिकीकरण प्रक्रिया से गुजर चुका पुलिस विभाग : यूपी

उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया कि उसका पुलिस विभाग व्यापक आधुनिकीकरण प्रक्रिया से गुजर चुका है। इसमें मध्यम आकार की जेल वैन, ड्रोन, शरीर पर पहने जाने वाले कैमरे, पोस्टमार्टम किट, महिलाओं के लिए पूर्ण शरीर रक्षक, रेडियो उपकरण, सुरक्षा उपकरण, एटीएस से संबंधित उपकरण और विभिन्न वाहनों का अधिग्रहण शामिल है। ये अधिग्रहण भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार दोनों द्वारा अनुमोदित अनुदान के माध्यम से संभव हुए हैं।

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Aug 12 2023, 18:18

जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट जाऊंगा..', निलंबित होने पर बोले कांग्रेस सांसद अधीर रंजन, धृतराष्ट्र और भगोड़े नीरव मोदी से की थी PM की तुलना

 'अनियंत्रित व्यवहार' को लेकर लोकसभा से निलंबित किए जाने के एक दिन बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने शनिवार को कहा कि उनकी टिप्पणी का मकसद, ''किसी को ठेस पहुंचाना नहीं था।'' कांग्रेस सांसद ने कहा कि वह सदन में अपनी दलीलें स्पष्ट रूप से पेश करने की कोशिश कर रहे हैं और जरूरत पड़ने पर वह ''सुप्रीम कोर्ट'' का रुख कर सकते हैं। चौधरी ने कहा, ''किसी को ठेस पहुंचाने के लिए नहीं बल्कि खुद को अभिव्यक्त करने के लिए इसका इस्तेमाल किया।''

दरअसल, मणिपुर हिंसा पर अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान चौधरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना भगोड़े अरबपति नीरव मोदी और धृतराष्ट्र से की थी। भारी आक्रोश के बाद इन टिप्पणियों को सदन के रिकॉर्ड से हटा दिया गया था। अब निलंबित होने के बाद अधीर रंजन ने एक प्रेस वार्ता में कहा है कि, 'मेरा इरादा अपने तर्कों को स्पष्ट रूप से रखना और जो कुछ भी मेरे मन में आया उसे व्यक्त करना था। क्या यह गलत था?'' उन्होंने आगे कहा, 'अगर जरूरत पड़ी तो मैं सुप्रीम कोर्ट जा सकता हूं।'

अधीर रंजन ने कहा कि, 'यह एक नई घटना है जिसे हमने संसद में अपने करियर में पहले कभी अनुभव नहीं किया है,यह विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए सत्तारूढ़ दल द्वारा एक जानबूझकर की गई योजना है, यह संसदीय लोकतंत्र की भावना को कमजोर करेगा।' बता दें कि, भाजपा नेता प्रल्हाद जोशी द्वारा लाए गए एक प्रस्ताव को लोकसभा द्वारा पारित किए जाने के बाद चौधरी को निलंबित कर दिया गया था। वह तब तक निलंबित रहेंगे जब तक विशेषाधिकार समिति इस मामले पर अपनी रिपोर्ट नहीं सौंप देती। इस बीच, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि चौधरी का निलंबन ''कमजोर आधार'' पर है। उनका बचाव करते हुए, खड़गे ने दावा किया कि चौधरी ने केवल "नीरव मोदी" कहा था और नीरव का अर्थ "शांत" है।

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Aug 12 2023, 18:05

बलात्कार के मामलों में मृत्युदंड का प्रावधान, डिटेल में जानिए नए आपराधिक कानूनों में सरकार ने क्या - क्या बदला ?


 केंद्र सरकार द्वारा ब्रिटिश काल के भारतीय दंड संहिता (IPC) को बदलने के लिए शुक्रवार को संसद में पेश किए गए विधेयक में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के लिए दंड को और अधिक कठोर बनाने का प्रस्ताव किया गया है, जिसमें सामूहिक बलात्कार के लिए अधिकतम सजा के रूप में मौत की सजा की परिकल्पना की गई है। नाबालिग, और शादी के झूठे बहाने या नौकरी या पदोन्नति जैसे प्रलोभन देकर किसी महिला को यौन संबंध बनाने के लिए बरगलाने के कृत्य को एक अलग 'अपराध' के रूप में चिह्नित किया गया है।

प्रस्तावित कानून के तहत, जो IPC की जगह लेगा, 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार के लिए आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी, जिसका अर्थ है उस व्यक्ति के शेष प्राकृतिक जीवन के लिए कारावास, और जुर्माना, या फिर अपराध की गंभीरता के हिसाब से मौत की सजा। बता दें कि, IPC में, नाबालिगों के सामूहिक बलात्कार से संबंधित प्रावधानों को दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है - जहां पीड़िता की उम्र 12 वर्ष से कम है और जहां उसकी उम्र 16 वर्ष से कम है। 12 साल से कम उम्र की लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार के अपराध के लिए IPC के तहत अधिकतम सजा मौत की सजा है, लेकिन 12 से 16 साल की लड़की के खिलाफ अपराध के लिए अधिकतम सजा आजीवन कारावास है।

इन आयु उपवर्गीकरणों को दूर करते हुए, भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 में कहा गया है कि 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की के खिलाफ सामूहिक बलात्कार के अपराध में अपराध में शामिल सभी लोगों को मृत्युदंड मिल सकता है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इसे जांच के लिए संसदीय पैनल के पास भेजा जाएगा। प्रस्तावित कानूनों ने महिलाओं के साथ झूठ बोलकर, धोखा देकर, लालच देकर, पहचान छुपाकर यौन संबंध बनाने के कृत्यों को दंडित करने के लिए एक अलग अपराध भी निर्धारित किया है, और इस अपराध के लिए 10 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान किया गया है। 

विधेयक की धारा 69 में कहा गया है कि: "जो कोई भी, धोखे से या किसी महिला से शादी करने का वादा करता है, उसे पूरा करने के इरादे के बिना, और उसके साथ यौन संबंध बनाता है, तो ऐसा यौन संबंध बलात्कार के अपराध की श्रेणी में नहीं आएगा। लेकिन, अपराधी को किसी एक अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसे दस साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।'' इस धारा का "स्पष्टीकरण" बताता है कि आपराधिक "कपटपूर्ण साधनों" में रोजगार या पदोन्नति का झूठा वादा, प्रलोभन देना या पहचान छिपाकर शादी करना शामिल होगा।

वहीं, बलात्कार और सामूहिक बलात्कार से संबंधित अन्य प्रावधानों को समान दंड के साथ नए कानून के तहत बरकरार रखा गया है। इसी तरह, 2023 बिल के तहत यौन उत्पीड़न, छेड़छाड़, ताक-झांक और पीछा करने सहित महिलाओं के खिलाफ विभिन्न अन्य अपराधों के लिए परिभाषाएं और दंड समान रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट के 2017 के फैसले को लागू करते हुए, प्रस्तावित कानून पति को बलात्कार के आरोप से छूट देने के लिए पत्नी की न्यूनतम आयु 15 से बढ़ाकर 18 वर्ष कर देता है। 2017 में, शीर्ष अदालत ने धारा 375 के अपवाद 2 में इस हद तक हस्तक्षेप किया कि अगर पत्नी की उम्र 15 वर्ष से कम न हो तो पतियों को बलात्कार के आरोप के तहत मुकदमा चलाने से सुरक्षा मिल गई। 

सुप्रीम कोर्ट ने अपवाद खंड को पढ़ते हुए कहा कि प्रतिरक्षा वैध होने के लिए पत्नी की उम्र IPC के तहत उल्लिखित 15 वर्ष के बजाय 18 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए। विधेयक IPC की धारा 377 को भी हटा देता है, जो समलैंगिकता को आजीवन कारावास तक की सजा वाला अपराध बनाती थी। यह कदम सुप्रीम कोर्ट की 2018 की संविधान पीठ के फैसले से लिया गया है, जिसमें सहमति से वयस्कों के बीच समलैंगिक यौन संबंध को अपराध की श्रेणी से हटा दिया गया था।

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Aug 12 2023, 14:46

निलंबन के बाद राघव चड्ढा ने ट्विटर पर बदला बायो, खुद को बताया “सस्पेंडेंड राज्यसभा सांसद” फर्जी हस्ताक्षर मामले में गिरी है गाज

#mp_raghav_chadha_suspended_member_of_parliament

आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा को राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया है। राघव चड्ढा राज्यसभा से निलंबित होने के बाद काफी गुस्से में हैं। उन्होंने अपना गुस्सा अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए जाहिर किया है।निलंबन के बाद अब राघव चड्ढा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर अपना बायो चेंज कर लिया है। राघव चड्ढा ने अपना बायो चेंज कर के सस्पेंडेड सांसद रख दिया है। इससे पहले राघव चड्ढा के बायो में केवल सांसद ही लिखा था। बता दें कि शुक्रवार को राज्यसभा की विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक सांसद राघव चड्ढा को सदन से निलंबित किया गया है। चड्ढा पर नियमों के घोर उल्लंघन, कदाचार, अपमानजनक रवैये और अवमाननापूर्ण आचरण करने का आरोप है।

चड्‌ढा ने की थी वीडियो जारी

वहीं, निलंबन के बाद राघव चड्‌ढा ने वीडियो रिलीज करते हुए बीजेपी पर भी निशाना साधा था। वीडियो रिलीज करते हुए राघव चड्‌ढा ने कहा- नमस्कार... मैं सस्पेंडेड राज्यसभा सांसद राघव चड्डा। जी हां, मुझे राज्यसभा से आज सस्पेंड कर दिया गया है। मुझे क्यों निलंबित किया गया? मेरा क्या अपराध है? क्या मेरा ये अपराध है कि मैंने संसद में खड़े होकर दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा के सबसे बड़े नेताओं से सवाल पूछ लिए?क्या इन्हें ये दर्द सताता है कि कैसे ये 34 साल का युवा संसद में खड़ा होकर हमें ललकारता है। ये बहुत शक्तिशाली लोग हैं। ये किसी भी हद तक जा सकते हैं। इसी मानसून सत्र में AAP के 3 सांसदों को सस्पेंड किया गया है।

मुझ पर कीचड़ उछालकर बदनाम करने की कोशिश

राघव चड्ढा ने आगे कहा कि मैं शहीदे आजम की धरती से आता हूं। विशेषाधिकार समिति द्वारा बुलाए जाने पर अपना पक्ष पूरी मजबूती से पक्ष रखूंगा। समिति को बताउंगा कि मैंने किसी सांसद के सिग्नेचर का दुरुपयोग नहीं किया है। रूल के हिसाब से मैंने कुछ सांसदों का नाम सेलेक्ट कमेटी के सामने प्रस्तावित किया था। रूल बुक के हिसाब से ऐसा करना मेरा अधिकार है। इसके लिए किसी सांसद के लिखित या सिग्नेचर की जरूरत नहीं पड़ती है। ऐसे में नाम प्रस्तावित करने में गलत क्या है? बीजेपी वाले मनगढंत आरोप लगा रहे हैं। मुझ पर कीचड़ उछालकर बदनाम करना चहते हैं। इससे आगे वह कहते हैं कि विशेषाधिकार समिति ने मुझे से पहले पूर्व पीएम इंदिरा गांधी, पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के खिलाफ भी कार्रवाई की थी। इसके बावजूद मैं किसी से डरता नहीं। मैं विशेषाधिकार समिति का डटकर सामना करूंगा। इसके आगे वो कहते हैं सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है। 

क्या है मामला?

राज्यसभा में 7 अगस्त को दिल्ली सर्विस बिल पास किया गया था। सदन की कार्यवाही के दौरान AAP सांसद राघव चड्ढा ने इस बिल को सिलेक्ट कमेट के पास भेजना का प्रस्ताव भेजा। उन्होंने इस कमेटी के लिए कुछ सांसदों के नामों का भी प्रस्ताव दिया। हालांकि, प्रस्तावित किए गए सदस्यों में से 5 सांसदों ने कहा कि राघव चड्ढा ने बिना उनकी सहमति के उनका नाम लिया जो कि सही नही हैं। सभी सांसदों ने इस पर अपनी शिकायत भी दर्ज कराई। इसके बाद मामले की जांच की मांग की गई थी। सदन की विशेषाधिकार समिति ने राघव चड्ढा को लीगल नोटिस भेजा।

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Aug 12 2023, 13:32

कानून बना दिल्ली सेवा विधेयक, राष्ट्रपति ने दी मंजूरी

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दिल्ली सर्विस बिल अब कानून बन गया है। राष्ट्रपति से इसकी मंजूरी मिल गई है। भारत सरकार ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है।सात अगस्त को संसद से दिल्ली सेवा विधेयक पारित हो गया था। कानून को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम, 2023 के नाम से जाना जाएगा। राज्यसभा ने 102 के मुकाबले 131 मतों से ‘दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन संशोधन विधेयक 2023’ को मंजूरी दी थी। लोकसभा ने इसे तीन अगस्त को पास कर दिया था।

दरअसल, मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 11 मई को फैसला सुनाते हुए कहा था कि दिल्ली में जमीन, पुलिस और कानून-व्यवस्था को छोड़कर बाकी सारे प्रशासनिक फैसले लेने के लिए दिल्ली की सरकार स्वतंत्र होगी। अधिकारियों और कर्मचारियों का ट्रांसफर-पोस्टिंग भी कर पाएगी। उपराज्यपाल इन तीन मुद्दों को छोड़कर दिल्ली सरकार के बाकी फैसले मानने के लिए बाध्य हैं। 

कोर्ट के फैसले के एक हफ्ते बाद 19 मई को केंद्र सरकार एक अध्यादेश ले आई। केंद्र ने 'गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली ऑर्डिनेंस, 2023' लाकर प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति और तबादले का अधिकार वापस उपराज्यपाल को दे दिया। इस अध्यादेश के तहत राष्ट्रीय राजधानी सिविल सर्विसेज अथॉरिटी का गठन किया गया। दिल्ली के मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्य सचिव और गृह सचिव को इसका सदस्य बनाया गया। मुख्यमंत्री इस अथॉरिटी के अध्यक्ष होंगे और बहुमत के आधार पर यह प्राधिकरण फैसले लेगा। हालांकि, प्राधिकरण के सदस्यों के बीच मतभेद होने पर दिल्ली के उपराज्यपाल का फैसला अंतिम माना जाएगा।

संसद के मानसून सत्र में दिल्ली सेवा विधेयक पेश किया गया। इस बिल को लोकसभा में 3 अगस्त को पारित किया गया। लोकसभा में बहुमत के चलते केंद्र को बिल पास कराने में कोई मुश्किल सामने नहीं आई। राज्यसभा में सरकार के पास नंबर कम थे और वहां इसे पास कराने की चुनौती थी लेकिन सरकार को वहां भी कामयाबी मिली और 7 अगस्त को उच्च सदन से भी ये विधेयक पारित हो गया।