*भदोही में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने किया प्रदर्शन,मणिपुर सीएम के इस्तीफे की मांग पर अड़े*

नितेश श्रीवास्तव

भदोही। जिले में मणिपुर हिंसा मामले को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं ने मणिपुर सीएम के इस्तीफे की मांग की है। मणिपुर हिंसा प्रकरण को लेकर जहां पूरे देश के लोगों में गुस्सा है, वहीं दसरी तरफ इस मामले को लेकर राजनीतिक पार्टियों के तरफ से भी प्रदर्शन किए जा रहे हैं।

भदोही में कांग्रेस पार्टी की तरफ से प्रदर्शन कर मणिपुर के मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग की गई है। इस मौके पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी की है।भदोही जिले के ज्ञानपुर में स्थित गांधी पार्क में कांग्रेस जिला अध्यक्ष के नेतृत्व में बड़ी संख्या में पार्टी के पदाधिकारी पहुंचे जहां उन्होंने प्रदर्शन किया।

हाथों पर बैनर लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी की है। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का कहना है कि मणिपुर में जिस तरीके से महिलाओं के साथ घटना घटी और लगातार वहां हिंसा का माहौल है, इस घटना के बाद प्रधानमंत्री को मणिपुर जाना चाहिए था। लेकिन उनके पास मणिपुर जाने का समय नहीं है।

मणिपुर में माहौल लगातार खराब हो रहा है।कांग्रेस प्रदेश सचिव वसीम अंसारी ने इस मौके पर कहा कि पूरे प्रकरण में मणिपुर के मुख्यमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने कहा कि मणिपुर में हालात बेहत खराब हैं। वहां लोग परेशान हैं लेकिन प्रधामनंत्री वहां गए तक नहीं।

वहां शांति बहाली के कदम सरकार को तेजी से उठने की जरूरत है। इस अवसर पर मुख्य रूप से राजेश्वर दुबे सुरेश चंद उपाध्याय आशुतोष पांडेय, मसूद आलम, आजाद हुसैन अब्दुल सुकुबुद्दीन सिकंदर शैख, त्रिलोकी नाथ बिंद, रमाशंकर बिंद, शकील डायर, मो फाजिल, विमलेश पाल, पुष्पा गौड़, नुसरत जहां, जान मोहम्मद, चिंटू शुक्ला, नितिन सिंह, संतोष पाल, रिंकू सिंह, विमल दूबे, पंकज मालवीय , सचिन मिश्रा, शक्ति मिश्रा, रौनक इत्यादि लोग उपस्थित रहे।

*जिला उद्यान विभाग रोपेगा 66 हजार पौधे*

नितेश श्रीवास्तव

भदोही।वन महोत्सव के तहत जिले में पौधारोपण का काम तेजी से चल रहा है। जोर‌ई स्थित वन विभाग की नर्सरी से रोपने के लिए रोज हजारों पौधे भेजे जा रहे हैं। जिले में 22 जुलाई को होने वाले वृहद पौधारोपण में जिला उद्यान विभाग 66 हजार पौधे रोपेगा।

जिला उद्यान विभाग की मानें तो इस वर्ष 85332 पौधा लगाने का लक्ष्य मिला है, इनमें निर्धारित तिथि पर 66 हजार पौधे रोपे जाएंगे। किसानों की भूमि,वन विभाग की जमीन व बंजर भूमि, चरागाह, सड़क किनारे व धार्मिक स्थलों पर पौधे रोपे जाएंगे। सरपतहां स्थित गंगा नर्सरी से फलदार व छायादार पौधे प्राप्त किए जा सकता है।

*भदोही में आधा दर्जन से अधिक अधिकारियों का एक दिन का वेतन काटने का प्रस्ताव पारित*

नितेश श्रीवास्तव

भदोही। जिला पंचायत की बैठक में अक्सर अनुपस्थित रहने वाले आधा दर्जन से अधिक अधिकारियों का एक दिन का वेतन काटने का प्रस्ताव जिला पंचायत के सदस्यों द्वारा पारित किया गया। जिससे जनपद में हडकंप मच गया।

जिला पंचायत अध्यक्ष अनिरुद्ध त्रिपाठी ने कहा कि जनपद के कुछ ऐसे अधिकारी है जो काम नही करना चाहते है केवल राजनीति करते है। किसी भी जिला पंचायत सदस्य द्वारा जब कोई कार्य बताया जाता है तो कुछ अधिकारी या तो मौजूद नही रहते या तो कोई बहाना बना लेते है। जिला पंचायत अध्यक्ष अनिरुद्ध त्रिपाठी ने कहा कि जो अधिकारी नेतागिरी करना चाहते है वह काम छोड़कर नेतागिरी ही करें।

जिला पंचायत अध्यक्ष अनिरुद्ध त्रिपाठी ने कहा कि बैठक में आगामी 22 जुलाई को वृहद वृक्षारोपण को लेकर विभिन्न अधिकारियों से चर्चा हुई। और अभियान में अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने की बात हुई। जिला पंचायत अध्यक्ष अनिरुद्ध त्रिपाठी ने कहा कि जनपद के हर एक नागरिक को वृक्षारोपण करना है यदि किसी को किसी भी तरह वृक्षारोपण के लिए पौधे न मिल रहे हो तो हमें तुरंत बताये हम पौधा उपलब्ध करायेंगे।

जिला पंचायत अध्यक्ष ने कहा कि आगे के दस दिन जनपद के सभी ग्राम सभाओं में बनी नाला और नाली की सफाई कराने के लिए डीपीआरओ को बता दिया गया है। कहा कि जनपद के विकास में कोई भी कही कमी नही रहेगी। जनपद में विकास कार्य में कोई भी बाधक बन रहा है तो उससे निपटने के लिए हम तैयार है। जनपद का सर्वागीण विकास करना ही परम लक्ष्य है। जिला पंचायत अध्यक्ष अनिरुद्ध त्रिपाठी ने जिला पंचायत सदस्यों से भी कहा कि आपके क्षेत्र में जो भी समस्या है उसके बारे में अवगत कराये उसका निवारण शीघ्र कराने का प्रयास किया जायेगा।

*शहीद मंगल पाण्डेय का संकल्प दिवस के रुप में मनी जयंती*


नितेश श्रीवास्तव

भदोही।आज यानी 19 जुलाई को देश में आजादी की लड़ाई का पहली बार शंखनाद करने वाले अमर शहीद मंगल पांडेय की 196 वीं जयंती है। आज का दिन इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए सुनहरे अक्षरों में लिख दिया गया है। मंगल पांडेय का जन्म 19 जुलाई 1827 को उत्तर प्रदेश के बलिया में हुआ था।मंगल पांडेय का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ क्रांति की शुरुआत की थी और 29 मार्च 1857 को बैरकपुर में अंग्रेजों पर हमला कर उन्हें घायल कर दिया था। हालांकि वह पहले ईस्ट इंडिया कंपनी में एक सैनिक के तौर पर भर्ती हुए थे लेकिन ब्रिटिश अफसरों की भारतीयों के प्रति क्रूरता को देखकर उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोल लिया था।मंगल पांडेय कलकत्ता की बैरकपुर छावनी में 34वीं बंगाल नेटिव इंफैंट्री की पैदल सेना के सिपाही नंबर 1446 थे।

अंग्रेजी अफसरों पर गोली चलाने और हमला करने के आरोप में मंगल पांडेय को फांसी की सजा सुनाई गई थी, लेकिन तय तिथि से दस दिन पहले ही उन्हें फांसी दे दी गई।18 अप्रैल 1857 को मंगल पांडेय को फांसी दी जानी थी, ऐसा कहा जाता है कि बैरकपुर के सभी जल्लादों ने मंगल पांडेय को फांसी देने से इनकार कर दिया था। जल्लादों ने अपने हाथ मंगल पांडेय के खून से न रंगे जाने की बात कहते हुए फांसी देने से इनकार किया था। इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने कलकत्ता (कोलकाता) से चार जल्लादों को बुलाया। मंगल पांडेय की फांसी की खबर सुनने के बाद कई छावनियों में ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ गुस्सा भड़क गया, जिसे देखते हुए ब्रिटिश राज ने मंगल पांडेय को फांसी 18 अप्रैल को न देकर दस दिन पहले आठ अप्रैल को ही दे दी‌।

सिद्धपीठ बाबा हरिहरनाथ मंदिर से सटे शहीद पार्क में बुधवार को भारत मां के वीर सपूत मंगल पाण्डेय की जयंती संकल्प दिवस के रुप में मनाई गई। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ पहले आवाज उठाने वाले मंगल पाण्डेय की मूर्ति पर माल्यार्पण कर उनके व्यक्तित्व को आत्मसात करने का संकल्प लिया गया।इस दौरान ब्रहा मोदनवाल ने कहा कि भारत की आजादी के लिए आंदोलन का पहला श्रेय मंगल पाण्डेय को जाता है। वर्ष 1857 की क्रांति के नायक मंगल पाण्डेय से अंग्रेज खौफजदा हो ग‌ए थे। उन्हें फांसी चढ़ाने के लिए तो तिथि नियत गई थी उसके दस दिन पूर्व ही उन्हें चुपके से फंदे पर लटका दिया गया। अमर शहीद हुए मंगल पाण्डेय के त्याग व बलिदान को देश ने कभी नहीं भूलेगा। इनका जन्म 9 जुलाई वर्ष 1827 को फैजाबाद जिले के सुरुरपुर में हुआ था।

हालांकि वह मूल निवासी बलिया जिले के नगवा निवासी थे। बाबा बर्फानी ग्रुप के लोगों ने शहीद पार्क में साफ - सफाई कर घंटों श्रमदान किया। इस मौके पर रंजीत गुप्ता, राकेश देववंशी, अनिल माली, संदीप माली, आशीष शर्मा, आदि उपस्थित थे।

*20 को सात घंटे तक बंद रहेगा शास्त्री सेतु, जानिए क्यों*


नितेश श्रीवास्तव

भदोही।अंतर प्रांतीय क्षेत्रों को जोड़ने वाले शास्त्री सेतु चिल्ह-मिर्जापुर पर 20 जुलाई को लोड टेस्टिंग होगा। इसके कारण इस मार्ग पर लगभग सात घंटे आवागमन ठप रहेगा। इस दौरान पैदल यात्रियों को भी उधर से यात्रा करने की अनुमति नहीं होगी। लोगों की सुविधा को देखते हुए प्रशासन के सहयोग से रूट डायवर्जन किया जाएगा।डीपीएम आरएस उपाध्याय लघु सेतु ने बताया कि तकनीकी खामियों के चलते बीते साल ही शास्त्री सेतु पर बड़े वाहनों के आवागमन पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई थी।

सेतु निगम पुल की खामियों को दूर करने में लगी हुई थी। साल भर चले निर्माण कार्य के बाद आगामी 20 जुलाई को पुल पर लोड टेस्टिंग की जाएगी। यह कार्य सुबह 11 बजे से सायं 6.30 बजे तक चलेगा। जिसे देखते हुए लगभग सात घंटे तक शास्त्री पुल पर आवागमन को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा। आवागमन प्रतिबंधित होने के कारण वाहन गोपीगंज, औराई की ओर होकर गुजरेंगे। इसी तरह मिर्जापुर से भदोही, वाराणसी की ओर जाने वाले हल्के वाहन भटौली-कछवां और चुनार-नरायणपुर वाया टेंगरा मोड़ पुल से होकर वाराणसी-प्रयागराज हाईवे पहुंचेंगे।

*खुशखबरी: 1.29 लाख बच्चों के खाते में आएंगे 15.59 करोड़*


नितेश श्रीवास्तव

भदोही। परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले एक लाख 29 हजार बच्चों का इंतजार खत्म हो गया। 19 जुलाई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बटन दबाकर डीबीटी करेंगे। जिससे बच्चों के अभिभावकों के खाते में 1200-1200 रूपये के हिसाब से 15 करोड़ 59 लाख रुपये पहुंच जाएंगे। इससे बच्चे यूनिफार्म, बैग आदि की खरीदारी कर सकेंगे।जिले के 892 प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक और कंपोजिट विद्यालय में एक लाख 50 हजार बच्चे पंजीकृत हैं। 2022 में डीबीटी में विलंब होने के कारण इस साल अप्रैल-मई में ही डीबीटी से जुड़े सभी कार्य कराए गए।

तीन जुलाई को स्कूल खुलने के बाद ब्लॉक एवं जिला स्तर पर लंबित मामलों को निपटाया गया। स्कूल आने वाले बच्चे और अभिभावक पखवारे भर से डीबीटी का इंतजार कर रहे थे। सोमवार को शिक्षा महानिदेशक का पत्र आने पर डीबीटी की तस्वीर साफ हो गई। 19 जुलाई को मुख्यमंत्री बटन दबाकर डीबीटी करेंगे। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी भूपेंद्र नारायण सिंह ने कहा कि एक लाख 50 हजार बच्चों में एक लाख 47 हजार का आधार सत्यापित हो चुका है।

ब्लॉक एवं जिला स्तर पर कुल एक लाख 29 हजार 991 का सत्यापन पूर्ण हो चुका है। जिससे एक लाख 29 हजार बच्चों के अभिभावक के खाते में 1200-1200 रुपये 19 जुलाई को पहुंच जाएंगे। दूसरे चरण में शेष 20 हजार का भी पैसा चला जाएगा। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री डीघ और सुरियावां के कस्तूरबा आवासीय विद्यालय परिसर में बने भवन और डायट में बने आडिटोरियम हाल का भी लोकार्पण करेंगे।

*लापरवाही : दो साल से नहीं मिला किताब-कापी का पैसा*


नितेश श्रीवास्तव

भदोही।शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में प्रवेश लेने वाले करीब 2200 बच्चों को दो साल से काॅपी-किताब का पैसा नहीं मिला। जिससे बच्चों और अभिभावकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। विभाग को इसके लिए एक करोड़ 10 लाख के बजट का इंतजार है।

सरकार गरीब बच्चों की अच्छी पढ़ाई के लिए प्राइवेट विद्यालयों में प्रवेश का नियम बनाया है और उसके लिए वह विद्यालय को फीस के रूप में एक निश्चित राशि भी देती है। साथ ही बच्चों के अभिभावकों को पांच हजार ड्रेस और कॉपी किताब के लिए दिया जाता है। शासन ने 2022-23 के शिक्षा सत्र का फीस एवं काॅपी-किताब का पैसा तो पांच माह पूर्व भेज दिया, लेकिन शिक्षा सत्र 2022-21 और 2021-22 में पढ़ने वाले बच्चों का खर्च अब तक नहीं आया।

इससे पढ़ने वाले बच्चों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जिला समन्वयक मोहित मौर्य ने बताया कि गुजरे शिक्षा सत्र की फीस सहित अन्य खर्च का करीब डेढ़ करोड़ आया था। जिसे स्कूलों को भेजा गया। 2020 और 2021 के शिक्षा सत्र का एक करोड़ 10 लाख रूपये न आने से करीब 2200 बच्चों को काॅपी-किताब का पैसा नहीं मिल सका। बीएसए भूपेंद्र नारायण सिंह ने कहा कि कोविड के कारण दो साल खर्च का पैसा नहीं आया। कुछ बच्चों के अभिभावकों ने इसकी शिकायत भी किया। बजट के लिए शासन को पत्र लिखा गया है।

*चार गोशालाओं की जल्द मिलेगी सौगात, छुट्टा पशुओं से मिलेगा छुटकारा*


नितेश श्रीवास्तव

भदोही। जिले के छुट्टा पशुओं की समस्या से जल्द ही छुटकारा मिलेगा। जिले के तीन ब्लॉकों में निर्माणाधीन चार गोआश्रय स्थलाें के निर्माण का 80 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है। अगर सबकुछ ठीक रहा तो अगस्त तक तीनों गोशालाओं का संचालन भी शुरू हो जाएगा। खास बात है कि औराई के चक उदयकरनपुर के छोड़कर अन्य सभी गोशालाओं में 200-200 गोवंश रखने की क्षमता है। इससे जिले के अन्य गोशालाओं में गोवंशों का अतिरिक्त भार कम हो सकेगा।जनपद में 26 अस्थायी एक स्थायी व दो वृहद गोसंरक्षण केंद्र है। कुल 29 गोआश्रय स्थलों में 6358 निराश्रित गोवंश संरक्षित हैं।

इनमें कई गोआश्रय स्थल ऐसे हैं, जहां क्षमता से अधिक गोवंशाें के होने के कारण अक्सर असुविधा होती है। ऐसे में पशुपालन विभाग की ओर से जिले के तीन ब्लॉकों में चार गोआश्रय स्थलों का निर्माण कराया जा रहा है। जिसमें एक करोड़ 20 लाख की लागत से औराई के उदयकरनपुर में स्थायी गोशाला के साथ ही औराई के ही चक निरंजनपुर, अभोली के हरदुआ और भदोही में अस्थायी गोआश्रय स्थल का निर्माण हो रहा है। जिसमें उदयकरनपुर की क्षमता 400 गोवंशों की है। वहीं तीन अन्य गोशालाओं की क्षमता एक-एक हजार गोवंशों की है। इन सभी गोआश्रय स्थलों के 80 फीसदी काम पूरा हो चुका है। शुक्रवार को विशेष सचिव उप्र पशुधन प्रसार व नोडल विंध्याचल मंडल जिले में आए हुए थे। उन्होंने भी निर्माणाधीन गोआश्रय स्थलों को समय से पूरा करने का निर्देश दिया है।

नुकसान होने से बचेगी फसल

छुट्टे मवेशियों फसलें खराब होती हैं। इसके कारण कई किसान खेती से मुंह भी मोड़ चुके हैं, जबकि पशुपालन विभाग द्वारा निरंतर अभियान चलाकर छुट्टे मवेशियों को पकड़ा जाता है। फिर भी दर्जनों की संख्या में मवेशी ग्रामीण अंचलों से लेकर शहर तक दिखते है। वाराणसी-प्रयागराज हाइवे पर मवेशियों के कारण हादसा भी होता, लेकिन नए गोशाला बनने के बाद इन समस्याओं से समाधान कुछ हद लगाम लग सकेगा।

वर्जन

एक स्थायी और तीन अस्थायी गोआश्रय स्थलों का निर्माण कार्य लगभग पूरा कर लिया गया। कुछ काम अधूरा होने के कारण संचालन शुरु नहीं है, जल्द से जल्द गोशाला का संचालन शुरू किया जाएगा।

डा. राजेश उपाध्याय, प्रभारी सीवीओ

*वित्त वर्ष के प्रथम दो महीनों में कालीन निर्यात 8.45 प्रतिशत तक गिरा*


नितेश श्रीवास्तव

भदोही।जून तिमाही में देश का निर्यात गत तीन वर्षों के निचले स्तर पर पहुंच गया। इन आंकड़ों से कदम ताल करते हुए भारत का कालीन निर्यात भी डगमगा गया है। पिछले दो महीने अप्रैल और मई माह के निर्यात आंकड़ों पर नजर डालें तो अकेले इन दो महीनों में ही भारतीय कालीन उद्योग भारतीय मुद्रा में 8.45 प्रतिशत पीछे है। यदि अमेरिकी डालर में गणना करें तो नुकसान का प्रतिशत 14.53 प्रतिशत हो जाता है। भदोही के बड़े कारोबारियों का कहना है कि कालीन उत्पादन और निर्यात बनाए रखने के लिए केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करना होगा।

सीईपीसी के अधिशासी निदेशक डाॅ. स्मिता नागरकोटी ने अप्रैल और मई माह के कालीन निर्यात आंकड़े देते हुए बताया कि गत वर्ष इसी अवधि में रुपये के दृष्टिकोण से नुकसान 8.45 प्रतिशत है। जिसमें गैर टफ्टेड कालीन का नुकसान 15.92 प्रतिशत और अन्य फ्लोर कवरिंग 23.18 प्रतिशत कम हुआ है। यदि डालर मे बात करें तो कुल घाटा 14.53 प्रतिशत है। जिसमे गैर टफ्टेड 21.49 प्रतिशत तथा अन्य फ्लोर कवरिंग में घाटा 28.34 प्रतिशत दर्ज किया गया है। अधिशासी निदेशक ने बताया कि जून के आंकड़े अभी प्राप्त नहीं हुए हैं। कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) भारत सरकार और कालीन उत्पादकों की सबसे बड़ी संगठन आल इंडिया कारपेट मैनुफैक्चरर्स एसोसिएशन (एकमा) के पदाधिकारी दावा करते हैं कि कालीन उद्योग देश भर में प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से वे 20 से 25 लाख मजदूरों को रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं और अब जो निर्यात के वैश्विक संकेत मिल रहे हैं, वह चिंता में डाल देने वाली हैं।

ऐसे में न केवल सरकार को बल्कि उद्योग से जुड़े प्रतिनिधियों को कुछ सोचना होगा। नहीं तो आने वाले दिनों में और गिरावट दर्ज की जाएगी। बढ़ती महंगाई के बीच कालीनों की उत्पादन लागत तेजी से बढ़ी है। कालीनों की वैश्विक मांग कम नहीं हुई है बल्कि दूसरे देश हमसे सस्ते में कालीन उपलब्ध करा रहे हैं। जिसका नुकसान भारत को उठाना पड़ रहा है। -यादवेंद्र राय काका

बीते कुछ वर्षों में कालीन उद्योग को मिलने वाली कई सौगातें सरकार ने या तो कम कर दी हैं अथवा खत्म कर दी है। यह बहुत बड़ा कारण है। जो हालात हैं उसमे अपनी पहचान बचा पाना मुश्किल होजा जा रहा है। -असलम महबूब

*मलमास में न उठाएं मन्नत की कांवड़*


नितेश श्रीवास्तव

भदोही।पुरूषोत्तम या अधिमास का खास महत्व है। मंगलवार को अधिमास की शुरूआत हो रही है। इस बार सावन माह के बीच पड़े अधिमास के कारण 19 साल बाद यह संयोग पड़ा है। हिन्दू धर्म में इस मास में शुभ कार्य पूर्णतया वर्जित होते हैं। अधिमास के कारण दो महीने के हुए सावन को देखते हुए कांवड़ियां उत्साहित जरूर हैं, लेकिन अगर कोई कांवड़ियां मन्नत की कांवड़ या फिर पहली बार कांवड़ उठा रहा है तो उसे इससे बचना चाहिए।ज्ञानपुर के भिदिउरा निवासी ज्योतिषाचार्य गणेश पांडेय ने बताया कि इस साल मलमास 18 जुलाई से 16 अगस्त तक रहेगा। इन दिनों में कुछ कार्य करने से जहां पुण्य की प्राप्ति होती है, वहीं कुछ कार्यों से परहेज बरतने को भी कहा जाता है। इस बार सावन में अधिकमास है।

19 साल बाद यह विशेष संयोग बना है। 04 जुलाई से सावन महीना शुरू हुआ है और अधिक मास की वजह से ये महीना 31 अगस्त की सुबह तक रहेगा। बताया कि अधिक मास 18 जुलाई से 16 अगस्त तक है। 17 अगस्त से सावन का शुक्ल पक्ष शुरू होगा। इस माह में भगवान शंकर और भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से लाभ मिलेगा। अधिक मास में शालीग्राम भगवान की उपासना से भी विशेष लाभ मिलता है। उन्होंने बताया कि शास्त्रों के अनुसार सावन मास में कोई भी शुभ कार्य की शुरूआत नहीं करनी चाहिए। इसे देखते हुए अगर कोई कांवड़ियां पहली बार कांवड़ यात्रा पर जाने की सोच रहा है तो वह 16 अगस्त के बाद यानि कि सावन के दूसरे पक्ष में ही कांवड़ यात्रा पर निकलें। इसके अलावा मन्नत वाली कांवड़ यात्रा अधिमास में उठाने से परहेज करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि अधिमास के दौरान अगर हम घर में ही भगवान विष्णु और शिव की अराधना करते हैं तो इससे हमें विशेष फल की प्राप्ति होगी।

श्रीहरि विष्णु की अराधना का माह ज्योतिषाचार्य ने बताया कि, भगवान श्रीविष्णु की आराधना के लिए श्रेष्ठ कहे जाने वाले अधिकमास का आरंभ प्रथम आश्विन शुक्लपक्ष 18 जुलाई से आरंभ हो रहा है जो द्वितीय अधिक मास आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या 16 अगस्त तक चलेगा। इस मास में प्राणी श्रीहरि विष्णु की आराधना करके अपने जीवन में आने वाली सभी विषम परिस्थितियों, समस्याओं, कार्य बाधाओं, व्यापार में अत्यधिक नुकसान आदि से संकटों से मुक्ति पा सकता है। विद्यार्थियों अथवा प्रतियोगी छात्रों को भी इनकी आराधना से पढ़ाई अथवा परीक्षा में आ रही बाधाओं से छुटकारा मिल सकता है।ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस मास की गिनती मुख्य महीनों में नहीं होती है। ऐसी कथा है कि जब महीनों के नाम का बंटवारा हो रहा था तब अधिकमास उदास और दुखी था, क्योंकि उसे दुख था कि लोग उसे अपवित्र मानेंगे। ऐसे समय में भगवान विष्णु ने कहा कि अधिकमास तुम मुझे अत्यंत प्रिय रहोगे और तुम्हारा एक नाम पुरुषोत्तम मास होगा जो मेरा ही एक नाम है।

इस महीने का स्वामी मैं रहूंगा. उस समय भगवान ने यह कहा था कि इस महीने की गिनती अन्य 12 महीनों से अलग है इसलिए इस महीने में लौकिक कार्य भी मंगलप्रद नहीं होंगे, लेकिन कुछ ऐसे कार्य हैं। जिन्हें इस महीने में किए जाना बहुत ही शुभ फलदायी होगा और उन कार्यों का संबंध मुझसे होगा।ज्योतिषाचार्य ने बताया कि अधिकमास यानी मलमास में विवाह जैसे कई कार्यों पर रोक रहती है। इसके अलावा नया व्यवसाय भी शुरू नहीं किया जाता। इस मास में कर्णवेध, मुंडन आदि कार्य भी वर्जित माने जाते हैं। इस बार मलमास के कारण सावन दो महीने तक रहेगा। यह संयोग 19 साल बाद आ रहा है। ऐसे में दो महीने तक भोले की भक्ति विशेष फलदायी रहेगी, लेकिन मन्नत और पहली बार कांवड़ यात्रा करने वाले लोग मलमास बीतने के बाद ही कांवड़ यात्रा पर जाएं।