*शहीद मंगल पाण्डेय का संकल्प दिवस के रुप में मनी जयंती*
भदोही।आज यानी 19 जुलाई को देश में आजादी की लड़ाई का पहली बार शंखनाद करने वाले अमर शहीद मंगल पांडेय की 196 वीं जयंती है। आज का दिन इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए सुनहरे अक्षरों में लिख दिया गया है। मंगल पांडेय का जन्म 19 जुलाई 1827 को उत्तर प्रदेश के बलिया में हुआ था।मंगल पांडेय का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ क्रांति की शुरुआत की थी और 29 मार्च 1857 को बैरकपुर में अंग्रेजों पर हमला कर उन्हें घायल कर दिया था। हालांकि वह पहले ईस्ट इंडिया कंपनी में एक सैनिक के तौर पर भर्ती हुए थे लेकिन ब्रिटिश अफसरों की भारतीयों के प्रति क्रूरता को देखकर उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोल लिया था।मंगल पांडेय कलकत्ता की बैरकपुर छावनी में 34वीं बंगाल नेटिव इंफैंट्री की पैदल सेना के सिपाही नंबर 1446 थे।
अंग्रेजी अफसरों पर गोली चलाने और हमला करने के आरोप में मंगल पांडेय को फांसी की सजा सुनाई गई थी, लेकिन तय तिथि से दस दिन पहले ही उन्हें फांसी दे दी गई।18 अप्रैल 1857 को मंगल पांडेय को फांसी दी जानी थी, ऐसा कहा जाता है कि बैरकपुर के सभी जल्लादों ने मंगल पांडेय को फांसी देने से इनकार कर दिया था। जल्लादों ने अपने हाथ मंगल पांडेय के खून से न रंगे जाने की बात कहते हुए फांसी देने से इनकार किया था। इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने कलकत्ता (कोलकाता) से चार जल्लादों को बुलाया। मंगल पांडेय की फांसी की खबर सुनने के बाद कई छावनियों में ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ गुस्सा भड़क गया, जिसे देखते हुए ब्रिटिश राज ने मंगल पांडेय को फांसी 18 अप्रैल को न देकर दस दिन पहले आठ अप्रैल को ही दे दी।
सिद्धपीठ बाबा हरिहरनाथ मंदिर से सटे शहीद पार्क में बुधवार को भारत मां के वीर सपूत मंगल पाण्डेय की जयंती संकल्प दिवस के रुप में मनाई गई। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ पहले आवाज उठाने वाले मंगल पाण्डेय की मूर्ति पर माल्यार्पण कर उनके व्यक्तित्व को आत्मसात करने का संकल्प लिया गया।इस दौरान ब्रहा मोदनवाल ने कहा कि भारत की आजादी के लिए आंदोलन का पहला श्रेय मंगल पाण्डेय को जाता है। वर्ष 1857 की क्रांति के नायक मंगल पाण्डेय से अंग्रेज खौफजदा हो गए थे। उन्हें फांसी चढ़ाने के लिए तो तिथि नियत गई थी उसके दस दिन पूर्व ही उन्हें चुपके से फंदे पर लटका दिया गया। अमर शहीद हुए मंगल पाण्डेय के त्याग व बलिदान को देश ने कभी नहीं भूलेगा। इनका जन्म 9 जुलाई वर्ष 1827 को फैजाबाद जिले के सुरुरपुर में हुआ था।
हालांकि वह मूल निवासी बलिया जिले के नगवा निवासी थे। बाबा बर्फानी ग्रुप के लोगों ने शहीद पार्क में साफ - सफाई कर घंटों श्रमदान किया। इस मौके पर रंजीत गुप्ता, राकेश देववंशी, अनिल माली, संदीप माली, आशीष शर्मा, आदि उपस्थित थे।
Jul 20 2023, 14:10