*मलमास में न उठाएं मन्नत की कांवड़*
नितेश श्रीवास्तव
भदोही।पुरूषोत्तम या अधिमास का खास महत्व है। मंगलवार को अधिमास की शुरूआत हो रही है। इस बार सावन माह के बीच पड़े अधिमास के कारण 19 साल बाद यह संयोग पड़ा है। हिन्दू धर्म में इस मास में शुभ कार्य पूर्णतया वर्जित होते हैं। अधिमास के कारण दो महीने के हुए सावन को देखते हुए कांवड़ियां उत्साहित जरूर हैं, लेकिन अगर कोई कांवड़ियां मन्नत की कांवड़ या फिर पहली बार कांवड़ उठा रहा है तो उसे इससे बचना चाहिए।ज्ञानपुर के भिदिउरा निवासी ज्योतिषाचार्य गणेश पांडेय ने बताया कि इस साल मलमास 18 जुलाई से 16 अगस्त तक रहेगा। इन दिनों में कुछ कार्य करने से जहां पुण्य की प्राप्ति होती है, वहीं कुछ कार्यों से परहेज बरतने को भी कहा जाता है। इस बार सावन में अधिकमास है।
19 साल बाद यह विशेष संयोग बना है। 04 जुलाई से सावन महीना शुरू हुआ है और अधिक मास की वजह से ये महीना 31 अगस्त की सुबह तक रहेगा। बताया कि अधिक मास 18 जुलाई से 16 अगस्त तक है। 17 अगस्त से सावन का शुक्ल पक्ष शुरू होगा। इस माह में भगवान शंकर और भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से लाभ मिलेगा। अधिक मास में शालीग्राम भगवान की उपासना से भी विशेष लाभ मिलता है। उन्होंने बताया कि शास्त्रों के अनुसार सावन मास में कोई भी शुभ कार्य की शुरूआत नहीं करनी चाहिए। इसे देखते हुए अगर कोई कांवड़ियां पहली बार कांवड़ यात्रा पर जाने की सोच रहा है तो वह 16 अगस्त के बाद यानि कि सावन के दूसरे पक्ष में ही कांवड़ यात्रा पर निकलें। इसके अलावा मन्नत वाली कांवड़ यात्रा अधिमास में उठाने से परहेज करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि अधिमास के दौरान अगर हम घर में ही भगवान विष्णु और शिव की अराधना करते हैं तो इससे हमें विशेष फल की प्राप्ति होगी।
श्रीहरि विष्णु की अराधना का माह ज्योतिषाचार्य ने बताया कि, भगवान श्रीविष्णु की आराधना के लिए श्रेष्ठ कहे जाने वाले अधिकमास का आरंभ प्रथम आश्विन शुक्लपक्ष 18 जुलाई से आरंभ हो रहा है जो द्वितीय अधिक मास आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या 16 अगस्त तक चलेगा। इस मास में प्राणी श्रीहरि विष्णु की आराधना करके अपने जीवन में आने वाली सभी विषम परिस्थितियों, समस्याओं, कार्य बाधाओं, व्यापार में अत्यधिक नुकसान आदि से संकटों से मुक्ति पा सकता है। विद्यार्थियों अथवा प्रतियोगी छात्रों को भी इनकी आराधना से पढ़ाई अथवा परीक्षा में आ रही बाधाओं से छुटकारा मिल सकता है।ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस मास की गिनती मुख्य महीनों में नहीं होती है। ऐसी कथा है कि जब महीनों के नाम का बंटवारा हो रहा था तब अधिकमास उदास और दुखी था, क्योंकि उसे दुख था कि लोग उसे अपवित्र मानेंगे। ऐसे समय में भगवान विष्णु ने कहा कि अधिकमास तुम मुझे अत्यंत प्रिय रहोगे और तुम्हारा एक नाम पुरुषोत्तम मास होगा जो मेरा ही एक नाम है।
इस महीने का स्वामी मैं रहूंगा. उस समय भगवान ने यह कहा था कि इस महीने की गिनती अन्य 12 महीनों से अलग है इसलिए इस महीने में लौकिक कार्य भी मंगलप्रद नहीं होंगे, लेकिन कुछ ऐसे कार्य हैं। जिन्हें इस महीने में किए जाना बहुत ही शुभ फलदायी होगा और उन कार्यों का संबंध मुझसे होगा।ज्योतिषाचार्य ने बताया कि अधिकमास यानी मलमास में विवाह जैसे कई कार्यों पर रोक रहती है। इसके अलावा नया व्यवसाय भी शुरू नहीं किया जाता। इस मास में कर्णवेध, मुंडन आदि कार्य भी वर्जित माने जाते हैं। इस बार मलमास के कारण सावन दो महीने तक रहेगा। यह संयोग 19 साल बाद आ रहा है। ऐसे में दो महीने तक भोले की भक्ति विशेष फलदायी रहेगी, लेकिन मन्नत और पहली बार कांवड़ यात्रा करने वाले लोग मलमास बीतने के बाद ही कांवड़ यात्रा पर जाएं।
Jul 19 2023, 13:45