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Jul 12 2023, 18:53

एशिया कप 2023 के लिए पाकिस्तान जाएंगे जय शाह? बीसीसीआई ने दिया जवाब

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एशिया कप 2023 के लिए तारीखों का ऐलान हो चुका है। अबकी बार एशिया कप 'हाइब्रिड मॉडल' के तहत पाकिस्तान और श्रीलंका में खेला जाएगा।हालांकि, एशिया कप 2023 के लिए तारीखों का ऐलान हो गया है, लेकिन शेड्यूल के आधिकारिक एलान का इंतजार सभी क्रिकेट प्रेमी काफी बेसब्री के साथ कर रहे हैं। डरबन में इसी मुद्दे को लेकर आईसीसी के बैठक के बीच बीसीसीआई और पीसीबी के बीच चर्चा हुई। वहीं इसी बीच पाकिस्तानी मीडिया में इस मुलाकात के बाद यह खबरें भी सामने आई कि बीसीसीआई सचिव जय शाह एशिया कप के मैचों में पाक का दौरा करेंगे। बीसीसीआई की तरफ से यह साफ कर दिया गया कि ना तो भारतीय टीम एशिया कप के दौरान पाकिस्तान का दौरा करेगी और ना ही सचिव जय शाह पाकिस्तान जायेंगे।

आईपीएल चेयरमैन अरुण धूमल ने इस पूरे मुद्दे पर बयान देते हुए कहा कि इस तरह की कोई बात नहीं हुई। भारतीय टीम या हमारे सचिव पाकिस्तान नहीं जाएंगे। अरुण सिंह धूमल ने कहा, 'जय शाह किसी भी निमंत्रण पर सहमत नहीं हुए हैं और पाकिस्तान की यात्रा नहीं करेंगे। सिर्फ एशिया कप का कार्यक्रम तय किया गया है। अरुण धूमल ने एशिया कप को लेकर हुई इस मुलाकात को लेकर बताया कि बीसीसीआई सचिव ने पीसीबी प्रमुख जका अशरफ से मुलाकात की और एशिया कप के शेड्यूल को अंतिम रूप दिया गया है। जैसा की पहले इस टूर्नामेंट को लेकर चर्चा की गई थी, बात उसी पर जारी है। पाकिस्तान में लीग राउंड के चार मैच होंगे, जबकि श्रीलंका में 9 मैच खेले जाएंगे।

वहीं, जय शाह ने खुद इस मुद्दे पर बड़ा बयान दिया है।बीसीसीआई सचिव जय शाह ने न्यूज18 से बात करते हुए कहा, 'मैं किसी भी बात पर सहमत नहीं हूं. यह गलत खबर है। संभवत: इसे जानबूझ कर या शरारत के तौर पर फैलाया गया है। मैं कोई दौरा नहीं करूंगा।

बता दें कि आगामी एशिया कप का आयोजन 31 अगस्त से 17 सितंबर तक किया जाना है।एशिया कप की शुरुआत 31 अगस्त से होगी और 17 सितंबर को फाइनल खेला जाएगा। एशिया कप के शुरुआती मैच पाकिस्तान में खेले जाएंगे और बाकी मैच श्रीलंका में होंगे। एशिया कप 2023 में भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और नेपाल की टीमें उतर रही हैं।

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Jul 12 2023, 16:17

यमुना के जलस्तर ने तोड़ा 45 साल का रिकॉर्ड, मंडरा रहा बाढ़ का खतरा, टेंशन में आई केजरीवाल सरकार ने गृह मंत्री अमित शाह को लिखा पत्र

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राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में यमुना के बढ़ते जलस्तर ने टेंशन बढ़ा दी है। दिल्ली में यमुना ने जलस्तर का 45 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया है। यमुना में आए उफान के बाद एहतियात के तौर पर दिल्ली के बाढ़ग्रस्त इलाकों में सीआरपीसी की धारा 144 लागू कर दी गई है। वहीं,दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस पर चिंता जताते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर कहा कि उनसे दखल देने को कहा है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लिखे पत्र कहा है कि हथिनीकुंड से सीमित मात्रा में पानी छोड़ा जाना चाहिए, ताकि यमुना का जलस्तर और न बढ़े। केजरीवाल का कहना है कि सेंट्रल वाटर कमीशन के अनुसार बुधवार रात को यमुना का स्तर 207.72 मीटर होगा।दिल्ली में सितंबर में जी20 शिखर सम्मलेन होना है। ऐसे में दिल्ली में बाढ़ आयी तो ये दुनिया में अच्छा संदेश नहीं जाएगा।

सीएम केजरीवाल ने बुलाई आपात बैठक

यमुना के बढ़ते जलस्तर को लेकर सीएम अरविंद केजरीवाल ने इमरजेंसी बैठक बुलाई है। दिल्ली सचिवालय में इमरजेंसी बैठक होंगी। बैठक में में सभी विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहेंगे। 

यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से काफी ऊपर

इससे पहले दिल्ली के मंत्री और आप नेता सौरभ भारद्वाज यमुना किनारे बोट क्लब के पास जलस्तर का जायजा लेने पहुंचे। उन्होंने कहा कि अभी यमुना का लेवल 207.37 मीटर है ये खतरे के निशान से काफी ऊपर है। केंद्र जल आयोग के अनुमान के अनुसार इसका लेवल रात 10 बजे से 207.55 पहुंच सकता है। यानी दिल्ली के कुछ जगह पर यमुना अपनी तटबंधों को तोड़कर पार सकती है तो जहां पर भी ऐसा खतरा है वहां पर दिल्ली सरकार के सिंचाई नियंत्रण विभाग तटबंधों को मजबूत करने का काम कर रहा है।

1978 की बाढ़ ने तोड़ दिया था रिकॉर्ड

दिल्ली में भारी बारिश के कारण आई बाढ़ के पानी से यमुना नदी में उफान ला दिया है। इस उफान के कारण यमुना का जलस्तर बढ़कर ऱकरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है। 1978 के बाद अब तक के सबसे ज्यादा रिकार्ड स्तर 207.49 के करीब है। बता दें कि 1978 में दिल्ली में यमुना की बाढ़ ने कई रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। इसमें करीब 43 वर्ग किलोमीटर कृषि भूमि जलमग्न होकर बर्बाद हो गई थी। लाखों लोग बेघर हो गए थे। उस समय यमुना के लोहे के पुल पर जलस्तर 207.49 मीटर पहुंच गया था, तब यमुना के किनारों पर पुस्ते नहीं बनाए गए थे। इसके बाद दो बार और यमुना का जलस्तर 207 मीटर के निशान के पार गया है। 2010 (207.11 मीटर) और 2013 (207.32 मीटर) में दिल्ली को बाढ़ का सामना करना पड़ा था। कश्मीरी गेट तक यमुना का पानी पहुंच गया था।

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Jul 12 2023, 15:47

चिराग पासवान की एनडीए में एंट्री तय मानी जा रही, कैबिनेट में मिल सकती है जगह, जानें कौन लगा सकता है रोड़ा?

#chirag_paswan_is_sure_to_join_nda

लोकसभा चुनाव में अभी एक साल का वक्त वचा है। हालांकि उसके लिए सियासी जमीन अभी से तैयार की जा रही है। एक तरफ विपक्षी दल बीजेपी के खिलाफ एकजुट होने की कोशिश में लगे हैं, तो दूसरी ओर बीजेपी भी अपना कुनबा बढ़ाने में जुट गई है। जानकारी है कि, बिहार के युवा नेता और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान एक बार फिर एनडीए का रुख कर सकते हैं।रिपोर्ट्स के मुताबिक, मोदी सरकार की ओर से चिराग पासवान से संपर्क साधा जा रहा है ताकि उनको अपने पाले में लाया जा सके।

लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा बिहार में वोटों की गणित को दुरुस्त करने का प्रयास कर रही है।2019 में एनडीए गठबंधन को जबरदस्त कामयाबी मिली थी। 17 सीटें अकेले भाजपा, 16 सीटें जदयू, छह लोजपा ने जीती थी। अब जदयू एनडीए का हिस्सा नहीं है और भाजपा चाहती है कि सीटों के हिसाब से उसे नुकसान न होने पाए। इसीलिए चिराग पासवान को पाले में करने कवायद में भाजपा नेता लगे हुए हैं।

चिराग के एनडीए में शामिल होने की खबरों के बीच एक सवाल तेजी से उछल कर सामने आ रहा है कि चिराग की एनडीए में एंट्री से उनके चाचा, केन्द्रीय मंत्री पशुपति पारस का क्या होगा? क्या चाचा-भतीजे एक हो जाएंगे?ऐसे में बीजेपी को चाचा-भतीजे दोनों को एक करना होगा।भाजपा के सामने मुश्किल यह है कि अगर ये दोनों चाचा-भतीजे एक नहीं हुए तो पार्टी को नुकसान हो सकता है। 

भाजपा का झुकाव चिराग की ओर इसलिए भी बन गया है, क्योंकि चिराग ने एनडीए से बाहर रहकर भी लगातार साथ दिया। बिहार में लगातार सक्रिय हैं। युवाओं में उनकी लोकप्रियता देखी जा रही है। जिस तरीके से पशुपति ने लोजपा पर कब्जा किया, उसे बिहार में चिराग समर्थकों ने ठीक नहीं माना। इसका लाभ चिराग को मिल रहा है। वह आने वाले दिनों में वोट में कन्वर्ट होगा, ऐसी संभावना से किसी का इनकार नहीं है। चाचा को इस बात का एहसास भी है। अगर भाजपा ने हाजीपुर सीट चिराग को दे दी तो तय हो जाएगा कि पशुपति नहीं, लोजपा के असली वारिस चिराग ही हैं।

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Jul 12 2023, 15:07

सरहद पार से आई “प्रेम दीवानी” की मोहब्बत कहीं साजिश तो नहीं? वो सवाल जिससे सीमा हैदर पर हो रहा जासूस होने का शक

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एक पाकिस्तानी महिला और एक हिन्दुस्तानी लड़का, ऑनलाइन गेम खेलते हुए मिले और एक-दूसरे को दिल दे बैठे।प्यार हुआ, इजहार हुआ और फिर महिला अपने बच्चों के साथ मुल्क छोड़ा, दो देशों को पार कर अपने प्रेमी से मिलने पहुंच गई। पाकिस्तान से भारत आई सीमा और सचिन की ये प्रेम कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं लगती। भारत और पाकिस्तान से जुड़े दो जोड़ों की फिल्मी कहानी गदर और वीर-जारा आज भी याद किए जाते हैं।आज सीमा और सचीन की कहानी भारत-पाकिस्तान में ही नहीं पूरी दुनिया में चर्चा बटोर रही है। हालांकि, इसके साथ ही ये सवाल भी उठ रहे हैं कि सीमा गुलाम हैदर सच में सिर्फ सचिन के प्यार में पाकिस्तान से नोएडा पहुंची थी या फिर वो कोई जासूस है। शायद यही वजह है कि सीमा हैदर सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर है। पुलिस और दूसरी एजेंसियां पूछताछ कर रही है। 

सीमा हैदर की हरकतें शक पैदा कर रही

सीमा हैदर की एंट्री को लेकर कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं। बताया जा रहा है कि कुछ जांच एजेंसियों ने जेल में सीमा से पूछताछ की है। पाकिस्तान से चार बच्चों को लेकर आई सीमा हैदर की काबलियत और कुछ हरकतें शक पैदा कर रही हैं। इस वजह से कहीं वह आईएसआई एजेंट तो नहीं, इसका जवाब अभी नहीं मिल पाया है। पुलिस ने इस सवाल को केंद्रीय एजेंसियां के पाले में डाल दिया है। 

पांचवीं पास सीमा कंप्यूटर और मोबाइल चलाने में है एक्सपर्ट

खास बात यह है कि पांचवीं पास सीमा हैदर हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू भाषा का अच्छा ज्ञान रखती है। इसके अलावा वह कंप्यूटर और मोबाइल चलाने में भी एक्सपर्ट है और इनकी बारीकियों की जानकारी रखती है। इस लव स्टोरी में एक सवाल ये भी उठता है कि आखिर एक सामान्य सी महिला को पब्जी खेलने और उसके जरिए किसी से बात करने की समझ कहां से आई। सीमा और सचिन ने पुलिस को जो कहानी बताई है उससे ये तो साफ है कि सीमा को टेक्नोलॉजी और फोन का इस्तेमाल सही तरीके से कब और कैसे किया जाता है इसके बारे में बाखूबी पता है। 

जांच के दौरान मिले दस्तावेज बढ़ा रहे शक

जांच के दौरान पुलिस को सीमा के पास से फर्जी आधार कार्ड मिले थे। इसी आधार कार्ड को एडिट कर इसमें सीमा को सचिन का पति बताया गया था। सीमा हैदर के पास से मिले दस्तावेज भी उस पर शक के दायरे को बढ़ा रहे हैं। सीमा के उम्र संबंधी बयान में गड़बड़ी सामने आई है। सीमा के पहचान पत्र में जन्मतिथि 1 जनवरी 2002 है। इस हिसाब से सीमा हैदर अभी 21 साल की है, लेकिन सीमा अपनी उम्र 27 साल बताती है। ऐसे में साफ है कि या तो सीमा झूठ बोल रही है या उसका पहचान पत्र फर्जी है। सीमा हैदर के पास से 4 बर्थ सर्टिफिकेट बरामद हुए हैं। इसके अलावा 3 आधार कार्ड और 6 पासपोर्ट बरामद किए हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि सीमा के पास इतने बर्थ सर्टिफिकेट और पासपोर्ट क्यों थे। 

पुलिस को सीमा के पास से कई मोबाइल फोन मिले

सवाल ये भी है कि पुलिस को सीमा के पास से कई मोबाइल फोन भी मिले हैं। ये मोबाइल पूरी तरह से टूटे हुए हैं। एक फोन में तो पाकिस्तान का सिम भी लगा है। ऐसे में सवाल उठता है कि सीमा को इतने सारे फोन इस्तेमाल करने की जरूरत क्यों पड़ गई थी और अगर उन्होंने इन फोन का इस्तेमाल किया भी था तो इसे तोड़ा क्यों गया? सीमा हैदर से बरामद मोबाइल फोन से कई चैट भी डिलीट की गई है। पुलिस चैट भी डिलीट करने को लेकर भी पूछताछ कर रही है। इसके साथ ही कोशिश की जा रही है कि चैट को रिकवर किया जा सके।

पाकिस्तानी आर्मी से कनेक्शन

सीमा हैदर का पाकिस्तानी आर्मी से भी कनेक्शन सामने आया है। सीमा के अनुसार उसका भाई 2022 में पाकिस्तान आर्मी में भर्ती हुआ था। सीमा ने रिपब्लिक भारत को बताया कि उसका भाई सिपाही के पद पर भर्ती हुआ था और अब हवलदार है।

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Jul 12 2023, 15:03

कैंसर की दवा पर नो टैक्स, सिनेमा हॉल में सस्ता खाना, जान लीजिए GST काउंसिल की बैठक में आम आदमी के लिए और क्या क्या लिए गए बड़े फैसले, इन चीजों प

जीएसटी काउंसिल की बैठक मंगलवार को हुई थी। जीएसटी काउंसिल की 50वीं बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए। इस बैठक में आम आदमी के हित में कई बड़े फैसले भी लिए गए। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की। बैठक में जीएसटी काउंसिल ऑनलाइन गेमिंग, घुड़दौड़ और कैसीनो पर 28 फीसदी जीएसटी लगाने पर सहमत हो गई है। जीएसटी काउंसिल की बैठक में यह भी तय किया गया है कि कैंसर की इंपोर्टेड दवा पर जीएसटी नहीं लगेगा।

सिनेमाघरों में सस्ता खाना

काउंसिल की बैठक में जीएसटी ट्रिब्यूनल के गठन को भी मंजूरी दी गई है। इसके अलावा बैठक में तय किया गया है कि सिनेमाघरों में खाने पाने के सामानों पर टैक्स को 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया गया है। यानी अब सिनेमाघरों में खाने पीने की चीजें सस्ती हो जाएंगी।

कैंसर की दवाओं पर नहीं लगेगा टैक्स

50वीं जीएसटी परिषद की बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जीएसटी परिषद ने कैंसर से संबंधित दवाओं, दुर्लभ बीमारियों की दवाओं और विशेष चिकित्सा उद्देश्यों के लिए खाद्य उत्पादों को जीएसटी कर से छूट दी है।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आयोजित जीएसटी परिषद की बैठक में सभी राज्यों एवं केंद्र शासित क्षेत्रों के वित्त मंत्री भी शामिल हुए। बैठक में फैसला लिया गया कि ऑनलाइन गेमिंग, कैसीनो और घुड़दौड़ स्पर्धाओं में दांव पर लगाई जाने वाली कुल राशि पर 28 फीसदी की दर से कर लगाया जाएगा। वित्त मंत्री सीतारमण ने बैठक खत्म होने के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि जीएसटी परिषद ने ऑनलाइन गेमिंग, कैसीनो और घुड़दौड़ पर गठित मंत्रियों के समूह की अनुशंसा के आधार पर 28 फीसदी टैक्स लगाने का फैसला किया है।

जीएसटी काउंसिल की 50वीं बैठक में कच्चे या बिना तले हुए एक्सट्रूडेड स्नैक पैलेट पर जीएसटी दरें 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दी गई है। मछली में घुलनशील पेस्ट पर दरें 18 फीसदी से घटकर 5 फीसदी कर दी गई है। इसके अलावा नकली जरी धागों पर दरें 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दी गई है।

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Jul 12 2023, 15:02

उत्तराखंड : केदारनाथ के लिए 3000 से अधिक यात्री रवाना, मौसम अत्यधिक खराब होने पर यात्रा रोकने के निर्देश, भक्तों के उत्साह में नहीं अाई कोई कमी

उत्तराखंड में आज भी मौसम बिगड़ा हुआ है। हालांकि केदारनाथ यात्रा सुचारू है। सुबह 11 बजे तक 3000 से अधिक यात्री सोनप्रयाग से केदारनाथ के लिए रवाना हुए। आईजी गढ़वाल करन नगनियाल ने बताया है कि अभी मौसम वहां ठीक है इसलिए यात्री भेजे जा रहे हैं। मौसम खराब होने पर यात्रा रोकने के निर्देश दिए गए हैं।

भारी बारिश के बाद भी 24 हजार श्रद्धालुओं ने किए दर्शन

प्रदेश में पिछले चार-पांच दिनों से जारी भारी बारिश के बाद भी हेमकुंड सहित चारधाम जाने वाले श्रद्धालुओं के उत्साह में कोई कमी नहीं आई है। मंगलवार को भी 24 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने हेमकुंड और चारधाम के दर्शन किए।

बीकेटीसी की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, मंगलवार को बदरीनाथ धाम में 5583 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए तो 6697 श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शनों को पहुंचे। वहीं गंगोत्री में 8708 और यमुनोत्री में 2034 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। जबकि 1370 श्रद्धालु हेमकुंड सहिब पहुंचे। इस तरह से हेमकुंड और चारों धामों में 24 हजार 392 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए।

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Jul 12 2023, 14:59

महाराष्ट्र में अब मंत्रालय पर घमासान, अजित पवार बने डिप्टी सीएम जबकि अन्य विधायकों को कोई पोर्टफोलियो एलॉट नहीं होने से मंत्री पद को लेकर मची रा

महाराष्ट्र में अजित पवार गुट के विधायकों ने शिंदे सरकार में शपथ तो ले ली है। लेकिन मंत्रालय के बंटवारे पर अभी भी पेंच फंसा है। जानकारी के मुताबिक सोमवार देर रात मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और दोनों डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के बीच इसको लेकर चर्चा हुई। बता दें कि अजित पवार और उनके साथ आए अन्य आठ विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाए नौ दिन बीत चुके हैं। अजित पवार को डिप्टी सीएम का पद दिया गया है, जबकि अन्य विधायकों को कोई पोर्टफोलियो एलॉट नहीं हुआ है। ऐसे में मंत्री पद को लेकर रार मचनी शुरू हो गई है।

कहां अटक रही बात

नए मंत्री बने एनसीपी विधायकों के साथ-साथ मंत्री बनने की चाहत रखने वाले शिवसेना और भाजपा विधायक भी सीएम शिंदे पर दबाव बनाए हुए हैं। यह सभी चाहते हैं कि कैबिनेट विस्तार जल्द से जल्द हो, ताकि उन्हें अपने विभागों के बारे में अध्ययन कर सके। साथ ही फ्लोर टेस्ट के दौरान होने वाले सवालों के जवाब के लिए भी तैयारी कर सकें। अगर सूत्रों की मानें तो सारी बात पोर्टफोलियो के बंटवारे को लेकर अटकी हुई है। इसकी वजह यह है कि मंत्री पद चाहने वालों की संख्या उपलब्ध पोर्टफोलियो से कहीं ज्यादा है।

अजित पवार की मांग

हाल ही में डिप्टी सीएम बने अजित पवार, गृह, वित्त या शहरी विकास में से कोई एक अहम मंत्रालय मांग रहे हैं। बता दें कि पवार उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकर में वित्त मंत्री थे। साल 2022 में जब एकनाथ शिंदे ने शिवसेना से बगावत की थी तो उन्होंने अजित पवार द्वारा फंड बांटने में की जा रही मनमानी को इसकी प्रमुख वजह बताया था। फडणवीस, पवार को गृह मंत्रालय देने के इच्छुक नहीं हैं तो शिंदे उनके साथ शहरी विकास मंत्रालय में हिस्सेदारी नहीं बंटाना चाहते। इस बात की संभावना भी बन रही है कि पवार को ऊर्जा और राजस्व मंत्रालय दिया जा सकता है। यह दोनों भी बेहद अहम विभाग हैं, जो अभी भाजपा के पास हैं। न्यूज 18 के मुताबिक सूत्रों का यह भी कहना है कि पवार ने अपने विधायकों के लिए सिंचाई, ग्रामीण विकास, पर्यटन, सामाजिक न्याय, महिला और बाल विकास के साथ-साथ एक्साइज विभाग की भी मांग की है।

अगले दो दिन में कैबिनेट विस्तार

जानकारी के मुताबिक शिंदे और फडणवीस अपने विधायकों के साथ कई दौर की बैठक कर चुके हैं। इसमें किसे मंत्रालय में जगह मिलेगी और कौन सा विभाग मिलेगा इस पर चर्चा हुई है। एक वरिष्ठ भाजपा नेता के मुताबिक अगले दो दिनों में कैबिनेट विस्तार हो सकता है। 

हालांकि महाराष्ट्र में अधिकतम कैबिनेट मंत्रियों की संख्या 43 ही है। ऐसे में संभावना है कि भाजपा, शिवसेना और एनसीपी से पांच-पांच मंत्री शपथ लेंगे। साथ ही इस नेता ने यह भी बताया कि मंत्रालय में राज्य मंत्री का पद होने की संभावना बेहद कम है। जो भी शपथ लेगा वह कैबिनेट मंत्री बनेगा। उन्होंने इस बात का भी संकेत दिया कि प्रदर्शन के अलावा शिंदे और फडणवीस जाति फैक्टर पर भी विचार कर सकते हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस बात की संभावना बेहद कम है कि पवार को वित्त, गृह, शहरी विकास और सिंचाई विभाग दिया जा सकता है।

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Jul 12 2023, 14:57

10 साल बाद फिर प्रकृति ने दोहराया इतिहास, जलप्रलय के बीच 'महादेव के चमत्कार' ने किया हैरान, डिटेल में पढ़िए, पूरी खबर

हिमाचल प्रदेश के ऊपर आसमान से जो आफत बरस रही है। यह 10 वर्ष पहले 15-17 जून 2013 को केदारनाथ हादसे के समय जैसी ही है। सोशल मीडिया में कई वीडियो वायरल हो रहे हैं जिनमें उफनती ​नदियों को सब कुछ बहाकर ले जाते हुए देखा जा सकता है। लेकिन इस जल प्रलय के बीच भी हिमाचल प्रदेश के मंडी का 300 साल पुराना शिव मंदिर खड़ा है। इस मंदिर ने लोगों को 2013 के केदारनाथ आपदा की याद दिला दी है जब इस तरह जल सैलाब के बीच भी मंदिर सुरक्षित रहा था। इस महाप्रलय में लाशों के ढेर लग गए थे। हजारों लोगों की मौत हो गई थी। जबकि हजारों लोग लापता हो गए थे, जिनका आज भी कुछ पता नहीं चल पाया है। 2013 में केदारनाथ में आई विनाशकारी बाढ़ और भूस्खलन के सामने, अटूट शक्ति और लचीलेपन का प्रतीक उभरा था- केदारनाथ मंदिर। भारत के उत्तराखंड की गढ़वाल हिमालय श्रृंखला में 3,583 मीटर (11,755 फीट) की ऊंचाई पर स्थित, केदारनाथ मंदिर सबसे प्रतिष्ठित हिंदू तीर्थ स्थलों में से एक है। भगवान शिव को समर्पित, ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण महाभारत महाकाव्य के पांडवों द्वारा किया गया था। केदारनाथ घाटी की मनमोहक प्राकृतिक सुंदरता के बीच स्थित, मंदिर का सुदूर स्थान इसकी रहस्यमय आभा और आध्यात्मिक आकर्षण को बढ़ाता है।

केदारनाथ में आपदा का प्रहार:

जून 2013 में मूसलाधार बारिश और उसके बाद अचानक आई बाढ़ ने केदारनाथ को तबाह कर दिया और अपने पीछे विनाश का निशान छोड़ दिया। इमारतें बह गईं, पुल ढह गए और परिदृश्य बदल गए। चूँकि यह क्षेत्र अकल्पनीय तबाही से जूझ रहा था, केदारनाथ मंदिर का अस्तित्व अराजकता के बीच आशा और लचीलेपन की किरण के रूप में सामने आया। केदारनाथ मंदिर, हालांकि आपदा से अछूता नहीं रहा, फिर भी प्रकृति की क्रूर शक्तियों का सामना करने में कामयाब रहा। मुख्य मंदिर सहित मंदिर परिसर, आस-पास के क्षेत्रों में व्याप्त जलप्रलय की जबरदस्त शक्ति को चुनौती देते हुए, बरकरार रहा। कई भक्त और स्थानीय लोग मंदिर के जीवित रहने का श्रेय दैवीय हस्तक्षेप को देते हैं और इसे भगवान शिव की सुरक्षा का प्रमाण मानते हैं। पवित्र स्थल से जुड़ी अटूट आस्था और श्रद्धा प्रभावित समुदायों के लिए सांत्वना और प्रेरणा का स्रोत रही है। 

केदारनाथ में हुई इस त्रासदी का कारण:

केदारनाथ त्रासदी विभिन्न कारकों की जटिल परस्पर क्रिया का परिणाम थी। जबकि प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी करना और उन्हें रोकना स्वाभाविक रूप से कठिन है, कुछ तत्वों ने इस विशेष मामले में विनाश के पैमाने को बढ़ा दिया है। कुछ प्रमुख योगदान कारकों में शामिल हैं।

अभूतपूर्व वर्षा:

इस क्षेत्र में अभूतपूर्व मात्रा में वर्षा हुई, जो औसत मानसून वर्षा से काफी अधिक थी। अचानक आई बाढ़ ने प्राकृतिक जल निकासी प्रणालियों को प्रभावित कर दिया और नदियों और झरनों में बाढ़ आ गई।

बादल फटना:

बादल फटना एक मौसम संबंधी घटना है जिसमें थोड़े समय के भीतर तीव्र और स्थानीय बारिश होती है। केदारनाथ के नजदीक बादल फटने की घटना ने वर्षा की तीव्रता को और बढ़ा दिया, जिसके परिणामस्वरूप विनाशकारी बाढ़ आई।

भूवैज्ञानिक भेद्यता:

 हिमालय क्षेत्र अपनी भूवैज्ञानिक अस्थिरता के लिए जाना जाता है। खड़ी ढलानें और नाजुक चट्टानें इसे भूस्खलन के प्रति संवेदनशील बनाती हैं, खासकर भारी वर्षा के दौरान। अत्यधिक वर्षा और अस्थिर इलाके के संयोजन ने भूस्खलन और उसके बाद होने वाले नुकसान के खतरे को काफी बढ़ा दिया है।

अनियमित विकास:

सुरक्षा दिशानिर्देशों और पर्यावरणीय विचारों के उचित पालन के बिना इमारतों, होटलों और अन्य बुनियादी ढांचे के बेतरतीब निर्माण ने त्रासदी के प्रभाव को बढ़ा दिया है। क्षेत्र में अप्रतिबंधित विकास ने प्राकृतिक जल निकासी प्रणालियों से समझौता किया, नदी मार्गों को बाधित किया और आपदा के परिणामों को बदतर बना दिया।

परिणाम और पुनर्वास प्रयास:

केदारनाथ त्रासदी के बाद, ध्यान बचाव और पुनर्वास कार्यों पर केंद्रित हो गया। अनगिनत जिंदगियों की हानि और बुनियादी ढांचे को व्यापक क्षति के कारण विभिन्न हितधारकों से तत्काल और समन्वित प्रयासों की आवश्यकता थी। पुनर्वास प्रक्रिया के कुछ प्रमुख पहलू यहां दिए गए हैं।

बचाव अभियान:

 भारत सरकार, सशस्त्र बल और कई संगठन फंसे हुए व्यक्तियों को बचाने और चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए तेजी से जुटे। बचाव टीमों के वीरतापूर्ण प्रयासों ने विपरीत परिस्थितियों में मानवता के लचीलेपन और करुणा का प्रदर्शन करते हुए कई लोगों की जान बचाई।

पुनर्निर्माण और बुनियादी ढांचे का विकास:-

टूटे हुए बुनियादी ढांचे का पुनर्निर्माण एक महत्वपूर्ण कार्य था। सरकार ने सुरक्षा नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए क्षतिग्रस्त सड़कों, पुलों और इमारतों के पुनर्निर्माण के लिए महत्वपूर्ण संसाधन आवंटित किए। बेहतर योजना और आपदा प्रबंधन रणनीतियों के माध्यम से भविष्य की आपदाओं के प्रति क्षेत्र की लचीलापन बढ़ाने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया।

पारिस्थितिक संरक्षण:

क्षेत्र की पारिस्थितिक नाजुकता को पहचानते हुए, प्राकृतिक संतुलन को बहाल करने और आगे की गिरावट को रोकने के लिए ठोस प्रयास किए गए। केदारनाथ और उसके आसपास के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिए वनीकरण पहल, मिट्टी संरक्षण उपाय और टिकाऊ पर्यटन प्रथाओं को लागू किया गया था।

त्रासदी से सीखना: आपदा तैयारी को मजबूत करना

केदारनाथ त्रासदी ने एक चेतावनी के रूप में कार्य किया, जिसने मजबूत आपदा तैयारियों और शमन उपायों की आवश्यकता को रेखांकित किया। इस विनाशकारी घटना से सीखे गए सबक ने अधिकारियों और समुदायों को निम्नलिखित को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित किया है।

प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली

 उन्नत मौसम विज्ञान और जल विज्ञान निगरानी प्रणालियों में निवेश करने से समय पर अलर्ट मिल सकता है, जिससे समुदायों को खाली करने और जीवन की हानि को कम करने में मदद मिल सकती है।

बुनियादी ढांचे का लचीलापन

 ऐसी इमारतों और बुनियादी ढांचे का निर्माण करना जो प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर सकें, महत्वपूर्ण है।

हिमाचल प्रदेश

वही बात अब यदि हिमाचल प्रदेश की करे तो हिमाचल प्रदेश में भी जल प्रलय के बीच भी जल प्रलय के बीच भी हिमाचल प्रदेश के मंडी का 300 साल पुराना शिव मंदिर खड़ा है। अब तक राज्य को कुल 4000 करोड़ का नुकसान हुआ है। भूस्खलन और बाढ़ से 20 व्यक्तियों की मौत हो चुकी है। आने वाले 10 दिनों तक सभी प्रशासनिक अफसरों को अलर्ट रहने के निर्देश जारी किए गए हैं। राहत और बचाव कार्यो के लिए कई जगहों पर हेलीकॉप्टर की मदद ली जा रही है। कुल्लू सहित लाहौल स्पीति और चन्द्रतल इलाके में लगभग 229 पर्यटकों के फँसे होने की सूचना है, जिन्हें सुरक्षित बाहर निकालने के प्रयास किए जा रहे हैं।

वही जलप्रलय के बीच केदारनाथ मंदिर और ऐतिहासिक पंचवक्त्र मंदिर का जीवित रहना इसके स्थायी आध्यात्मिक महत्व और मानवीय भावना के लचीलेपन का प्रमाण है। यह आशा की किरण के रूप में कार्य करता है, व्यक्तियों को विपरीत परिस्थितियों से उबरने और आपदा के बाद अपने जीवन का पुनर्निर्माण करने के लिए प्रेरित करता है। मंदिर का अस्तित्व आस्था, संस्कृति और प्रकृति की ताकतों का सामना करने की क्षमता के बीच गहरे संबंध की याद दिलाता है।

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Jul 12 2023, 14:08

बेंगलुरु में विपक्षी दलों के जुटान से पहले सोनिया गांधी ने रखा डिनर, जानें किन राजनीतिक पार्टियों को मिला निमंत्रण

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2024 लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के खिलाफ विपक्ष एकजुट होने की कोशिश में लगा है।इसी क्रम में 17-18 जुलाई को बेंगलुरु में विपक्षी दलों की दूसरे राउंड की बैठक होनी है। बीजेपी के खिलाफ विपक्ष का कुनबा इस बार और बड़ा होने वाला है।दरअसल, बीजेपी के खिलाफ बन रहे गठबंधन में आठ नई पार्टियां शामिल हो गई हैं।इस बैठक में सोनिया गांधी के भी शामिल होने की संभावना है। उससे पहले खबर आ रही है कि सोनिया गांधी ने विपक्षी दोलों की महाबैठक से पहले डिनर का आयोजन किया है।

कांग्रेस की ओर से बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक के लिए 24 पार्टियों को आमंत्रित किया गया है, जिसमें आम आदमी पार्टी भी शामिल है। कांग्रेस ने आप को भी कॉल करके मीटिंग में शामिल होने के लिए बुलाया है। बेंगलुरु में मीटिंग से एक दिन पहले डिनर रखा गया है। सोनिया गांधी द्वारा तमाम विपक्षी पार्टियों को डिनर पर बुलाने को विपक्षी दलों को एक जुट करने और विपक्षी एकता को और मजबूत करने की दिशा में प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है।

इन पार्टियों को भी भेजा गया निमंत्रण

सूत्रों के मुताबिक इस बार की मीटिंग में 8 और पार्टियां भी शामिल होने वाली हैं। ये वही पार्टियां हैं, जो बेंगलुरू की बैठक में शामिल हो रही हैं। इनमें मरूमलारची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एमडीएमके), कोंगु देसा मक्कल काची (केडीएमके), विदुथलाई चिरुथिगल काची (वीसीके), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी), ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल), केरल कांग्रेस (जोसेफ) और केरल कांग्रेस (मणि) उन शामिल हैं। मालूम हो कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में केडीएमके और एमडीएमके भाजपा नीत एनडीए में शामिल थे। 

पहली बैठक में 16 दलों ने लिया था हिस्सा

23 जून को बिहार के पटना में विपक्ष की पहली बड़ी बैठक हुई थी, जिसकी अगुवाई मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की थी। इस बैठक में 16 दलों ने हिस्सा लिया था, यानी पहली और दूसरी बैठक के बीच विपक्षी एकता में 8 अन्य दल भी जुड़ गए हैं।

सोनिया गांधी भी शामिल होंगी

बेंगलुरु की बैठक में सोनिया गांधी शामिल होंगी, जो कांग्रेस की एक ओर से विपक्षी एकता को सीरियसली लेने का एक बड़ा संदेश है। बढ़ती उम्र और बीमार रहने की वजह से सोनिया गांधी अब सार्वजनिक मंचों पर कम ही दिखाई पड़ती हैं, ऐसे में सोनिया का यहां शामिल होना सभी पार्टियों के लिए कांग्रेस की ओर से अहम संदेश जाता है। पटना में हुई पहली विपक्षी बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ राहुल गांधी शामिल हुए थे।

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Jul 12 2023, 10:51

भारी बारिश से पहाड़ों से लेकर मैदानी इलाकों तक हाहाकार, आसमान से आई आफत ने ली 100 से अधिक जानें, सबसे ज्यादा हिमाचल में 80 लोगों की मौत

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उत्तर भारत में पिछले तीन दिनों से बारिश का सिलसिला जारी है। सबसे ज्यादा तबाही हिमाचल में हुई है। दिल्ली में यमुना नदी खतरे के निशान के ऊपर बह रही है। बारिश और बाढ़ से संबंधित घटनाओं में देशभर में 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें सबसे ज्यादा हिमाचल प्रदेश में 80 लोगों की जान गई है। मौसम विभाग ने आज भी कई राज्यों में अलर्ट जारी किया है।

पहाड़ी राज्य समेत उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में पिछले हफ्ते बारिश शुरू हुई थी, जिससे बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान हुआ है। कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर बढ़ गईं।आईएमडी वैज्ञानिक जेनामणि ने कहा कि पश्चिमी विक्षोभ और मानसूनी हवा के संयोजन के कारण उत्तर में भारी बारिश हुई। यह पूर्व की ओर बढ़ गया है और आने वाले दिनों में उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में बारिश होगी। हमें उम्मीद है कि बंगाल की खाड़ी में दबाव बनने के साथ कुछ दिनों में दक्षिणी भारत में बारिश फिर से शुरू होगी।

हिमाचल प्रदेश में 80 लोगों की जान गई

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में बारिश और बाढ़ से संबंधित घटनाओं के कारण 80 लोगों की जान चली गई और 92 अन्य घायल हो गए। लगातार बारिश और बर्फबारी के कारण लगभग 300 लोग अभी भी ऊंचे इलाकों में फंसे हुए हैं। इनमें अधिकतर पर्यटक हैं। मूसलाधार बारिश ने राज्य को बुरी तरह से तबाह कर दिया है, जिससे 79 घर नष्ट हो गए और 333 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गए। बाढ़ के कारण राज्य को करीब 1,050 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। राज्य में 41 स्थानों पर भूस्खलन की घटनाएं हुई हैं, जबकि एक स्थान पर बादल फटा है। उफनती नदियों और लगातार बारिश के कारण अचानक आई बाढ़ ने अब तक 29 स्थानों को अपनी चपेट में ले लिया है। 

पंजाब-हरियाणा-उत्तराखंड में भी हाहाकार

हिमाचल के अलावा, पंजाब और हरियाणा में कुछ हिस्सों में बारिश के कारण 15 लोगों की जान चली गई। पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में पिछले 24 घंटों में पहाड़ों से गिरे पत्थरों के कारण हुए भूस्खलन में 9 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई और 13 अन्य घायल हो गए।

यूपी में अगले पांच दिनों तक बारिश का अलर्ट

उत्तर प्रदेश के अधिकांश जिलों में बारिश का सिलसिला जारी है। मौसम विभाग में अगले पांच दिनों तक प्रदेश के अनेक हिस्सों में वर्षा होने की संभावना जतायी है। राज्य में पिछले 24 घंटों के दौरान बारिश संबंधित घटनाओं में तीन लोगों की मौत हो चुकी है। मौसम केंद्र लखनऊ की रिपोर्ट के मुताबिक अगली 15 जुलाई तक उत्तर प्रदेश के लगभग सभी जगहों पर बारिश होने का अनुमान है। इस दौरान राज्य के पश्चिमी हिस्सों में कई जगहों पर भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है।

राजस्थान के इन जिलों में होगी भारी बारिश

राजस्थान के कई इलाकों में बीते 24 घंटे में भारी से अधिक भारी बारिश हुई। मौसम विभाग के मुताबिक बुधवार को बारां, भरतपुर, बूंदी, धौलपुर, करौली, कोटा, सवाई माधोपुर जिलों में भारी बारिश के आसार हैं।

उत्तराखंड में जारी रहेगी बारिश

उत्तराखंड राज्य में कम से कम अगले दो दिनों तक बारिश की गतिविधियां जारी रहने की उम्मीद है। राज्य में कुछ तीव्र वर्षा की गतिविधियां भी होने की संभावना है। पर्यटकों को आने वाले दिनों में पहाड़ों पर जाने से बचना चाहिए। क्योंकि इतनी तेज बारिश के बाद भी जलस्त्रोत अनियमित व्यवहार करते रहेंगे।

दिल्ली में 45 साल का रिकॉर्ड टूटा

दिल्ली में यमुना खतरे के निशान 205.33 मीटर को पार कर गई, जिससे नदी के किनारे कई निचले इलाकों में पानी भर गया। जल स्तर खतरनाक रूप से उच्चतम स्तर 207.49 मीटर के निशान को छूने के करीब है, जो 1978 में दर्ज किया गया था। पुराने यमुना पुल पर सड़क और रेल यातायात दोनों बंद कर दिया गया है क्योंकि हरियाणा ने यमुनानगर में हथिनीकुंड बैराज से यमुना में अधिक पानी छोड़ा है।