पॉजिटिव न्यूज़: झारखंडी वनोत्पाद पियार बेचकर ग्रामीणों ने कमाया दस लाख , सेहत के खजाने के साथ देती है अच्छी आमदनी
बोकारो : पियार झारखंड का एक वनोत्पाद फल है, ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वालों के लिए यह आमदनी का एक अच्छा साधन भी है. गोमिया प्रखंड के सियारी गांव के ग्रामीण इस सीजन में करीब पचास क्विंटल पियार को बेचकर करीब दस लाख रुपये से अधिक की आमदनी की है.
सियारी पंचायत अंतर्गत डुमरी गांव के मंडई टोला, महतो टोला, छोटकी कोयोटांड़, बड़की कोयोटांड़, मंझलीटांड़, उदा, दवार, गंझू टोला, गोसे, बिरहोर टंडा, पकरिया टोला व ताला टोला के ग्रामीणों ने इस वर्ष पियार बेचकर अच्छी आमदनी की है. मंडई टोला के ग्रामीण बाबूचंद मांझी, उदा गांव के जिलिंग टोला निवासी बुधन मांझी, दवार गांव के छोटेलाल मांझी, मंझली टांड़ के निरुलाल मांझी ने बताया कि इस वर्ष पियार की अच्छी उपज हुई थी.
जिसे बेच कर उनकी आमदनी बढ़ी है. उन्होंने बताया कि मई महीने में पियार को जंगल से तोड़कर लाये और उसके बीज को साफ कर व्यापारी को बेचा।
क्या है पियार-
पियार एक तरह का फल है।. इसके कई नाम हैं जैसे खोरठा में पियार, संथाली में ताराअ और हिंदी में चिरौंजी के नाम से जाना जाता है।. जो झारखंड के जंगल में बहुतायत में मिलता है.अप्रैल व मई में होने वाला यह फल पकने पर इसका स्वाद खट्टा व मिठा होता है.
इसका रंग हल्का बैगनी होता है. इसके गुद्दे का खाकर इसके बीज को औषधीय गुणों के कारण जानकार अच्छी किमत पर इसे खरीदते हैं.15 से 20 दिनों तक खाने लायक रहने के कारण ग्रामीण व किसान कुछ अपने घर के लिए रखकर बाकी व्यापारी को बेच देते हैं. इस वर्ष पियार को 220 रुपये किलो की दर से बेचा गया.
पियार के खाने के हैं कई लाभ-
पियार औषधीय गुणों से भरपूर होता है. इसमें कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं।. इसके सेवन से पाचन तंत्र मजबूत होता है और जमा गंदगी को भी साफ करता है। इसके अलावा सर्दी, जुकाम के लिए भी फायदेमंद है. यह अल्सर को भी रोकने में मददगार साबित होता है.
वहीं शारीरिक कमजोरी को भी दूर करता है. वात, पित और कफ को भी सामान्य बनाए रखता है।. चरक संहिता में इसका वर्णन है कि मधुमेह रोग को भी सामान्य स्थिति में रखने में लाभदायक होता है.
आजीविका का साधन हो सकता है वनोत्पाद : मुखिया
सियारी पंचायत के मुखिया रामबृक्ष मुर्मू ने कहा कि झारखंड के जंगलों में कई उत्पाद हैं। जो आमदनी का साधन हो सकता है, लेकिन ग्रामीणों के लिए वैसा बाजार नहीं जिसे वे सही मूल्य पर बेच सके।पर्यावरणविद गुलाब चंद्र पिछले कई सालों से सियारी पंचायत में ग्रामीणों को खेती और वनोत्पाद के उपज पर काम कर रहें हैं। उन्होंने बताया कि झारखंड सरकार यदि ऐसे वनोत्पाद को सीधे खरीदारी करती तो ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए आसानी होती. इसके साथ ही सरकार को सभी वनोत्पाद के उपज पर एमएसपी तय करनी चाहिए..सरकार इस फल को प्रोत्साहीत कर इसका प्रोसेसिंग यूनिट लगाए तो यह ग्रामीणों के लिए आजीविका का साधन बन सकता है.
Jul 06 2023, 11:08