अंतरराष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस'पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों ने विश्व की नई पीढ़ी से की यह अपील।

विश्व स्तर पर नशा निरोधक को आगे आए विश्व की नई पीढ़ी।
अंतरराष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस'पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों ने विश्व की नई पीढ़ी से की अपील।
इस अवसर पर परिचर्चा का हुआ आयोजन जिसका विषय था "आधुनिक समाज के नई पीढ़ी में नशीली पदार्थों का सेवन , इसके विभिन्न प्रकार एवं दुष्परिणाम"।
आज दिनांक 26 जून 2023 को सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में अंतरराष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस पर एक भव्य सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम एवं परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसका विषय था,"आधुनिक समाज के नई पीढ़ी में नशीली पदार्थों का सेवन, इसके विभिन्न प्रकार एवं दुष्ट परिणाम"।
इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय पीस एंबेस्डर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता, डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड ,अमित कुमार लोहिया, डॉ शाहनवाज अली ,पश्चिम चंपारण कला मंच की संयोजक शाहीन परवीन , मदर ताहिरा चैरिटेबल ट्रस्ट की निदेशक एस सबा ने संयुक्त रूप से दुनिया भर में उन लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की जिन्होंने नशीली वस्तुओं के सेवन के बाद अपने प्राण खोये। इस अवसर पर आयोजित परिचर्चा में डॉ एजाज अहमद एवं डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल ने संयुक्त रूप से कहा कि आज भारत समेत पूरे विश्व में कोरोना वायरस संक्रमण के बाद नई पीढ़ी में मादक द्रव्यों के सेवन की घटनाएं बढ़ी हैं। समाज में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता लाने के लिए
हर वर्ष 26 जून को 'अंतरराष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस' मनाया जाता है। नशीली वस्तुओं एवं पदार्थों के निवारण के लिए 'संयुक्त राष्ट्र महासभा' ने 7 दिसंबर 1987 को यह प्रस्ताव पारित किया था । तभी से हर साल लोगों को नशीले पदार्थों के सेवन से होने वाले दुष्परिणामों के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से इसे हर वर्ष मनाया जाता है।
नशा, एक ऐसी बीमारी है जो कि युवा पीढ़ी को लगातार अपनी चपेट में लेकर उसे कई तरह से बीमार कर रही है।
शराब, सिगरेट, तम्बाकू एवं ड्रग्स जैसे जहरीले पदार्थों का सेवन कर युवा वर्ग का एक बड़ा हिस्सा नशे का शिकार हो रहा है। आज फुटपाथ , रेल्वे प्लेटफार्म एवं गंदी बस्तियों में पर रहने वाले बच्चे भी नशे की चपेट में आ चुके हैं। उदाहरण स्वरूप बेतिया पश्चिम चंपारण के औरंगाबाग के निकट अनेक बच्चे मादक पदार्थों के सेवन में संलिप्त हैं। यह समाज एवं राष्ट्र की नैतिक जिम्मेदारी है कि समाज एवं राष्ट्र के धरोहर नई पीढ़ी को नशे के दलदल से बाहर निकाला जाए।
नशे के तौर पर नई पीढ़ी व्हाइटनर, नेल पॉलिश, पेट्रोल आदि की गंध, ब्रेड के साथ विक्स एवं झंडु बाम का सेवन किये जा रहे है ।
नशे की लत ने नई पीढ़ी को उस स्तर पर लाकर खड़ा कर दिया है कि अब व्यक्ति मादक पदार्थों के सेवन के लिए किसी भी हद तक जा सकता है, वह नशे के लिए जुर्म भी कर सकता है। नशे के मामले में महिलाएं भी पीछे नहीं है। महिलाओं द्वारा भी मादक पदार्थों का बहुत अधिक मात्रा में सेवन किया जाता है।
व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन में तनाव, प्रेम संबंध, दांपत्य जीवन व तलाक आदि कारण, महिलाओं में नशे की बढ़ती लत के लिए जिम्मेदार है।
शोधकर्ताओं के अनुसार हर वह चीज जो आपको जिसकी आपको लत लग जाए, नशे की श्रेणी में ही आता है। ऐसी ही कुछ आदतें हैं
जिन्हें छोड़ना बेहद मुश्किल होता है जैसे - मादक पदार्थों के अलावा चाय, काफी, वर्तमान समय के नवीन यंत्र जैसे - विडियो गेम्स, स्मार्ट फोन, फेसबुक आदि का ज्यादा मात्रा में उपयोग भी नशे की श्रेणी में आते है। अवसर पर वक्ताओं ने नई पीढ़ी से आह्वान करते हुए कहा कि हमें नशे से बाहर निकलना होगा ताकि आने वाली नई पीढ़ी को हम खुशहाल विश्व दे सकें जिसका सपना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्माताओं एवं हमारे पुरखों ने देखा था।
Jun 30 2023, 15:04