टीएस सिंहदेव बनाए गए छत्तीसगढ़ उपमुख्यमंत्री, जानें चुनावी साल में कांग्रेस ने क्यों लिया फैसला
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छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस पार्टी ने मुख्यमंत्री पद के दावेदार रहे टीएस सिंहदेव को उप मुख्यमंत्री बनाने का फ़ैसला किया है। बुधवार को दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से करीब 5 महीने पहले कांग्रेस ने बड़ा फैसला लिया है।
डैमेज कंट्रोल की कोशिश
छत्तीसगढ़ में दिसबंर 2018 में जब कांग्रेस पार्टी बहुमत में आई, उस समय मुख्यमंत्री पद पर भले भूपेश बघेल की ताजपोशी हो गई लेकिन यह बात लगातार चर्चा में बनी रही कि ढाई साल बाद राज्य में टीएस सिंहदेव को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। ढाई साल की मियाद पूरी होने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर से लेकर दिल्ली तक, कई-कई दौर में शक्ति प्रदर्शन किए और अंततः टीएस सिंहदेव को मुख्यमंत्री बनाने का फ़ैसला टलता चला गया।अब जब राज्य में पांच महीने बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, तब टीएस सिंहदेव को उप मुख्यमंत्री बनाया गया है। टीएस सिंहदेव को उपमुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस ने डैमेज कंट्रोल की कोशिश की है।
गुटबाजी को खत्म करने की कोशिश
बीते दिनों सरगुजा संभाग में कांग्रेस के संभागीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इस दौरान टीएस सिंहदेव के समर्थकों की नाराजगी खुलकर सामने आई थी। मंच पर भी ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री का भी जिक्र किया गया था। वहीं, स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा था कि कई राजनीतिक दलों ने उनसे संपर्क किया। उन्होंने कहा था कि बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व भी उनसे संपर्क में था। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि छत्तीसगढ़ में आपसी गुटबाजी को खत्म करने के लिए टीएस सिंहदेव को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है।
कांग्रेस ने बीजेपी के प्लान पर पानी फेरा
कांग्रेस ने अपने इस फैसले से बीजेपी के इरादों पर बी पानी फेर दिया है। टीएस सिंहदेव भूपेश बघेल को सीएम बनाए जाने के बाद से बगावती तेवर दिखाते रहे हैं। दरअसल, 13 जून को सिंहदेव ने अंबिकापुर में कांग्रेस के संभागीय सम्मेलन में यह बयान दिया था कि दिल्ली में उन्होंने बीजेपी के केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात की थी। उन्हें बीजेपी में शामिल होने का प्रस्ताव दिया गया है। लेकिन वह बीजेपी में नहीं शामिल होंगे। उनके इस बयान के बाद यह अटकलें लगने लगी थीं कि वह कांग्रेस छोड़ सकते हैं। अगर वह चुनाव से पहले पार्टी बदल लेते तो कांग्रेस को इसका भारी नुकसान उठाना पकड़ सकता था। इसके अलावा माना ये भी जा रहा था कि चुनाव के दौरान बीजेपी टीएस सिंहदेव का मुद्दा जनता के बीच लेकर जा सकती थी। कांग्रेस को भी इस बात की पूरी आशंका थी। यह मुद्दा उसके लिए घातक होता, उससे पहले ही पार्टी ने बीजेपी के प्लान पर पानी फेर दिया।
कांग्रेस आलाकमान ने सिंहदेव को डिप्टी सीएम बनाने का निर्णय रातोरात नहीं लिया। यह सोची समझी रणनीति है। इस पर कर्नाटक चुनाव से पहले लंबी चर्चा हुई थी।भले ही डिप्टी सीएम का पद असंवैधानिक है, इसके बावजूद सीएम बघेल द्वारा हाशिए पर धकेले गए सिंहदेव को कांग्रेस ने यह जिम्मेदारी देकर साधने की कोशिश की है।सिंहदेव लंबे वक्त से विरोधी रुख अपनाए हुए हैं, वे कई बार अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं। सचिन पायलट की नाराजगी के बीच सिंहदेव ने कहा था कि जब आलाकमान की ओर से किए हुए वादे पूरे नहीं किए जाते, तो दुख होता है। इतना ही नहीं टीएस सिंहदेव ने कहा था कि उन्हें लगता है कि उन्हें काम नहीं करने नहीं दिया जा रहा है।
Jun 29 2023, 16:19