कश्मीर का नालंदा से है गहरा रिश्ता, कश्मीरी चक में है अंतिम शासक के पति पत्नी का मजार
नालंदा : जिले के इस्लामपुर प्रखंड के कश्मीरीचक और बेसबक गांव का धरती के जन्नत कश्मीर से गहरा लगाव है| कश्मीर के अंतिम शासक युसूफ शाह का इतिहास यहां से जुड़ा हुआ है। वे अपनी ज़िंदगी का आखिरि लम्हा यहीं बिताया था।
इस बात को सबसे बड़ा प्रमाण है कि कश्मीरीचक में युसूफ शाह उनकी पत्नी हब्बा खातून का करीब 400 साल पुराना मजार है| जहां 1977 में जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्लाह भी आ चुके है| स्थानीय लोगों की मानें तो युसूफ शाह कश्मीर से ताल्लुक रखते थे और उनके नाम के आखिर में चक लगा हुआ है, इसलिए बेसबक गांव के पहले एक गांव है उस गांव नाम कश्मीरी चक रखा गया।
कश्मीरी चक का इतिहास मुगल शासक अकबर के ज़माने से जुड़ा हुआ है| गांव के बुज़ुर्गों की मानें तो मुगल शासक अकबर पूरे भारत के साथ आजाद कश्मीर पर भी फतह चाहते थे। इसलिए उन्होंने साल 1586 में अकबर ने अपने सैनिकों के साथ कश्मीर पर हमला करने की तैयारी शुरू की। कश्मीर के शासक युसूफ शाह चक को इस बात की सूचना मिली तो वह खुद अकबर से मिलने आगरा पहुंचे। अकबर से मुलाक़ात के बाद किसी वजह से दोनों की सहमति नहीं बन पाई। इसी दौरान युसुफ शाह चक को गिरफ्तार कर लिया गया। कई दिनों बाद अकबर ने इस शर्त के साथ युसूफ को रिहा किया कि वह लौटकर कश्मीर नहीं जाएंगे।
मुगल शासक अकबर से रिहाई मिलने के बाद युसूफ शाह ने इस्लामपुर (नालंदा) की तरफ़ रुख किया और कश्मीरीचक नाम से एक नगर बसाया, इसके बाद से वह यहीं के होकर रह गए। हालांकि इस मजार के विकास के लिए स्थानीय स्तर पर बिशेष ध्यान नहीं दिया गया| यहीं कारण है कि कश्मीर के राजनेताओं को आज भी अपने पूर्वजों को याद रखे हुए हैं| मगर आस पास के इलाके को छोड़ दें तो जिले के अन्य प्रखंडों के लोगों को इसकी जानकारी तक नहीं है|
पटना में 23 जून को विपक्षी एकता की बैठक में भाग लेने आये जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री व पीडीपी नेता महबूबा मुफ़्ती गुरूवार के देर शाम कश्मीरीचक गांव पहुंच कर मजार पर चादरपोशी कर डीएम से मजार के रख रखाव और विकास की बात कहीं|
नालंदा से राज
Jun 24 2023, 12:14