स्वतंत्रता सेनानी देशबंधु चित्तरंजन दास की पुण्यतिथि पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आ
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बेतिया: भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी देशबंधु चित्तरंजन दास की पुण्यतिथि पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन आज दिनांक 16 जून2023 को सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी देशबंधु चितरंजन दास के पुण्यतिथि पर एक सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया, जिसमें सभी धर्मों के लोगों ने भाग लिया।
इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय पीस एंबेस्डर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता, डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड ,डॉ शाहनवाज अली, डॉ अमित कुमार लोहिया, पश्चिम चंपारण कला मंच की संयोजक शाहीन परवीन , मदर ताहिरा चैरिटेबल ट्रस्ट की निदेशक एस सबा एवं अल बयान के संपादक डॉ सलाम ने संयुक्त रूप से भारत की महान स्वतंत्रता सेनानी देशबंधु चितरंजन दास को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आज ही के दिन 16 1925 को भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी देशबंधु चितरंजन दास का निधन हुआ था ।उनका सारा जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित रहा।वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, वकील पत्रकार एवं समाज सुधारक थे। राष्ट्र के प्रति उनके योगदान को देखते हुए सम्मान पूर्वक ‘देशबंधु’ कहा जाता था। एक महत्वपूर्ण राष्ट्रवादी नेता के साथ-साथ वो एक सफल विधि-शास्त्री भी थे।
स्वाधीनता आन्दोलन के दौरान उन्होंने ‘अलीपुर षड़यंत्र काण्ड’ (1908) के अभियुक्त अरविन्द घोष एवं विभिन्न अवसरों पर स्वतंत्रता सेनानियों का बचाव किया था। अन्य राष्ट्रवादियों एवं देशभक्तों की तरह इन्होंने भी ‘असहयोग आंदोलन’ के अवसर पर अपनी वकालत छोड़ दी एवं अपनी सारी संपत्ति मेडिकल कॉलेज तथा स्त्रियों के अस्पताल को दे डाला।
श्री दास के नेतृत्व में स्वराज्य पार्टी ने देश में इतना अधिक प्रभाव बढ़ा लिया कि तत्कालीन भारतमंत्री लार्ड बर्केनहैड के लिए भारत में सांविधानिक सुधारों के लिए चित्तरंजन दास से कोई न कोई समझौता करना ज़रूरी हो गया लेकिन दुर्भाग्यवश अधिक परिश्रम करने और जेल जीवन की कठिनाइयों को न सह सकने के कारण श्री चित्तरंजन दास बीमार पड़ गए और 16 जून, 1925 ई. को उनका निधन हो गया।
चित्तरंजन दास की मृत्यु के फलस्वरूप ब्रिटिश सरकार से वार्ता की बात समाप्त हो गई और भारतीय स्वाधीनता की समस्या के शान्तिमय समाधान का अवसर नष्ट हो गया। चित्तरंजन दास के निधन का शोक संम्पूर्ण देश में मनाया गया। सारे देशवासी उन्हें प्यार से 'देशबंधु' कहते थे।
Jun 17 2023, 09:51