*अब नहीं मिलेंगी जल्द आराम देने वाली 14 दवाएं, विशेषज्ञ समिति की सलाह के बाद सरकार ने किया बैन*

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केंद्र सरकार ने फौरन आराम देने वाली फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन (FDC) दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है। इनमें पेरासिटामोल और निमेसुलाइड जैसी प्रचुर मात्रा में बिकने वाली दवाएं भी शामिल हैं।ये दवाएं तुरंत आराम देती हैं लेकिन इनसे नुकसान का खतरा होता है। केंद्र स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक्सपर्ट कमेटी की राय पर ये फैसला लिया है।केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस संबंध में शुक्रवार को एक अधिसूचना जारी की थी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को इस आशय की अधिसूचना जारी की और बताया कि प्रतिबंधित दवाओं में सामान्य संक्रमण जैसे सर्दी खांसी, कफ, बुखार को ठीक करने वाली दवाएं शामिल हैं।

सरकार ने जारी कर दिया बयान

स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस मामले में एक अधिसूचना जारी करते हुए विशेषज्ञ समिति और औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड की सिफारिशों के आधार पर, इस बात से संतुष्टि जताई है कि जनहित के मद्देनजर इन दवाओं की बिक्री, डिस्ट्रिब्यूशन और मैन्युफैक्चरिंग पर बैन लगाना जरूरी है।

ये 14 कॉम्बिनेशन की दवाएं की गईं हैं प्रतिबंधित

प्रतिबंधित दवाओं में सामान्य संक्रमण, खांसी और बुखार के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं भी शामिल हैं, जिनमें निमेसुलाइड + पेरासिटामोल की गोलियां, क्लोरफेनिरामाइन मैलेट + कोडीन सिरप, फोलकोडाइन + प्रोमेथाज़िन, एमोक्सिसिलिन + ब्रोमहेक्सिन और ब्रोमहेक्सिन + डेक्सट्रोमेथॉर्फ़न + अमोनियम क्लोराइड + मेन्थॉल, पैरासिटामोल + ब्रोमहेक्सिन + जैसे संयोजन फिनाइलफ्राइन + क्लोरफेनिरामाइन + गुआइफेनेसिन और सालबुटामोल + ब्रोमहेक्सिन कॉम्बिनेशन को प्रतिबंधित कर दिया गया है।

इन दवाओं से हो सकता है खतरा

एक्सपर्ट कमेटी ने कहा कि इस एफडीसी के लिए कोई चिकित्सीय औचित्य नहीं है और इनमें इंसानों के लिए जोखिम शामिल हो सकता है। इसीलिए व्यापक जनहित में इनके निर्माण, वितरण और बिक्री पर ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक अधिनियम-1940 की धारा 26 के तहत प्रतिबंध लगाना जरूरी है।

क्या हैं एफडीसी दवाएं ?

एफडीसी दवाएं उन्हें कहा जाता है, जो दो या दो से अधिक दवाओं के मिश्रण से तैयार होती हैं। इन्हें कॉकटेल दवाएं भी कहा जाता है। 2016 में, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित एक विशेषज्ञ पैनल ने कहा था कि इन दवाओं को बिना वैज्ञानिक डेटा के रोगियों को बेचा जा रहा था। उस समय सरकार ने 344 ड्रग कॉम्बिनेशन के निर्माण, बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। अभी जिन दवाओं पर प्रतिबंध लगाया गया है, वे इसी कॉम्बिनेशन का हिस्सा हैं।

*जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती को तीन साल बाद जारी हुआ पासपोर्ट, लंबे समय से लड़ रही थीं कानूनी लड़ाई*

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पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को तीन साल बाद 10 वर्ष की वैधता वाला पासपोर्ट जारी किया गया है। दिल्ली उच्च न्यायालय में लंबी कानूनी लड़ाई के बाद महबूबा को पासपोर्ट मिल गया है। उनके पासपोर्ट की वैधता 2019 में समाप्त हो गई थी और वह तभी से इसके नवीनीकरण की मांग कर रही थीं।

महबूबा मुफ्ती को दिया गया पासपोर्ट 1 जून, 2023 से 31 मई, 2033 तक वैध है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस साल मार्च में पासपोर्ट प्राधिकरण को पीडीपी प्रमुख को नया यात्रा दस्तावेज जारी करने पर तीन महीने के भीतर फैसला करने को कहा था।

अदालत का आदेश महबूबा की उस याचिका पर आया था, जिसमें पासपोर्ट अधिकारियों को नया पासपोर्ट जारी करने के संबंध में उनकी अपील पर जल्द निर्णय लेने का निर्देश देने की मांग की गई थी। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने अपनी याचिका में कहा कि रिमाइंडर के बावजूद उन्हें नया पासपोर्ट जारी करने में काफी देरी हुई। उन्होंने कहा कि उनकी अपील पर कोई फैसला नहीं लिया जा रहा है।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस साल मार्च में पासपोर्ट प्राधिकरण से पीडीपी प्रमुख को नया यात्रा दस्तावेज जारी करने के लिए तीन महीने के भीतर फैसला लेने को कहा था। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने अपने आदेश में कहा था, ‘यह देखते हुए कि मामला पासपोर्ट अधिकारी को वापस भेज दिया गया है और प्रारंभिक अस्वीकृति दो साल पहले हुई थी, संबंधित पासपोर्ट अधिकारी को शीघ्रता से और किसी भी स्थिति में तीन महीने के भीतर निर्णय लेने दें।’

अदालत का यह आदेश मुफ्ती की उस याचिका पर आया था, जिसमें उन्होंने नया पासपोर्ट जारी करने के संबंध में उनकी अपील पर अधिकारियों को जल्द निर्णय लेने का निर्देश देने का अनुरोध किया था। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने याचिका में कहा था कि कई बार स्मरण-पत्र भेजे जाने के बावजूद उन्हें नया पासपोर्ट जारी करने में काफी देरी हुई।

महबूबा को ऐसे समय में पासपोर्ट जारी किया गया है, जब दो दिन बाद जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में उनकी बेटी इल्तिजा की याचिका पर सुनवाई होनी है, जिसमें उन्होंने खुद को देश विशिष्ट पासपोर्ट देने के पासपोर्ट कार्यालय के फैसले को चुनौती दी है।

बालासोर ट्रेन दुर्घटना का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, सुरक्षा मानकों की जांच के लिए आयोग का गठन करने की मांग

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ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार की शाम करीब 7 बजे हुए ट्रेन हादसे में 288 लोगों की मौत हुई है और एक हजार से अधिक घायल हो गए हैं। इस हादसे के बाद रेलवे के सुरक्षा इंतजाम पर सवाल उठ रहे हैं। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है।मामले की जांच को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ पैनल बनाया जाए, जो बालासोर ट्रेन दुर्घटना की जांच करे। 

विशाल तिवारी नाम के सुप्रीम कोर्ट के एक वकील ने मामले को लेकर याचिका दाखिल की है।पीआईएल में सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई है कि वह सरकार को रेलवे में मौजूदा जोखिम और सुरक्षा मानकों की जांच के लिए आयोग का गठन करे। आयोग में विशेषज्ञ को शामिल किया जाए और इसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के एक रिटायर जज करें। यह आयोग रेलवे सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए कोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश करे।विशाल यिवारी ने अपनी याचिका में मांग की है कि कवच और अन्य सुरक्षा मानकों की गहन जांच होनी चाहिए। रेल सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश बनाए जाएं और आयोग दो महीने में अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपे।

आपको बता दें कि कवच सिस्टम इस रूट में एक्टिव नहीं था। अगर ये सिस्टम एक्टिव होता तो शायद ये हादसा टल जाता। अभी तक कुछ ही रूट्स पर इसको लगाया गया है। सुप्रीम कोर्ट याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को नोटिस जारी करे औऱ कहे कि वो जल्द से जल्द सभी रूटों पर इसको फिक्स करे ताकि यात्रियों की जान को कोई खतरा न हो।

बता दें कि शुक्रवार शाम करीब 7 बजे हाल के वर्षों में सबसे बड़ा रेल हादसा हुआ था। हादसे में तीन ट्रेनें (दो यात्री ट्रेन और एक मालगाड़ी) शामिल थी। प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार कोरोमंडल एक्सप्रेस बहानागा बाजार स्टेशन के पास ट्रैक पर पहले से खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई थी। इसके चलते कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बे पटरी से उतर गए थे। ये डिब्बे दूसरे ट्रैक पर चले गए थे जिसपर बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस तेज रफ्तार से आ रही थी। इसने पटरी पर मौजूद डिब्बों को टक्कर मार दी। दोनों पैसेंजर ट्रेनों के 17 डिब्बे पटरी से उतर गए थे।

कर्नाटक में सिद्धारमैया सरकार के मंत्री का विवादित बयान, कहा-‘भैंस कट सकती है तो फिर गाय क्यों नहीं’

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कर्नाटक सरकार के पशुपालन मंत्री टी वेंकटेश ने गोकशी पर ऐसा बयान दिया कि सियासत गरम हो गई है।उन्होंने शनिवार को यह कह कर विवाद खड़ा कर दिया किअगर भैंस और बैल काटे जा सकते हैं तो गाय का वध क्यों नहीं किया जा सकता।दरअसल, कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार राज्य की पिछली बोम्मई सरकार की ओर से लाए गए गोहत्या और मवेशी संरक्षण (संशोधन) विधेयक 2020, कानून में संसोधन का विचार कर रही है। कर्नाटक के पशुपालन और पशु चिकित्सा विज्ञान मंत्री के वेंकटेश का एक बयान कुछ इसी ओर इशारा कर रहे हैं।कर्नाटक में नई सरकार बनने के बाद कर्नाटक सरकार के मंत्री रोजाना नये बयान दे रहे हैं। चाहे बजरंग दल पर बैन की बात हो या फिर हिजाब मामला इन सभी मुद्दों पर सकार को मंत्री खुलकर बयान दे रहे हैं।

मैसुरु में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में टी वेंकटेश ने कहा कि विचार-विमर्श के बाद कर्नाटक पशु वध रोकथाम और पशु संरक्षण अधिनियम को वापस लेने पर उचित कार्रवाई की जाएगी। मंत्री वेंकटेश ने कहा कि निर्णय लिया जाएगा अगर जो किसानों की मदद करने वाला हो और मंत्री ने एक एक्जाम्पल देते हुए कहा कि मैं अपने आवास पर तीन चार गायों का पालन पोशन करते हैं और उनमें से एक गाय मर गई जिसे अंतिम संस्कार करने में काफी मसक्कत करनी पड़ी 25 लोगों ने भी शव को उठाने में कामयाब नहीं हुआ और बाद में एक जेसीबी लाकर शव को उठाया गया।

उन्होंने 1964 के अधिनियम का हवाला देते हुए कहा कि इसमें बैलों और भैंसों को काटने की अनुमति देते है जबकि नया कानून गाय, बछड़ा और सभी उम्र के बैल और 13 साल से कम उम्र की भैंसों को काटने पर रोक लगाता है। उन्होंने कहा कि जब कानून बैलों और भैंसों को काटने की अनुमति देता तो फिर गांयों को क्यों नहीं काट सकते हैं।

बता दें कि कर्नाटक में पशुओं को लेकर कानून में संशोधन और फिर बिल वापस लेना का सिलसिला कोई नया नहीं है। बीएस येदियुरप्पा पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार ने 1964 के अधिनियम में संशोधन करते हुए साल 2010 और 2012 में गो बिल पेश किए थे। हालांकि, इसके बाद राज्य में जब कांग्रेस की सरकार आई तब उसने बिल को वापस ले लिया था। इसके बाद बोम्मई सरकार आई थी उसने फिर से संशोधन कर दिया और अब कानून को फिर से पलटने की चर्चा चल रही है।

अगर विदेश यात्रा पर हूं तो मैं वहां राजनीति नहीं करूंगा’, इशारों इशारों में विदेश मंत्री जयशंकर ने राहुल गांधी को दे डाली नसीहत

#sjaishankartargetsrahulgandhi

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को कहा कि जब कोई व्यक्ति देश से बाहर जाता है, तो कुछ चीजें राजनीति से परे होती हैं। हाल में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार पर कई बार निशाना साधा था, जिसके बाद जयशंकर की यह टिप्पणी आई है।विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कांग्रेस नेता राहल गांधी के अमेरिका में दिए गए भाषण को लेकर परोक्ष रूप से निशाना साधा है।राहुल के अमेरिका में दिए गए भाषण से जुड़े सवाल के जवाब में विदेश मंत्री ने परोक्ष रूप से राहुल गांधी को नसीहत दे डाली।

विदेश मंत्री एस जयशंकर साउथ अफ्रीका के केपटाउन में थे। जयशंकर यहां केप टाउन में भारतीय समुदाय के लोगों के साथ बातचीत कर रहे थे। इस दौरान भारतीय मूल के एक व्यक्ति ने विदेश मंत्री से राहुल गांधी की अमेरिका यात्रा और वहां पीएम मोदी और देश को लेकर की गई बातचीत से जुड़ा सवाल पूछा। इस सवाल के जवाब में विदेश मंत्री ने मैं सिर्फ अपने बारे में बात कर सकता हूं। उन्होंने कहा कि कुछ चीजें राजनीति से हटकर होती हैं। ये चीजें राजनीति से कहीं बड़ी होती हैं। उन्होंने कहा कि मैं इस बारे में किसी अन्य से बिल्कुल अलग राय रखता हूं या कोई मेरे से अलग राय रखता हैं तो मैं यह अपने घर में चर्चा या तर्क रखूंगा।जयशंकर ने कहा जब आप देश के बाहर कदम रखते हैं तो आपको यह बातें ध्यान में रखनी चाहिए।

राहुल की यूएस यात्रा बनी बड़ा मुद्दा

बता दें राहुल गांधी की अमेरिका यात्रा भारत में एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गई है। जहां राहुल ने अपनी यात्रा में जमकर पीएम मोदी और मोदी सरकार पर निशाना साधा है।राहुल गांधी ने पीएम मोदी को नमूना बताया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के काम का असर अल्पसंख्यकों, दलित और आदिवासी समुदाय महसूस कर रहा है। कांग्रेस नेता ने कहा, मुसलमान इसे सीधा महसूस कर रहे हैं क्योंकि यह उनके साथ सबसे ज्यादा सीधे तरीके से किया जा रहा है, लेकिन यह सभी समुदायों के साथ किया जा रहा है। राहुल ने कहा था, जिस तरह से आप (मुस्लिम) महसूस कर रहे हैं, मैं गारंटी दे सकता हूं कि सिख, ईसाई, दलित और आदिवासी भी ठीक इसी तरह महसूस कर रहे हैं। आप नफरत को नफरत से नहीं काट सकते, इसे प्रेम के जरिए ही किया जा सकता है।

*दिल्ली-एनसीआर में तेज हवाओं के साथ बारिश के बाद मौसम सुहाना, आईएमडी ने 21 राज्यों के लिए सुनाई राहत भरी खबर

#rainindelhincrimdpredictsrainfallin21states_today

देश की राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के एनसीआर क्षेत्र में रविवार सुबह अचानक से मौसम ने करवट ले ली। सुबह छह बजे से ही तेज हवाओं के साथ यहां बारिश शुरू हो गई, जिससे यहां के लोगों को गर्मी से राहत मिली।यहां कई इलाकों में अचानक से तेज बारिश होने लगी। बारिश के साथ-साथ तेज हवाएं भी चल रही हैं।रविवार सुबह मौसम विभाग ने बताया कि दिल्ली के सफदरजंग, लोदी रोड, आईजीआई हवाई अड्डा, आयानगर, एनसीआर के आस-पास के क्षेत्रों में हल्की से मध्यम तीव्रता की बारिश और 30-50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चलेंगी। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने भी आज गरज के साथ बारिश की संभावना जताई थी। आईएमडी की ओर से जारी किए गए पूर्वानुमान के अनुसार, आज दिल्ली-एनसीआर समेत देश के 21 राज्यों में हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है।

इन राज्यों बारिश की संभावना

मौसम विभाग का कहना है कि आज दिल्ली- एनसीआर, उत्तर प्रदेश व राजस्थान के अधिकतर हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है। इस दौरान आंधी भी चलेगी। हवाओं की रफ्तार 30 से 40 किलोमीटर प्रतिघंटा के आसपास हो सकती है। इसके अलावा मौसम विभाग ने महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में ओलावृष्टि की भी संभावना जताई है।आईएमडी के मुताबिक, पश्चिम राजस्थान के कुछ हिस्सों में आज आंधी-तूफान के साथ बिजली गिरने की संभावना है। इस दौरान बारिश भी हो सकती है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि हवाओं की गति 50 से 60 किलोमीटर प्रतिघंटा रहने की संभावना है। इसके अलावा ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, छत्तीसगढ़, अंडमान, केरल में थी आंधी के साथ हल्की बारिश की संभावना जताई गई है। वहीं, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, गुजरात, गंगीय पश्चिम बंगाल, विदर्भ, तेलंगाना व कर्नाटक के कुछ हिस्सों में बारिश की संभावना जताई गई है।

बताया जा रहा है कि इस बार मई और जून में भी गर्मी से थोड़ी राहत इसलिए मिल रही है क्योंकि वेस्टर्न डिस्टरबेंस की वजह से मौसम पर काफी असर पड़ा है। इसी के चलते चिलचिलाती गर्मी के मौसम में बारिश हो रही है।

एलआईसी का ओडिशा ट्रेन दुर्घटना पर बड़ा फैसला, जान गंवाने वालों के परिजनों के लिए कई तरह की राहत देने की घोषणा

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एलआईसी ने ओडिशा में हुए भीषण रेल हादसे में जान गंवाने वालों के परिजनों के लिए कई तरह की राहत देने की घोषणा की है। एलआईसी ने बालासोर ट्रेन एक्सीडेंट के पीड़ितों के लिए क्लेम सेटलमेंट प्रोसेस के लिए कई तरह की छूट देने का ऐलान किया है। देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी का कहना है कि दावों का तेजी से निपटारा किया जाएगा ताकि पीड़ित परिवारों को जल्दी से जल्दी वित्तीय राहत मिल सके।बता दें कि ओडिशा के शहर बालासोर में दो यात्री ट्रेनों और एक मालगाड़ी के बीच हुई दुर्घटना में अब तक करीब 288 लोगों की मौत हो गई है और 1,100 से अधिक लोग घायल हो गए हैं।

एलआईसी के चेयरमैन सिद्धार्थ मोहंती ने पीड़ितों के परिजनों के लिए क्लेम सेटलमेंट प्रोसेस में कई तरह की राहत देने का ऐलान किया। साथ ही एक स्पेशल कॉल सेंटर नंबर भी जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि मुसीबत की इस घड़ी में एलआईसी पॉलिसीज और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना के दावेदारों के लिए ये राहत दी गई है। इस बात के भी प्रयास किए जा रहे हैं कि प्रभावित परिवारों के दावों को जल्दी से जल्दी सेटल किया जा सके। दावेदार समीप के ब्रांच, डिविजन या कस्टमर जोन्स में संपर्क कर सकते हैं। साथ ही वे मदद के लिए कंपनी के कॉल सेंटर में भी संपर्क कर सकते हैं जिसका नंबर 02268276827 है।

सिद्धार्थ मोहंती ने कहा है कि पंजीकृत मृत्यु प्रमाण पत्र के स्थान पर रेलवे, पुलिस या किसी राज्य एवं केंद्रीय प्रशासन द्वारा जारी हताहतों की सूची को भी मृत्यु का प्रमाण माना जाएगा। उन्होंने बताया कि दुर्घटना के हताहतों के लिए पूछताछ और जानकारी के लिए एलआईसी ने संभागीय और शाखा स्तर के कार्यालयों में दावा संबंधी प्रश्नों के समाधान एवं दावेदारों को सहायता प्रदान करने के लिए विशेष सहायता डेस्क स्थापित किया है। 

ओडिशा में शुक्रवार शाम को हुए भीषण हादसे में 288 यात्रियों की मौत हो गई जबकि एक हजार से अधिक घायल हो गए। इसे देश का चौथा बड़ा रेल हादसा माना जा रहा है। तीन ट्रेनों के टकराने से यह हादसा हुआ। इस हादसे के कारण उस रूट पर रेल ट्रैफिक बुरी तरह प्रभावित हुआ है। रेलवे के मुताबिक 90 ट्रेनों को कैंसल कर दिया गया है। बड़ी संख्या में ट्रेनों का रूट डाइवर्ट किया गया है जबकि कुछ ट्रेनों को शॉर्ट टर्मिनेट भी किया गया है।

बालासोर ट्रेन हादसाः रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का बड़ा बयान, बोले-पता चली हादसे की असली वजह

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बालासोर में दर्दनाक ट्रेन हादसे को 36 घंटे से ज्यादा बीत गए। इस हादसे में अब तक 288 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 900 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। वहीं रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव हादसे के बाद से ही घटनास्थल पर डटे हुए हैं। रेल हादसे में अब रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि रेल हादसे की असली वजह का पता चल गया है। सेफ्टी कमिश्नर जल्द अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे।

अश्विनी वैष्णव ने कहा, प्रधानमंत्री ने एक दिन पहले जो दिशा-निर्देश दिए थे।। उसी के मुताबिक काम चल रहा है। बुधवार सुबह यानी 7 जून तक हालात सामान्य हो जाएंगे। हालांकि, उन्होंने अभी कारणों का जिक्र नहीं किया है।

बता दें, शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुद घटनास्थल पर पहुंचकर जायजा लिया था। इस दौरान पीएम ने कड़े लहजे में कहा था कि मामले में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, किसी को बख्शा नहीं जाएगा।

वहीं केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि मरम्मत का काम लगभग पूरा हो गया है। रेलवे की टीम ने पूरी रात काम करकी रही। अब मृतकों की पहचान कर कानूनी प्रक्रिया के बाद उन्हें उनके परिवारों तक पहुंचाने का काम हो रहा है।घटना कोलकाता-चेन्नई मेन लाइन पर हुई है। ऐसे में काफी ट्रेनें ऐसी हैं जिनके रूट को बदला गया है और कई ट्रेनें बंद हैं।

ट्रेन हादसे के घायलों से मिले पीएम नरेंद्र मोदी, बोले- दोषियों को सख्त से सख्त सजा दी जाएगी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शनिवार को ओडिशा के बालासोर में ट्रेन हादसे वाली जगह पर पहुंचे। शुक्रवार रात यहां भीषण ट्रेन हादसा हुआ, जिसमें अब तक 288 लोगों ने जान गंवा दी है।। प्रधानमंत्री मोदी ने पहले ट्रेन हादसे वाली जगह पर हालात का जायजा लिया। फिर वह बालासोर मेडिकल कॉलेज में घायलों से मिले। पीएम मोदी ने कहा कि हादसा विचलित करने वाला है। हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।

अस्पताल पहुंचे पीएम नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बालासोर ट्रेन दुर्घटना स्थल पर स्थिति का जायजा लेने के बाद दुर्घटना में घायल हुए लोगों से मिलने के लिए बालासोर के एक अस्पताल पहुंचे। यहां उन्होंने घायलों से मुलाकात कर उनका हाल जाना और मदद का आश्वासन दिया। इसे पहले, पीएम नरेंद्र मोदी ने घटनास्थल से कैबिनेट सचिव और स्वास्थ्य मंत्री से बात की। उन्होंने उनसे घायलों और उनके परिवारों को सभी आवश्यक सहायता प्रदान करने को कहा। उन्होंने यह भी कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि शोक संतप्त परिवारों को असुविधा का सामना न करना पड़े और प्रभावितों को आवश्यक सहायता मिलती रहे।

दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा- पीएम मोदी

पीएम मोदी ने बालासोर के अस्पताल में पीड़ितों से मिलने के बाद मीडिया से कहा, जिन लोगों ने अपना जीवन खोया है, यह बहुत दर्दनाक और संवेदना से भी परे मन को विचलित करने वाला है। जिन परिवारजनों को इंजरी हुई है, सरकार उनके उत्तम स्वास्थ्य के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी। सरकार के लिए घटना अत्यंत गंभीर है। हर प्रकार की जांच के निर्देश दिए गए हैं। जो भी दोषी पाया जाएगा, उसको सख्त से सख्त सजा हो, उसे बख्शा नहीं जाएगा।

पीएम मोदी के साथ रेल मंत्री भी रहे मौजूद

हादसे वाली जगह पर पीएम मोदी के साथ रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव भी मौजूद रहे।इसके अलावा रेलवे के तमाम आला अधिकारी भी पीएम मोदी के साथ मौके पर मौजूद थे।घटनास्थल से आए वीडियो में पीएम को रेलवे अधिकारियों के जरिए कुछ फाइलें दिखाते हुए देखा गया।

10 लाख रुपये मुआवजे का ऐलान

वहीं, बालासोर आने से पहले पीएम मोदी ने दिल्ली में एक बैठक बुलाई। इस बैठक में ओडिशा दुर्घटना से जुड़े हालातों पर चर्चा की गई। रेलवे ने कहा है कि हादसे में जान गंवाने वाले यात्रियों के परिजनों को 10 लाख रुपये मुआवजा के तौर पर दिया जाएगा।

ओडिशा के बालासोर में रेल हादसे के बाद सुरक्षा को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं, इधर, राहत बचाव कार्य भी चल रहा है, यहां पढ़िए, बीते दशकों में और भी हो चुकी हैं बड़ी दुर्घटनाएं


ओडिशा के बालासोर जिले में शुक्रवार शाम में दो यात्री ट्रेनों की टक्कर में अब तक 261 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस भीषण दुर्घटना में 1000 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। रेल हादसे के बाद दुर्घटनास्थल पर एनडीआरएफ की नौ टीम बचाव कार्य में जुटी हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ओडिशा में हुई ट्रेन दुर्घटना पर दुख व्यक्त करते हुए शुक्रवार को कहा कि घटनास्थल पर बचाव अभियान जारी है और प्रभावित लोगों को हर संभव सहायता दी जा रही है। उन्होंने स्थिति का जायजा लेने के लिए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से भी बात की है। आज पीएम मोदी के घटनास्थल पर भी जाने की बात कही जा रही है।

कुछ बड़े रेल हादसे

जून 1981

 बिहार में 6 जून 1981 को एक ट्रेन मानसी और सहरसा के बीच पुल पाल करते समय पटरी से उतर गई थी और सात डिब्बे कोसी नदी में गिर गई थी। इस हादसे में 800 यात्रियों की मौत हो गई थी। यह अब तक भारत और दुनिया के सबसे खतरनाक रेल हादसों में से एक है।

अगस्त 1995

दिल्ली से कानपुर के बीच चलने वाली पुरुषोत्तम एक्सप्रेस उत्तर प्रदेश में फिरोजाबाद के पास खड़ी कालिंदी एक्सप्रेस से टकरा गई थी। इस हादसे में दोनों ट्रेनों के 360 से अधिक यात्री मारे गए थे। कुछ मीडिया रिपोर्ट में इस घटना के लिए मैन्युअल त्रुटि को जिम्मेदार ठहराया गया था। कहा जाता है कि पटरी पर जानवर के मरने के बाद कालिंदी एक्सप्रेस के ब्रेक जाम हो गए और ट्रैक पर ही रुक गए। साथ ही पुरुषोत्तम एक्सप्रेस को भी उसी ट्रैक पर चलाने की अनुमति दी गई। पुरुषोत्तम एक्सप्रेस ने कालिंदी एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मार दी जिससे हादसा हो गया था।

26 नवंबर 1998

जम्मू तवी-सियालदह एक्सप्रेस पंजाब खन्ना में अमृतसर जाने वाली फ्रंटियर गोल्डन टेंपल मेल के साथ हादसे की शिकार हुई थी। पटरी टूटी होने के कारण स्वर्ण मंदिर मेल ट्रेन के 3 डब्बे पटरी से उतर गए थे। वहीं जम्मू तवी-सियालदह एक्सप्रेस छह डिब्बे पटरी से उतर गए थे। इस भीषण हदसे में 280 से अधिक यात्रियों की जान गई थी।

28 मई 2010

मुंबई जाने वाली हावड़ा कुर्ला लोकमान्य तिलक ज्ञानेश्वरी सुपर डीलक्स एक्सप्रेस पश्चिम बंगाल के पश्चिम मिदनापुर जिले में खेमशौली और साडीहा के बीच रात 1:30 बजे पटरी से उतर गई थी। इसके बाद एक मालगाड़ी ने आकर टक्कर मार दी थी। इस हादसे में 235 यात्रियों की जान चली गई थी।

9 सितंबर 2002

हावड़ा-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस गया और डेहरी-ऑन-सोन स्टेशनों के बीच रफी गंज स्टेशन के पास पटरी से उतर गई थी। मैनुअल फॉल्ट के कारण ह दुर्घटना हुई थी। इसमें 130 से अधिक लोग मारे गए थे। ऐसा कहा जाता है कि जिस ट्रैक पर ट्रेन चल रही थी वह ब्रिटिश काल का था। भारी बारिश के कारण पटरी में दरार आ गई थी। 

2 अगस्त 1999

उत्तर सीमांत रेलवे के कटिहार मंडल के अवध में अवध-असम एक्सप्रेस और ब्रह्मपुत्र मेल की टक्कर में करीब 268 लोगों की मौत हो गई थी। इस हादसे में 359 से अधिक लोग घायल हो गए थे। ब्रह्मपुत्र मेल भारतीय सैनिकों को असम से सीमा तक लेकर जा रहा था। वहीं, अवध असम एक्सप्रेस गुवाहाटी जा रही थी। गुस्लर के पास एक स्टेशन पर खड़ी थी। सिग्नल फेल होने के कारण ब्रह्मपुत्र मेल को उसी ट्रैक पर आगे बढ़ने की हरी झंडी दे दी गई थी। रात करीब 1:30 बजे अवध असम एक्सप्रेस ने सामने से टक्कर मार दी।

अक्टूबर 2005

आंध्र प्रदेश में वेलुगोंडा के पास एक पैसेंजर ट्रेन के कई डिब्बे पटरी से उतर गए थे। इस हादसे में कम से कम 77 लोग मारे गए थे।

जुलाई 2011

फतेहपुर में एक मेल ट्रेन के पटरी से उतरने से करीब 70 लोगों की मौत हो गई थी। 300 से ज्यादा घायल हो गए थे।

नवंबर 2016

उत्तर प्रदेश में एक एक्सप्रेस ट्रेन के पटरी से उतरने से 146 लोग मारे गए और 200 से अधिक घायल हो गए थे।

जनवरी 2017

आंध्र प्रदेश में एक पैसेंजर ट्रेन के कई डिब्बे पटरी से उतर जाने से कम से कम 41 लोगों की मौत हो गई थी।

अक्टूबर 2018

अमृतसर में एक दिल दहला देने वाली हादसा हुई थी। पटरियों पर जमा भीड़ को ट्रेन कुचल देती है। इस हादसे में कम से कम 59 लोगों की मौत हो गई थी