देश को मिली नई संसद, पीएम मोदी ने हवन-पूजा के बाद लोकसभा में स्थापित किया सेंगोल, सर्व धर्म प्रार्थना सभा का भी आयोजन

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देश को नया संसद भवन मिल चुका है। पीएम मोदी ने पूरे विधि-विधान से इसका शुभारंभ किया। पूजा कार्यक्रम में शामिल होने के बाद पीएम मोदी ने राजदंड सेंगोल को दण्डवत किया। इसके बाद सेंगोल उनको सौंप दिया। इसके बाद पीएम मोदी ने लोकसभा में स्पीकर की चेयर के बगल में राजदंड सेंगोल को स्थापित कर दिया।उद्घाटन करने के बाद पीएम मोदी संसद भवन के निर्माण में अपना योगदान देने वाले श्रमिकों से भी मिले और उनको सम्मानित भी किया।

पारंपरिक परिधान, वैदिक मंत्रोच्चारण

पूजा शामिल होने नए संसद भवन परिसर पहुंचे पीएम मोदी सफेद कुर्ता और सफेद धोती पहने नजर आए। वहीं, गले में दक्षिण भारत का पहनावा अंगवस्त्रम भी नजर आया। पारंपरिक परिधान में प्रधानमंत्री मोदी द्वार संख्या-एक से नई संसद परिसर के भीतर आए और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उनका स्वागत किया। प्रधानमंत्री ने नए संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर ईश्वर का आशीर्वाद लेने के लिए कर्नाटक के श्रृंगेरी मठ के पुजारियों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच ‘गणपति होमम्’ अनुष्ठान किया। प्रधानमंत्री ने ‘सेंगोल’ (राजदंड) को दंडवत प्रणाम किया और हाथ में पवित्र राजदंड लेकर तमिलनाडु के विभिन्न अधीनमों के पुजारियों का आशीर्वाद लिया। 

स्पीकर की चेयर के सामने स्थापित हुआ सेंगोल

इसके बाद ‘नादस्वरम्’ की धुनों के बीच प्रधानमंत्री मोदी सेंगोल को नए संसद भवन लेकर गए और इसे लोकसभा कक्ष में अध्यक्ष के आसन के दाईं ओर एक विशेष स्थान में स्थापित किया।इस दौरान तमिलनाडु के अधीनम संत वैदिक मंत्रोच्चार करते रहे. पीएम के साथ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला भी इस पूरे अनुष्ठान में शामिल रहे।

सर्व धर्म प्रार्थना सभा

'सेंगोल' की स्थापना के बाद वहां सर्व धर्म प्रार्थना सभा शुरू हुई। इस सर्वधर्म सभा में बौद्ध, जैन, पारसी, हिंदू, सिख, ईसाई, इस्लाम समेत कई धर्मों के प्रतिनिधियों ने अपनी-अपनी प्रार्थनाएं कीं। नई संसद के लोकार्पण के बाद उसके हॉल में सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन हुआ। इसमें 12 धर्मों के प्रतिनिधियों ने पवित्र शब्द कहे और नई संसद के लिए प्रार्थना की। प्रार्थना सभा के समय केंद्रीय मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री, विभागों के सचिव एवं अन्य गणमान्य अतिथि मौजूद थे। यहां एक-एक कर सभी धर्माचार्यों ने अपनी प्रार्थना की और नई संसद को अपना आशीर्वाद दिया।

’सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा’ लिखने वाले शायर इकबाल डीयू के सिलेबस से होंगे बाहर, पाकिस्तान के हैं राष्ट्रीय कवि

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दिल्ली यूनिवर्सिटी के बीए प्रोग्राम से अब मशहूर शायर मोहम्मद इक़बाल का नाम मिटाने का फैसला किया गया है। अब डीयू पहुंचने वाले स्टूडेंट्स को इक़बाल के बारे में नहीं पढ़ाया जाएगा। बीए पॉलिटिकल साइंस के सिलेबस में अबतक इक़बाल को पढ़ाया जाता रहा है। दिल्ली यूनिवर्सिटी एग्जीक्यूटिव काउंसिल के अप्रूवल के बाद इक़बाल को सिलेबस से हटा दिया जाएगा। इनके अलावा एकेडमिक काउंसिल ने कुछ अन्य प्रस्तावों को भी मंजूरी दी है।

अंबेडकर को अधिक से अधिक पढ़ाने पर जोर

दिल्ली की एकेडमिक काउंसिल ने शुक्रवार को सिलेबस से जुड़े कई बदलाव किये हैं। इन बदलावों में अल्लामा इकबाल को पॉलिटिकल साइंस के सिलेबस से हटा दिया गया है। एकेडमिक काउंसिल की ओर से पार्टिशन, हिंदू और ट्राइबल स्टडीज के लिए नए सेंटर स्थापित करने के प्रस्तावों को भी मंजूरी दी गई है।वाइस चांसलर के प्रस्ताव को सदन ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया। बैठक में अंडरग्रेजुएट करिकुलम फ्रेमवर्क (यूजीसीएफ) 2022 के तहत अलग-अलग कोर्स के चौथे, पांचवें और छठे सेमेस्टर के सिलेबस को पारित किया गया। वहीं इकबाल को हटाने के साथ ही इस मौके पर कुलपति ने डॉ भीमराव अंबेडकर को अधिक से अधिक पढ़ाने पर भी जोर दिया।

एबीवीपी ने किया फैसले का स्वागत

अभी प्रस्तावों को विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद (ईसी) से अनुमोदन मिलना बाकी है। यह बैठक 9 जून को होगी। वहीं, बीजेपी की छात्र इकाई एबीवीपी ने कवि अल्लामा इकबाल को सिलेबस से हटाए जाने के फैसले का स्वागत किया है। एबीवीपी की ओर से कहा गया कि दिल्ली यूनिवर्सिटी की अकादमिक परिषद ने कट्टर धार्मिक विद्वान को सिलेबस से हटाना का सही फैसला लिया है। 

कौन हैं इकबाल

इकबाल उर्दू और फारसी के मशहूर शायर हैं। जिन्होंने मशहूर गीत "सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा" लिखा था, भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे प्रमुख उर्दू और फारसी शायरों में से एक हैं। उन्हें पाकिस्तान के राष्ट्रीय कवि के रूप में भी जाना जाता है। अल्लामा इकबाल को पाकिस्तान का दार्शनिक पिता कहा जाता है। मोहम्मद अली जिन्ना को मुस्लिम लीग में एक नेता के तौर पर स्थापित करने में उनकी अहम भूमिका थी। पाकिस्तान बनने में उनके विचारों का भी योगदान माना जाता है।

नए संसद भवन पर सियासी रार जारी, केजरीवाल-खरगे के खिलाफ शिकायत दर्ज, राष्ट्रपति की जाति का जिक्र कर भड़काऊ बयान देने का आरोप

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नए संसद भवन के उद्घाटन का कार्यक्रम 28 मई को होना है, लेकिन उससे पहले सियासी बवाल मचा हुआ है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से उद्घाटन की मांग को लेकर कांग्रेस समेत 21 विपक्षी दलों ने इस समारोह का बहिष्कार किया है। इस बीच, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस चीफ मल्लिकार्जुन खरगे के विरुद्ध समुदायों के बीच भेदभाव को बढ़ाने के इरादे से नए संसद भवन के उद्घाटन के कार्यक्रम के संबंध में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की जाति का हवाला देकर भड़काऊ बयान देने को लेकर शिकायत दर्ज कराई गई है। 

दोनों नेताओं के खिलाफ आईपीसी की धारा 121, 153ए, 505 और 34 के तहत शिकायत दर्ज की गई है। इन दोनों के अलावा कुछ अन्य नेताओं पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की जाति का जिक्र करते हुए भड़काऊ बयान देने का आरोप लगा है। इन नेताओं के खिलाफ दर्ज हुई शिकायत में कहा गया है कि इन्होंने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के आयोजन पर बात करते हुए यह भड़काऊ भाषण दिए। 

मल्लिकार्जुन खरगे का बयान

बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को निमंत्रण नहीं दिए जाने को लेकर सरकार पर हमला बोला था। मल्लिकार्जुन खरगे ने एक के बाद एक ट्वीट कर सरकार को घेरा और कहा कि ऐसा लगता है कि मोदी सरकार दलित और जनजातीय समुदायों से राष्ट्रपति केवल चुनावी वजहों से बनाती है। खरगे ने कहा कि जब शिलान्यास हुआ था तब तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को निमंत्रण नहीं दिया गया था। अब उद्घाटन के कार्यक्रम में द्रौपदी मुर्मू को निमंत्रण नहीं दिया गया है

केजरीवाल ने क्या कहा

वहीं, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा कि दलित समाज पूछ रहा है कि क्या उन्हें अशुभ मानते हैं, इसलिए नहीं बुलाते? आम आदमी पार्टी के स्तर पर भी इस मामले में बीजेपी और मोदी सरकार पर सवाल दागे गए हैं।

बता दें कि नया संसद भवन रिकॉर्ड वक्त में बनकर तैयार हुआ है। नए संसद भवन का वीडियो पीएम मोदी खुद शेयर कर चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई 2023 रविवार को नए संसद भवन का उद्घाटन करने जा रहे हैं।

अमेरिका ने की ‘नाटो प्लस’ में भारत को शामिल करने की सिफारिश, जानें क्या है वजह?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले महीने अमेरिका के दौरे पर जाने वाले हैं। इस बीच, अमेरिका की एक कांग्रेस समिति ने बाइडन सरकार से भारत को नाटो प्लस का हिस्सा बनाने की सिफारिश की है।समिति का कहना है कि भारत के शामिल होने से नाटो प्लस को मजबूती मिलेगी। 

ताइवान की सुरक्षा के लिए जरूरी

अमेरिका में जिस कमिटी ने भारत को नाटो प्लस में शामिल करने की शिफारिस की है, वो 'स्ट्रैटेजिक कॉम्पिटिशन बिट्वीन द यूनाइटेड स्टेट्स एंड द चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी)' की चयन समिति है। इसकी अगुवाई चेयरमैन माइक गैलाघेर और रैंकिंग मेंबर राजा कृष्णमूर्ति करते हैं। इस समिति ने ताइवान की सुरक्षा क्षमता बढ़ाने के लिए नीतिगत प्रस्ताव को अपनाया है। इसमें कहा गया है कि सुरक्षा को मजबूत करने के लिए नाटो प्लस में भारत को शामिल किया जाना चाहिए। अमेरिकी चयन समिति ने कहा, ''चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ सामरिक प्रतिस्पर्धा जीतने और ताइवान की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका को हमारे सहयोगियों और भारत समेत सुरक्षा साझेदारों के साथ संबंध मजबूत करने की आवश्यकता है।

चीन को कमजोर बनाने के लिए अहम

चीन समिति ने अपनी सिफारिश में कहा कि ताइवान पर हमले के मामले में चीन के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध सबसे प्रभावी होंगे यदि प्रमुख सहयोगी जैसे जी-7, नाटो, नाटो प्लस और क्वाड सदस्य एकजुट हो जाएं। अगर ये सभी सहयोगी देश एक संयुक्त प्रतिक्रिया पर बातचीत करेंगे तो चीन को कमजोर किया जा सकता है। 

क्या है नाटो प्लस

नाटो प्लस (अभी नाटो प्लस 5) एक सुरक्षा व्यवस्था है जो नाटो और पांच गठबंधन राष्ट्रों ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान, इजराइल और दक्षिण कोरिया को वैश्विक रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए साथ लाती है। भारत को इसमें शामिल करने से इन देशों के बीच खुफिया जानकारी निर्बाध तरीके से साझा हो पाएगी और भारत की बिना किसी समय अंतराल के आधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकी तक पहुंच बन सकेगी। अमेरिका और चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के बीच सामरिक प्रतिस्पर्धा संबंधी सदन की चयन समिति ने भारत को शामिल कर नाटो प्लस को मजबूत बनाने समेत ताइवान की प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने के लिए एक नीति प्रस्ताव पारित कर दिया। इस समिति की अगुवाई अध्यक्ष माइक गालाघर और रैंकिंग सदस्य राजा कृष्णमूर्ति ने की।

दिल्ली-एनसीआर में तेज हवाओं के साथ बारिश, उड़ानें प्रभावित, मौसम विभाग ने जारी किया येलो अलर्ट

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दिल्ली-एनसीआर में शनिवार सुबह बारिश ने मौसम को सुहावना बना दिया। दिल्ली समेत पूरे एनसीआर में तेज हवा के साथ बारिश ने लोगों को गर्मी से राहत दी है। आज सुबह से ही राष्ट्रीय राजधानी में घने बादल छाए हुए हैं और कई जगहों पर बिजली कड़क रही है।इसके साथ ही तेज आंधी की वजह से दिल्ली में कई इलाकों में पेड़ गिरने की खबर है।आंधी-बारिश और गहरे बादलों के कारण सड़कों पर दृश्यता भी कम है। आंधी और तेज हवाओं के साथ हो रही बारिश से उड़ानें भी प्रभावित होने की खबर है। 

आईएमडी ने कहा कि बादलों का एक समूह दिल्ली-एनसीआर से गुजर रहा है। इससे अगले 2 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर और आसपास के इलाकों में गरज के साथ हल्की से मध्यम तीव्रता की बारिश होगी और 40-70 किमी/घंटा की रफ्तार से तेज हवाएं चलेंगी। कई दिनों से दिल्ली-एनसीआर के लोग गर्मी के कारण परेशान थे। बीते कुछ दिन दिल्ली के कई इलाकों में पारा 45 के पार तक पहुंच गया था।

अगले दो से तीन दिन दिल्ली एनसीआर में बारिश के आसार

मौसम विभाग के अनुसार, पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता के कारण अभी अगले दो से तीन दिन दिल्ली एनसीआर और उसके आसपास रूक-रुक के हल्की बारिश व हवाएं चलने का अनुमान है। सोमवार और मंगलवार को दिल्ली के कुछ हिस्सों में लू चली। 22 मई को अधिकतम तापमान 43.7 और 23 मई को न्यूनतम तापमान 43.5 दर्ज हुआ था। वहीं कुछ इलाकों में तापमान 46 डिग्री तक पहुंच गया था। लेकिन 23 मई रात से मौसम ने करवट ले ली। उसके बाद से मौसम सुहावना ही बना हुआ है।

लद्दाख में बर्फबारी संभव

आईएमडी के अनुसार, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, उत्तराखंड, हरियाणा, चंडीगढ़, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, लक्षद्वीप में छिटपुट बौछारें और आंधी देखी जा सकती है। इसके अलावा, ओडिशा, झारखंड, बिहार, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, पुडुचेरी, कर्नाटक में हल्की बारिश की संभावना बनी हुई है। वहीं, लद्दाख में बर्फबारी संभव है।

नए संसद भवन के उद्घाटन के बहिष्कार पर पूर्व नौकरशाहों-राजदूतों ने की विपक्ष की निंदा, कहा-बेबुनियाद, अपरिपक्व और गैर-लोकतांत्रिक हाव-भाव

#270_people_including_ex_bureaucrats_condemn_opposition_for_boycotting_inauguration_of_new_parliament

देश में नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह को लेकर जारी सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है। दरअसल, 28 मई को पीएम मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इस पर कई राजनीतिक दलों ने आपत्ति जताने हुए समारोह का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। समारोह का कांग्रेस समेत विपक्ष के 19 दल एकजुट होकर बहिष्कार कर रहे हैं।देश के 260 से अधिक प्रतिष्ठित लोगों ने विपक्षी दलों की निंदा की है।इनमें पूर्व नौकरशाह, राजदूत और अन्य गणमान्य नागरिक शामिल हैं।

पूर्व नौकरशाहों, राजदूतों और अन्य गणमान्य नागरिकों सहित 270 प्रतिष्ठित नागरिकों के एक समूह ने नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के लिए शुक्रवार को विपक्ष की निंदा की। नागरिकों के इस समूह ने दावा किया कि ''परिवार पहले'' की नीति अपनाने वाली पार्टियां भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली संसद का बहिष्कार करने के लिए एक साथ आई हैं।प्रतिष्ठित नागरिकों के इस समूह ने एक बयान जारी कर कहा कि यह सभी भारतीयों के लिए एक गर्व का अवसर है, लेकिन विपक्षी दलों द्वारा बेबुनियाद तर्कों, अपरिपक्व रवैये, सनकी और खोखले दावों और सबसे बढ़कर गैर-लोकतांत्रिक हाव-भाव का खुला प्रदर्शन समझ से परे है।

नागरिकों के इस समूह ने कहा भारत के लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जिन्होंने एक अरब भारतीयों को अपनी प्रामाणिकता, नीतियों, रणनीतिक दृष्टि देने की प्रतिबद्धता के साथ प्रेरित किया है और सबसे बढ़कर, उनकी भारतीयता 'कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के लिए अप्रिय' है।

इस बयान में उन मौकों का भी जिक्र किया गया है, जब कांग्रेस सहित कई कई विपक्षी दलों ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया था। बयान में कहा गया है कि विपक्षी दलों ने साल 2017, 2020, 2021 और 2022 में भी बहिष्कार किया था। बयान में कहा गया कि विपक्षी दल आज राष्ट्रपति को लेकर अपनी हमदर्दी बयान कर रहे हैं, लेकिन तब ये लोग उनके सम्मान के लिए क्यों नहीं खड़े हुए जब कांग्रेस के नेता ने उन्हें राष्ट्रपत्नी बोला था। प्रतिष्ठित नागरिकों ने कहा कि विपक्ष अपनी उस नीति से बाज नहीं आ रहा है, जिसके तहत वह प्लेकार्ड दिखाते हुए किसी भी चीज का विरोध करता है। कई बार इन दलों ने लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं का इसी तरह अपमान किया है। 

नागरिकों के इस समूह की ओर से जारी बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में 88 सेवानिवृत्त नौकरशाह, 100 प्रतिष्ठित नागरिक और 82 शिक्षाविद शामिल हैं। राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के पूर्व निदेशक वाई सी मोदी, पूर्व आईएएस अधिकारी आर डी कपूर, गोपाल कृष्ण और समीरेंद्र चटर्जी के अलावा लिंगया विश्वविद्यालय के कुलपति अनिल रॉय दुबे उन लोगों में शामिल हैं जिन्होंने ये संयुक्त बयान जारी किया है।

अमेरिका में दिपावली पर मिलेगी छुट्टी! न्यूयॉर्क असेंबली में बिल पेश

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पूरी दुनिया में भारतीय बसे हुए हैं। कोई पढ़ाई लिए तो कई नौकरी-पेशे के कारण। ऐसे में हर भारतीय त्योहार भी पूरी दुनिया में मनाया जाता है। हां, ये बात और है कि इन त्योहारों को मनाने के लिए लोगों को अपना वक्त निकालना पड़ता है, यानी छुट्टी लेकिन पड़ती है। इस बीच अमेरिका से एक खुशखबरी मिल रही है। दरअसल, अमेरिका की एक प्रमुख सांसद ने रोशनी के त्योहार दिवाली को संघीय अवकाश घोषित करने के लिए शुक्रवार को कांग्रेस (संसद) में एक विधेयक पेश किया, जिसका देश भर के विभिन्न समुदायों ने स्वागत किया। यह विधेयक अमेरिका की महिला सांसद ग्रेस मेंग ने शुक्रवार को प्रतिनिधि सभा में पेश किया।

मेंग ने शनिवार को ट्वीट किया और लिखा कि आज मुझे दिवाली दिवस अधिनियम की शुरुआत की घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है, मेरा बिल जो दिवाली को एक संघीय अवकाश बना देगा। मेरे सभी सरकारी सहयोगियों और कई अधिवक्ताओं को धन्यवाद जो अपना समर्थन व्यक्त करने के लिए मेरे साथ शामिल हुए।

वहीं, न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार ग्रेस मेंग ने प्रतिनिधि सभा में विधेयक पेश करने के तुरंत बाद यहां एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘दिवाली दुनियाभर के अरबों लोगों सहित न्यूयॉर्क और संयुक्त राज्य अमेरिका में अनगिनत परिवारों और समुदायों के लिए साल के सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक है। इसलिए यह दिन सार्वजनिक अवकाश का होना चाहिए, जिससे लोग धूमधाम से इस फेस्टिवल को सेलिब्रेट कर सकें।’ उन्होंने कहा कि दिवाली पर संघीय अवकाश परिवारों और दोस्तों को एक साथ त्योहार का जश्न मनाने की अनुमति देगा। इस दिन छुट्टी यह साबित करेगी कि सरकार राष्ट्र के विविध सांस्कृतिक अवसरों को महत्व देती है।

इस कदम का स्वागत करते हुए न्यूयॉर्क विधानसभा की सदस्य जेनिफर राजकुमार ने कहा कि इस साल हमने देखा कि हमारा पूरा राज्य दिवाली और दक्षिण एशियाई समुदाय को मान्यता देने के समर्थन में एक स्वर से बोल रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार में मेरी सहयोगी मेंग अब दिवाली को संघीय अवकाश घोषित करने के लिए अपने ऐतिहासिक कानून के साथ आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर ले जा रही हैं।

बता दें कि अमेरिका में सबसे पहले पेंसिल्वेनिया ने दीवाली पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया था। इसके लिए सदन में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पास किया गया था। इसके लिए फरवरी में सदन में बिल पेश किया गया था। यह बिल सीनेटर ग्रेग रोथमैन और निकिल सावल की तरफ से पेश किया गया था। इस बिल में कहा गया था कि पेंसिल्वेनिया में बड़ी संख्या में दक्षिण एशियाई लोग रहते हैं। ये लोग बड़ी धूमधाम से दीवाली मनाते हैं, इसलिए इस दिन को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया।

नीति आयोग की बैठक आज, केजरीवाल-ममता-केसीआर समेत छह मुख्यमंत्रियों ने किया किनारा

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नीति आयोग गवर्निंग काउंसिल की 8वीं बैठक शनिवार को प्रगति मैदान में होगी।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज नीति आयोग की आठवीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक की अध्यक्षता करेंगे।इसमें शामिल होने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री या उपराज्यपालों को बुलाया गया है, लेकिन छह राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया है। बैठक का सीएम नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, भगवंत मान, तमिलानाडु के सीएम एमके स्टालिन और केसीआर ने बहिष्कार का ऐलान किया है।

आठवीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक में 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य, कौशल विकास, महिला सशक्तिकरण और बुनियादी ढांचे के विकास सहित कई मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। गवर्निंग काउंसिल नीति आयोग की शीर्ष संस्था है, जिसमें सभी मुख्यमंत्री, केंद्र शासित प्रदेशों के लेफ्टिनेंट गवर्नर और कई केंद्रीय मंत्री शामिल हैं।पीएम मोदी नीति आयोग के अध्यक्ष हैं।

नीति आयोग के बयान में कहा गया है कि दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में भारत अपने आर्थिक विकास पथ पर है। जहां यह अगले 25 वर्षों में तेज विकास हासिल कर सकता है। बयान में कहा गया है कि 8वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक 2047 तक विकसित भारत के लिए एक रोडमैप बनाने का मौका देती है। जिसमें केंद्र और राज्य टीम इंडिया के रूप में मिलकर काम कर सकते हैं। इस बैठक में आठ प्रमुख विषयों पर चर्चा की जाएगी. जिसमें विकसित भारत 2047, एमएसएमई, बुनियादी ढांचे और निवेश पर जोर, जटिलताओं को कम करना, महिला सशक्तिकरण, स्वास्थ्य और पोषण, कौशल विकास और इन क्षेत्रों के विकास और सामाजिक बुनियादी ढांचे के लिए गति शक्ति शामिल हैं।

जानकारी के मुताबिक पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, पंजाब के सीएम भगवंत मान, बिहार के सीएम नीतीश कुमार, तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव और तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन बैठक में शामिल नहीं होंगे।सीएम अरविंद केजरीवाल ने बताया कि उन्होंने पीएम को पत्र लिखकर बैठक में शामिल न होने की जानकारी दे दी है. सीएम ने कहा कि अध्यादेश लाकर कोआपरेटिव फेडरलिज्म का मजाक बनाया जा रहा है। ऐसे में नीति आयोग की बैठक में शामिल होने का कोई औचित्य नहीं रह जाता। ऐसी बैठक में नहीं जाना चाहिए, इसलिए वे बैठक का बहिष्कार।

दिल्ली के सीएम केजरीवाल अब नीति आयोग की मीटिंग का भी करेंगे बहिष्कार, प्रधानमंत्री मोदी को लिखा दो पन्ने का लेटर, पढ़िए, उन्होंने क्या मांग की

आम आदमी पार्टी (AAP) सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल और केंद्र सरकार के बीच तनातनी दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है। नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के बहिष्कार का ऐलान कर चुके सीएम केजरीवाल अब नीति आयोग की मीटिंग का भी बहिष्कार करेंगे। इसके लिए केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है।

लेटर में क्या लिखा

दो पन्ने के लेटर में सीएम केजरीवाल ने लिखा, 'कल नीति आयोग की मीटिंग है। नीति आयोग का उद्देश्य है भारतवर्ष का विजन तैयार करना और सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना। पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह जनतंत्र पर हमला हुआ है, गैर भाजपा सरकारों को गिराया जा रहा है, तोड़ा जा रहा है या काम नहीं करने दिया जा रहा, ये न ही हमारे भारतवर्ष का विजन है और न ही सहकारी संघवाद।'  

पंगु क्यों बनाना चाहते

 बीते कुछ दिनों से AAP समेत कई विपक्षी दल केंद्र सरकार के उस अध्यादेश को लेकर हमलावर हैं जिसके तहत राजधानी में अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग की शक्ति दिल्ली सरकार से वापस ले ली गई है। केजरीवाल ने अध्यादेश के मुद्दे पर अटैक करते हुए कहा, 'आठ साल की लड़ाई के बाद दिल्लीवालों ने सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई जीती, दिल्ली के लोगों को न्याय मिला। मात्र आठ दिन में आपने अध्यादेश पारित कर सुप्रीम कोर्ट का आदेश पलट दिया।' केजरीवाल ने आगे लिखा, 'आप (पीएम मोदी) दिल्ली सरकार को पंगु क्यों बनाना चाहते हैं? क्या यही भारतदेश का विजन है?'

बहिष्कार की वजह

नीति आयोग की मीटिंग का बहिष्कार करने के पीछे केजरीवाल ने वजह बताते हुए लिखा, 'लोग पूछ रहे हैं कि अगर प्रधानमंत्री जी सुप्रीम कोर्ट को भी नहीं मानते तो लोग न्याय के लिए फिर कहां जाएंगे? जब इस तरह खुलेआम संविधान और जनतंत्र की अवहेलना हो रही है और सहकारी संघवाद का मजाक बनाया जा रहा है तो फिर नीति आयोग की मीटिंग में शामिल होने का कोई मतलब नहीं रह जाता। इसलिए कल की मीटिंग में मेरा शामिल होना संभव नहीं है।'  

सीएम केजरीवाल ने पीएम मोदी को पिता और बड़े भाई समान बताते हुए लिखा कि 'आप यदि केवल भाजपा सरकारों का साथ देंगे और गैर बीजेपी सरकारों के काम को रोकेंगे तो इससे देश का विकास रुक जाएगा।' बता दें कि केजरीवाल की पार्टी समेत कई दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया है। पीएम मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीन देशों की यात्रा से लौटने पर कांग्रेस ने कसा तंज, कहा, सरकार भगोड़े अपराधियों नीरव मोदी और ललित मोदी को वापस लात

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीन देशों की यात्रा से लौटने पर उनका भव्य स्वागत किया गया। कुछ देर बाद कांग्रेस ने तंज कसा। मुख्य विपक्षी दल ने कहा कि अगर सरकार भगोड़े अपराधियों नीरव मोदी और ललित मोदी को वापस लाती है तो कांग्रेस के नेता भी प्रधानमंत्री की अगवानी के लिए हवाई अड्डे पर खड़े रहेंगे। 

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, ‘हम भी भव्य स्वागत (प्रधानमंत्री का) करेंगे, लेकिन केवल इस शर्त पर कि अन्य मोदी को वापस लाया जाए। अगर ललित मोदी या नीरव मोदी को सरकार वापस लाती है तो हम भी दिल्ली हवाई अड्डे पर खड़े रहेंगे और भव्य स्वागत करेंगे।’ जापान, पापुआ न्यू गिनी और ऑस्ट्रेलिया की यात्रा से लौटने पर हवाई अड्डे पर प्रधानमंत्री के भव्य स्वागत के बारे में खेड़ा से सवाल किया गया था। खेड़ा ने कुछ खबरों का हवाला देते हुए दावा किया कि मोदी के वापस आते ही ऑस्ट्रेलिया के एक विश्वविद्यालय ने पांच राज्यों के भारतीय छात्रों को प्रवेश देने पर रोक लगाने की घोषणा कर दी। उन्होंने कहा, ‘क्या यह प्रधानमंत्री की उपलब्धि है? वह हवाई अड्डे से घर भी नहीं पहुंचे होंगे कि यह खबर आ गई। जब भी भारतीय प्रधानमंत्री बाहर जाते हैं तो वह भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनकी पहली जिम्मेदारी भारत के हितों की रक्षा करना है, भले ही उन्हें सम्मान मिले और उनके लिए बड़े कार्यक्रम आयोजित हों।’कांग्रेस नेता ने कहा, ‘ऑस्ट्रेलिया द्वारा पांच राज्यों के छात्रों पर रोक लगाने के फैसले पर आपने क्या कदम उठाए और जब भारतीय छात्रों का भविष्य खतरे में है तो कब इस पर चर्चा होगी।

उन्होंने यह भी कहा कि सही सोच रखने वाला हर भारतीय यहां जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर रहे पहलवानों का समर्थन कर रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी प्रदर्शन स्थल पर गईं और पहलवानों के साथ उन्होंने कुछ वक्त बिताया। खेड़ा ने कहा, ‘हमारे दूसरे नेता और अन्य चिंतित नागरिक भी पहलवानों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। प्रधानमंत्री चार किलोमीटर से भी कम दूरी पर हैं। स्मृति ईरानी और ये सारे मंत्री जंतर मंतर से करीब तीन से चार किलोमीटर की दूरी पर रहते हैं। दुर्भाग्य की बात है कि वहां किसी भी मंत्री को नहीं देखा गया।

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘जब हम सत्ता में थे तो सरकारों में एक संवेदनशीलता होती थी। इस सरकार में या इस सरकार के किसी भी व्यक्ति में रत्ती भर भी संवेदना नहीं दिखती। खेल मंत्री में भी नहीं।’