रात के अंधेरे में INS विक्रांत पर पहली बार रात में उतरा MiG-29K लड़ाकू विमान, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय नौसेना और भारतीय वायुसेना को दी


भारतीय नौसेना ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। मिग-29K ने आईएनएस विक्रांत पर रात के अंधेरे में लैंडिंग कर इतिहास रचा है। भारतीय नौसेना ने एक बयान में कहा है कि यह नौसेना की आत्मानिर्भरता के प्रति उत्साह का संकेत है। भारतीय नौसेना ने इस उपलब्धि को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत' की दिशा में एक और कदम के रूप में मार्क किया है। भारतीय नौसेना ने पहली रात लैंडिंग का वीडियो ट्विटर पर शेयर किया है।

MiG-29K जेट आईएनएस विक्रांत के फाइटर फ्लीट यानी लड़ाकू बेड़े का हिस्सा है. MiG 29K लड़ाकू विमान एक बेहद उन्नत विमान है, जो किसी भी मौसम में उड़ान भर सकता है। यह ध्वनि से दोगुनी रफ्तार (2000 किमी प्रतिघंटा) पर उड़ सकता है। यह अपने वजन से आठ गुना ज्यादा भार ले जाने में सक्षम है. यह 65000 फीट की ऊंचाई पर उड़ सकता है।

रात के समय एयरक्राफ्ट कैरियर पर किसी विमान का उतरना नौसैनिकों के लिए चुनौतीपूर्ण माना जाता है, क्योंकि एयरक्राफ्ट कैरियर 40-50 किमी/घंटा की गति से आगे बढ़ रहा होता है और पायलटों को जेट की गति से तालमेल बैठाए रखना होता है।

इससे पहले तेजस विमान के नौसैनिक वर्जन ने आईएनएस विक्रांत पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की थी। हालांकि, तब यह लैंडिंग दिन के वक्त ही करवाई गई थी। इसके अलावा कामोव 31 हेलीकॉप्टर को भी 28 मार्च को आईएनएस विक्रांत पर उतारा गया था।

मिग-29K की लैंडिंग को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "आईएएनएस विक्रांत पर मिग-29K की रात में पहली लैंडिंग के परीक्षण को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए भारतीय नौसेना को बधाई देता हूं। यह उल्लेखनीय उपलब्धि विक्रांत चालक दल और नौसेना के पायलटों के कौशल, दृढ़ता और व्यावसायिकता का प्रमाण है।

INS विक्रांत भारत में बनने वाला पहला एयरक्राफ्ट कैरियर

आईएनएस विक्रांत भारत में बनने वाला पहला एयरक्राफ्ट कैरियर है। इसका निर्माण केरल में कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) की ओर से किया गया था. भारत के पहले एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत के नाम पर ही इस स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर का नाम रखा गया। 45000 टन के आईएनएस विक्रांत को 20000 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया था। इसे पिछले साल सितंबर में नौसेना में शामिल किया गया था।

MiG-29K विमान की खासियत

-माना जा रहा है कि MiG-29K विमान अगले 10-15 वर्षों तक कारगर रहेंगे, लेकिन बड़ी समस्या यह है कि भारतीय वायु सेना के बेड़े में इसकी संख्या घट रही है। वायु सेना में अभी MiG-29K के 32 स्कॉड्रन हैं और सेना इसकी कमी से जूझ रही है।

-MiG-29K चौथे जेनरेशन के हाईटेक विमान हैं, जो नेवी के एयर डिफेंस मिशन में बेहद कारगर हैं। किसी भी मौसम में बराबर क्षमता के साथ काम करने वाले ये विमान समुद्र और जमीन पर एक जैसा वार कर सकते हैं।

-MiG-29K में मल्टी फंक्शनल डिस्प्ले (एमएफडी), डिजिटल स्क्रीन और ग्लास की कॉकपिट है। पहले इसका जो वर्जन खरीद गया था उसे बाद में अपग्रेड किया गया है जिसके चलते इसकी मारक क्षमता भी बढ़ी है। अब MiG-29K हवा से हवा, हवा से जमीन और एंटी शिपिंग अभियानों को भी अंजाम दे सकते हैं। यानी कि समुद्री सतह पर मार करने में भी यह सक्षम है जिसके चलते नेवी ने अपने साथ इसे जोड़ा है।

-रूस के विमानवाहक पोत एडमिरल गोर्शकोव पर MiG-29K की तैनाती होती थी। बाद में भारत ने इसे खरीद लिया और 2010 में इन लड़ाकू विमानों को तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी की मौजूदगी में नौसेना के बेड़े में शामिल कर लिया गया।

-दो दशक से अधिक समय के इंतजार के बाद नौसेना ने MiG-29K को हासिल किया था. इससे पहले, नौसेना ने अस्सी के दशक में ‘शॉर्ट टेक ऑफ एंड वर्टिकल लैंडिंग' (एसटीओवीएल) ‘सी हैरियर्स' खरीदे थे जो ब्रिटेन में बने लड़ाकू विमान थे।

-MiG-29K में जो हथियार लगे हैं उनमें “ए-ए”, “ए-एस” मिसाइल, गाइडेड एरियल बम, रॉकेट, हवाई बम और 30 मिमी कैलिबर की बनी एयर गन शामिल हैं। ग्राहक के अनुरोध पर नए प्रकार के हथियारों को इसमें सेट किया जा सकता है।

-MiG-29K हाईटेक टारगेट और नेविगेशन सिस्टम, क्वाड-रिडंडेंट फ्लाई-बाय-वायर फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम, रडार और ऑप्टिकल लोकेटिंग स्टेशन, हेलमेट-माउंटेड टारगेट/ डिस्प्ले सिस्टम, कम्युनिकेशन-सेल्फ डिफेंस इक्विपमेंट, कॉकपिट इंस्ट्रूमेंटेशन से लैस है। उच्च उड़ान सुरक्षा, हथियारों का प्रभावी उपयोग, नेविगेशन और प्रशिक्षण कार्यों को संभालते में भी इस विमान का बड़ा रोल है।

उत्तराखंड में भाजपा समलैंगिक विवाह व लिव इन रिलेशनशिप के खिलाफ, यूसीसी से कहा, इसको कानूनी मान्यता नहीं दी जाए

उत्तराखंड प्रदेश भाजपा ने राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने का समर्थन किया। पार्टी ने विशेषज्ञ समिति को दो टूक कहा कि वह समलैंगिक विवाह व लिव इन रिलेशनशिप के खिलाफ है। इन्हें कानूनी मान्यता नहीं दी जानी चाहिए। पार्टी ने विशेषज्ञ समिति के समक्ष अपना मत प्रस्तुत किया। पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. देवेंद्र भसीन के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने विशेषज्ञ समिति से कहा कि भाजपा यूसीसी के पक्ष में है और इसे संविधान सम्मत मानती है।

पार्टी का मानना है कि किसी भी धर्म, समाज एवं वर्ग में महिलाओं का विवाह, तलाक, संपत्ति आदि सभी विषयों में समान अधिकार होना चाहिए और देवभूमि स्वरूप बना रहना चाहिए। चूंकि नागरिक देश व समाज का प्रथम आधार है, इसलिए उनके अधिकारों का निर्धारण महत्वपूर्ण विषय है। ये अधिकार देश की एकता व अखंडता की रक्षा के मूलभूत सिद्धांत पर आधारित होने चाहिए।

पार्टी का मानना है कि नागरिकों के अधिकार तय करते समय देश व प्रदेश की संस्कृति और विरासत को भी ध्यान में रखना चाहिए। भारत व उत्तराखंड की मूल पहचान पर इनका नकारात्मक प्रभाव न पड़े। समान नागरिक संहिता का महत्वपूर्ण विषय समानता का होना अपेक्षित है, जो समाज के हर वर्ग में समानता का भाव पैदा करे। इस आशय का संदेश न जाए कि कि कोई वर्ग विशेष या समुदाय विशेष, अलग से विशेष अधिकार रखता है। प्रतिनिधिमंडल में भाजपा के महानगर अध्यक्ष सिद्धार्थ अग्रवाल व सत्यवीर चौहान शामिल थे।

महिलाओं को संपत्ति में पुरुषों के समान अधिकार हों

भाजपा ने कहा कि महिलाओं के अधिकार पुरुषों के समान होने चाहिए और किसी भी वर्ग में महिलाएं उपेक्षित या दोयम दर्जे की दिखाई नहीं देनी चाहिए। उन्हें संपत्ति में पुरुषों के समान अधिकार हों, उन्हें मायके में बचपन और फिर विवाह के बाद ससुराल में समान अधिकार मिलने चाहिए। इसी तरह तलाक़ की स्थिति में भी जो अधिकार पुरुषों के हैं, वही अधिकार महिलाओं के भी होने चाहिए।

भाजपा ने ये सुझाव भी दिए

– सभी धर्मों के अनुयायियों के अधिकार समान हों, जिससे समाज में परस्पर सम्मान व सौहार्द का वातावरण बना रहे

– किसी धर्म के अनुयायियों को ऐसा कोई कार्य करने का अधिकार नहीं होना चाहिए जो अन्य धर्म के लोगों के लिए परेशानी बने

– अवैध धर्मांतरण पर पूरी तरह से रोक ज़रूरी, स्वेच्छा से धर्म बदलने की प्रक्रिया हो

– अनुमति के बाद ही धार्मिक स्थलों के निर्माण हो

– विवाह, तलाक़ या अन्य सामाजिक मामलों में धर्म या परंपरा के नाम पर चल रही कुरीतियां दूर की जानी चाहिए।

– पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल बनाते हुए प्रत्येक विवाह का पंजीकरण अनिवार्य किया जाए।

उत्तराखंड के हेमकुंड साहिब में भारी बर्फबारी और बारिश के कारण दूसरे दिन भी रोकी गई यात्रा, गोविंदघाट व घांघरिया में रुके यात्री

हेमकुंड साहिब में बर्फबारी के चलते गुरुवार को घांघरिया से हेमकुंड के लिए गए 180 यात्रियों को अटलाकोटी से वापस लौटना पड़ा। यात्रा आज शुक्रवार को भी सुचारू नहीं हो सकी है। बर्फ के चलते दो दिनों के लिए हेमकुंड यात्रा रोकी गई है। यात्रियों को गोविंदघाट व घांघरिया गुरुद्वारे में रखा गया है।

बुधवार रात्रि से रुर रुक कर हो रही वर्षा व बर्फबारी हो रही हेमकुंड साहिब में अटलाकोटी से आगे बर्फबारी से पैदल मार्ग बाधित हो गया था। बताया गया कि पैदल मार्ग पर एक फीट से अधिक बर्फ जमी हुई है।

गुरुवार तड़के घांघरिया से रवाना हुए जत्थे को गुरुद्वारा के स्वयं सेवकों व पुलिस एसडीआरएफ ने अटलाकोटी से वापस भेजा यहां से तीन किमी क्षेत्र हेमकुंड जाने का रास्ता बर्फ से ढक गया था। इस पर आवाजाही खतरे से खाली नहीं थी।

बताया गया कि इसके बाद गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब मेनेजमेंट ट्रस्ट व प्रशासन ने हेमकुंड यात्रा को दो दिनों के लिए रोकने का निर्णय लिया। गुरुद्वारा के मुख्य प्रबंधक सरदार सेवा सिंह ने बताया कि हेमकुंड यात्रा को शुक्रवार तक के लिए रोक दी गई है।

शुक्रवार को अगर मौसम साफ रहा तो सबसे पहले पैदल मार्ग से बर्फ हटाने का कार्य शुरु होगा। सुरक्षित राह बना कर यात्रियों को हेमकुंड यात्रा पर भेजा जाएगा।

बताया गया कि हेमकुंड साहिब में बर्फ की मोटी चादर बिछी है। बताया गया कि जोशीमठ, गोविंदघाट, घांघरिया में हेमकुंड दर्शनों को जाने वाले 1100 से अधिक यात्री हेमकुंड साहिब यात्रा पैदल मार्ग सुचारु होने का इंतजार कर रहे हैं।

बदरीनाथ में वर्षा से बढ़ी ठंड

चमोली जिले में दिनभर रुक रुक कर वर्षा होती रही। बदरीनाथ धाम में भी चोटियों में बर्फबारी व निचले स्थानों में वर्षा हुई है। जिससे ठंड बढ़ी है। हालांकि बदरीनाथ धाम में यात्रा सुचारु है। यात्रियों ने राहत की सांस ली। धाम में चोटियों में बर्फबारी से यहां की छठा देखते ही बन रही है।

उत्तराखंड के खटीमा में शारदा नदी में गिरी कार, महिला समेत पांच लोगों की मौत, पुलिस ने शवों को निकाला बाहर

उत्तराखंड के खटीमा ऊधम सिंह नगर जिले में देर रात बड़ा हादसा हो गया। जिले में एक तेज रफ्तार कार अनियंत्रित होकर शारदा नदी में डूब गई। इस हादसे में चालक, महिला समेत पांच लोगों की मौत हो गई। घटना की सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने नदी से कार निकाल कर शवों को निकाला बाहर। शवों को पोस्टमार्टम के लिए नागरिक चिकित्सालय में रखा गया है।

गुरुवार देर रात शारदा नदी में गिरी कार में पांच लोगों की जान चली गई। इस दर्दनाक हादसे में मृतकों की पहचान द्रोपदी, ज्योति, दीपिका,सोनू और कार चालक मोहन सिंह धामी के रूप में हुई हैं।

बीपीएससी से होने वाली विद्यालय शिक्षक के पद पर नियुक्ति को नियोजित शिक्षकों की उम्र सीमा की बाध्यता खत्म, बिहार सरकार ने जारी की अधिसूचना

बीपीएससी से होने वाली विद्यालय शिक्षक के पद पर नियुक्ति के लिए नियोजित शिक्षकों की उम्र सीमा शिथिल कर दी गयी है। अब परीक्षा के लिए उनकी उम्र सीमा की बाध्यता नहीं होगी। यही नहीं 2019 में एसटीईटी पास करने वाले प्रशिक्षित अभ्यर्थियों को पहले प्रयास के लिए उम्र सीमा में 10 वर्षों की छूट दी जाएगी। शिक्षा विभाग ने गुरुवार को इसकी अधिसूचना जारी कर दी है।

विभाग के संयुक्त सचिव संजय कुमार ने बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक (नियुक्ति, स्थानांतरण, अनुशासनिक कार्रवाई एवं सेवा शर्त) नियमावली 2023 में नियुक्ति के लिए आवेदकों की उम्र को लेकर स्थिति स्पष्ट कर दिया है। इसके तहत नियुक्ति के लिए आयु की गणना नियुक्ति वर्ष की पहली अगस्त को आधार मानकर किया जाएगा। 

पूर्व में पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण होने वाले प्रशिक्षित अभ्यर्थियों को इस नियमावली के प्रवृत्त होने के पश्चात नियुक्ति के प्रथम समव्यवहार में अधिकतम आयु सीमा में 10 वर्ष की छूट देय होगी।

इसी तरह इस नियमावली के प्रवृत्त होने के पूर्व पात्रता परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले प्रशिक्षित अभ्यर्थियों को इस नियमावली के प्रवृत्त होने के पश्चात नियुक्ति नियुक्ति के प्रथम समव्यवहार में अधिकतक आयु सीमा में 10 वर्ष की छूट 1 अगस्त 2023 को आधार मानकर देय होगी। लेकिन, एसटीईटी 2019 में उत्तीर्ण प्रशिक्षित अभ्यर्थियों को इस नियमावली के अधीन नियुक्ति में अधिकतक आयु सीमा में 10 वर्ष की छूट 1 अगस्त 2019 को आधार मानकर की जाएगी।

उत्तरप्रदेश में आजम खान की सीट से चुन कर आए BJP विधायक को हाई कोर्ट का नोटिस, SP प्रत्याशी ने की चुनाव रद्द करने की मांग

उत्तरप्रदेश में मोहम्मद आजम खान की सीट से निर्वाचित रामपुर से बीजेपी विधायक आकाश सक्सेना को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सपा प्रत्याशी आसिम राजा की चुनाव याचिका पर नोटिस जारी किया है। सपा प्रत्याशी आसिम राजा ने चुनाव याचिका में रामपुर से चुने गए बीजेपी विधायक आकाश सक्सेना पर करप्ट प्रैक्टिस का आरोप लगाया गया है।

आरोप है कि बीजेपी प्रत्याशी आकाश सक्सेना ने वोटरों को घर से बाहर निकलने नहीं दिया। याचिका में सपा प्रत्याशी आसिम राजा ने आरोप लगाया कि पुलिस ने भी लाल पर्ची का डर दिखाकर वोटरों को वोट नहीं देने दिया। सपा प्रत्याशी आसिम राजा की ओर से आरोप लगाया कि चुनाव के दिन विशेष समुदाय के वोटरों को टारगेट किया गया और उन्हें उनके संवैंधानिक वोट देने के अधिकार से वंचित रखा गया, वोटर्स को पोलिंग बूथ तक नहीं पहुंचने दिया गया। इसके अलावा उन्होंने आरोप लगाया है कि वोटर्स को डराया-धमकाया गया है। याचिका में बताया गया ये सभी उनके समुदाय के उनके कैडर वोटर्स थे।

सपा प्रत्याशी आसिम राजा का आरोप है कि जिन्हें वोट देने से रोका गया उनमें ज्यादातर वोटर उनके थे। इस मामले में निर्वाचन आयोग से भी उन्होंने शिकायत की थी। सपा प्रत्याशी आसिम राजा ने चुनाव याचिका में बीजेपी विधायक आकाश सक्सेना का निर्वाचन रद्द करने की मांग की गई है।

मामले पर अगस्त में होगी सुनवाई

सपा प्रत्याशी आसिम राजा की याचिका पर गुरुवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए रामपुर से बीजेपी विधायक आकाश सक्सेना को नोटिस जारी किया है। याचिका पर अधिवक्ता एम ए हसीन और कमरुल हसन सिद्दीकी ने अपने मुव्वकिलों का पक्ष रखा। जस्टिस संजय कुमार सिंह की सिंंगल बेंच में मामले की सुनवाई हुई। अगस्त के पहले हफ्ते में इलाहाबाद हाई कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई करेगा।

दिग्गज अभिनेता आशीष विद्यार्थी ने असम की रूपाली बरुआ के साथ की दूसरी शादी, बोले, रूपाली से फिर से मिला प्यार

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेता की शादी पहले गुजरे जमाने की अभिनेत्री शकुंतला बरुआ की बेटी राजोशी बरुआ से हुई थी। विद्यार्थी की दूसरी पत्नी रूपाली, जो गुवाहाटी से हैं, कोलकाता में एक अपस्केल फैशन स्टोर से जुड़ी हैं।

दिग्गज अभिनेता आशीष विद्यार्थी ने गुरुवार, 25 मई को एक निजी समारोह में असम की रूपाली बरुआ के साथ शादी कर ली है। कई हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम और अधिक क्षेत्रीय फिल्मों में दिखाई देने वाले अभिनेता को रूपाली में फिर से प्यार मिला है। आशीष विद्यार्थी की यह दूसरी शादी है। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेता की शादी पहले गुजरे जमाने की अभिनेत्री शकुंतला बरुआ की बेटी राजोशी बरुआ से हुई थी। विद्यार्थी की दूसरी पत्नी रूपाली, जो गुवाहाटी से हैं, कोलकाता में एक अपस्केल फैशन स्टोर से जुड़ी हैं। 

परिवार और करीबी दोस्तों की मौजूदगी में आशीष और रूपाली ने चुपचाप रजिस्ट्री मैरिज की। शादी दो संस्कृतियों का एक आदर्श मिश्रण थी। रुपाली ने सुबह 6.30 बजे तैयार होना शुरू किया और आशीष के सफेद और सोने के मुंडू केरल से जुड़ने के लिए खुद को एक सुंदर सफेद मेखला में सजाया। उन्होंने मेखला को सोने के मंदिर के आभूषणों के साथ जोड़ा। 60 साल की उम्र में शादी करने के बारे में अपनी भावनाओं को साझा करने वाले अभिनेता ने कहा कि मेरे जीवन के इस पड़ाव पर, रूपाली से शादी करना एक असाधारण एहसास है। हमने सुबह कोर्ट मैरिज की, उसके बाद शाम को गेट-टुगेदर हुआ।

हालांकि, दोनों की मुलाकात कैसे हुई थी, यह सभी जानना चाहते हैं। इसपर उन्होंने कहा कि हम कुछ समय पहले मिले थे और इसे आगे बढ़ाने का फैसला किया। लेकिन हम दोनों चाहते थे कि हमारी शादी एक छोटा पारिवारिक मामला हो। आशीष विद्यार्थी बॉलीवुड में अपनी खलनायक की भूमिकाओं के लिए लोकप्रिय हैं। उन्होंने भारतीय सिनेमा में कई फिल्मों में काम किया है। अभिनेता का जन्म 19 जून, 1962 को दिल्ली में हुआ था। द्रोहकाल के लिए इन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था। विद्यार्थी ने 300 से अधिक फिल्मों में 11 भाषाओं में काम किया है।

नया संसद भवन उद्घाटन को तैयार, 96 साल पुरानी विरासत, अंग्रेजी हुकूमत में बने पुराने संसद भवन का अब क्या होगा? यहां पढ़िए डिटेल में पूरी खबर

राजधानी दिल्ली में नए संसद भवन की इमारत बनकर तैयार हो गई है। इसका निर्माण पुराने संसद भवन के ठीक बगल में किया गया है। आगामी 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उद्घाटन करेंगे। आपको बता दें कि वर्तमान की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए नए संसद का निर्माण कराया गया है। इसमें आधुनिकता और डिजीटल सुविधाओं की व्यव्सथा की गई है। ऐसे में एक सवाल है, जो सभी के मन में पैदा हो रहा है। वो ये कि अब संसद भवन की पुरानी इमारत का क्या होगा? आज से 96 साल पहले अंग्रेजी शासनकाल में बनाई गई इमारत को गिरा दिया जाएगा या फिर इसमें दूसरे कार्यों का संचालन किया जाएगा? आइए जानते हैं कि पुरानी संसद भवन की इमारत का क्या होगा?

बता दें कि संसद भवन की पुरानी इमारत अंग्रेजी हुकूमत के दौरान वर्ष 1927 में बनाई गई थी। उस दौरान इसके निर्माण में लगभग 83 लाख रूपए का खर्च आया था। यह 47,500 हजार वर्ग मीटर में बनी हुई है। इसका निर्माण वर्ताकार में करवाया गया। पुराने संसद भवन में लोकसभा के लिए 543 सीटें, जबकि राज्यसभा के लिए 250 सीटें हैं।

पुराने संसद भवन का क्या होगा?

संसद की पुरानी इमारत को ढहाया नहीं जाएगा बल्कि इसे संरक्षित किया जाएगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार इसके पुरातात्विक महत्त्व को देखते हुए इसे संरक्षित रखने का विचार कर रही है। इस इमारत का इस्तेमाल संसद से जुड़े कार्यक्रमों के आयोजन के लिए किया जाएगा। संसद भवन के निर्माण के बाद अभी इस्तेमाल हो रहे संसद भवन को संग्रहालय के रूप में तब्दील किया जाएगा।

जान लीजिए, पद्मा सुब्रमण्यम की एक चिट्ठी से खुला सेंगोल का राज, माउंटबेटन ने सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर सेंगोल सौंपा था पंडित नेहरू को

पीएम मोदी के आदेश के बाद सेंगोल को खोजने में लगा दो साल, नए संसद भवन में सेंगोल किया जाएगा स्थापित।

1947 में सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक बना सेंगोल नए संसद भवन में स्थापित होगा। यह भी सेंगोल है जिसे साल 1947 में आजादी के वक्त आखिरी वायसराय माउंटबेटन ने सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर पंडित नेहरू को सौंपा था। नामित सेंगोल इलाहाबाद संग्रहालय में सुरक्षित है। यह सेंगोल एक ऐसी महत्वपूर्ण धरोहर है , जिसे भुला दिया गया था। आजादी के बाद से अब तक कुछ गिने - चुने लोग ही थे जो इसके महत्व को जानते थे।

  गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को प्रेस कांफ्रेंस कर सेंगोल के बारे में जानकारी दी और इसके महत्व के बारे में बताया। इस दौरान यह भी बताया गया कि अब तक सेंगोल कहां और किस हालत में था। आखिर इतने दिन सेंगोल कहां था और पीएमओ को इसकी जानकारी कहां से मिली ? सेंगोल के बारे में जानकारी देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि पदाधिकारियों को सेंगोल ढूंढने का टास्क खुद पीएम मोदी ने दिया था।

उन्होंने नए संसद भवन के निर्माण के दौरान इससे जुड़े सभी तथ्य और इतिहास पर रिसर्च करने के आदेश दिए थे। उन्हें सेंगोल के बारे में एक चिट्ठी से जानकारी हुई थी। इस चिट्टी को बहुचर्चित नृत्यांगना पद्मा सुब्रह्मण्यमने प्रधानमंत्री कार्यालय को लिखा था।

  

प्रधानमंत्री कार्यालय को सेंगोल के बारे में तकरीबन दो साल पहले पता चला था। चर्चित नृत्यांगना पद्मा सुब्रमण्यम ने पीएमओ को लिखी चिट्ठी में इसका जिक्र किया था। द हिंदू की एक रिपोर्ट के हिसाब से पद्मा सुब्रमण्यम ने इस चिट्ठी में सेंगोल के महत्व के बारे में जानकारी दी थी। इसके लिए उन्होंने एक तमिल मैगजीन में प्रकाशित आर्टिकल का हवाला भी दिया था। इस आर्टिकल में इस बात का जिक्र था कि 14 अगस्त 1947 की रात को सत्ता हस्तांतरण के तौर पर जवाहर लाल नेहरू ने सेंगोल को स्वीकार किया था।

    

पद्मा सुब्रमण्यम भरतनाट्यम की प्रसिद्ध नृत्यांगना हैं। उनका जन्म 1943 में हुआ था। पिता प्रसिद्ध फिल्म निर्माता थे और मां संगीतकार। पद्मा सुब्रमण्यम ने अपने पिता के डांस स्कूल में महज 14 साल की उम्र में ही बच्चों को डांस सिखाना शुरू कर दिया था। उन्हें अब तक कई अवार्ड और पुरस्कार मिल चुके हैं। 1983 में वह संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार जीत चुकी हैं। इसके अलावे उन्हें 1981 और 2003 में क्रमश: पद्मश्री और पद्मभूषण पुरस्कार भी मिल चुके हैं। इसके अलावे सोवियत संघ की ओर से नेहरू पुरस्कार और एशिया में विकास और सद्भाव के लिए जापान के फुकुओका का एशियाई संस्कृति पुरस्कार मिला है।

 इस अमूल्य धरोहर के बारे में बताने वाला आर्टिकल मई 2021 में प्रकाशित हुआ था। एक रिपोर्ट के मुताबिक जब पद्मा सुब्रमण्यम ने इसे पढ़ा तो उन्हें इस बात का अहसास हुआ कि इस धरोहर के बारे में सबको जानना चाहिए। इसके बाद ही उन्होंने पीएमओ को चिट्टी लिखकर यह मांग की थी कि पीएम को इसके बारे में देशवासियों को बताना चाहिए।

पीएमओ ने चिट्ठी को गंभीरता से लिया। पीएम मोदी को इसकी जानकारी दी गई। खास तौर पर पीएम मोदी ने सेंगोल को ढूंढने का आदेश दिया। अफसरों की टीम ने इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट की मदद से इसकी खोज शुरू कर दी। लेकिन कुछ पता नहीं चल पा रहा था। इसके बाद नेशनल अभिलेखागार में उस समय से अखबारों को ढूंढ गया। इससे पता चला कि सेंगोल को तमिलनाडु के वुम्मिडी बंगारू फैमिली ने बनाया था। अफसरों की टीम ने जब बंगारु फैमिली से बात की तब उन्होंने बताया कि सेंगोल को उन्होंने ही बनाया था। लेकिन अब वह कहां है इसके बारे में उन्हें पता नहीं है। इसके बाद देश भर के अन्य म्यूजियम में भी इसके बारे में पता लगाने का आदेश दिया गया। सेंगोल कैसा दिखता है इसकी जानकारी भी बेहद कम लोगों के पास थी।

 

आखिरकार सेंगोल नुमा एक छड़ी इलाहाबाद के आनंद भवन में मिल गई। किसी को पता नहीं था कि यही सेंगोल है। पत्र - पत्रिकाओं में भी इसकी फोटो नहीं थी। आखिरकार इस सेंगोल के चित्र को तमिलनाडु के उन्हीं बंगारु फैमिली के पास ले जाया गया तब उन्होंने उस कलाकृति को पहचान लिया। उनके पास इसकी फोटो भी थी। दरअसल 1947 में वुम्मिडी एथुराजुलू और वुम्मिडी सुधाकर ने अन्य शिल्पकारों के साथ मिलकर इसे बनाया था। उस समय सोने - चांदी से निर्मित सेंगोल की लागत 15 हजार से अधिक थी। अब वे दोनों भाई भी 28 मई को होने निर्धारित कार्यक्रम का भी हिस्सा बनेंगे।

 सेंगोल शब्द " सेम्मई " से आया है। इसका अर्थ होता है " नीति परायणता "। सेंगोल एक प्रकार का राजदंड है। 09 वीं सदी में चोल राजवंश में सेंगोल के जरिए सत्ता का हस्तांतरण होता था। साल 1947 में सी. राजगोपालाचारी ने पंडित नेहरू को सेंगोल के जरिए सत्ता हस्तांतरण का सुझाव दिया था। उन्होंने इस सुझाव को स्वीकार कर इसी तरह से माउंटबेटन से सत्ता ग्रहण किया।

*शरद पवार से मिले अरविंद केजरीवाल, अध्यादेश के खिलाफ मांगा समर्थन*

#arvindkejriwaltomeetncpchiefsharad_pawar

एक तरफ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट करने में जुटे हुए हैं। इस क्रम में नीतीश एक-एक कर अलग-अलग पार्टियों के नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल भी विपक्ष को एकमत करने की कोशिश में लगे हुए हैं।दरअसल, दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ समर्थन जुटाने के लिए अरविंद केजरीवाल देशव्यापी दौरे पर हैं। इसी कड़ी में केजरीवाल ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार से मुलाकात की।

केजरीवाल गुरुवार को वह अपनी पार्टी के टॉप नेताओं के साथ एनसीपी चीफ शरद पवार से मिलने महाराष्ट्र पहुंचे। केजरीवाल की टोली में इस दौरान पंजाब के सीएम भगवंत मान, आप के सांसद राघव चड्ढा, दिल्ली की मंत्री आतिशी और कुछ और लोग शामिल थे, जिनकी यशवंत राव चह्वाण सेंटर के भीतर बंद कमरे में काफी देर तक पवार से बातचीत हुई।

...तब यह 2024 के आम चुनाव का सेमिफाइनल होगा-केजरीवाल

मीटिंग के बाद केजरीवाल ने पवार के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया- एनसीपी ने हमें आश्वासन दिया है कि वह हमारा समर्थन (केंद्र के अध्यादेश के सिलसिले में) करेंगे। हम सभी गैर-बीजेपी दलों की ओर से समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं। आगे केजरीवाल ने कहा, "अगर संसद के उच्च सदन राज्य सभा में इस बिल को हरा दिया गया, तब यह 2024 के आम चुनाव का सेमिफाइनल होगा।

अब खड़गे और राहुल से मुलाकात की बारी

अरविंद केजरीवाल ने मीडिया से कहा, जो लड़ाई 8 साल में हमने जीती उसे केंद्र सरकार ने 8 दिन में अध्यादेश लाकर निरस्त कर दिया। ये दिल्ली की लड़ाई नहीं है, ये पूरे संघीय संरचना की लड़ाई है। कल, मैं इस मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से मिलने के लिए समय मांगूंगा।अध्यादेश के खिलाफ समर्थन जुटाने के लिए केजरीवाल उद्धव ठाकरे, ममता बनर्जी और नीतीश कुमार से भी मिल चुके हैं। सभी नेताओं ने संसद में केजरीवाल का समर्थन करने की बात कही है। उधर, केजरीवाल के समर्थन को लेकर कांग्रेस दो धड़ों में बंटी नजर आई। पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल अध्यादेश के खिलाफ आप को समर्थन देने की बात कही। वहीं, दिल्ली में पार्टी के नेता अजय माकन ने समर्थन से इनकार किया।

शरद पवार बोले- देश में संकट है

एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि देश में संकट है और यह दिल्ली तक सीमित मुद्दा नहीं है। एनसीपी और महाराष्ट्र की जनता केजरीवाल का समर्थन करेगी। हम केजरीवाल का समर्थन करने के लिए अन्य नेताओं से भी बात करेंगे। हमें सभी गैर-भाजपा पार्टियों को एक साथ लाने पर ध्यान देना चाहिए।

यह है मामला

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले बाद केंद्र सरकार एक अध्यादेश लाया, जिसने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को एकदम पलट कर रख दिया है। अदालत ने जहां सभी अधिकार मुख्यमंत्री को दिए थे, वहीं ट्रांसफर और पोस्टिंग के मामले में केंद्र सरकार ने अध्यादेश के जरिये सभी अधिकार वापस उपराज्यपाल को दे दिए हैं। अब इसी अध्यादेश के खिलाफ केजरीवाल मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष को जोड़ने और अपने लिए समर्थन मांगने की कवायद में जुटे हुए हैं। केजरीवाल चाहते हैं कि जब यह अध्यादेश बिल के रूप में केंद्र सरकार राज्यसभा में लाए तब पूरा विपक्ष एकजुट होकर इसका विरोध करे। ताकि यह कानून न बन सके।