इलाज में लाइन के बाद दवा के लिए जंग, पसीने से तर-बतर हो दवा लेने को विवश हैं रोगी व परिजन
नालंदा : मिशन 60 और मिशन 90 के बाद भी रोगियों को इस भीषण गर्मी में पसीने से तर-बतर हो दवा लेने के लिए जंग लड़नी पड़ती है।
एक ही काउंटर रहने से 10 बजे के बाद ही रोगियों व परिजनों की लंबी लाइन लग जाती है। लाइन में खड़ा होने के बाद रोगी दवा लिखी पर्ची से ही चेहरे पर हवा कर गर्मी से राहत लेने का प्रयास करते हैं। जबकि, कई मरीज गर्मी से बेचैन हो बिना दवा लिए ही उस समय लौट गए।
इतना ही नहीं, रोगी जलालपुर के शशि कुमार, सलेमपुर की दिव्या देवी, एकंगरसराय के रौशन कुमार समेत कई रोगियों ने आधी-अधूरी दवाएं देने का आरोप लगाया।
थरथरी के रुपसपुर गांव निवासी संजीत कुमार, बिहारशरीफ पटेल नगर की कुमारी रूबी सिन्हा, बड़ी पहाड़ी के समीर कुमार समेत अन्य ने कहा कि इस भीषण गर्मी में काउंटर से दवा लेना किसी जंग जीतने से कम नहीं है।
एक ही काउंटर पर दो कतारों में महिला व पुरुष रोगियों को दवा देने की व्यवस्था है। लेकिन, काउंटर के पास एक भी पंखा नहीं है। एक्जॉस्ट पंखा तक नहीं लगाया गया है। बगल में ही ओपीडी का निबंधन काउंटर है। इस कारण रोगियों की संख्या काफी बढ़ जाती है।
हालांकि, हॉल में दो पंखे लगे हुए हैं, जो भीड़ के लिए नाकाफी साबित हो रहा है। मरीजों ने काउंटर के पास पंखा लगाने की बात कही।
सोमवार को महिला ओपीडी में दोपहर डेढ़ बजे तक डॉ. पूजा कुमारी, डॉ. अंजलि कुमारी ने 120, पुरुष ओपीडी में डॉ. राजीव रंजन ने 202 तो डॉ. सावन सुमन ने 67 मरीजों का इलाज किया। उस समय भी वहां रोगियों की भीड़ लगी हुई थी। यानि, 389 रोगियों का इलाज कर उन्हें दवाओं की पर्ची दी जा चुकी थी, जो दवा लेने के लिए काउंटर पर पहुंचे थे।
सीएस डॉ. अविनाश कुमार सिंह ने कहा कि चार दिन पूर्व ही अस्पताल प्रबंधन को वहां पर पंखा लगाने का आदेश दिया गया था। मगर, किस कारण से व्यवस्था नहीं हुई, इसका शोकॉज किया गया है।
मरीजों को हर हाल में सुविधाएं मुहैया कराना अस्पताल प्रबंधन की जिम्मेदारी है। भीषण गर्मी को देखते हुए कूलर व अन्य उपकरण खरीदने का पूर्व में ही निर्देश दिया जा चुका है।
नालंदा से राज
May 21 2023, 10:04