गो फर्स्ट की दिवाला समाधान अर्जी को एनसीएलटी ने स्वीकार किया, कर्मचारी की छंटनी पर लगाई रोक
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कर्ज संकट से जूझ रही विमानन कंपनी गो फर्स्ट को बुधवार को बड़ी राहत मिल गई। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल(एनसीएलटी) ने दिवाला प्रक्रिया शुरू करने के कंपनी के आवेदन को स्वीकार कर लिया।एनसीएलटी ने सीआईआरपी के तहत कार्यवाही शुरू करने के लिए गो फर्स्ट की याचिका स्वीकार की है। एनसीएलटी ने गो-फर्स्ट को अपना काम और वित्तीय बाध्यताओं को पूरा करते रहने और किसी भी कर्मी की छंटनी नहीं करने को भी कहा है।
एनसीएलटी के चेयरपर्सन न्यायमूर्ति रामलिंग सुधाकर और न्यायमूर्ति एल एन गुप्ता की पीठ ने कर्ज में फंसी कंपनी को चलाने के लिये अभिलाष लाल को अंतरिम पेशेवर नियुक्त किया। पीठ ने कंपनी को किसी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से संरक्षण भी दिया और ऋण शोधन कार्यवाही यानी दिवाला प्रक्रिया के दौरान उसे चलाने के लिये निलंबित निदेशक मंडल से समाधान पेशेवर की मदद करने को कहा।
एनसीएलटी ने अपने फैसले में कहा कि हम दिवाला समाधान कार्यवाही के लिए गो फर्स्ट एयरलाइंस की याचिका स्वीकार करते हैं। दिवालिया घोषित करने से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए एनसीएलटी ने कंपनी के बोर्ड को सस्पेंड कर दिया है। इसके साथ ही अध्यक्ष न्यायमूर्ति रामलिंग सुधाकर तथा एल एन गुप्ता की पीठ ने कर्ज में फंसी कंपनी को चलाने के लिये अभिलाष लाल को अंतरिम पेशेवर नियुक्त किया।
बताते चलें कि गो फर्स्ट पर भारतीय बैंकों समेत कर्ज देने वालों का कुल 6,521 करोड़ रुपया बकाया है। इसके अलावा कंपनी को विमानों के किराये और ईंधन का पेमेंट भी करना है।इस तरह कंपनी पर कुल बकाया 11,463 करोड़ रुपये है।कुछ दिन पहले कंपनी के सीईओ कौशिक खोणा ने एक इंटरव्यू में कहा था कि खराब इंजन की वजह से एयरलाइंस 20,000 ‘उड़ान के दिन’ पूरे नहीं कर पा। इससे हर दिन 55,000 डॉलर का नुकसान हुआ। ये नुकसान ही 110 करोड़ डॉलर से अधिक का बैठता है। भारतीय रुपये में ये रकम करीब 9,030 करोड़ रुपये होती है।
गो फर्स्ट ने 17 साल से अधिक समय पहले उड़ान भरना शुरू किया था। एयरलाइन ने वित्तीय संकट के बीच तीन मई से उड़ानों का परिचालन रोक दिया। प्रैट एंड व्हिटनी से इंजन आपूर्ति नहीं होने के कारण कंपनी के बेड़े में शामिल आधे से अधिक विमान उड़ान नहीं भर पा रहे थे।
May 10 2023, 16:37