नदी का ऋषि परम्परा से सीधे नाता,अविरलता के लिए अतुर: डाॅ अर्जुन पाण्डेय
अमेठी। पर्यावरण बिद प्रोफेसर डॉ अर्जुन पाण्डेय ने जिलाधिकारी राकेश कुमार मिश्र को पत्र भेजकर मांग उठाई कि नदियों का नाम नार में दर्ज है। जबकि शास्त्र और पुराण मे उल्लेख मालती नदी है। महर्षि चाणक्य ऋषि तपोस्थली पौराणिक तीर्थ स्थल कालिकन भवानी मंदिर धाम के किनारे से मालती नदी के प्रवाह का विवरण मिले है। लेकिन शारदा सहायक खण्ड-49 ने टिंगा चमरौला नाला पुल का शिलान्यास तत्कालीन सांसद राजीव गांधी ने प्रदेश के सिचाई मंत्री बीर बहादुर सिंह ने किया था।
यही नहीं उज्जैनी नदी को शारदा सहायक खण्ड-49 ने गुलालपुर नाले के रूप मे पहचान बना दी। लेकिन दोनों नदियों के मिलन ब्लाक संग्रामपुर के ग्राम पंचायत करनाईपुर के ग्राम नोनरा में मालती नदी और उज्जैनी नदी मिलती है। इसके बाद दोनों नदियों की धारा ग्राम कोलवा होते हुए मोहनपुर की तरफ बहती है। इन नदियों के नामकरण के लिए गांव गांव लोग अभियान चला रहे है।
अमेठी जल बिरादरी अध्यक्ष डा अर्जुन पाण्डेय नदी के जल के कल प्रवाह के लिए चिन्तन शील है। नदियों में जगह-जगह कुण्ड की गद निकल गई तो नदी की अबिरल धारा को गति मिलना तय है। जीव-जन्तु, पशु पक्षी के लिए जहां जीवन मिलेगा। तो मानव समाज को सुख शान्ति मिलना तय है। जनप्रितनिधि भी इस खबर से अति उत्साहित नजर आ रहे है।
Apr 28 2023, 17:20