गोल्फ ग्राउंड में बांस का उत्पाद लेकर आए शिल्पकारों ने दिया पर्यावरण बचाने का संदेश
धनबाद : गांधी शिल्प बाजार में शिल्पकार बांस और बेंत से बने उत्पादों को प्रदर्शित कर रहे हैं।इन उत्पादों को बनाकर एक तरफ जहां प्रधानमंत्री के वोकल फॉर लोकल के नारे को चरितार्थ कर रहे हैं वहीं, दूसरी तरफ प्लास्टिक से दूर रहकर इन उत्पादों के माध्यम से पर्यावरण बचाने का संदेश भी दे रहे हैं।गांधी शिल्प बाजार में चार अलग - अलग स्टाल है जिनमे असम, देवघर और धनबाद के बलियापुर के शिल्पकार अपने उत्पाद के साथ पहुंचे हैं।
प्रशिक्षित बांस के शिल्पियों को गांधी शिल्प बाजार धनबाद में मार्केट उपलब्ध कराया जा रहा है। पालोजोरी,देवघर से आए मुकेश कुमार मोहली के स्टाल में बांस के सामानों जैसे उपहार बॉक्स, टोकरी, लेम्प, गृह सज्जा, पैकेजिंग और भी जीवन शैली के कई उत्पाद हैं। लेम्प में हैंगिंग लेम्प, टेबुल लेम्प, कलर लेम्प, पाईन एप्पल लेम्प आदि 15 से 20 तरह के लेम्प 100 से 1600 रू तक के रेंज में है।50 से 400 रू तक के कई और भी उत्पाद हैं। साथ ही बांस और बेंत से तैयार आरामदायक कुर्सी इनके स्टाल का मुख्य आकर्षण है।
इनके स्टाल पर आनेवाले लोग कुर्सी पर बैठकर सेल्फी जरूर लेते है।इसकी कीमत 3000 रू है. मुकेश ने बताया बांस के उत्पाद बनाने में एक बांस 80 से 100 रू में खरीदते हैं वही बेंत और कलर बंगाल से मंगाया जाता है।एक बांस से लगभग 2000 छोटे उत्पाद तैयार होते हैं।उत्पादों को 35 कारीगर मिलकर बनाते हैं।एक दिन में उपहार बॉक्स व अन्य छोटे - छोटे 10 उत्पाद तैयार कर लिया जाता है जबकि एक आरामदायक कुर्सी तैयार करने में दो दिन का समय लगता है।उन्होंने बताया कि उत्पादों में रंगों से डिजाइन दी जाती है जिसकी खूबी है कि पानी लगने पर भी रंग नही जाता।भारत सरकार, वस्त्र मंत्रालय, कार्यालय विकास आयुक्त, हस्तशिल्प सेवा केंद्र देवघर जिला के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत देवघर के पालोजोरी प्रखंड के शिमला ग्राम एवं धनबाद जिला के बलियापुर प्रखंड के घोघाबाद ग्राम में कुल 50 बांस के शिल्पियों को प्रशिक्षक मुकेश कुमार मोदी के द्वारा प्रशिक्षित किया गया है।
असम से आए शिल्पकार बाप्पा दास के स्टाल में बेंत से बनी कई डिजाइनों में लेडीज पर्स, हेंडबैग चप्पल के अलावे टेबुल मैट, वाटर बोतल बैग, लेपटॉप बैग इत्यादि उत्पाद हैं।असम से ही शिल्पाकर इसफादुर रहमान बांस व बेंत से बने 100 से ज्यादा गृह सज्जा के उत्पादों को लेकर आए हैं।
सभी उत्पाद 60 रू से 400 तक के रेंज में है. उन्होंने बताया असम वन संसाधनों में समृद्ध है और इसके अधिकतर वनों में विभिन्न प्रजातियों के बांस और बेंत प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। बांस एक बहुउपयोगी कच्ची सामग्री है और यह असम की जीवनशैली तथा अर्थव्यवस्था का एक अभिन्न हिस्सा है। गोल्फ ग्राउंड में यह गांधी शिल्प बाजार 28 मार्च तक रहेगा। मेला में एंट्री फ्री है। यहां 100 स्टाल में घरेलू सामान, साज सज्जा की वस्तुएँ, वस्त्र, कारपेट, मनमोहक पेंटिंग आदि उपलब्ध है.सम्पूर्ण भारतवर्ष के हस्तशिल्प का अनोखा संगम इस मेला में है। विकास आयुक्त (हस्तशिल्प),
वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार इसके प्रायोजक तथा ऑल इंडिया परिवर्तन सेवा समिति इसके आयोजक हैं।
Mar 23 2023, 15:51