दांडी मार्च नमक सत्याग्रह की 93वीं वर्षगांठ पर महात्मा गांधी, कस्तूरबा ,गांधी अमर शहीदों एवं स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में भव्य समारोह का किया गया आयोजन*

बेतिया : सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए दांडी मार्च नमक सत्याग्रह की 93वीं वर्षगांठ एवं भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया है।
जिस मे विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों , बुद्धिजीवियों एवं छात्रों ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, कस्तूरबा गांधी एवं स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी।
इस मौके पर अंतरराष्ट्रीय पीस एंबेस्डर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता, डॉ. सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय,, झारखंड, डॉ. शाहनवाज अली ने संयुक्त रुप से कहा कि आज ही के दिन 93 साल पहले 12 मार्च, 1930 को 72 स्वतंत्रता सेनानियों के नेतृत्व में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने नमक सत्याग्रह में भाग लिया। नमक मार्च, जो मार्च से अप्रैल 1930 तक हुआ, देश में ब्रिटिश शासन का विरोध करने के लिए महात्मा गांधी के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा का एक कार्य था।
आज देश भारत की स्वाधीनता की 75 वीं वर्षगांठ आजादी का अमृत महोत्सव वर्षगांठ मना रहा है। नमक पर कर लगाने वाले कानून को तोड़ने के लिए महात्मा गांधी और साबरमती आश्रम के 72 अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने 12 मार्च 1930 को दांडी यात्रा शुरू की। 21 दिनों तक मार्च करने के बाद, वे 5 अप्रैल को डंडी पहुंचे और कानून तोड़ा। अंग्रेजों का यह एक भेदभावपूर्ण कानून था।
इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी द्वारा शुरू किए गए सत्य, अहिंसा और आपसी प्रेम के सिद्धांतों, सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जन जागरूकता अभियान और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा किया जा रहा है।
विभिन्न विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और स्कूलों में, नई पीढ़ी को बाल विवाह, दहेज प्रथा, बाल श्रम, सीमा पार मानव व्यापार आदि सहित कई सामाजिक बुराइयों के बारे में शिक्षित करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
देश-विदेश के प्रख्यात चिंतकों, , गांधी विचारकों तथा विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। कला, संस्कृति एवं युवा विभाग द्वारा विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है। यह समय 1757, 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम, महात्मा गांधी, कस्तूरबा गांधी और स्वतंत्रता सेनानियों को याद करने का समय है, उनके बलिदान के कारण भारत 200 साल की गुलामी के बाद अंग्रेजों के अत्याचार से मुक्त हुआ था।
इस मौके पर शाहीन परवीन, मुख्य अतिथि नवीदु चतुर्वेदी सहित कई प्रमुख गांधीवादी व सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए।
Mar 13 2023, 15:10